Class 10 Exam  >  Class 10 Notes  >  सामाजिक विज्ञान कक्षा 10  >  महत्वपूर्ण-प्रश्नोत्तर, पाठ - 3 भारत में राष्ट्रवाद(कक्षा दसंवी),सामाजिक विज्ञान

महत्वपूर्ण-प्रश्नोत्तर, पाठ - 3 भारत में राष्ट्रवाद(कक्षा दसंवी),सामाजिक विज्ञान | सामाजिक विज्ञान कक्षा 10 - Class 10 PDF Download

अति:लघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1.  रोलेट एक्ट कब लागू हुआ ?
उत्तर : 1919 में |

प्रश्न 2.  गाँधीजी दक्षिण अफ्रीका से भारत कब लौटे ?
उत्तर : 1915 |

प्रश्न 3.  “जलियावाला बाग हत्याकाण्ड “ कब और कहाँ हुआ ?
उत्तर : 13 अप्रैल 1919 में , अमृतसर । 

प्रश्न 4.  ‘इनलैण्ड एमिगे्रशन एक्ट’ क्या था ?
उत्तर : बगानों में काम करने वाले मजदूरों को इस एक्ट के तहत बिना इजाजत बगान से बाहर जाने की अनुमती नहीं थी । 

प्रश्न 5.    गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन कब और किस घटना से वापस लिया ?
उत्तर : 1922 में , चैरीचैरा की घटना ने गाँधी जी को बहुत ही विक्षुब्ध किया जिसमें भारतीय क्रांतिकारियों ने चैरीचैरा पुलिस स्टेशन में आग लगा दी ।

प्रश्न 6.    खिलाफत आंदोलन कब और किसके द्वारा शुरू किया गया ?
उत्तर : 1919 में शौकत अली और मुहम्मद अली ने। 

प्रश्न : काग्रेस में समाजवादी विचारधारा लाने वाले दो नेताओं का नाम बताइए। 
उत्तर : 

1.    जवाहर लाल नेहरू 
2.    सुभाष चन्द्र बोस 

प्रश्न 8: गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन कब और किस घटना से वापस लिया ?
उत्तर: 1922 में, चौरीचौरा की घटना ने गांघी जी को बहुत ही विक्षुब्ध किया जिसमें भारतीय क्रांतिकारियों ने चौरीचौरा पुलिस स्टेशन में आग लगा दी | कई पुलिस वाले मारे गए | 

प्रश्न 9: स्वराज पार्टी का गठन किसने किया ?
उत्तर : 

प्रश्न 10: पिकेटिंग का क्या अर्थ है ?
उत्तर : प्रदर्शन या विरोध का एक ऐसा स्वरुप जिसमें लोग किसी दुकान, फैक्ट्री, दफ्तर के भीतर जाने का रास्ता रोक लेते हैं | 

प्रश्न 11: पूर्ण स्वराज की माँग कब और कहाँ की गई ?
उत्तर : पूर्ण स्वराज की माँग 1929 में जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में काग्रेस ने लाहौर अधिवेशन में की | 

प्रश्न 12: डॉo अम्बेडकर ने दलितों के लिए कौन सी एसोसिएशन को संगठित किया और कब ?
उत्तर : डॉ० आंबेडकर में 1930 में दलितों के लिए दमित वर्ग एसोसिएशन बनाया | 

प्रश्न 13: वंदेमातरम् गीत के रचयिता कौन थे ?
उत्तर : बंकिम चन्द्र चटर्जी | 

प्रश्न 14: वैध्य शासन व्यवस्था का क्या अर्थ है ?
उत्तर : 

प्रश्न 15: खिलाफत आन्दोलन कब और किसके द्वारा शुरू किया गया ?
उत्तर: खिलाफत आन्दोलन 1919 में दो भाइयों शौकत अली और मुहम्मद अली के द्वारा शुरू किया गया | 

प्रश्न 16: भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस की स्थापना कब और किसने की ? 
उत्तर : 1885 ई० में ए० ओ० ह्युम ने किया था |

प्रश्न 17: 1920 के कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में कांग्रेस द्वारा लिया गया कोई एक महत्वपूर्ण फैसला बताइए |
उत्तर : इस अधिवेशन में कांग्रेस और मुस्लिम लीग द्वारा असहयोग एवं खिलाफत आन्दोलन चलाने का फैसला लिया गया | 

