Commerce Exam  >  Commerce Notes  >  NCERT Solutions - विधायिका - राजनितिक विज्ञान - 1, Class XI

विधायिका - राजनितिक विज्ञान - 1, Class XI NCERT Solutions - Commerce PDF Download

मुख्य बिन्दू 

  • 1985 में संविधान का 52वाँ संशोधन किया गया। इसे ‘दलबदल निरोधक कानून’ कहते हैं।
  • इसे बाद में 91वें संविधान संशोधन द्वारा दुबारा संशोधित किया गया। सदन का अध्यक्ष दलबदल से संबंधित विवादों पर अंतिम निर्णय लेता है।
  • संसद द्वारा कार्यपालिका को उत्तरदायी बनाने का सबसे सशक्त हथियार 'अविश्वास प्रस्ताव’ है।
  • ‘प्रश्नकाल’ सरकार की कार्यपालिका और प्रशासकीय एजेंसियों पर निगरानी रखने का सबसे प्रभावी तरीका है।
  • चुनाव ‘सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार’ के आधार पर होता है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के मत का मूल्य दूसरे व्यक्ति के मत के मूल्य के बराबर होता है। इस समय लोक सभा के 543 निर्वाचन क्षेत्र हैं।
  • लोक सभा के सदस्यों को 5 वर्ष के लिए चुना जाता है।लेकिन यदि कोई दल या दलों का गठबंधन सरकार न बना सके अथवा प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को लोक सभा भंग कर नए चुनाव कराने की सलाह दे,तो लोक सभा को 5 वर्ष से पहले भी भंग किया जा सकता है।
  • निर्वाचित सदस्यों के अतिरिक्त राज्य सभा में 12 मनोनीत सदस्य होते हैं जिन्होंने साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा के क्षेत्र में विशेष उपलब्धि हासिल की हो उन्हें राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किया जाता है।
  • हमारी राष्ट्रीय विधायिका का नाम संसद है।
  • राज्यों की विधायिकाओं को विधानमंडल कहते हैं।
  • भारतीय संसद में दो सदन हैं। जब किसी विधायिका में दो सदन होते हैं, तो उसे द्वि-सदनात्मक विधायिका कहते हैं।
  • उपराष्ट्रपति को हटाने का प्रस्ताव केवल राज्य सभा में ही लाया जा सकता है।
  • जिस दल या दलों के गठबंधन को लोकसभा में बहुमत हासिल होता है उसी के सदस्यों को मिलाकर संसदीय लोकतंत्र में कार्यपालिका बनती है।
  • विधयिका में कुछ भी कहने के बावजूद किसी सदस्य के विरुद्ध कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की जा सकती।तो इसे संसदीय विशेषाधिकार कहते हैं।

अभ्यास प्रश्नावली 

प्रश्न 1: आलोक मानता है कि किसी देश को कारगर सरकार की जरूरत होती है जो जनता की भलाई करे। अतः यदि हम सीधे-सीधे अपना प्रधानमंत्री और मंत्रिगण चुन लें और शासन का काम उन पर छोड़ दें, तो हमें विधायिका की जरूरत नहीं पड़ेगी। क्या आप इससे सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण बताएँ।
उत्तर: 
आधुनिक व कल्याणकारी राज्यों में विधायिका के गठन के बिना जनता द्वारा प्रधानमंत्री व मंत्रिमण्डल का चुनाव असम्भव है। जहाँ अध्यक्षात्मक कार्यपालिका है वहाँ भी राज्यों के आकार बड़े होने के कारण यह सम्भव नहीं हो पा रहा है कि मंत्रियों और राष्ट्रपति का चुनाव सीधे जनता द्वारा किया जाए। प्राचीनकाल में राजतन्त्र में भी राजा को विभिन्न विषयों पर परामर्श प्रदान करने के लिए ‘सभा’ या ‘समिति’ होती थी। अतः यह आवश्यक है कि राज्य में एक सभा हो जिसमें विभिन्न विषयों पर चर्चा हो, बहस हो व मतदान हो और निर्णय लिए जा सकें। इस सभा को ही सरकार के गठन का अधिकार सौंपा जाए, जिससे सँरकार, इस सभा के माध्यम से जनता के प्रति उत्तरदायी हो। संसदीय प्रणाली में तो यह अत्यन्त आवश्यक है। संसद विभिन्न तरीकों से कार्यपालिका पर नियन्त्रण करती है।
लोककल्याण के उद्देश्य को प्राप्त करने में संसद बाधा नहीं है। लोककल्याणकारी लोकतन्त्रात्मक सरकार एक ऐसी सरकार है जिसमें चर्चा, वाद-विवाद, विचार-विमर्श अत्यन्त आवश्यक हैं जो केवल संसद में ही सम्भव है। संसद में ही कानून बनाने के लिए चर्चा होती है, उसके सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाता है, बजट पास किया जाता है, मंत्रियों और सरकार के सदस्यों से प्रश्न पूछे जाते हैं और आलोचना की जाती है, संविधान में संशोधन किए जाते हैं। स्पष्ट है कि देश के लिए कारगर सरकार की जरूरत संसद ही पूरा कर सकती है।

