Class 10 Exam  >  Class 10 Notes  >  हिंदी व्याकरण  >  विशेषण, क्रिया, वाच्य और काल

विशेषण, क्रिया, वाच्य और काल | हिंदी व्याकरण - Class 10 PDF Download

विशेषण :


जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतायें, उसे ‘विशेषण’ कहते हैं। जिसकी विशेषता बताई जाए व ‘विशेष्य’ कहलाता है।

जैसे- काली गाय मेरी है। यहाँ काली गाय- विशेषणीकृत है।

विशेषण के भेद

1. सार्वनामिक विशेषण - मैं, तू, वह (पुरूषवाचक, निजवाचक) को छोड़कर अन्य सर्वनाम जब किसी संज्ञा के पहले आते हैं; तब वे ‘सार्वनामिक विशेषण’ कहलाते हैं। जैसे वह पुस्तक काली है। यहाँ पुस्तक (संज्ञा) के पहले वह (सर्वनाम) आया है। व्युत्पत्ति के अनुसार सार्वनामिक विशेषण के भी दो भेद है- (i) मौलिक सार्वनामिक विशेषण जो बिना रूपांतर के संज्ञा के पहले आता है। जैसे- यह घर, वह घर (ii) यौगिक सार्वनामिक विशेषण जो मूल सर्वनामों में प्रत्यय लगाने से बनते हैं। जैसे-ऐसा आदमी, जैसा देश आदि।


2. गुणवाचक विशेषण- जिस शब्द से संज्ञा का गुण, दशा, स्वभाव, आदि लक्षित हो, उसे गुणवाचक विशेषण कहते है।

इनके कुछ मुख्य रूप इस प्रकार हैं-

काल नया, पुराना, ताजा, भूत, वत्र्तमान, भविष्य, प्राचीन, अगला, पिछला

स्थान उजाड़, भीतरी, बाहरी, पूरबी, दायाँ, बायाँ, स्थानीय, देशीय, क्षेत्राीय, असमी, पंजाबी, अमेरिकी, भारतीय

आकार गोल, चैकोर, सुदर, नुकीला, लंबा, चैड़ा, सीध, तिरछा

रंग लाल, पीला, हरा, सपफेद, काला, फीका, धुँधला, 

दशा दुबला, पतला, मोटा, भारी, गाढ़ा, गीला, सूखा, गरीब, पालतू, रोगी

गुण भला, बुरा, सच्चा, झूठा, पापी, दानी, दुष्ट, शांत

द्रष्टव्य गुणवाचक में सा जोड़कर-बड़ा-सा, पीला-सा आदि।


3. संख्यावाचक विशेषण जिन शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम की संख्या लक्षित होती हो, उसे ‘संख्यावाचक विशेषण’ कहते हैं। जैसे-दस लड़के, चार दिन, कुछ एवं सब संख्यावाचक विशेषण हैं। इसके तीन भेद हैं-

(i) निश्चित संख्यावाचक इसके प्रकार हैं-

(क) गुणवाचक एक, सौ, हजार।

(ख) क्रमवाचक पहला, दूसरा।

(ग) आवृतिवाचक दूना, चैगुना।

(घ) समुदायवाचक दोनों, तीनों।

(ड़) प्रत्येक बोध्न प्रत्येक, हर-एक, दो-दो, सवा-सवा।


(ii) अनिश्चित संख्यावाचक जैसे- कुछ सौ, कई।

(iii) परिमाण बोधक इससे किसी वस्तु के नाम-तौल का बोध् होता है। इसके दो प्रकार हैं-

(क) निश्चित परिमाण बोधक दो सेर चना, पाँच उंगालियाँ, चैदह मीटर।

(ख) अनिश्चित परिमाण बोधक बहुत पानी, कुल धन, संपूर्ण आनन्द इत्यादि।


अन्तर्विशेषण

हिंदी में कुछ विशेषणों के भी विशेषण होते हैं। जैसे- शंकर बड़ा साहसी लड़का है। समा अत्यंत बातूनी लड़की है।

विशेषणों की रचना

विशेषण के रूप निम्नलिखित स्थितियों में परिवर्तित होते हैं-

1. रूप रचना की दृष्टि से विशेषण विकारी और अविकारी दोनों होते हैं। अविकारी विशेषणों के रूप में परिवत्र्तन नहीं होता है। ये अपने मूल रूप में बने रहते हैं। जैसे- काला, पीला, सुदर, चंचल, गोल, सुडौल आदि।

2. कुछ विशेषण संज्ञाओं में प्रत्यय लगाकर बनते हैं। जैसे-

प्रत्यय    
संज्ञा    
विशेषण
इक    
अर्थ     
आर्थिक
ईय     
राष्ट    
राष्टीय
वान्    
गुण    
गुणवान
ईला    
शर्म     
शर्मिला
मान्     
श्री     
श्रीमान्


3. सार्वनामिक एवं आकारांत विशेषण लिंग, वचन और कारक के अनुसार बदलकर ‘ए’ या ‘ई’ रूप बन जाते हैं। जैसे-


