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पठन सामग्री और भावार्थ: दोहे | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan) PDF Download

भावार्थ                                                                  

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय।
 टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय।।

अर्थ:  रहीम के अनुसार प्रेम का धागा अगर एक बार टूट जाए तो दोबारा नहीं जुड़ता। अगर इसे जबरदस्ती जोड़ने की कोशिश की जाए तो यह पहले की तरह सामान्य नहीं रह जाता, इसमें गांठ पड़ जाती है।


रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय।
 सुनी इठलैहैं लोग सब, बांटी न लेंहैं कोय।।

अर्थ: रहीम कहते हैं कि अपने दुःख को मन के भीतर ही रखना चाहिए क्योंकि लोग इसे बांटने के बजाय मजाक उड़ाते हैं।

एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय।
 रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अगाय।।

अर्थ: रहीम के अनुसार, अगर हम एक-एक कार्य को पूरा करने का प्रयास करें, तो हमारे सभी कार्य पूरे हो जाएंगे। यदि हम सभी काम एक साथ शुरू करते हैं, तो कोई भी कार्य पूरा नहीं हो पाएगा। जैसे केवल जड़ को सींचने से पूरा वृक्ष हरा-भरा होता है।

चित्रकूट में रमि रहे, रहिमन अवध नरेस।
 जा पर बिपदा परत है, सो आवत यह देश।।

अर्थ: रहीम कहते हैं कि चित्रकूट में अयोध्या के राजा राम 14 वर्षों के वनवास के दौरान रहे थे। इस स्थान की याद दुःख में ही आती है, जब भी किसी पर विपत्ति आती है, वह शांति पाने के लिए इसी स्थान पर आता है।

दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।
 ज्यों रहीम नट कुंडली, सिमिट कूदि चढिं जाहिं॥ 

अर्थ: रहीम कहते हैं कि दोहा छंद ऐसा होता है जिसमें अक्षर कम होते हैं, लेकिन उनका अर्थ:बहुत गहरा होता है। जैसे कुशल बाजीगर अपने शरीर को सिकोड़कर तंग मुँह वाली कुंडली से निकल जाता है, वैसे ही कुशल दोहाकार सीमित शब्दों में गहरी बातें कह देते हैं।


धनि रहीम जल पंक को,लघु जिय पिअत अघाय।
 उदधि बड़ाई कौन है,जगत पिआसो जाय।। 

अर्थ" रहीम कहते हैं कि कीचड़ का जल सागर के जल से महान है, क्योंकि कीचड़ के जल से अनेक लघु जीव अपनी प्यास बुझा लेते हैं। सागर का जल अधिक होने पर भी पीने योग्य नहीं है। लोग उसके किनारे आकर भी प्यासे रह जाते हैं। मतलब यह है कि महान वही है जो किसी के काम आए।


नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत।
 ते रहीम पशु से अधिक, रीझेहु कछु न दे।।

अर्थ: रहीम कहते हैं कि संगीत की तान पर रीझकर हिरन शिकार हो जाता है। उसी तरह मनुष्य भी प्रेम के वशीभूत होकर अपना तन, मन और धन न्यौछावर कर देता है। लेकिन वे लोग जो किसी से खुशी पाते हैं पर उसे कुछ नहीं देते, वे पशु से भी बदतर हैं।

पठन सामग्री और भावार्थ: दोहे | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।
 रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय।।

अर्थ: रहीम कहते हैं कि मनुष्य को सोच समझकर व्यवहार करना चाहिए। अगर किसी कारणवश बात बिगड़ जाती है, तो उसे बनाना कठिन होता है। जैसे एक बार दूध फट गया तो लाख कोशिश करने पर भी उसे मथकर मक्खन नहीं निकाला जा सकेगा।


रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।
 जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।।

