अव्यय
‘अव्यय’ ऐसे शब्द को कहते हैं, जिसके रूप में लिंग, वचन, पुरूष कारक इत्यादि के कारण कोई विकार नहीं होता।
अव्यय के प्रकार
कालवाचक अव्यय जैसे - आज, कल, तुरंत, पीछे, अब, जब, तब, कभी-कभी इत्यादि।
स्थानवाचक अव्यय जैसे - यहाँ, वहाँ, कहाँ, जहाँ, इध्र, उध्र इत्यादि।
दिशासूचक अव्यय जैसे - दूर, परे, अलग, बायें, आरपार आदि।
स्थितिवाचक अव्यय जैसे - नीचे, उपर, तले, सामने, बाहर, भीतर इत्यादि।
निपात
निपात वे अव्यय हैं, जिनका प्रयोग निश्चित शब्द, शब्द-समुदाय या पूर वाक्य का अतिरिक्त भावार्थ प्रदान करने के लिए होता है। हिन्दी में अधिकतर निपात शब्द समूह के बाद आते हैं, जिनको वे बल प्रदान करते हैं। निपात का मुख्य कार्य प्रश्न बोध्, अस्वीकृत बोध्, विस्मय बोध् कराना या वाक्य में किसी शब्द पर बल देना आदि होता है।
निपात के भेद
निपात मुख्यतः नौ प्रकार के होते हैं-
स्वीकारात्मक निपातः जैसे-हाँ, जी, जी हाँ।
नकारार्थक निपातः जैसे- नहीं, जी नहीं।
निषेधत्मक निपातः जैसे-मत।
प्रश्नबोध्क निपातः जैसे-क्या।
विस्मयादिबोध्क निपातः जैसे-क्या, काश।
बलदायक या सीमा बोध्क निपातः जैसे-तो, ही, तक, सिपर्फ, केवल।
तुलना बोधक निपातः जैसे-सा, से, सी, समान।
अवधरणा बोधक निपातः जैसे-ठीक, लगभग, करीब।
आदर बोधक निपातः जैसे-जी।
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