प्रश्न 18 : सत्याग्रह का अर्थ बताइए |
उत्तर : सत्याग्रह का अर्थ सत्य के लिए आग्रह करना| यदि उद्देश्य सच्चा है और अन्याय के खिलाफ है तो उत्पीडन के खिलाफ मुकाबला करने के लिए शारीरिक बल की आवश्यकता नहीं है |

प्रश्न 19: बेगार का अर्थ बताइए | 
उत्तर : बिना किसी पारिश्रमिक (मेहनताना) के किसी के काम करवाना बेगार कहलाता है | 

प्रश्न 20 : गिरमिटिया मजदुर किसे कहते हैं ? 
उत्तर : औपनिवेशिक शासन के दौरान बहुत सारे लोगों को काम के लिए फिजी, गुयाना, वेस्टइंडीज आदि स्थलों पर ले जाया गया जिन्हें बाद में गिरमिटिया कहा जाने लगा | जिस अनुबंध के अंतर्गत उन मजदूरों को बाहर ले जाया जाता था उसे गिरमिट कहते थे | 

प्रश्न 21 : पूना पैक्ट में किन दो नेताओं के बीच समझौता हुआ ? 
उत्तर : डॉ० भीम राव अम्बेडकर और महात्मा गाँधी के बीच ? 

प्रश्न 22 : महात्मा गाँधी द्वारा किसानों के पक्ष में आयोजित किए गए दो मुख्य सत्याग्रहों का नाम बताइए। 
उत्तर : 
1. गाँधी जी ने बिहार के चम्पारण के किसानों के सहयोग से सत्याग्रह प्रारम्भ किया और किसानों को उग्र खेती प्रणाली के विरूद्ध प्रेरित किया । 
2. गाँधी जी ने गुजरात के खेडा जिला के किसानों के पक्ष में सत्याग्रह किया जो फसल न होने के कारण , प्लेग और महामारी के कारण भू राज्स्व नहीं दे सके थे । 

प्रश्न 23 : गदर पार्टी के प्रमुख नेताओं के नाम लिखिए और राष्टीªय आंदोलन में गदर पार्टी की क्या भूमिका थी ?
उत्तर : गदर पार्टी के प्रमुख नेताओं के नाम थे रासबिहारी बोस , लाला हरदयाल , मैडम कामा और राजा महेन्द्र प्रताप ।

1.  इस पार्टी के नेताओं ने विदेशों में अंग्रेजी सरकार के विरूद्ध जनमत तैयार किया । 
2.  गदर पार्टी के प्रमुख नेताओं ने रास्ट्रीय आंदोलन में बढ चढ कर भाग लिया । 

प्रश्न 24 : भारतीय नेताओं के 1919 में राॅलेक्ट एक्ट के विरोध करने के क्या कारण थे ?
उत्तर : 
1.  इस कानून ने अंग्रेजी सरकार को यह शक्ति दे दी थी कि वह किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाये जेल में डाल दे । 
2.  उसके लिए किसी वकिल दलील और अपील की अनुमति नहीं थी । 
3.  यह कानून भारतीयों को उत्पिडित करने के उदेश्य से लाया गया था ।
4.  अंग्रेजी शासन राॅलेक्ट एक्ट लाकर स्वतंत्रता संग्राम की लहर को दबाना चाहती थी । 

प्रश्न 25: भारतीयों ने साइमन कमीशन का विरोध क्यों किया ?
उत्तर : भारतीयों द्वारा साइमन कमीशन का विरोध किए जाने के निम्नलिखित कारण थें::
1.    इस कमीशन में कोई भी भारतीय सदस्य नहीं था । 
2.    इस कमीशन की धाराओं में भरतीयों को स्वराज्य दिए जाने का कोई जिक्र नहीें था।

प्रश्न 26 : अंगे्रजो द्वारा साइमन कमीशन को लाने के क्या उदेश्य थे ? 
उत्तर : अंगे्रजो द्वारा साइमन कमीशन को लाने के निम्नलिखित  उदेश्य थे::
1.    1919 के गर्वनमेंट आॅफ इंडिया एक्ट की समीक्षा की जा सके । 
2.    यह सुझाव दिया जा सके कि भारतीय प्रशासन में कौन से नए सुधार लाया जा सके 
3.    भारत में पैदा तत्कालीन राजनीतिक गतिरोध को दूर किया जा सके । 