 

प्रश्न 2: किसी कक्षा में द्वि-सदनीय प्रणाली के गुणों पर बहस चल रही थी। चर्चा में निम्नलिखित बातें उभरकर सामने आईं। इन तर्को को पढ़िए और इनसे अपनी सहमति-असहमति के कारण बताइए-
(क) नेहा ने कहा कि द्वि-सदनीय प्रणाली से कोई उद्देश्य नहीं सधता।
(ख) शमा का तर्क था कि राज्यसभा में विशेषज्ञों का मनोनयन होना चाहिए।
(ग) त्रिदेव ने कहा कि यदि कोई देश संघीय नहीं है, तो फिर दूसरे सदन की जरूरत नहीं रह जाती।
उत्तर: 
नेहा द्वारा कहे गए कथन से सहमत नहीं हुआ जा सकता। जहाँ द्वि-सदनीय प्रणाली है वहाँ दूसरा सदन कमजोर नहीं होता। कहीं उसकी शक्तियाँ कम हो सकती हैं पर वह निरर्थक नहीं हो सकता। भारत की राज्यसभा कुछ क्षेत्रों में विशेष शक्तियाँ रखती है। ब्रिटेन को लॉर्ड सदने गरिमा व परम्परा का प्रतीक है। अमेरिका के सीनेट अनेक क्षेत्रों में निचले सदन अर्थात् प्रतिनिधि सदन में भी अधिक शक्तिशाली है।
सामान्य रूप से उच्च सदन के निम्नलिखित लाभ हैं:

  • उच्च सदन निम्न सदन की मनमानी पर नियन्त्रण रखता है।
  • निम्न सदन द्वारा पारित बिलों को उच्च सदन पुनः विचार-विमर्श का अवसर प्रदान करता है।
  • जनमत-निर्माण में सहायक होता है।
  • संघीय प्रणाली में द्वितीय सदन आवश्यक है।
  • विशिष्ट वर्गों का प्रतिनिधित्व करता है।

शमा का यह तर्क था कि राज्यसभा में विशेषज्ञों का मनोनयन होना चाहिए, उचित है। अधिकांश देशों में उच्च सदन में योग्य एवं अनुभवी व्यक्तियों को प्रतिनिधित्व दिया जाता है। ब्रिटेन के लॉर्ड सदन में विशिष्ट वर्ग व पृष्ठभूमि के सदस्यों को प्रतिनिधित्व प्रदान किया जाता है। इसी प्रकार भारत व अमेरिका में भी अनुभवी, योग्य और विशेष योग्यता वाले सदस्यों को इन सदनों में प्रतिनिधित्व दिया जाता है। त्रिदेव का यह तर्क भी सही है कि जिन राज्यों में संघीय प्रणाली नहीं है वहाँ दूसरे सदन की जरूरत नहीं रह जाती, परन्तु यदि दूसरा सदन होता तो उसकी कुछ उपयोगिता अवश्य होती।

 

प्रश्न 3: लोकसभा कार्यपालिका को राज्यसभा की तुलना में क्यों कारगर ढंग से नियन्त्रण में रख सकती है?
उत्तर: 
भारत में कार्यपालिका अपने कार्यों तथा शासन के प्रयोग के लिए संसद के प्रति उत्तरदायी है, परन्तु यह उत्तरदायित्व वास्तव में लोकसभा के प्रति है जो उस पर राज्यसभा के मुकाबले अधिक प्रभावकारी नियन्त्रण रखती है।
इसके कारण निम्नलिखित हैं-

  • प्रधानमंत्री और अधिकतर मंत्री लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल से लिए जाते हैं, राज्यसभा में बहुमत प्राप्त दल से नहीं और वे लोकसभा के प्रति ही वास्तविक रूप से उत्तरदायी होते हैं।
  • धन विधेयक तथा बजट को पारित करने की शक्ति लोकसभा को प्राप्त है। लोकसभा का धन पर नियन्त्रण होने से कार्यपालिका पर भी नियन्त्रण स्थापित हो जाता है।
  • धन विधेयक और बजट; मंत्री ही प्रस्तुत करते हैं और यदि लोकसभा उसे रद्द कर दे या उसमें कमी कर दे तो मंत्रिमण्डल को त्यागपत्र देना पड़ता है।
  • मंत्रिमण्डल उस समय तक ही अपने पद पर रहता है जब तक उसे लोकसभा में बहुमत का विश्वास प्राप्त है। केवल लोकसभा मंत्रिमण्डल को अविश्वास प्रस्ताव पास करके अपदस्थ कर सकती है, राज्यसभा नहीं।

