Class 7 Exam  >  Class 7 Notes  >  Chapter Notes For Class 7  >  Summary: दादी माँ

Summary: दादी माँ | Chapter Notes For Class 7 PDF Download

"दादी माँ" पाठ प्रवेश

Summary: दादी माँ | Chapter Notes For Class 7प्रस्तुत पाठ "दादी माँके लेखक "शिव प्रसाद सिंह" जी को भी अपनी दादी माँ के साथ अपनी स्मृतियों की याद तभी तरो – ताज़ा हुई , जब उन्हें अपने भाई किशन के पत्र द्वारा दादी माँ के निधन की खबर मिली। लेखक को दादी माँ के स्नेह की कमी तब महसूस हुई , जब दादी माँ से दूर लेखक बीमार पद जाया करता था क्योंकि पहले जब वह बीमार पड़ता था तब दादी माँ उसका ध्यान रखती थी , तब लेखक को हलकी बिमारी पसंद थी। लेकिन दादी माँ से दूर जब लेखक बीमार पड़ता था तब नौकर , बावर्ची और डॉक्टर लेखक का ख्याल तो रखते थे परन्तु दादी माँ की तरह नहीं।

Summary: दादी माँ | Chapter Notes For Class 7

इस पाठ के जरिए लेखक हमें यही बताना चाहता है कि जब तक आपके साथ आपके बड़े बुजुर्ग हैं तब तक उन सीखों को सही तरह से ग्रहण कर लेना चाहिए। क्योंकि जब तक बड़े बुजुर्ग आपके साथ हैं कोई भी मुसीबत आए बड़े बुजुर्ग आप तक मुसीबत को आने नहीं देते चाहे उसके लिए उन्हें अपनी साडी जमा – पूँजी ही क्यों न नष्ट करनी पड़े। प्रस्तुत पाठ में भी लेखक ने बहुत से उदाहरण प्रस्तुत किए है जो हमें न जाने कितनी सीख दे जाते हैं।

"दादी माँ" पाठ सारांश

'दादी माँ' पाठ लेखक और उसकी दादी माँ के बीच घनिष्ट आत्मीय संबंध की कहानी है। लेखक की दादी माँ ममता, स्नेह, दया, की मूर्ति थी। लेखक की यह कहानी उनकी दादी माँ के प्रेम और सम्पर्ण को समर्पित है। दादी माँ लेखक के परिवार के हर कठिन दौर में उनके साथ छाया के समान रहती थीं। उन्होंने कठिन समय में बहुत धैर्य के साथ परिस्थिति को संभाला था। उनकी ममता की छाया के नीचे लेखक को कभी दुख का अनुभव नहीं हुआ था। वह कितना बीमार रहता परन्तु दादी माँ उसके साथ रहती और उसकी देखभाल करती थी। दादी माँ का प्रेमिल और स्नेही स्पर्श लेखक को आराम देता था। उसकी दादी माँ आज उसके साथ नहीं थी परन्तु उनकी यादें लेखक के साथ हमेशा रहतीं हैं। दादी माँ की मृत्यु के बाद भी वह दादी माँ को कभी भुला नहीं पाया था। शिवप्रसाद सिंह ने इस कहानी के माध्यम से बड़ों के महत्व को उजागर किया है। 

Summary: दादी माँ | Chapter Notes For Class 7

यह कहानी शिवप्रसाद सिंह हैं जिसमें लेखक ने अपनी दादी माँ का वर्णन किया है और बड़ों के महत्व को दिखाया है। लेखक बड़े हो चुके थे| उन्होंने अब तक बहुत तरह के सुख-दुख देखे थे परंतु जरा-सी कठिनाई पड़ते ही मन अनमना हो जाता था। मित्र उसके आगे तो उसके साथ होने का दिखावा करते थे, परंतु पीठ पीछे उनको कमजोर कहकर मज़ाक उड़ाते थे। ऐसे समय में लेखक को अपनी दादी माँ की बहुत याद आती थी। लेखक की दादी ममता, स्नेह, दया, की मूर्ति थी। 
बच्चों में लेखक को बरसात के दिनों में गंध भरे जल में कूदना अच्छा लगता था जिससे एक बार उसे बुखार आ गया था। उस समय उसे बीमार पड़ना भी अच्छा लगता था। बीमारी में उसे दिन-भर नींबू और साबू मिलता था परंतु इस बार उसे जो बुख़ार चढ़ा था वह उतरने का नाम ही नहीं ले रहा था। वे उसकी दादी उसके माथे पर कोई अदृश्य शक्तिधारी चबूतरे की मिट्टी लगाती थीं। वह उसकी पूरी तरह से देखभाल करती थीं। दादी माँ को गाँवों में मिलने वाली पचासी किस्म की दवाओं के नाम याद थे। उन्हें गंदगी बिलकुल नापसंद थी। लेखक आज भी बीमार पड़ता है, परंतु मेस महाराज अपनी इच्छानुसार देखभाल करता है। डॉक्टर की शक्ल देखते ही अब उसका बुखार भाग जाता है। अब लेखक का बीमार पड़ने को मन नहीं करता था।
एक दोपहर दादी माँ रामी की चाची को डाँट रही थीं। रामी की चाची ने पहले पैसे वापस नहीं किए थे और दोबारा पैसे माँगने आ गई थी। वह दादी माँ के आगे गिड़गिड़ा रही थी कि बेटी की शादी के बाद वह सब दे देगी। लेखक ने दादी को पैसे दे देने को कहा परन्तु दादी ने उसे भी डाँटा। कई दिनों बाद लेखक को पता चला कि उसकी दादी माँ ने रामी की चाची का पिछला ऋण भी माफ़ कर दिया और उसे बेटी की शादी के लिए दस रुपये भी दिए।