प्रश्न 27 : पूना पेक्ट क्या हैं ? इस पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखों । 
उत्तर :  महात्मा गांधी ने ब्रिट्रिश निर्णयों के विरूद्ध जेल में रहते हुए अनिश्चितकालीन उपवास  रख लिया था जिससे सारे देश में हलचल मच गई थी । अपने प्रिय नेता के प्राणरक्षा के लिए मदन मोहन मालवीय जैसे नेताओं ने डाॅक्टर भीमराव अम्बेडकर से दलितों के पृथक निर्वाचन क्षेत्र की मार्ग छोड़ देने की आग्रह की । इस विषय पर दोनो पक्षों में 25 सितम्बर 1932 को एक समझौता हुआ जिसे पूना पेक्ट कहा गया ।    

प्रश्न 28 : गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फेसला क्यों किया ? 
उत्तर : गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस लिए जाने के निम्नलिखित कारण थे::
1. चैरी : चैरा के घटना से गाँधीजी काफी परेशान हो उठे जिससे उन्हें विश्वास हो गया कि लोगों को वे  अब शांत नहीं रख सकेगें।  
2. वे सोचने लगे कि यदि लोग हिंसक हो जाएगें तो अग्रेंजी सरकार भी उत्तेजित हो जाएगी जिससे र्निदोष लोग भी मारे जाएगें ऐसे मेे उन्होनें 1922 मेें इस आंदोलन को वापस लेना ही उचित समझा । 

प्रश्न 29 : खिलाफत और असहयोग आंदोलन से क्या तात्पर्य हैं ? इस आंदोलन के प्रमुख नेताओं के नाम लिखों । 
उत्तर :
खिलाफत आन्दोलन: खिलाफत आंदोलन दो अली भइयों (मोहम्द अली और शौकत अली) ने 1919 में शुरू किया क्योंकि मित्र राष्ट्रों ने तुर्की को पराजित करके उसकी बहुत सी बस्तियों को आपस मे बडे अन्यायपूर्ण ढंग से बाँट लिया था । कांगे्रस के नेताओ ने इन अली भइयों का पूर्ण साथ दिया । 
असहयोग आंदोलन: सन् 1920 में  अंग्रजी सरकार के अत्याचार पूर्ण व्यवहार अन्यायपूर्ण बर्ताव का विरोध करने के लिए कांग्रेस ने महात्मा गाँधी और मोतीलाल नेहरू के नेतृत्व में एक अन्य आंदोलन शुरू किया जिसे असहयोग आंदोलन के नाम से जाना गया । इस आंदोलन के प्रमुख नेताओं के नाम:: मोहम्द अली और शौकत अली , महात्मा गाँधी और मोतीलाल नेहरू आदि थें । 

प्रश्न 30 : प्रथम विश्व युद्ध ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया ? 
उत्तर : प्रथम विश्व युद्ध ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में निम्न योगदान दिया:
1. प्रथम विश्व युद्ध 1914:18 ई  तक चला । इस काल में भरतीय राष्टीªय आंदोलन को गति मिली । साथ ही साथ राष्ट्रीय राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ा । 
2. अंग्रजोें ने भरतीयों से पूछे बिना भारत को युद्ध में एक पार्टी बना दिया साथ ही साथ भारत के संसाधनों का अपने हित के लिए धडल्ले से प्रयोग किया इससे भारतीयों में अंग्रेजो के प्रति विरोध करने की जज्बा पैदा हुआ । 
3. यद्यपि मुस्लिम लीग अंग्रजी सरकार की बांदी थी परन्तु प्रथम महायुद्ध के घटनाओं के कारण इसे कांग्रेस के समीप आना पड़ा जिससे राष्ट्रीय आंदोलनों में काफी सहायता मिली । 
4. इस महायुद्ध के कारण मुस्लिम विशेषकर मुस्लिम लीग अंग्रेजों के विरूद्ध हो गये क्योंकि महायुद्ध की समाप्ति के बाद मित्र राष्ट्रो ने तुर्की के साथ बहुत बुरा बर्ताव किया ।

प्रश्न 31 : सविनय अवज्ञा आन्दोलन की चार सीमाओं का उल्लेख कीजिए । 
उत्तर : सविनय अवज्ञा आन्दोलन की चार सीमाँए निम्नलिखित हैं:
1. जब सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू हुआ उस समय समुदायों के बीच संदेह और अविश्वास का माहौल बना हुआ था । 
2. कांग्रेस से कटे हुए मुस्लमानों का एक तबका किसी संयुक्त संर्घष के लिए तैयार नहीं था । 
3. भारत के विभिन्न धार्मिक नेताओं और जाति समूहों के नेताओं ने अपनी आनी माँगे शुरू कर दी जिससे सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रति इन्होने कोई खास रूचि नहीं दिखाई ।
4. धीरे धीरे हिंदू और मुस्लमानों के बीच संबंध खराब होते गये कई शहरों में सांप्रादायिक टकराव और दंगे हुए जिससे दोनों समुदायों के बीच फासले बढते गये ।  