 
प्रश्न 4: लोकसभा कार्यपालिका पर कारगर ढंग से नियन्त्रण रखने की नहीं बल्कि जनभावनाओं और जनता की अपेक्षाओं की अभिव्यक्ति का मंच है। क्या आप इससे सहमत हैं? कारण बताएँ।
उत्तर:
लोकसभा जनभावनाओं और जनता की अपेक्षाओं की अभिव्यक्ति का मंच है, यह कथन उचित है। लोकसभा 543 प्रतिनिधियों को सदन है, ये सदस्य 100 करोड़ से अधिक भारतीय जनता की इच्छाओं, हितों, भावनाओं व अपेक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं परन्तु इस कार्य को करने के लिए लोकसभा के सदस्यों का सरकार पर नियन्त्रण करना भी अत्यन्त आवश्यक है। सरकार की मनमानी पर नियन्त्रण रखना, जनता के हितों, इच्छाओं व आवश्यकताओं को सरकार तक पहुँचाना भी लोककल्याण की दृष्टि से आवश्यक है। अन्ततः संसद का कार्य जनता के हितों की रक्षा करना ही है।

 

प्रश्न 5: नीचे संसद को ज्यादा कारगर बनाने के कुछ प्रस्ताव लिखे जा रहे हैं। इनमें से प्रत्येक के  साथ अपनी सहमति या असहमति का उल्लेख करें। यह भी बताएँ कि इन सुझावों को मानने के  क्या प्रभाव होंगे?

(क) संसद को अपेक्षाकृत ज्यादा समय तक काम करना चाहिए।
उत्तर: संसद को अपेक्षाकृत ज्यादा समय तक काम करना चाहिए-हम इससे पूर्ण सहमत हैं। जब भी सदन की बैठक 4 घण्टे से कम चले तो सदस्यों को उस दिन का भत्ता न दिया जाए। सांसद को बिना काम-काज के भत्ता दिया जाना उचित नहीं है, यह आम-आदमी की जेब पर डाका है। यदि संसद अपेक्षाकृत अधिक समय तक काम करेगी तो देश के विकास कार्य नियत समय पर पूर्ण हो सकेंगे।

(ख) संसद के सदस्यों की सदन में मौजूदगी अनिवार्य कर दी जानी चाहिए।
उत्तर: संसद के सदस्यों की सदन में मौजूदगी अनिवार्य कर दी जानी चाहिए-हम इससे पूर्ण सहमत हैं। अधिकांश सांसद सदन से अनुपस्थित रहते हैं जिससे सदन में महत्त्वपूर्ण विषयों पर आवश्यक विचार-विमर्श नहीं हो पाता। इसलिए ऐसा नियम बनाया जाए कि संसद के सदस्य सदन में अनिवार्य रूप से उपस्थित हों।

(ग) अध्यक्ष को यह अधिकार होना चाहिए कि सदन की कार्यवाही में बाधा पैदा करने पर सदस्य को दंडित कर सकें ।
उत्तर: अध्यक्ष को यह अधिकार होना चाहिए कि सदन की कार्यवाही में बाधा पैदा करने पर सदस्य को दण्डित कर सके-हमें इससे पूर्ण सहमत हैं। ऐसा होने पर सदन में जो सदस्य उद्दण्डता का व्यवहार करते हैं उन पर अंकुश लगेगा और सदन की कार्यवाही निर्बाध रूप से चलती रहेगी।

 

प्रश्न 6: आरिफ यह जानना चाहता था कि अगर मंत्री ही अधिकांश महत्त्वपूर्ण विधेयक प्रस्तुत करते हैं और बहुसंख्यक दल अकसर सरकारी विधेयक को पारित कर देता है, तो फिर कानून बनाने की प्रक्रिया में संसद की भूमिका क्या है? आप आरिफ को क्या उत्तर देंगे?
उत्तर:
आरिफ का मानना सही है कि संसदीय प्रणाली में अधिकांश बिल सरकारी बिल होते हैं, जिन्हें मंत्री ही तैयार करते हैं व मंत्री ही उसे प्रस्तुत करते हैं। इस स्थिति में व्यावहारिक रूप से यह स्थिति दिखाई देती है कि संसद तो केवल उस बिल पर स्टैम्प लगाने वाली संस्था बन गई है जिन्हें मंत्री प्रस्तुत करते हैं। आरिफ के इस विचार में कुछ सच्चाई अवश्य है परन्तु इसका एक पक्ष यह भी है कि सरकार बनने के बाद सदन कार्यपालिका व विधायिका में बँट जाता है।
विधायिका के सदस्यों का यह दायित्व होता है कि वे सदन में जनहित का दृष्टिगत रखकर सरकार के निर्णयों का समर्थन करें अथवा विरोध करें, भले ही वे किसी भी दल के हों। कार्यपालिका पूरे सदन के लिए जिम्मेदार होती है। सत्ता दल के सदस्य या विरोधी दल के सदस्य सभी विधानपालिका के सदस्य होते हैं। कार्यपालिका में मंत्री व प्रधानमंत्री सम्मिलित होते हैं; अत: संसद केवल एक रबड़ स्टैम्प ही नहीं है। शासक दल के सदस्य सरकार की प्रत्येक सही व गलत बात का समर्थन करेंगे ऐसा नहीं है, क्योंकि उनकी भी संसद सदस्यों के रूप में अपनी विशिष्ट भूमिका है।

