समास
दो अथवा दो से अध्कि शब्दों के योग को समास कहते है। समास के द्वारा विभिक्ति सहित शब्द संधि के नियम परस्पर मिला दिये जाते हैं और एक नये शब्द का निर्माण हो जाता है।
समास के मुख्य प्रकार
द्वन्द्व जिस समास के सभीपद प्रधन हो द्वन्द्व होता है। द्वन्द्व का अर्थ है- दो का जोड़ा। इसमें दो पद प्रधन होते हैं और इसमें अवयव शब्दों के बीच समुच्चयबोध्क अव्यय ‘और’ अथवा, ‘या’ का लोप होता है। विग्रह करने पर ‘और’ अथवा ‘या’ का प्रयोग किया जाता है। उदाहरणार्थ-
समस्त पद विग्रह
माता-पिता = माता और पिता
सीता-राम = सीता और राम
राध-कृष्ण = राध और कृष्ण
भाई-बहन = भाई और बहन
रात-दिन = रात और दिन
सुबह-शाम = सुबह और शाम
दुःख-दर्द = दुःख और दर्द
शीतोष्ण = शीत और उष्ण
लेन-देन = लेना और देना
द्विगु इस समास में प्रथम पद संख्या वाचक होता है, पर दूसरा पद प्रधन होता है। जैसे-
समस्त पद - विग्रह - अर्थ
नवरत्न = नव़रत्न - नौ रत्त्नों का समाहार
त्रिलोक = त्रि़लोक - तीन लोकों का समाहार
अष्टाधयी = अष्ट़अध्याय - अष्ट अध्यायों का समाहार
सप्ताह = सप्त़अह - सात दिनों का समाहार
दशानन = दश़आनन - दश सिरों वाला
पंचतत्व = पंच़तत्व - पाँच तत्वों का समाहार
कर्मधरय जिस समास के पदों में विशेष्य- विशेषण अथवा उपमेय-उपमान का सम्बन्ध् होता है उसे कर्मधरय समास कहते हैं। उदाहरणार्थ-
पद | विग्रह |
पीताम्बर | पीत अंबर |
नीलाकाश | नीला आकाश |
मुखचन्द्र | मुखरूपी चन्द्र |
विद्याधन | विद्या रूपी धन |
कमलमुख | कमल के समान मुख |
दहीबड़ा | दही में डूबा हुआ बड़ा |
करकमल | कमल के समान कर |
कमलनयन | कमल के समान नयन |
का पुरूष | कुत्सित पुरूष |
महात्मा | महान आत्मा |
छुट भैया | छोटा भाई |
तत्पुरूष समास इसमें पहला पद गौण होता है और पीछे का पद प्रधन। कत्र्ताकारक एवं संबोध्न कारक के अलावा सभी कारकों में प्रयुक्त होता है। उदाहरणार्थ-
पद विग्रह
ग्रामगत = ग्राम को गया हुआ
हस्तगत = हस्त को प्राप्त
गगन चुंबी = गगन को चुमनेवाला
कामचोर = काम से चोर
धर्मान्ध = धर्म से अन्ध
गोशाला = गाय के लिए शाला
देश भक्ति = देश के लिए भक्ति
विधनसभा = विधन के लिए सभा
अन्नहीन = अन्न से हीन
क्रियाहीन = क्रिया से हीन
धर्मच्युत = धर्म से च्युत
आनन्दमठ = आनन्द का मठ
गणेश = गण का ईश
प्रेमोपहार = प्रेम का उपहार
राष्टपिता = राष्ट का पिता
हिमालय = हिम का आलय
कविश्रेष्ठ = कवियों में श्रेष्ठ
पुरूषोत्तम = पुरूषों में उत्तम
शरणागत = शरण में आगत
जलमग्न = जल में मग्न
आप बीती = आप (स्वयं) पर बीती
अचल = न चलने वाला
अस्थिर = न स्थिर
युधिष्ठिर = युद्ध में स्थिर रहने वाला
अव्ययीभाव समास जिस समसस का पहला शब्द अव्यय हो और जिसमें बना समस्त पद क्रिया विशेषण की तरह प्रंयुक्त हो, उसे ‘अव्ययीभाव’ समास कहते हैं। उदाहरणार्थ-
पद = विग्रह
दिनानुदिन = दिन के बाद दिन
यथार्थ = अर्थ के अनुसार
बखूबी = खूबी के साथ
निर्भय = बिना भय के साथ
यथा शक्ति = शक्ति के अनुसार
प्रत्येक = एक-एक
प्रत्यंग = अंग-अंग
आजीवन = समस्त जीवन
नित्यप्रति = प्रतिदिन (नित्य प्रति)
आजन्म = जन्म से मृत्यु तक
एकाएक = अचानक ही
निर्विवाद = बिना विवाद के
हाथो-हाथ = एक हाथ से दूसरे हाथ
बहुब्रीहि समास में आये पदों को छोड़कर जब किसी अन्य पदार्थ की प्रधनता हो, तब उसे बहुब्रीहि समास कहते हैं। उदाहरणार्थ-
पद = विग्रह
घनश्याम = बादल जैसा काला (कृष्ण) हो
लम्बोदर = लंबे उदरवाला (गणेश) हो
गजानन = हाथी के समान आनन हो
नीलकंठ = नीले कण्ठ वाला (शिव) हो
जलज = जल में उत्पन्न (कमल) है
त्रिनेत्रा = तीन नेत्रों वाला है जो (शंकर)
दशानन = दश मुख है जिसके (रावण)