प्रश्न 32 : काँग्रेस के तीन गरम दल के नेताओं का नाम लिखो । 
उत्तर: 

1.    बाल गंगाधर तिलक ।
2.    लाला लाजपत राय ।
3.    विपिन चन्द्र पाल । 

प्रश्न 33: पाकिस्तान की माँग मुस्लिम लिग द्वारा कब और कहाँ रखी गई ?
उत्तर: 1940 ई0 में अपने लाहौर अधिवेशन में ।

प्रश्न 34: अंग्रेजों के विरूद्ध आजाद हिन्द फौज का गठन किसने किया ?
उत्तर: नेता जी सुभाष चद्र बोस ने । 

प्रश्न 35 : लोगों को एकजुट करने के लिए राष्ट्रवादी नेता किस प्रकार के चिन्हो और प्रतीको का प्रयोग कर रहे थे ? 
उत्तर :  
राष्ट्रवादी नेताओं ने भारत के विभिन्न हिस्सों में राष्ट्रीय आंदोलन को गति देने के लिए विभिन्न प्रतीको और चिन्हो का प्रयोग कर रहे थे । 
1. बंगाल में  स्वदेशी आंदोलन के दौरान एक तिरंगा झंडा ( हरा पीला लाल ) तैयार किया गया । जिसमें बिट्रिश भारत के आठ प्रंतो का प्रतिनिधित्व करते कमल के आठ फूल और हिंदूओ व मुस्लमानों का प्रतिनिघित्व करता एक अर्धचंद्र दर्शाया गया था । 
2. गाँधीजी ने भी स्वराज्य का झंडा तैयार कर लिया यह भी (सफेद हरा लाल ) रंग का तिरंगा था । इसके मध्य में गाँधीवादी प्रतीक चरखों को महत्व दी गई जो स्वावलंबन का प्रतीक था ।


अभ्यास:प्रश्नावली :
संक्षेप में लिखे :
 

प्रश्न 1. व्याख्या करें :
(क) उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई क्यों थी?

उत्तर : उपनिवेशवाद विरोधी आन्दोलन उपनिवेशों में उत्पीडन और दमन के साथ गहराई से जुड़ा हुआ था | किसी भी औपनिवेशिक शासक के खिलाफ संघर्ष आपसी एकता के बिना संभव नहीं था | अलग:अलग लोगों के अलग:अलग हित और सबकी अपनी समस्याएँ थी | आजादी के सबके अपने मायने थे | परन्तु राष्ट्रवाद के उदय के साथ ही औपनिवेशिक शासकों के साथ संघर्ष का ढंग ही बदल गया | राष्ट्रवाद ने समाज के सभी तबकों को अपनी निजी समस्याओं से ऊपर उठकर देश के लिए संघर्ष करने की प्रेणना दिया |  

(ख) पहले विश्व युद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया |
उत्तर : प्रथम विश्व युद्ध ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में निम्न योगदान दिया : 
(i) प्रथम विश्व युद्ध 1914:18 ई  तक चला । इस काल में भरतीय राष्टीªय आंदोलन को गति मिली । साथ ही साथ राष्ट्रीय राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ा । 
(ii) अंग्रजोें ने भरतीयों से पूछे बिना भारत को युद्ध में एक पार्टी बना दिया साथ ही साथ भारत के संसाधनों का अपने हित के लिए धडल्ले से प्रयोग किया इससे भारतीयों में अंग्रेजो के प्रति विरोध करने की जज्बा पैदा हुआ । 
(iii) यद्यपि मुस्लिम लीग अंग्रजी सरकार की बांदी थी परन्तु प्रथम महायुद्ध के घटनाओं के कारण इसे कांग्रेस के समीप आना पड़ा जिससे राष्ट्रीय आंदोलनों में काफी सहायता मिली । 
(iv) इस महायुद्ध के कारण मुस्लिम विशेषकर मुस्लिम लीग अंग्रेजों के विरूद्ध हो गये क्योंकि महायुद्ध की समाप्ति के बाद मित्र राष्ट्रो ने तुर्की के साथ बहुत बुरा बर्ताव किया । 