 

प्रश्न 7. आप निम्नलिखित में से किस कथन से सबसे ज्यादा सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण
(क) सांसद/विधायकों को अपनी पसन्द की पार्टी में शामिल होने की छुट होनी चाहिए।
(ख) दल-बदल विरोधी कानून के कारण पार्टी के नेता का दबदबा पार्टी क सांसद/विधायकों पर बढ़ा है।
(ग) दल-बदल हमेशा स्वार्थ के लिए होता है और इस कारण जो विधायक/सांसद दूसरे दल में शामिल होना चाहता है उसे आगामी दो वर्षों के लिए मंत्री-पद के अयोग्य करार कर दिया जाना चाहिए।
उत्तर:
हम कथन (ग) से पूर्ण सहमत हैं। दल-बदल अधिकांशतः सभी राजनीतिक दलों द्वारा किया गया स्वार्थाधारित कार्य है। ऐसे बहुत कम उदाहरण हैं जहाँ सिद्धान्तों के मतभेद के कारण दल-बदल हुआ हो। भारत में दल-बदल को नियन्त्रित करने के लिए कई प्रयास किए गए। दल-बदल निरोधक कानून’ इस दिशा में एक प्रभावकारी कदम था परन्तु इससे भी दल-बदल घाटा नहीं बल्कि इससे और अधिक बढ़ा। अतः यह सुझाव उचित है कि दल-बदल को रोकने के लिए कोई कठोर दण्ड अवश्य निर्धारित किया जाना चाहिए। दण्ड का यह सुझाव भी उचित है कि जो विधायक/सांसद दूसरे दल में शामिल होना चाहता है उसे आगामी दो वर्षों के लिए मंत्री पद के अयोग्य करार कर दिया जाना चाहिए।

 

प्रश्न 8: डॉली और सुधा में इस बात पर चर्चा चल रही है कि मौजूदा वक्त में संसद कितनी कारगर और प्रभावकारी है। डॉली का मानना था कि भारतीय संसद के कामकाज में गिरावट आयी है। यह गिरावट एकदम साफ दिखती है क्योंकि अब बहस-मुबाहिसे पर समय कम खर्च होता है और सदन की कार्यवाही में बाधा उत्पन्न करने अथवा वॉकआउट (बहिर्गमन) करने में ज्यादा। सुधा का तर्क था कि लोकसभा में अलग-अलग सरकारों ने मुँह की खायी हैं, धराशायी हुई है। आप सुधा या डॉली के तर्क के पक्ष या विपक्ष में और कौन-सा तर्क देंगे?
उत्तर: 
डॉली का तर्क उचित है कि सदन का बहुमूल्य समय व्यर्थ की बहस व गतिविधियों में नष्ट हो जाता है तथा उपयोगी कार्य कम हो पाते हैं। संसद के वातावरण व कार्यविधि में गिरावट आई है जिससे संसद की गरिमा को भी धक्का लगा है। आए दिन संसद में गैर-संसदीय भाषा का प्रयोग होता रहता है। और शोर-शराबे में किसी की नहीं सुनी जाती। सदन के अध्यक्ष प्रायः असहाय से दिखाई देते हैं। बहुत छोटी-छोटी बातों पर सदन का बहिष्कार किया जाता है। सदन का माहौल गर्म हो जाता है। कई बार आपस में गुत्थम-गुत्था भी हो जाती है। इस सब के होते संसद के प्रभाव व गरिमा में गिरावट आई है। यह एक गम्भीर विषय है।
सुधा का कथन भी सही है कि बार-बार सरकारें गिरती रहती हैं अर्थात् जिस सरकार का संसद में बहुमत समाप्त हो जाता है वह सरकार गिर जाती है परन्तु यह संसदीय लोकतन्त्र के लिए अच्छा लक्षण नहीं है। यह भी संसद की गिरती गरिमा का परिचायक है।

 

