जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिहीन समझा जाता है। हम जब किसी आदमी को परले दरजे का बेवकूफ़ कहना चाहते हैं, तो उसे गधा कहते है। गधा सचमुच बेवकूफ़ है, या उसके सीधेपन, उसकी निरापद सहिष्णुता ने उसे यह पदवी दे दी है, इसका निश्चय नहीं किया जा सकता। गायें सींग मारती हैं, ब्याई हुई गाय तो अनायास ही सिंहनी का रूप धारण कर लेती है। कुत्ता भी बहुत गरीब जानवर है, लेकिन कभी-कभी उसे भी क्रोध आ ही जाता है; किंतु गधे को कभी क्रोध करते नहीं सुना, न देखा। जितना चाहो गरीब को मारो, चाहे जैसी खराब, सड़ी हुई घास सामने डाल दो, उसके चेहरे पर कभी असंतोष की छाया भी न दिखाई देगी। वैशाख में चाहे एकाध बार कुलेल कर लेता हो; पर हमने तो उसे कभी खुश होते नहीं देखा। उसके चेहरे पर एक विषाद स्थायी रूप से छाया रहता है। सुख-दुख, हानि-लाभ, किसी भी दशा में उसे बदलते नहीं देखा। ऋषियों-मुनियों के जितने गुण हैं वे सभी उसमें पराकाष्ठा को पहुँच गए हैं; पर आदमी उसे बेवकूफ़ कहता है। सद्गुणों का इतना अनादर कहीं नहीं देखा। कदाचित सीधापन संसार के लिए उपयुक्त नहीं है। देखिए न, भारतवासियों की अफ्रीका में क्या दुर्दशा हो रही है? क्यों अमरीका में उन्हें घुसने नहीं दिया जाता? बेचारे शराब नहीं पीते, चार पैसे कुसमय के लिए बचाकर रखते हैं, जी तोड़कर काम करते हैं, किसी से लड़ाई-झगड़ा नहीं करते, चार बातें सुनकर गम खा जाते हैं फिर भी बदनाम हैं। कहा जाता है, वे जीवन के आदर्श को नीचा करते हैं। अगर वे भी ईट का जवाब पत्थर से देना सीख जाते तो शायद सभ्य कहलाने लगते। जापान की मिसाल सामने है। एक ही विजय ने उसे संसार की सभ्य जातियों में गण्य बना दिया।
प्रश्न (i): गधे को बुद्धिहीन क्यों समझा जाता है?
उत्तर: गधे को बुद्धिहीन इसलिए समझा जाता है क्योंकि वह कभी क्रोध नहीं करता, ना ही कोई असंतोष व्यक्त करता है। उसका चेहरा हमेशा विषाद से भरा रहता है और वह किसी भी परिस्थिती में अपनी स्थिति नहीं बदलता, इस कारण उसे बेवकूफ समझा जाता है।
प्रश्न (ii): गधे के चेहरे पर स्थायी रूप से क्या दिखाई देता है?
उत्तर: गधे के चेहरे पर स्थायी रूप से विषाद दिखाई देता है। वह कभी खुश या संतुष्ट नहीं होता, चाहे जैसे भी हालात हों।
प्रश्न (iii): लेखक ने गधे की विशेषताओं की तुलना किनसे की है?
उत्तर: लेखक ने गधे की विशेषताओं की तुलना ऋषियों और मुनियों के गुणों से की है। वे कहते हैं कि गधे में सारे सद्गुणों की पराकाष्ठा पाई जाती है।
प्रश्न (iv): लेखक के अनुसार, भारतवासियों की दुर्दशा का क्या कारण बताया गया है?
उत्तर: लेखक के अनुसार, भारतवासियों की दुर्दशा का कारण उनका सीधापन है। वे शराब नहीं पीते, लड़ाई-झगड़ा नहीं करते, और अपनी मेहनत से जीवन जीते हैं, लेकिन इसी कारण उन्हें बदनाम किया जाता है।
प्रश्न (v): जापान को सभ्य जातियों में क्यों गिना जाने लगा?
उत्तर: जापान को सभ्य जातियों में इसलिए गिना जाने लगा क्योंकि उसने एक ही विजय से अपनी स्थिति को मजबूत किया और उसे सभ्य जातियों के स्तर पर ला खड़ा किया।
झूरी की स्त्री ने बैलों को द्वार पर देखा, तो जल उठी। बोली-कैसे नमकहराम बैल हैं कि एक दिन वहाँ काम न किया; भाग खड़े हुए।
झूरी अपने बैलों पर यह आक्षेप न सुन सका-नमकहराम क्यों हैं? चारा-दाना न दिया होगा, तो क्या करते?
स्त्री ने रोब के साथ कहा-बस, तुम्हीं तो बैलों को खिलाना जानते हो, और तो सभी पानी पिला-पिलाकर रखते हैं।
झूरी ने चिढ़ाया-चारा मिलता तो क्यों भागते ?