(ग) भारत के लोग रॉलट एक्ट के विरोध में क्यों थे ?
उत्तर : भारतियों के रोलेक्ट एक्ट के विरोध करने के निम्नलिखित कारण थे :
(i) इस कानून ने अंग्रेजी सरकार को यह शक्ति दे दी थी कि वह किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाये जेल में डाल दे । 
(ii) उसके लिए किसी वकिल दलील और अपील की अनुमति नहीं थी । 
(iii) यह कानून भारतीयों को उत्पिडित करने के उदेश्य से लाया गया था ।
(iv) अंग्रेजी शासन रॉलेक्ट एक्ट लाकर स्वतंत्रता संग्राम की लहर को दबाना चाहती थी । 

(घ) गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला क्यों लिया?
उत्तर : गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस लिए जाने के निम्नलिखित कारण थे :
(i) चौरी:चौरा की घटना हिंसक हो चुकी थी जिसमें आन्दोलनकारियों ने 22 पुलिसकर्मियों को चौकी में जिन्दा जला दिया था | 
(ii) चौरी : चौरा के घटना से गाँधीजी काफी परेशान हो उठे जिससे उन्हें विश्वास हो गया कि लोगों को वे अब शांत नहीं रख सकेगें। 
(iii) असहयोग आन्दोलन अहिंसा पर आधारित था जबकि ऐसा नहीं हुआ |  
(iv) वे सोचने लगे कि यदि लोग हिंसक हो जाएगें तो अग्रेंजी सरकार भी उत्तेजित हो जाएगी जिससे र्निदोष लोग भी मारे जाएगें ऐसे मेे उन्होनें 1922 मेें इस आंदोलन को वापस लेना ही उचित समझा । 

प्रश्न 2. सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है?
उत्तर : सत्याग्रह के विचार का मतलब निम्न हैं :
(i) सत्य की शक्ति पर आग्रह और सत्य की खोज पर जोर |
(ii) प्रतिशोध या बदले की भावना के बिना संघर्ष करना |
(iii) अहिंसा के बल पर संघर्ष कर विजय प्राप्त करना |
(iv) उत्पीड़क शत्रु ही नहीं अपितु सभी को हिंसा की अपेक्षा सत्य को स्वीकार करने पर विवश करना | 

प्रश्न 3. निम्नलिखित पर अख़बार के लिए रिपोर्ट लिखें :
(क) जलियाँवाला बाग हत्याकांड
(ख) साइमन कमीशन

उत्तर: (क) जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड : 13 अप्रैल 1919 को पंजाब के अमृतसर के जलियाँवाला बाग में सैकड़ों बेकसूर हिन्दुस्तानियों की निर्मम हत्या की घटना हुई | 10 अप्रैल को पुलिस ने अमृतसर में एक शांतिपूर्ण जुलूस पर गोली चला दी। इसके बाद लोग बैंकों, डाकखानों
और रेलवे स्टेशनों पर हमले करने लगे। मार्शल लॉ लागू कर दिया गया और
जनरल डायर ने कमान सँभाल ली। उस दिन अमृतसर में बहुत सारे गाँव वाले एक मेले में शिरकत करने के लिए जलियाँवाला बाग मैदान में जमा हुए थे। यह मैदान चारों तरफ से बंद था। शहर से बाहर होने के कारण वहाँ जुटे लोगों को यह पता नहीं था कि इलाके में मार्शल लॉ लागू किया जा चुका है। जनरल डायर हथियारबंद सैनिकों के साथ वहाँ पहुँचा और जाते ही उसने मैदान से बाहर निकलने के सारे रास्तों को बंद कर दिया। इसके बाद उसके सिपाहियों ने भीड़ पर अंधाधुंध गोलियाँ चला दीं। जिससे सैंकड़ों
लोग मारे गए।

उत्तर: (ख) साइमन कमीशन' : 1928 में जब साइमन कमीशन भारत पहुँचा तो उसका स्वागत ‘साइमन कमीशन वापस जाओ’ (साइमन कमीशन गो बैक) के नारों से किया गया। यह इस कमीशन के 4:5 अंग्रेज अधिकारी थे | कांग्रेस और मुस्लिम लीग जैसी सभी पार्टियों ने इस कमीशन के विरोध प्रदर्शन में भाग लिया | अंग्रेजो द्वारा साइमन कमीशन को लाने के निम्नलिखित उदेश्य थे : (i) 1919 के गर्वनमेंट ऑफ इंडिया एक्ट की समीक्षा की जा सके । (ii) यह सुझाव दिया जा सके कि भारतीय प्रशासन में कौन से नए सुधार लाया जा सके | (iii) भारत में पैदा तत्कालीन राजनीतिक गतिरोध को दूर किया जा सके । परन्तु भारतियों के इसके विरोध के निम्नलिखित कारण थे : (i) इस कमीशन में कोई भी भारतीय सदस्य नहीं था और (ii) इस कमीशन की धाराओं में भरतीयों को स्वराज्य दिए जाने का कोई जिक्र नहीं था।