प्रश्न 9: किसी विधेयक को कानून बनने के क्रम में जिन अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है उन्हें क्रमवार सजाएँ।
(क) किसी विधेयक पर चर्चा के लिए प्रस्ताव पारित किया जाता है।
(ख) विधेयक भारत के राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है- बताएँ कि वह अगर इस पर हस्ताक्षर नहीं करता/करती है, तो क्या होता है?
(ग) विधेयक दूसरे सदन में भेजा जाता है और वहाँ इसे पारित कर दिया जाता है।
(घ) विधेयक का प्रस्ताव जिसे सदन में हुआ है उसमें यह विधेयक पारित होता है।
(ङ) विधेयक की हर धारा को पढ़ा जाता है और प्रत्येक धारा पर मतदान होता है।
(च) विधेयक उप-समिति के पास भेजा जाता है- समिति उसमें कुछ फेर-बदल करती है। और चर्चा के लिए सदन में भेज देती है।
(छ) सम्बद्ध मंत्री विधेयक की जरूरत के बारे में प्रस्ताव करता है।
(ज) विधि मन्त्रालय का कानून-विभाग विधेयक तैयार करता है।
उत्तर:
(छ) सम्बद्ध मंत्री विधेयक की जरूरत के बारे में प्रस्ताव करता है।
(ज) विधि मंत्रालय का कानून-विभाग विधेयक तैयार करता है।
(क) किसी विधेयक पर चर्चा के लिए प्रस्ताव पारित किया जाता है।
(च) विधेयक उप-समिति के पास भेजा जाता है- समिति उसमें कुछ फेर-बदल करती है और चर्चा ” के लिए सदन में भेज देती है।
(ङ) विधेयक की हर धारा को पढ़ा जाता है और प्रत्येक धारा पर मतदान होता है।
(घ) विधेयक का प्रस्ताव जिस सदन में हुआ है उसमें यह विधेयक पारित होता है।
(ग) विधेयक दूसरे सदन में भेजा जाता है और वहाँ इसे पारित कर दिया जाता है।
(ख) विधेयक भारत के राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है, अगर राष्ट्रपति इस पर हस्ताक्षर कर देता है। तो यह कानून बन जाता है। राष्ट्रपति इस प्रकार के बिल को पुनः विचार-विमर्श के लिए भेज सकता है, परन्तु पुनः विचार-विमर्श के बाद राष्ट्रपति को बिल पर स्वीकृति देनी पड़ती है।

 

अतिरिक्त प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1: विधायिका से आप क्या समझते हैं ? 
उत्तर: विधायिका सभी लोकतांत्रिक राजनितिक प्रक्रियाओं का केंद्र है | विधायिका केवल  कानून बनाने वाली संस्था नहीं है। इसके अनेक महत्त्वपूर्ण कार्यों में से कानून बनाना भी एक कार्य है। पहले सरकार की सभी शक्तियाँ एक ही हाथों में सीमित होती थी | परन्तु आज तीनों प्रकार की शक्तियाँ अलग - अलग संस्थाओं में है | सदन को इसकी बहस, बहिर्गमन,विरोध, प्रदर्शन, सर्वसम्मति, सरोकार और सहयोग आदि अत्यंत जीवंत बनाए रखते हैं।ये सभी बहुत ही महत्त्वपूर्ण उद्देश्यों को पूरा करते हैं।

प्रश्न 2: द्वि-सदनात्मक विधायिका से आप क्या समझते हैं ? 
उत्तर: जब किसी विधायिका में दो सदन होते हैं, तो उसे द्वि-सदनात्मक विधायिका कहते हैं। भारतीय संसद के एक सदन को राज्य सभा तथा दूसरे को लोक सभा कहते हैं। संविधान ने राज्यों को एक-सदनात्मक या द्वि-सदनात्मक विधायिका स्थापित करने का विकल्प दिया है। अब केवल पाँच राज्यों में ही द्वि-सदनात्मक विधायिका है।
बड़े देश प्रायः द्वि-सदनात्मक राष्ट्रीय विधायिका चाहते हैं, ताकि
(i) वे अपने समाज के सभी वर्गों और देश के सभी क्षेत्रों को समुचित प्रतिनिधित्व दे सके।
(ii)  संसद के प्रत्येक निर्णय पर दूसरे सदन में पुनर्विचार हो जाता है।

प्रश्न 3: द्वि-सदनात्मक विधायिका के पांच राज्यों के नाम बताइए | 
उत्तर :द्वि-सदनात्मक विधायिका के पांच राज्यों के नाम :- 

  • जम्मू और कश्मीर 
  • उत्तर प्रदेश 
  • बिहार 
  • महाराष्ट्र 
  • कर्नाटक 

 

प्रश्न 4: संसद में दो सदनों की आवश्यकता क्यों है? 
उत्तर : हमारी राष्ट्रीय विधायिका का नाम संसद है। राज्यों की विधायिकाओं को विधान मंडल कहते हैं। भारतीय संसद में दो सदन हैं। जब किसी विधायिका में दो सदन होते हैं, तो उसे द्वि-सदनात्मक विधायिका कहते हैं। भारतीय संसद के एक सदन को राज्य सभा तथा दूसरे को लोक सभा कहते हैं। संविधान ने राज्यों को एक-सदनात्मक या द्वि-सदनात्मकविधायिका स्थापित करने का विकल्प दिया है। अब केवल पाँच राज्यों में ही द्वि-सदनात्मक विधायिका है।
विविधताओं से परिपूर्ण बड़े देश प्रायः द्वि-सदनात्मक राष्ट्रीय विधायिका चाहते हैं, ताकि वे अपने समाज के सभी वर्गों और देश के सभी क्षेत्रों को समुचित प्रतिनिधित्व दे सके। द्वि-सदनात्मक विधायिका का एक और लाभ यह है कि संसद के प्रत्येक निर्णय पर दूसरे सदन में पुनर्विचार हो जाता है। एक सदन द्वारा लिया गया प्रत्येक निर्णय दूसरे सदन के निर्णय के लिए भेजा जाता है। इसका मतलब यह कि प्रत्येक विधेयक और नीति पर दो बार विचार होता है। इससे हर मुद्दे को दो बार जाँचने का मौका मिलता है। यदि एक सदन जल्दबाजी में कोई निर्णय ले लेता है तो दूसरे सदन में बहस के दौरान उस पर पुनर्विचार संभव हो पाता है।