स्त्री चिढ़ी-भागे इसलिए कि वे लोग तुम-जैसे बुद्धुओं की तरह बैलों को सहलाते नहीं। खिलाते हैं, तो रगड़कर जोतते भी हैं। ये दोनों ठहरे कामचोर, भाग निकले। अब देखूँ, कहाँ से खली और चोकर मिलता है! सूखे भूसे के सिवा कुछ न दूँगी, खाएँ चाहें मरें।
वही हुआ। मजूर की कड़ी ताकीद कर दी गई कि बैलों को खाली सूखा भूसा दिया जाए।
बैलों ने नाँद में मुँह डाला, तो फीका-फीका। न कोई चिकनाहट, न कोई रस! क्या खाएँ? आशा-भरी आँखों से द्वार की ओर ताकने लगे।
झूरी ने मजूर से कहा-थोड़ी-सी खली क्यों नहीं डाल देता बे?
‘मालकिन मुझे मार ही डालेंगी। ‘
‘चुराकर डाल आ।’
‘न दादा, पीछे से तुम भी उन्हीं की-सी कहोगे।’
प्रश्न (i): झूरी की स्त्री बैलों को देखकर क्यों जल उठी?
उत्तर: झूरी की स्त्री बैलों को देखकर जल उठी क्योंकि बैल काम किए बिना भाग खड़े हुए थे। उसे लगा कि बैल नमकहराम हैं और काम न करने के कारण भाग गए।
प्रश्न (ii): झूरी ने बैलों के भागने का क्या कारण बताया?
उत्तर: झूरी ने बैलों के भागने का कारण यह बताया कि यदि उन्हें चारा और दाना ठीक से नहीं दिया गया था, तो वे क्या करते?
प्रश्न (iii): मजूर ने बैलों को खली क्यों नहीं दी?
उत्तर: मजूर ने बैलों को खली नहीं दी क्योंकि उसे डर था कि मालकिन (झूरी की स्त्री) उसे मार डालेगी।
प्रश्न (iv): झूरी की स्त्री ने बैलों को क्या खिलाने का आदेश दिया?
उत्तर: झूरी की स्त्री ने बैलों को सूखा भूसा खिलाने का आदेश दिया, और कहा कि सूखा भूसा खाएँ चाहे मर जाएँ।
प्रश्न (v): बैलों ने सूखा भूसा देखकर क्या प्रतिक्रिया दी?
उत्तर: बैलों ने सूखा भूसा देखकर फीका-फीका प्रतिक्रिया दी। न उसमें कोई चिकनाहट थी, न कोई रस। वे आशा-भरी आँखों से द्वार की ओर ताकने लगे।
दूसरे दिन गया ने बैलों को हल में जोता, पर इन दोनों ने जैसे पाँव न उठाने की कसम खा ली थी। वह मारते-मारते थक गया; पर दोनों ने पाँव न उठाया। एक बार जब उस निर्दयी ने हीरा की नाक पर खूब डंडे जमाए, तो मोती का गुस्सा काबू के बाहर हो गया। हल लेकरें भागा। हल रस्सी, जुआ, जोत, सब टूट-टाट कर बराबर हो गया। गले में बड़ी-बड़ी रस्सियाँ न होतीं, तो दोनों पकड़ाई में न आते।
हीरा ने मूक-भाषा में कहा-भागना व्यर्थ है।
मोती ने उत्तर दिया–तुम्हारी तो इसने जान ही ले ली थी।
‘अबकी बड़ी मार पड़ेगी।’
‘पड़ने दो, बैल का जन्म लिया है, तो मार से कहाँ तक बचेंगे?’
‘गया दो, आदमियों के साथ दौड़ा आ रहा है। दोनों के हाथों में लाठियाँ हैं।’
मोती बोला-कहो तो दिखा दूँ कुछ मज़ा मैं भी। लाठी लेकर आ रहा है।
हीरा ने समझाया-नहीं भाई! खड़े हो जाओ।
‘मुझे मारेगा, तो मैं भी एक-दो को गिरा दूँगा!’
‘नहीं। हमारी जाति का यह धर्म नहीं है।’
प्रश्न (i): दूसरे दिन गया ने बैलों को जोतने की कोशिश में क्या कठिनाई झेली?
उत्तर: दूसरे दिन गया ने बैलों को जोतने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने पाँव उठाने से इनकार कर दिया। गया उन्हें मारते-मारते थक गया था, फिर भी बैलों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। अन्ततः जब हीरा को चोट लगी, तो मोती ने हल लेकर भागते हुए सब कुछ तोड़-फोड़ कर दिया।
प्रश्न (ii): मोती का गुस्सा किस बात पर काबू से बाहर हो गया?