प्रश्न 4. राजनीतिक नेता पृथक चुनाव क्षेत्रों के सवाल पर क्यों बँटे हुए थे ?
उत्तर : राजनितिक नेताओं के पृथक निर्वाचन क्षेत्रों के सवाल पर बँटने के निम्म्न्लिखित कारण थे | 

(i) दलितों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्रों के सवाल पर दूसरे गोलमेज सम्मेलन में महात्मा गाँधी के साथ उनका काफी विवाद हुआ।
(ii) गाँधी जी का मत था की दलितों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्रों की व्यवस्था से समाज में उनके एकीकरण की प्रक्रिया धीमी पड़ जाएगी | 
(iii) दलित आंदोलन से जुड़े नेता कांग्रेस के नेतृत्व में चल रहे राष्ट्रीय आंदोलन को शंका की दृष्टि से ही देखते थे | 
(iv) मुस्लिम लीग के नेता भी मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र की माँग कर रहे थे |
(v) मोहम्मद अली जिन्ना भी मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र के बदले केन्द्रीय सभा में अरक्षित सीटों की माँग कर रहे थे |
(vi) हिन्दू महासभा के नेताओं ने भी इसके उलट बयान दिए | 

प्रश्न 5 : मोहम्मद अली जिन्ना की क्या माँग थी ? 
उत्तर : उनका कहना था कि अगर मुसलमानों को केन्द्रीय सभा में आरक्षित सीटें दी जाएँ और मुस्लिम बहुल प्रांतों (बंगाल और पंजाब) में मुसलमानों को आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व दिया जाए तो वे मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्रों की माँग छोड़ने के लिए तैयार हैं।

प्रश्न 6 : सत्याग्रह का मूलमंत्र क्या था ? 
उत्तर:

(i) अहिंसा के द्वारा किसी को भी जीता जा सकता है |

(ii) संघर्ष में अंततः सत्य की ही जीत होती है।

(iii) आपका संघर्ष अन्याय के खिलाफ है |

(iv) उत्पीड़क से मुकाबला के लिए शारीरिक बल की आवश्यकता नहीं है | 

(v) गांधीजी का विश्वास था की अहिंसा का यह धर्म सभी भारतीयों को एकता के सूत्र
में बाँध सकता है।

प्रश्न 7 : सभी सामाजिक समूह स्वराज की अमूर्त अवधारणा से प्रभावित नहीं थे | क्यों ? 
उत्तर : सभी सामाजिक समूह स्वराज की अमूर्त अवधारण से प्रभावित नहीं थे यह बात बिलकुल सत्य है जिसके निम्नलिखित कारण थे |

(i) देश के हर वर्ग और सामाजिक समूहों पर उपनिवेशवाद का एक जैसा असर नहीं था | उनके अनुभव भी अलग:अलग थे | 

(ii) अलग:अलग समूहों के लिए स्वराज के मायने भी भिन्न थे और सबके अपने हित थे | 

(iii) बहुत से पढ़े:लिखे भारतीय और अमीर लोग सीधे तौर पर अंग्रेजों से जुड़े थे, जिनके अपने:अपने हित थे | उनका स्वराज व स्वतंत्रता के प्रति रुख उदासीन था | 

(iv) किसानों की अपनी समस्याएँ थी, जबकि अंग्रेजी सेना में शामिल भारतीय सिपाहियों की भी अपनी समस्याएँ थी |

(v) स्वराज आन्दोलन के लिए इन समूहों को खड़ा करना एक बहुत बड़ी समस्या थी | इनके एकता में भी टकराव के बिंदु निहित थे |    

प्रश्न 8: गांधीजी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन के लिए नमक को ही मुख्य हथियार क्यों बनाया ? 
उत्तर : गाँधी जी जानते थे कि नमक एक ऐसी वस्तु है जो भारत के सभी लोग उपयोग करते हैं चाहे वे अमीर हो गरीब हो 