चतुर्भुज = चार है भुजाएँ जिसकी (विष्णु)
समास की शुद्धता का निर्णय
समास संबंधी अशुद्धियों के कुछ उदाहरण नीचे दिये जा रहे हैं-
अशुद्ध शब्द - शुद्ध
अष्टवक्र - अष्टावक्र
दिवारात्रि - दिवारात्रा
पिता भक्ति - पितृभक्ति
पिता-माता - माता-पिता
कृतध्न - कृतध्नी
स्वामी भक्त - स्वामिभक्त
महाराजा - महाराज
माताहीन - मातृहीन
राजापथ - राजपथ
निर्गुणी - निर्गुण
उपसर्ग
शब्द निर्माण के लिए क्रिया या शब्दों के प्रति पूर्व जो शब्दांश जोड़े जाते है वे उपसर्ग कहलाते हैं। जैसे- प्र, परा, अप, सम, आदि। ये किसी न किसी शब्द के साथ ही आते हैं और उसके अर्थ में प्रायः परिवत्र्तन भी करते हैं। उदाहरणार्थ-
उपसर्ग शब्द | परिवत्र्तितरूप | अर्थ |
अभि हार | अभिहार | आक्रामण |
अनु हार | अनुहार | समानता |
अप हार | अपहार | उड़ा ले जाना |
उद् हार | उद्धार | त्राण |
उप हार | उपहार | भेंट |
प्रति हार | प्रतिहार | द्वारपाल |
हिन्दी में प्रयुक्त स्मरणीय उपसर्ग
उपसर्ग - अर्थ - निर्मित शब्दरूप
अ- अभाव, निषेध् - अचेतन, अज्ञान
अन- अभाव या निषेध् - अनबन, अनमोल
अध्- आधे के अर्थ में - अधपका, अधमरा
दु- बुरा, हीन अर्थ में - दुर्बल, दुर्जन
अप- लघुता, हीनता - अपमान
नि- भीतर, नीचे, अलावा - नियुक्त, निवास
पर- उल्टा, अनादर, नाश - पराजय
प्र- अध्कि, उपर, आगे - प्रबल, प्रयोग
प्रति- विरोध्, बराबरी - प्रतिक्षण, प्रतिनिधि
वि- हीनता, विशेषता - विस्मरण, विराम
भर- पूरा - भरपूर, भरपेट
बद- बुरा - बदनाम, बदबू
बे- बिना - बेअक्ल, बेइज्जत्
हर- प्रत्येक - हरतरह, हररोज
ला- बिना -लाजबाब, लापरवाह
उन- एक कम - उन्नीस, उनासी
हम- बराबर, अपना - हमउम्र, हमदर्द
समानार्थी या पर्यायवाची शब्द
आम- सहकार, अतिसौरभ, अमृतपल, अम्र
अलि- भ्रमर, मधुकर, मिलिन्द, भौंरा, मधुप
आसमान- आकाश, अनन्त, अंतरिक्ष, व्योग
अन्वेषण- जाँच, शोध्, खोज, अनुसंधन
अश्व- तुरंग, घोटक, घोड़ा, सैंध्व
आनन्द- माद, प्रमाद, हर्ष, आमोद, सुख
ईश्वर- जगदीश, परमेश्वर, पिता, जगन्नाथ
इच्छा- स्पृहा, मनोरथ, अभिलाषा, वासना
कमल- राजीव, अरविन्द, पंकज, सरोज
कन्दर्प- मनोज, मदन, काम, मीन
किरण- ज्योति, रश्मि, अंशु, प्रभा, भानु, दीप्ति
कृष्ण- माध्व, मुरलीध्र, मुकुन्द, मधुसूदन
कंचन- कनक, हेम, स्र्वण, हाटक, सोना
खून- रूध्रि, लहु, रक्त, शोणित
खरा- तेज, तीक्ष्ण, स्पष्ट
गंगा- भागीरथी, मंदाकिनी, ध्ुवनंदा, विष्णुपदी
गजानन - गणेश, विनायक, गणपति
चरण- पैर, पग, पद, पाँव
चंद्रमा- शशि, राकेश, शशांक, इन्दु
ज्योत्सना- चंद्रिका, कलानिधि, उजियारी
तरू- वृक्ष, पेड़, विपट, द्रुम
दाँत- दन्त, द्विज, रद, दशन
दास- किंगर, परिचारक, चाकर, अनुचर
दया- अनुग्रह, करूणा, सांत्वना, क्षमा
दुर्गा- कामाक्षी, कालिका, कुमारी, चंड़िका
पार्वती- सर्वमंगला, गिरिजा, भावनी, उमा
पवन- अनिल, समीर, वायु, हवा, वीणापति
विष- कालकूट, गरल, जहर, हलाहल
बहना- अंडज, अज, प्रजापति, विधता
रवि- सूर्य, अर्क, अर्यमा, अरूण, आदित्य
रत्नाकर- सारंग, सागर, सिंधु, नदीश
यमुना- सूर्यसुता, रविसुता, रविनंदिनी
अर्जुन- पार्थ, कृष्णसखा, भारत, ध्नंजय
प्रभात- अरूणोदय, प्रातः, सूर्योदय
कर्ण- सूर्यपुत्रा, सूतपूत्रा, राधेय, अंगराज
सरस्वती- ब्राह्मी, वीणावादनी
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1. समास क्या होता है? |
2. उपसर्ग क्या होता है? |
3. समानार्थी शब्द क्या होते हैं? |
4. दिए गए लेख में कौन-कौन से परीक्षा के बारे में चर्चा की गई है? |
5. दिए गए लेख में कौन-कौन से FAQ (पूछे जाने वाले प्रश्न) पूछे गए हैं? |
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