एकवचन    
बहुवचन
पुलिंग     
काला, बड़ा    
काले, बड़े
स्त्राीलिंग     
काली, बड़ी    
काली, बड़ी


4. संज्ञा के लोप रहने पर विशेषण ही संज्ञा का कार्य करता है। सामान्यतः विशेषण के साथ परसर्ग नहीं लगता, विशेष्य के साथ लगता है, किन्तु विशेषण के संज्ञा बनने पर परसर्ग लगता है। जैसे-बड़ों की बात माननी चाहिए। विद्वानों का आदर करना चाहिए।


तुलनात्मक विशेषण

हिंदी में तुलना अंग्रेजी एवं संस्कृत की तरह नहीं की जाती है। हिंदी में तुलना करने पर विशेषणों के रूप ज्यों के त्यों रहते हैं। जैसे-रवि बब्लू से अध्कि समझदार है।

हिंदी में ‘से’, ‘अपेक्षा’, ‘सामने’, ‘सबसे’, लगाकर विशेषणों की तुलना की जाती है।


क्रिया

जिस शब्द से किसी काम का करना या होना समझा जाय उसे ‘क्रिया’ कहते हैं। जैसे- खाना, जाना, पढ़ना, सोना आदि।

धतु-क्रिया के निमार्ण में ‘धतु’ का विशेष योगदान होता है। ‘धतु’ क्रियापद का वह अंश होता है, जो किसी क्रिया के प्रायः सभी रूपों में पाया जाता है। अर्थात् क्रिया के मूल अक्षर ही ‘धातु’ कहलाते हैं जैसे- खाना-(मूल अक्षर+‘ना’ प्रत्यय) हिंदी में विशेषण से भी क्रिया बनती है;

जैसे- चिकना + आना = चिकनाना

धतु के दो भेद हैं - मूल धतु और यौगिक धातु। मूल धतु स्वतंत्रा होती है जैसे खा, जी, पी देख इत्यादि। जबकि यौगिक धतु तीन प्रकार से बनती है-

(i) धतु में प्रत्यय लगाकर अकर्मक से सकर्मक एवं प्रेरणार्थक क्रिया में कत्र्ता स्वयं काम न कर प्रेरणा देता है। जैसे- लिखना से लिखवाना। उदाहरण-अमित यश से हिंदी लिखवाता है।

(ii) कई धतुओं को संयुक्त करने से संयुक्त धातु बनती है जैसे- खाना खिलाना।

(iii) संज्ञा या विशेषण से नाम धतु बनती है- जो धतु संज्ञा या विशेषण से बनी हो, ‘नाम धातु’ कहते हैं जैसे-संज्ञा से-बात-बतियानाऋ विशेषण से-गरम-गरमाना

रचना की दृष्टि से क्रिया के भेद


रचना की दृष्टि से क्रिया के दो भेद होते हैं-

(i) सकर्मक और (ii) अकर्मक

(i) सकर्मक क्रिया ‘सकर्मक क्रिया’ उसे कहते हैं, जिसका कर्म हो या जिसके साथ कर्म की सम्भावना हो अर्थात् क्रिया का संचालक तो कत्र्ता हो पर पफल दूसरे व्यक्ति या वस्तु अर्थात् कर्म पर पड़े। जैसे-बबलू आम खाता है। यहाँ बबलू के खाने का पफल आम पर पड़ता है।

(ii) अकर्मक क्रिया जिन क्रियाओं का व्यापार और पफल कत्र्ता पर हो वे ‘अकर्मक’ कहलाती हैं। जैसे- जी घबराता है।


अन्य क्रिया भेद

द्विकर्मक क्रिया जिस क्रिया में दो कर्म हों जैसे- ‘मैं उदय को भूगोल पढ़ाता हूँ। इसमें दो कर्म है उदय को और भूगोल।


संयुक्त क्रिया जो क्रिया दो या दो से अधिक धातुओं के मेल से बनती है उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं। जैसे- किरण रो रही थी, रमा भी रोने लगी, जया उन दोनों को चुप कराने लगी।


पूर्वकालिक क्रिया जब कत्र्ता एक क्रिया समाप्त कर उसी क्षण दूसरी क्रिया मेें प्रवृत होता हैं तब पहली क्रिया ‘पूर्वकालिक’ कहलाती है। जैसे- उसने नहाकर भोजन किया। इसमें ‘नहाकर’ पूर्वकालिक क्रिया है क्योंकि इससे नहाने की क्रिया की समाप्ति के साथ ही भोजन करने की क्रिया का बोध् होता है।


क्रियार्थक संज्ञा जब क्रिया संज्ञा की तरह व्यवहार में आये, तब वह ‘क्रियार्थक संज्ञा’ कहलाती है। जैसे-टहलना स्ववस्थ्य के लिए अच्छा है।