 

प्रश्न 4:  विधयिका के क्या कार्य हैं ? 
उत्तर: विधायिका के कामकाज - संसद पूरे देश या देश के किसी भाग के लिए कानून बनाती है। कानून बनाने वाली सर्वोच्च संस्था होने के बावजूद संसद प्रायःकानूनों को केवल स्वीकृति देने मात्र का काम करती है।विधेयकों को तैयार करने का वास्तविक काम तो किसी मंत्री के निर्देशन में नौकरशाही करती है। विधेयक का उद्देश्य और संसद में उसे प्रस्तुत करने का समय मंत्रिमंडल तय करता है। कोई भी महत्त्वपूर्ण विधेयक बिना मंत्रिमंडल की स्वीकृति के संसद में पेश नहीं किया जाता। संसद के अन्य निजी सदस्य भी कोई विधेयक प्रस्तुत कर सकते हैं, पर बिना सरकार के समर्थन के ऐसे विधयिकों का पास होना संभव नहीं।

 

प्रश्न 6: संसद के क्या कार्य है ? उसका वर्णन कीजिए |
उत्तर : कानून बनाने के अतिरिक्त, संसद के अनेक कार्य हैं। जो निम्न प्रकार से है :- 

(i)  कार्यपालिका पर नियंत्राण तथा उसका उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना - संसद का सबसे महत्त्वपूर्ण काम कार्यपालिका को उसके अधिकार क्षेत्र में सीमित रखने तथा जनता के प्रति उसका उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना है।

(ii) वित्तीय कार्य - सरकार को बहुत-से काम करने पड़ते हैं। इन कामों पर धनखर्च होता है।  प्रत्येक सरकार कर-वसूली के द्वाराअपने संसाधनों को बढ़ाती है। लेकिन, लोकतंत्र में संसद कराधान तथा सरकार द्वारा धन के प्रयोग पर नियंत्रण रखती है। यदि भारत सरकार कोई नया कर प्रस्ताव लाए तो उसे संसद की स्वीकृति लेनी पड़ती है। संसद की वित्तीय शक्तियाँ उसे सरकार के कार्यों के लिए धन उपलब्ध कराने का अधिकार देती हैं। सरकार को अपने द्वारा खर्च किए गए धन का हिसाब तथा प्रस्तावित आय का विवरण संसद को देना पड़ता है। संसद यह भी सुनिश्चित करती है कि सरकार न तो गलत खर्च करे और न ही ज्यादा खर्च करे। संसद यह सब बजट और वार्षिक वित्तीय वक्तव्य के माध्यम से करती है।

(iii) प्रतिनिधित्व  कार्य - संसद देश के विभिन्न क्षेत्रीय, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक समूहों के  अलग-अलग विचारों का प्रतिनिधित्व करती है।

(iv) बहस का मंच - संसद देश में वाद-विवाद का सर्वोच्च मंच है। विचार-विमर्श करने की उसकी शक्ति पर कोई अंकुश नहीं है। सदस्यों को किसी भी विषय पर निर्भीकता से बोलने की स्वतंत्रता है। इससे संसद राष्ट्र के समक्ष आने वाले किसी एक या हर मुद्दे का विश्लेषण कर पाती है। यह विचार-विमर्श हमारी लोकतांत्रिक निर्णय प्रक्रिया की आत्मा है।

(iv) संवैधानिक कार्य - संसद के पास संविधान में संशोधन करने की शक्ति है।संसद के दोनों सदनों की संवैधानिक शक्तियाँ एक समान हैं। प्रत्येक संविधान - संशोधन का संसद के दोनों सदनों के द्वारा एक विशेष बहुमत से पारित होना ज़रूरी है।

(v) निर्वाचन संबंधी कार्य - संसद चुनाव संबंधी भी कुछ कार्य करती है। यह भारत के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करती है।

(vi) न्यायिक कार्य - भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति तथा उच्च न्यायालयों और सर्वोच्चन्यायालय के न्यायाधीशों को पद से हटाने के प्रस्तावों पर विचार करने के कार्य संसद के न्यायिक कार्य के अंतर्गत आते हैं।

(vii)  विधायी कामकाज - संसद पूरे देश या देश के किसी भाग के लिए कानून बनाती है। कानून बनाने वाली सर्वोच्च संस्था होने के बावजूद संसद प्रायःकानूनों को केवल स्वीकृति देने मात्रा का काम करती है।विधेयकों को तैयार करने का वास्तविक काम तो किसी मंत्री के निर्देशन में नौकरशाही करती है। विधेयक का उद्देश्य और संसद में उसे प्रस्तुत करने का समय मंत्रिमंडल तय करता है।