अर्थ: रहीम के अनुसार हमें बड़ी वस्तु को देख कर छोटी वस्तु का अनादर नहीं करना चाहिए। छोटी वस्तु का भी अपना महत्व होता है, जैसे छोटी सी सुई का काम बड़ा तलवार नहीं कर सकती।


रहिमन निज संपति बिना, कोउ न बिपति सहाय।
 बिनु पानी ज्‍यों जलज को, नहिं रवि सकै बचाय।।

अर्थ: रहीम कहते हैं कि संकट की स्थिति में मनुष्य की निजी धन-दौलत ही उसकी सहायता करती है।जिस प्रकार पानी का अभाव होने पर सूर्य कमल की कितनी ही रक्षा करने की कोशिश करे, फिर भी उसे बचाया नहीं जा सकता, उसी प्रकार मनुष्य को बाहरी सहायता कितनी ही क्यों न मिले, किंतु उसकी वास्तविक रक्षक तो निजी संपत्ति ही होती है।


रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
 पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून।।

अर्थ: रहीम कहते हैं कि पानी का बहुत महत्त्व है। इसे बनाए रखो। यदि पानी समाप्त हो गया तो न तो मोती का कोई महत्त्व है, न मनुष्य का और न आटे का। पानी अर्थात चमक के बिना मोती बेकार है। पानी अर्थात सम्मान के बिना मनुष्य का जीवन व्यर्थ है और जल के बिना रोटी नहीं बन सकती, इसलिए आटा बेकार है।

कवि परिचय

रहीम का जन्म लाहौर में 1556 में हुआ। इनका पूरा नाम अब्दुर्रहीम खानखाना था। रहीम अरबी, फारसी, संस्कृत के अच्छे जानकार थे। अकबर के दरबार में हिंदी कवियों में इनका महत्वपूर्ण स्थान था और ये अकबर के नवरत्नों में से एक थे।

कठिन शब्दों के अर्थ

  • चटकाय - चटका कर
  • बिथा - व्यथा
  • गोय - छिपाकर
  • अठिलैहैं - मजाक उड़ाना
  • सींचिबो - सिंचाई करना
  • अघाय - तृप्त
  • अरथ - मायने
  • थोरे - थोड़ा
  • पंक - कीचड़
  • उदधि - सागर
  • नाद- ध्वनि
  • रीझि - मोहित होकर
  • मथे - मथना
  • निज - अपना
  • बिपदा- मुसीबत
  • पिआसो - प्यासा
  • चित्रकूट - वनवास के समय श्री रामचन्द्र जी सीता और लक्ष्मण के साथ कुछ समय तक चित्रकूट में रहे थे।

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FAQs on पठन सामग्री और भावार्थ: दोहे - Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

1. कक्षा 9 हिन्दी के पाठ 8 में दोहे कौन से हैं?
उत्तर: पाठ 8 में दोहे दो हैं। एक है "मनुष्यता क्या है, इसका विचार रखो भाई।" और दूसरा है "दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोइ।"
2. स्पर्श पाठ किस कक्षा के लिए है?
उत्तर: "स्पर्श" पाठ कक्षा 9 के लिए है।
3. पाठ 8 में किन विषयों पर चर्चा की गई है?
उत्तर: पाठ 8 में विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई है, जैसे मनुष्यता, दुःख-सुख और जीवन के महत्वपूर्ण मुद्दे।
4. क्या पाठ 8 में कोई और रचना है, जो दोहों के अलावा है?
उत्तर: नहीं, पाठ 8 में दोहों के अलावा कोई और रचना नहीं है।
5. पाठ 8 के दोहों में कौन-कौन सी भावार्थसंगति है?
उत्तर: पाठ 8 के दोहों में अध्यात्मिक और मानवीय भावार्थसंगति है। दोहा "मनुष्यता क्या है, इसका विचार रखो भाई।" मानवीय भावार्थसंगति को दर्शाता है जबकि दोहा "दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोइ।" अध्यात्मिक भावार्थसंगति को दर्शाता है।
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