प्रश्न 9 : गाँधी इरविन समझौता क्या था ? 
उत्तर : 5 मार्च 1931 को गाँधी जी ने इरविन के साथ एक समझौते पर दस्तखत किए | जिसमें गाँधी जी ने लंदन में होने वाले दुसरे गोलमेज सम्मलेन में हिस्सा लेने पर अपनी सहमति व्यक्त कर दी | इससे पहले कांग्रेस गोलमेज सम्मलेन का बहिष्कार कर चुकीं थी | इसके बदले ब्रिटिश सरकार राजनितिक बंदियों को रिहा करने पर राजी हो गई | गाँधी और इरविन के बीच इस समझौते को गाँधी इरविन समझौता कहा जाता है |

प्रश्न  10: किन दो उद्योगपतियों के नेतृत्व में उद्योगपतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर औपनिवेशिक नियंत्रण का विरोध किया ?
उत्तर : पुरुषोत्तम दास, ठाकुर दास और जी.डी. बिडला | 

प्रश्न 11 : फिक्की की स्थापना कब हुई ?
उत्तर : फिक्की की स्थापना 1927 ई० में हुई | 

प्रश्न 12 : भारतीय व्यापारी और उद्योगपतियों ने औपनिवेशिक नीतियों का विरोध क्यों किया ? उनकी क्या माँगे थी ?
उत्तर : पहले विश्वयुद्ध के दौरान भारतीय व्यापारियों और उद्योगपतियों ने भारी मुनाफा कमाया था और वे ताकतवर हो चुके थे । अपने कारोबार को फैलने के लिए उन्होंने ऐसी औपनिवेशिक नीतियों का विरोध किया जिनके कारण उनकी व्यावसायिक गतिविधियों में रुकावट आती थी।
उनकी माँगे निम्नलिखित थी |

(i) वे विदेशी वस्तुओं के आयात से सुरक्षा चाहते थे |

(ii) रुपया:स्टर्लिंग विदेशी विनिमय अनुपात में बदलाव चाहते थे | 

प्रश्न 13 : भारतीय व्यापारियों और उद्योगपतियों ने औपनिवेशिक नीतियों के विरोध में कौन:कौन से कदम उठाए | 
उत्तर : भारतीय व्यापारियों और उद्योगपतियों ने औपनिवेशिक नीतियों के विरोध में निम्नलिखित कदम उठाए :

(i) व्यावसायिक हितों को संगठित करने के लिए उन्होंने 1920 में भारतीय औद्योगिक एवं व्यावसायिक कांग्रेस (इंडियन इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल कांग्रेस) और 1927 में भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग परिसंघ (पेफडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर ऑप़फ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री:फिक्की) का गठन किया।

(ii) उद्योगपतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर औपनिवेशिक नियंत्रण का विरोध किया | (ii) पहले सिविल नाफरमानी आंदोलन का समर्थन किया।

(iii) उन्होंने आंदोलन को आर्थिक सहायता दी और आयातित वस्तुओं को खरीदने या बेचने से इनकार कर दिया।

(iv) ज्यादातर व्यवसायी स्वराज को एक ऐसे युग के रूप में देखते थे जहाँ कारोबार पर औपनिवेशिक पाबंदियाँ नहीं होंगी और व्यापार व उद्योग निर्बाध ढंग से फल:फूल सकेंगे।

प्रश्न 14 : भारतीय उद्योगपतियों द्वारा व्यावसायिक हितों को संगठित करने के लिए किन दो व्यावसायिक संगठनों का गठन किया ? 
उत्तर : 

(i) भारतीय औद्योगिक एवं व्यावसायिक कांग्रेस (इंडियन इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल कांग्रेस) का 1920 में और

(ii) 1927 में भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग परिसंघ (पेफडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर ऑप़फ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री:फिक्की)

प्रश्न 15: गोलमेज सम्मलेन के विफलता के बाद व्यावसायिक संगठनों का उत्साह मंद क्यों पड़ गया ?
उत्तर : गोलमेज सम्मलेन के विफलता के बाद व्यावसायिक संगठनों का उत्साह मंद पड़ने के निम्नलिखित कारण थे | 