 

प्रश्न 7:  लोक सभा की शक्तियों और राज्य सभा की शक्तियों में तुलना कीजिए | 
उत्तर :लोक सभा की शक्तियों और राज्य सभा की शक्तियों में तुलना :-
लोक सभा की शक्तियाँ :-(i) संघ सूची और समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बनाती है। धन विधेयकों और सामान्य विधेयकों को प्रस्तुत और पारित करती है।(ii) कर - प्रस्तावों, बजट और वार्षिक वित्तीय वक्तव्योंको स्वीकृति देती है।(iii) प्रश्न पूछ कर, पूरक प्रश्न पूछ कर, प्रस्ताव लाकर और अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से कार्यपालिका को नियंत्रित करती है।(iv) संविधान में संशोधन करती है।(v) आपात्काल की घोषणा को स्वीकृति देती है।(vi) राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करती है तथा सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटा सकती है।(vii) समिति और आयोगों का गठन करती है और उनके प्रतिवेदनों पर विचार करती है।
राज्य सभा की शक्तियाँ :-(i) सामान्य विधेयकों पर विचार कर उन्हें पारित करती है और धन विधेयकों में संशोधन  प्रस्तावित करती है।(ii) संवैधानिक संशोधनों को पारित करती है।(iii) प्रश्न पूछ कर तथा संकल्प और प्रस्ताव प्रस्तुत कर के कार्यपालिका पर नियंत्रण करती है।(vi) राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में भागीदारी करती है तथा उन्हें और सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटा सकती है। उपराष्ट्रपति को हटाने का प्रस्ताव केवल राज्य सभा में ही लाया जा सकता है।(vii) यह संसद को राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार दे सकती है।

प्रश्न 8:  राज्य सभा की विशेष शक्तियों का वर्णन कीजिए | 
उत्तर: राज्य सभा राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था है।इसका उद्देश्य राज्यों के हितों (शक्तियों) का संरक्षण करना है। इसलिए,राज्य के हितों को प्रभावित करने वाला प्रत्येक मुद्दा इसकी सहमति औरस्वीकृति के लिए भेजा जाता है।
उदाहरण के लिए, यदि केंद्र सरकार राज्य सूची के किसी विषय (जिस पर केवल राज्य की विधान सभा कानून बना सकती है) को, राष्ट्र हित में, संघीय सूची या समवर्ती सूची में हस्तांतरित करना चाहे, तो उसमें राज्य सभा की स्वीकृति आवश्यक है। इस प्रावधान से राज्य सभा की शक्ति बढ़ती है|

प्रश्न 9: संसद कानून कैसे बनाती है ? 
उत्तर: संसद का प्रमुख कार्य अपनी जनता के लिए कानून बनाना है। कानून बनाने के लिए एक निश्चित प्रक्रिया अपनाई जाती है। कानून बनाने की विधियों में से कुछ का उल्लेख संविधान में किया गया है, लेकिन कानून बनाने की कुछ विधियाँ कालक्रम में लगातार पालन किए जाने के कारण स्वीकार कर ली गई हैं। क&##2366;नून बनने की प्रक्रिया में किसी विधेयक को कई अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है|
जो निम्न प्रकार है :- 
जनता की इच्छा को विधेयक के पास ⇒ विधेयक समिति के पास भेजाता है या उस पर सदन कम चर्चा होती है ⇒समिति रिपोर्ट देती है ⇒सदन इस रिपोर्ट को स्वीकार या अस्वीकार करता है ⇒सदन में विधेयक पर विस्तृत चर्चा की जाती है ⇒विधेयक या तो पारित होता है या रदद हो जाता है ⇒दुसरे सदन में भेजा जाता है ⇒ दूसरा सदन या तो इसे मंजूरी देता है या इस पर सुझाव भेजता है / ज़रूरत पड़ने पर संसद की संयुक्त बैठक बुलाई जाती है ⇒ राष्ट्रपति विधेयक को मंजूरी देता है या उसे पुनविचार के लिए लौटा देता है ⇒ विधेयक कानून बन जाता है|

प्रश्न 10:  विधेयक कितने प्रकार के होते हैं ? 
उत्तर : विधेयक छ: प्रकार के होते हैं :-
(1) सरकारी विधेयक
(2) निजी सदस्यों के विधेयक
(3) वित्त विधेयक
(4) गैर - वित्त विधेयक
(i) सामान्य विधेयक
(ii) संविधान संशोधन विधेयक 

 