वाच्य

क्रिया के उस परिवत्र्तन को ‘वाच्य’ कहते हैं, जिसके द्वारा इस बात का बोध् होता है कि वाक्य के अन्तर्गत कर्त्ता, कर्म अथवा भाव में से किसकी प्रधनता है। इनमें किसके अनुसार क्रिया के पुरूष, वचन आदि आए हैं। वाच्य के निम्न तीन भेद हैं-

कर्तृवाच्य क्रिया का वह रूप जिसमें वाक्य में कर्त्ता की प्रधनता का बोध् हो। जैसे- लड़का खाता है, मैंने पुस्तक पढ़ी।

कर्मवाच्य जिस वाक्य में कर्म प्रधन हो। जैसे- पुस्तक पढ़ी जाती है।

भाववाच्य जिस वाक्य में भाव की प्रधनता का बोध् हो। जैसे- राज से चला भी नहीं जाता। यहाँ क्रिया (भाव) की कर्त्ता एवं कर्म के स्थान पर अध्कि प्रभावी हो गयी है।


काल

क्रिया के उस रूपांतर को ‘काल’ कहते हैं, जिससे उसके कार्य व्यापार का समय और उसकी पूर्ण अथवा अपूर्ण अवस्था का बोध् हो।

 काल के तीन भेद हैं-

(i) वर्तमान काल  क्रियाओं में निरंतरता को ‘वत्र्तमानकाल’ कहते हैं। जैसे- वह जा रहा है, वह आया हो, वह गाता है।

(ii) भूतकाल जिस क्रिया से कार्य की समाप्ति का बोध् हो, उसे भूतकाल की क्रिया कहते हैं। जैसे- अजय ने  गाना गाया।

(iii) भविष्यत काल भविष्य में होनेवाली क्रिया को भविष्यत काल की क्रिया कहते हैं। जैसे- मनोज कल दवा लाएगा।

विशेषण, क्रिया, वाच्य और काल | हिंदी व्याकरण - Class 10

The document विशेषण, क्रिया, वाच्य और काल | हिंदी व्याकरण - Class 10 is a part of the Class 10 Course हिंदी व्याकरण.
All you need of Class 10 at this link: Class 10
13 docs|10 tests

FAQs on विशेषण, क्रिया, वाच्य और काल - हिंदी व्याकरण - Class 10

1. विशेषण क्या होता है?
उत्तर: विशेषण एक शब्द होता है जो किसी संज्ञा के बारे में जानकारी देता है और उसे विशेष बनाता है, जैसे रंग, आकार, स्थान आदि. यह संज्ञा के पहले या बाद में आता है और उसे विशेष रूप से व्यक्त करता है।
2. क्रिया क्या होती है?
उत्तर: क्रिया एक कार्य या हरकत होती है जो किसी व्यक्ति, जीव, वस्तु या अवस्था के कार्य को व्यक्त करती है। इसके द्वारा किसी काम की पूर्ति, संज्ञा के बारे में बताना आदि किया जा सकता है। क्रिया समय, विधि और पुरुष के अनुसार बदल सकती है।
3. वाच्य क्या होता है?
उत्तर: वाच्य वाक्य का वह भाग होता है जो क्रिया को प्रकट करता है और उसका काल और पुरुष दिखाता है। इसमें कार्यकाल (लड़ता है, लड़ते हैं, लड़ा), भावकाल (लड़ रहा है, लड़ रहे हैं, लड़ा था) और भूतकाल (लड़ा है, लड़े हैं, लड़ा था) होता है।
4. काल क्या होता है?
उत्तर: काल वाच्य में आने वाले क्रिया के समय को दर्शाता है। यह बताता है कि क्रिया वर्तमान, भूतकाल या भविष्य काल में हो रही है। वाच्य के अनुसार, काल के तीन प्रकार होते हैं - कार्यकाल, भावकाल और भूतकाल।
5. शिक्षण क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: शिक्षण मानव समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें ज्ञान, कौशल और सूचना प्रदान करता है। इसके माध्यम से हमें समाज के नियमों का ज्ञान होता है, हमारे मन को विकसित करता है और हमें स्वतंत्र और सकारात्मक सोचने की क्षमता प्रदान करता है। शिक्षण हमारे व्यक्तित्व का विकास करता है और हमें समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद करता है।
Related Searches

study material

,

Extra Questions

,

वाच्य और काल | हिंदी व्याकरण - Class 10

,

विशेषण

,

Summary

,

MCQs

,

Previous Year Questions with Solutions

,

विशेषण

,

वाच्य और काल | हिंदी व्याकरण - Class 10

,

mock tests for examination

,

वाच्य और काल | हिंदी व्याकरण - Class 10

,

क्रिया

,

Important questions

,

ppt

,

Free

,

pdf

,

विशेषण

,

क्रिया

,

Exam

,

Semester Notes

,

shortcuts and tricks

,

Objective type Questions

,

Viva Questions

,

Sample Paper

,

practice quizzes

,

क्रिया

,

past year papers

,

video lectures

;