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पाठ का सारांश: वे दिन भी क्या दिन थे | Hindi Class 5 PDF Download

इस पाठ में भविष्य में होने वाले परिवर्तनों को बड़े ही मजेदार ढंग से बताया गया है। कुम्मी और रोहित नाम के दो बच्चे हैं। कुम्मी ने अपनी डायरी में 17 मई 2155 की रात को लिखा, “आज रोहित को सचमुच की एक पुस्तक मिली है।”


पुस्तक पुरानी थी। कुम्मी के दादा ने बताया था कि जब वे बहुत छोटे थे तब उनके दादा ने कहा था कि उनके ज़माने में कहानियाँ कागज पर छपती थीं और पढ़ी जाती थीं। पाठक को पृष्ठ पलटने होते थे। सारे शब्द स्थिर थे, चलते नहीं थे। रोहित ने इस पर कहा कि तब तो पढ़ने के बाद ऐसी पुस्तकें बेकार हो जाती होंगी। इससे तो अच्छा हमारा टेलीविजन है जिसके पर्दे पर बहुत-सी पुस्तकों की सामग्री आ जाती है और फिर भी यह पुस्तक नई की नई रहती है।


रोहित को जो सचमुच की पुस्तक मिली है उसमें स्कूल के बारे में काफी दिलचस्प बातें लिखी हैं। अब तो हर विद्यार्थी के घर में एक मशीन होती है जिसमें टेलीविजन की तरह का एक पर्दा होता है। रोज नियम से उसके सामने बैठकर विद्यार्थियों को वह सब याद करना होता है जो वह मशीन हमें बताती है। सारा गृहकार्य करके दूसरे दिन उसी मशीन में डाल देना होता है। हमारी गलतियाँ बताकर फिर वह हमें समझाती है। एक विषय पूरा होने पर वही मशीन हमारी परीक्षा । लेकर हमें आगे पढ़ाना आरंभ कर देती है। कुम्मी ये सारी बातें कहते-कहते थक गई। तभी उसे याद आया कि एक बार जब उससे भूगोल में रोज वही गलतियाँ होने लगीं थीं तो उसकी माँ ने मुहल्ले के अध्यक्ष को बताया था। तब एक आदमी आया था और उसने उस मशीन के पुर्जे-पुर्जे अलग कर दिए। उसके बाद उसने सभी पुर्जी को फिर से जोड़कर उसकी गति कुछ धीमी कर दी, जिससे कुम्मी से गलतियां होना बंद हो गया।


रोहित ने कुम्मी को बताया कि पहले मशीन की जगह अध्यापक होते थे जो बच्चों को सारे विषय समझाते थे, गृहकार्य देते थे और प्रश्न पूछते थे। बच्चे एक विशेष भवन में पढ़ते थे, जिसे स्कूल कहते थे। एक आयु के बच्चे एक साथ बैठते थे और एक समय में एक जैसी चीजें सीखते थे। कुम्मी ने भी पुस्तक पढ़ने की इच्छा जाहिर की क्योंकि वह जानना चाहती थी कि तब स्कूल कैसे होते थे। वह पुस्तक पढ़कर स्कूल के बारे में अजीब-अजीब बातें जानने को उत्सुक हो रही थी कि तभी माँ की आवाज कानों में पड़ी और दोनों बच्चे (रोहित और कुम्मी) अपने-अपने घर की ओर चल दिए।


सबक का समय हो गया था। कुम्मी जैसे ही घर पहुँची अंदर मशीन आगे का सबक देने को तैयार थी। मशीन से आवाज आनी आरंभ हो गई, “सबसे पहले आज तुम्हें गणित सीखना है। कल का होमवर्क छेद में डालो ……” कुम्मी ने वैसा ही किया। लेकिन उसे इस मशीन से ज्यादा अच्छा पुराने जमाने का स्कूल लगा जहाँ एक आयु के बच्चे एक साथ पढ़ा करते थे, एक साथ हँसते-खेलते थे।


वह सोच रही थी कि तब बच्चों को स्कूल जाने में बड़ा मजा आता होगा। बच्चे बहुत खुश रहते होंगे।

शब्दार्थ :
पृष्ठ
- पन्ना। 

पश्चात्- बाद।
सदियों पहले- वर्षों पहले।
रफ्तार- चाल।
सबक- पाठ।
आरंभ- शुरू।

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FAQs on पाठ का सारांश: वे दिन भी क्या दिन थे - Hindi Class 5

1. वे दिन भी क्या दिन थे क्या है?
उत्तर: "वे दिन भी क्या दिन थे" एक हिंदी कहानी है जो Class 5 के छात्रों के लिए लिखी गई है। यह कहानी एक शिक्षक और उसके छात्रों के बीच के एक दिन की कथा है।
2. इस कहानी का मुख्य संदेश क्या है?
उत्तर: इस कहानी का मुख्य संदेश हमें यह याद दिलाता है कि हमें हमारे दिन को सकारात्मक बनाने की कोशिश करनी चाहिए। यह हमें यह भी बताता है कि संयम, धैर्य और एकाग्रता से काम करने से हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
3. कहानी में प्रमुख चरित्र कौन है?
उत्तर: कहानी में प्रमुख चरित्र एक शिक्षक है, जिसका नाम नहीं बताया गया है। वह अपने छात्रों को प्रेरित करने और उन्हें सकारात्मकता की ओर ले जाने का प्रयास करता है।
4. कहानी कैसे खत्म होती है?
उत्तर: कहानी में, शिक्षक अपने छात्रों को एक दिन के अंत में उत्साहपूर्वक छोड़ता है। छात्रों को अपने दिन के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करने के लिए उन्हें बधाई देता है और उन्हें यह याद दिलाता है कि वे कितने खास हैं।
5. इस कहानी के आधार पर आपको कौनसा सबक सीखने को मिला?
उत्तर: इस कहानी के आधार पर हमें यह सबक सिखाया गया है कि हमें अपने दिन को सकारात्मकता से भरने की कोशिश करनी चाहिए। हमें धैर्य और एकाग्रता से काम करने की आवश्यकता होती है और हमें खुश रहने के लिए अपने काम में रुचि लेनी चाहिए।
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