प्रश्न 11:  संसद कार्यपालिका को कैसे नियंत्रित करती है ?
उत्तर: जिस दल या दलों के गठबंधन को लोकसभा में बहुमत हासिल होता है उसी के सदस्यों को मिलाकर संसदीय लोकतंत्र में कार्यपालिका बनती है| ऐसी स्थिति में संसदीय लोकतंत्र मंत्रिमंडल को तानाशाही में बदल सकता है जिसमें मंत्रिमंडल जो कहेगा सदन को वही मानना पड़ेगा। जब संसद सक्रिय औरसचेत होगी, तभी वह कार्यपालिका पर नियमित और प्रभावी नियंत्रण रख सकेगी।संसद अनेक विधियों का प्रयोग कर कार्यपालिका को नियंत्रित करती है। लेकिन इसके लिए ज़रूरी है कि सांसदों और विधायकों को जनप्रतिनिधियों के रूप में प्रभावी और निर्भीक रूप से काम करने की शक्ति और स्वतंत्राता हो।
उदाहरण के लिए, विधयिका में कुछ भी कहने के बावजूद किसी सदस्य के विरुद्ध कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की जा सकती। इसे संसदीय विशेषाधिकार कहते हैं। विधायिका के अध्यक्ष को संसदीय विशेषाधिकार के हनन के मामले में अंतिम निर्णय लेने की शक्ति होती है।

प्रश्न 12:  संसदीय नियंत्रण के साधन कौन - कौन से है?
उत्तर: संसदीय नियंत्रण के साधन निम्नलिखित है :- 

  •  बहस और चर्चा 
  • कानूनों की स्वीकृति या अस्वीकृति 
  • वित्तीय नियंत्रण 
  • अविश्वास प्रस्ताव 
The document विधायिका - राजनितिक विज्ञान - 1, Class XI NCERT Solutions - Commerce is a part of Commerce category.
All you need of Commerce at this link: Commerce

FAQs on विधायिका - राजनितिक विज्ञान - 1, Class XI NCERT Solutions - Commerce

1. मुख्य बिन्दू क्या है?
उत्तर: मुख्य बिन्दू एक ऐसा मुद्दा होता है जो किसी विषय पर विचार-विमर्श के दौरान ज्यादातर ध्यान को आकर्षित करता है। यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा होता है जिस पर व्यक्ति या समूह के मतभेद हो सकते हैं और इसे हल करने की जरूरत होती है।
2. एनसीईआरटी (NCERT) समाधान क्या हैं?
उत्तर: एनसीईआरटी समाधान एक प्रश्नावली है जिसमें "राजनितिक विज्ञान - 1" विधायिका के अभ्यास प्रश्नों के विस्तृत उत्तर मौजूद होते हैं। यह समाधान छात्रों को विधायिका के अभ्यास प्रश्नों का सही उत्तर देने में सहायता करता है और उनकी बेहतर तैयारी करने में मदद करता है।
3. विधायिका क्या होती है?
उत्तर: विधायिका एक नामकरण है जो किसी देश या राज्य में संघ या संस्था के बनने, सदस्यों के निर्वाचन और उनके कार्यकाल के बारे में नियमों और विधानों को संचालित करता है। विधायिका एक नियम बनाने और संशोधित करने की प्रक्रिया को संचालित करती है और एक सरकार को निर्देशित करती है।
4. कक्षा 11 वाणिज्य में "राजनितिक विज्ञान" के अध्ययन से क्या लाभ हो सकते हैं?
उत्तर: कक्षा 11 वाणिज्य में "राजनितिक विज्ञान" के अध्ययन से छात्रों को राजनीतिक प्रक्रियाओं, सरकारी नीतियों, नागरिक मताधिकारों और विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों के बारे में ज्ञान प्राप्त होता है। इसके अलावा, यह उन्हें सामाजिक संघर्षों, चुनावी प्रक्रियाओं, न्याय प्रणाली, शासन और नीति निर्माण की समझ दिलाता है।
5. कौन से प्रश्न आमतौर पर गूगल पर खोजे जाते हैं जो "राजनितिक विज्ञान" से संबंधित हो सकते हैं?
उत्तर: गूगल पर "राजनितिक विज्ञान" से संबंधित निम्नलिखित प्रश्न आमतौर पर खोजे जाते हैं: - राजनीतिक विज्ञान क्या है? - भारतीय राजनीति में कार्यकारी, न्यायिक और विधायिका शाखाएं कौन-कौन सी हैं? - वोटर आईडी कैसे बनाएं? - भारतीय संविधान का निर्माण कब हुआ था? - भारतीय संविधान में कितने अनुच्छेद हैं?
Download as PDF

Top Courses for Commerce

Related Searches

विधायिका - राजनितिक विज्ञान - 1

,

Sample Paper

,

MCQs

,

Class XI NCERT Solutions - Commerce

,

Previous Year Questions with Solutions

,

pdf

,

Class XI NCERT Solutions - Commerce

,

shortcuts and tricks

,

Important questions

,

study material

,

mock tests for examination

,

Objective type Questions

,

Exam

,

past year papers

,

विधायिका - राजनितिक विज्ञान - 1

,

Summary

,

Semester Notes

,

ppt

,

Extra Questions

,

video lectures

,

Viva Questions

,

practice quizzes

,

Class XI NCERT Solutions - Commerce

,

विधायिका - राजनितिक विज्ञान - 1

,

Free

;