Summary: दादी माँ | Chapter Notes For Class 7
लेखक के किशन भैया की शादी थी| लेखक को बुखार आ रहा था इसलिए वह बारात में नहीं गया। दादी माँ ने लेखक को उसके पास ही चारपाई पर सुला दिया। घर में औरतें विवाह की रात को अभिनय करती हैं। उसके मामा का लड़का राघव देर से पहुँचने के कारण बरात में जाने से रह गया। औरतों ने एतराज़ किया कि इस समय यहाँ लड़के का काम नहीं है। दादी माँ ने कहा कि छोटे लड़के और ब्रह्मा में कोई अंतर नहीं होता।
दादी माँ ने अपने जीवन में बहुत सुख-दुख देखे थे। दादा की अचानक मृत्यु से वे उदास रहने लगी थीं। उनकी मृत्यु पर पिताजी और दादी माँ को उनका शुभचिंतक बताने वालों की कमी नहीं थी। इन्हीं शुभचिंतकों के कारण घर की स्थिति बिगड़ गई थी। दादी माँ के मना करने पर दादा जी के श्राद्ध पर पिताजी ने बहुत खर्चा किया। घर का उधार बहुत बढ़ गया| 
एक दिन दादी माघ की सर्दी में गीली धोती पहने कमरे में संदूक पर दीपक जलाए बैठी थीं। लेखक उनके पास जाकर बैठ गया। उसने दादी माँ से उनके रोने का कारण पूछा। दादी माँ ने उसे टाल दिया। अगली सुबह लेखक ने देखा कि उसके पिताजी और किशन भइया दुखी मन से कुछ सोच रहे थे। उन्हें कहीं से भी उधार नहीं मिल रहा था| उस समय दादी माँ ने पिताजी को दिलासा दिया कि उनके रहते चिंता मत करें। उन्होंने पिताजी को अपने सोने के कंगन दिए। 
अभी लेखक के हाथ में किशन भैया का पत्र था, जिसमें लिखा था कि दादी माँ नहीं रहीं। लेखक को इस समाचार पर विश्वास नहीं हो रहा था।

महत्वपूर्ण लिंक

The document Summary: दादी माँ | Chapter Notes For Class 7 is a part of the Class 7 Course Chapter Notes For Class 7.
All you need of Class 7 at this link: Class 7
Are you preparing for Class 7 Exam? Then you should check out the best video lectures, notes, free mock test series, crash course and much more provided by EduRev. You also get your detailed analysis and report cards along with 24x7 doubt solving for you to excel in Class 7 exam. So join EduRev now and revolutionise the way you learn!
Sign up for Free Download App for Free
121 docs

Up next

FAQs on Summary: दादी माँ - Chapter Notes For Class 7

1. "दादी माँ" पाठ का मुख्य विषय क्या है ?
Ans."दादी माँ" पाठ में दादी माँ की विशेषताएँ, उनके अनुभव और परिवार में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताया गया है। यह पाठ दादी माँ के साथ बिताए गए समय की मिठास और उनके ज्ञान को दर्शाता है।
2. "दादी माँ" पाठ में दादी माँ का व्यक्तित्व कैसा है ?
Ans. "दादी माँ" पाठ में दादी माँ का व्यक्तित्व बहुत ही स्नेहशील, अनुभवशील और ज्ञानवर्धक है। वे हमेशा बच्चों को कहानियाँ सुनाती हैं और उनके जीवन के अनुभवों से सीख देती हैं।
3. "दादी माँ" पाठ में किस तरह की कहानियाँ सुनाई जाती हैं ?
Ans. "दादी माँ" पाठ में दादी माँ द्वारा सुनाई जाने वाली कहानियाँ आमतौर पर नैतिक शिक्षा देने वाली होती हैं। इनमें जीवन की महत्वपूर्ण सीख और परंपराओं का वर्णन होता है।
4. "दादी माँ" के साथ बिताए समय का क्या महत्व है ?
Ans. "दादी माँ" के साथ बिताए समय का महत्व यह है कि इससे बच्चों को पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों की जानकारी मिलती है। यह समय बच्चों के लिए ज्ञानवर्धन और भावनात्मक समर्थन का स्रोत होता है।
5. "दादी माँ" पाठ का मनोवैज्ञानिक प्रभाव क्या होता है ?
Ans. "दादी माँ" पाठ का मनोवैज्ञानिक प्रभाव सकारात्मक होता है। यह पाठ बच्चों में दादी माँ के प्रति प्रेम, सम्मान और उनके अनुभवों के प्रति सम्मान की भावना को विकसित करता है, जिससे वे भावनात्मक रूप से मजबूत होते हैं।

Up next

Explore Courses for Class 7 exam
Related Searches

MCQs

,

practice quizzes

,

shortcuts and tricks

,

Objective type Questions

,

Summary: दादी माँ | Chapter Notes For Class 7

,

Viva Questions

,

Summary: दादी माँ | Chapter Notes For Class 7

,

study material

,

ppt

,

mock tests for examination

,

Important questions

,

Previous Year Questions with Solutions

,

video lectures

,

Exam

,

Sample Paper

,

pdf

,

Semester Notes

,

Summary: दादी माँ | Chapter Notes For Class 7

,

past year papers

,

Summary

,

Extra Questions

,

Free

;