उत्तर: मोती का गुस्सा तब काबू से बाहर हो गया जब गया ने निर्दयता से हीरा की नाक पर डंडे मारे। इससे क्रोधित होकर मोती हल लेकर भाग गया और हल, रस्सी, जुआ, और जोत सब कुछ टूट गया।
प्रश्न (iii): हीरा ने मोती को मूक-भाषा में क्या कहा?
उत्तर: हीरा ने मूक-भाषा में मोती से कहा कि भागना व्यर्थ है क्योंकि भागने से उनकी स्थिति नहीं बदलेगी। उन्होंने मोती को समझाया कि बैलों का जन्म लेने के बाद मार से बचना संभव नहीं है।
प्रश्न (iv): मोती ने गुस्से में क्या करने की बात कही?
उत्तर: मोती ने गुस्से में कहा कि अगर उसे मारा गया, तो वह भी एक-दो आदमियों को गिरा देगा। लेकिन हीरा ने उसे समझाया कि उनकी जाति का धर्म यह नहीं है और उन्हें शांत रहना चाहिए।
प्रश्न (v): गया और दूसरे आदमी बैलों को पकड़ने के लिए क्या लेकर आए?
उत्तर: गया और दूसरे आदमी बैलों को पकड़ने के लिए लाठियाँ लेकर आए। वे दौड़ते हुए बैलों के पास पहुँचे, लेकिन बैलों के गले में बड़ी रस्सियाँ होने के कारण उन्हें पकड़ लिया गया।
आज दोनों के सामने फिर वही सूखा भूसा लाया गया। दोनों चुपचाप खड़े रहे। घर के लोग भोजन करने लगे। उस वक्त छोटी-सी लड़की दो रोटियाँ लिए निकली, और दोनों के मुँह में देकर चली गई। उस एक रोटी से इनकी भूख तो क्या शांत होती; पर दोनों के हृदय को मानो भोजन, मिल गया। यहाँ भी किसी सज्जन का वास है। लड़की भैरो की थी। उसकी माँ मर चुकी थी। सौतेली माँ उसे मारती रहती थी, इसलिए इन बैलों से उसे एक प्रकार की आत्मीयता हो गई थी।
दोनों दिन-भर जोते जाते, डंडे खाते, अड़ते। शाम को थान पर बाँध दिए जाते और रात को वही बालिका उन्हें दो रोटियाँ खिला जाती।
प्रेम के इस प्रसाद की यह बरकत थी कि दो-दो गाल सूखा भूसा खाकर भी दोनों दुर्बल न होते थे, मगर दोनों की आँखों में, रोम-रोम में विद्रोह भरा हुआ था।
प्रश्न (i): बैलों के सामने क्या लाया गया, और उन्होंने कैसी प्रतिक्रिया दी?
उत्तर: बैलों के सामने फिर से सूखा भूसा लाया गया। वे चुपचाप खड़े रहे और उसे खाने से इनकार कर दिया। उनके हृदय में भूसे के बजाय किसी और चीज की आवश्यकता थी, जो बाद में एक छोटी-सी लड़की ने पूरी की।
प्रश्न (ii): छोटी लड़की ने बैलों के लिए क्या किया, और इससे उन्हें क्या अनुभव हुआ?
उत्तर: छोटी लड़की ने बैलों को दो रोटियाँ लाकर दीं। इन रोटियों से उनकी भूख शांत नहीं हुई, लेकिन उनके हृदय को मानो प्रेम और आत्मीयता का भोजन मिल गया। यह अनुभव उनके लिए बहुत मूल्यवान था।
प्रश्न (iii): छोटी लड़की की बैलों से आत्मीयता क्यों हो गई थी?
उत्तर: छोटी लड़की, भैरो की बेटी थी, जिसकी माँ मर चुकी थी। उसकी सौतेली माँ उसे मारती रहती थी। इस कारण से उसे बैलों से आत्मीयता हो गई, क्योंकि वे भी उसके समान कठोर व्यवहार झेल रहे थे।
प्रश्न (iv): बैल दिन में और रात में क्या अनुभव करते थे?
उत्तर: बैल दिन में जोते जाते, डंडे खाते और अड़ते रहते थे। शाम को उन्हें थान पर बाँध दिया जाता। रात में वही छोटी लड़की उन्हें दो रोटियाँ खिला जाती, जिससे उनका मन प्रेम और आत्मीयता से भर जाता था।
प्रश्न (v): बैलों की शारीरिक स्थिति कैसी थी, और उनके मन में क्या भाव था?
उत्तर: बैल दो-दो गाल सूखा भूसा खाकर भी दुर्बल नहीं होते थे, जो प्रेम के प्रसाद की शक्ति थी। लेकिन उनके मन और शरीर के हर हिस्से में विद्रोह का भाव भरा हुआ था, जो उनके संघर्षपूर्ण जीवन का संकेत था।
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