(i) उन्हें उग्र गतिविधियों का भय था।

(ii) वे लंबी अशांति की आशंका से भग्न (आशंकित) थे |

(iii) कांग्रेस के युवा सदस्यों में समाजवाद के बढ़ते प्रभाव से डरे हुए थे।

प्रश्न 16 : औद्योगिक श्रमिक वर्ग ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में नागपुर के अलावा और कहीं भी बहुत बड़ी संख्या में हिस्सा नहीं लिया। कारण बताइए |
उत्तर : उस समय बड़े:बड़े उद्योगपति कांग्रेस के नजदीक आ रहे थे, जिससे मजदुर वर्ग कांग्रेस से छिटकने लगे थे | मजदूर कांग्रेस से देश में समाजवादी नीतियाँ चाहते थे परन्तु उद्योगपति कांग्रेस के युवा समाजवादी नेताओं के प्रभाव से डरे हुए थे | कांग्रेस अपने कार्यक्रम में मजदूरों की माँगों को समाहित करने में हिचकिचा रही थी। कांग्रेस को लगता था कि इससे उद्योगपति आंदोलन से दूर चले जाएँगे और साम्राज्यवाद विरोधी ताकतों में फूट पडे़गी।

प्रश्न 17: सविनय अवज्ञा आन्दोलन (नमक सत्याग्रह आन्दोलन) में औरतों की भूमिका का वर्णन कीजिए |

(अथवा) 

राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान बहुत सारी औरतें अपनी जिंदगी में पहली बार अपने घर से निकलकर सार्वजनिक क्षेत्र में आई थीं। इस कथन की पुष्टि कीजिए | 
उत्तर : इस आन्दोलन में औरतों ने बड़े पैमाने पर हिस्सा लिया। गांधीजी के नमक सत्याग्रह के दौरान हजारों औरतें उनकी बात सुनने के लिए घर से बाहर आ जाती थीं। उन्होंने जुलूसों में हिस्सा लिया, नमक बनाया, विदेशी कपड़ों व शराब की दुकानों की पिकेटिंग की। बहुत सारी महिलाएँ जेल भी गईं। शहरी इलाकों में ज्यादातर ऊँची जातियों की महिलाएँ सक्रिय थीं जबकि ग्रामीण इलाकों में संपन्न किसान परिवारों की महिलाएँ आंदोलन में हिस्सा ले रही थीं। गाँधी के आह्वान के बाद औरतों को राष्ट्र की सेवा करना अपना पवित्र दायित्व दिखाई देने लगा था।

प्रश्न 18 : औरतों के विषय में गाँधी जी का क्या मानना था ?
उत्तर: गाँधीजी का मानना था कि घर चलाना, चूल्हा:चौका सँभालना, अच्छी माँ व अच्छी पत्नी की भूमिकाओं का निर्वाह करना ही औरत का असली कर्त्तव्य है। इसीलिए लंबे समय तक कांग्रेस संगठन में किसी भी महत्त्वपूर्ण पद पर औरतों को जगह देने से हिचकिचाती रही। कांग्रेस को उनकी प्रतीकात्मक उपस्थिति में ही दिलचस्पी थी।

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FAQs on महत्वपूर्ण-प्रश्नोत्तर, पाठ - 3 भारत में राष्ट्रवाद(कक्षा दसंवी),सामाजिक विज्ञान - सामाजिक विज्ञान कक्षा 10 - Class 10

1. What is the definition of nationalism in India?
Ans. Nationalism in India is a political ideology that emphasizes the unity and integrity of the nation, as well as the cultural and historical heritage of India. It is based on the idea that India is a single nation with a shared history, culture, and identity.
2. What are the key features of Indian nationalism?
Ans. The key features of Indian nationalism include a focus on the unity and integrity of the nation, a sense of pride in India's cultural and historical heritage, a commitment to social justice and equality, and a desire to rid India of foreign domination and exploitation.
3. How did Indian nationalism develop?
Ans. Indian nationalism developed in response to British colonialism and the exploitation of India's resources and people. It was initially shaped by leaders like Raja Ram Mohan Roy and Swami Vivekananda, who worked to revive Indian culture and promote social reform. It was later championed by figures like Mahatma Gandhi, who used non-violent protests to challenge British rule and inspire a sense of national unity.
4. What role did religion play in Indian nationalism?
Ans. Religion played a complex role in Indian nationalism. While many nationalist leaders were deeply religious, nationalism itself was often based on a secular vision of India as a diverse but unified nation. This was reflected in the Indian Constitution, which enshrined the principle of secularism and guaranteed equal rights to all citizens regardless of their religion.
5. What are the challenges to Indian nationalism today?
Ans. Today, Indian nationalism faces a number of challenges, including rising communalism and sectarianism, ongoing conflicts over issues like language and regional identity, and the threat of external forces seeking to destabilize the country. However, many Indians remain committed to the ideals of national unity, social justice, and cultural diversity that have defined Indian nationalism since its inception.
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