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Important Questions: सुदामा चरित | Hindi Class 8 PDF Download

कक्षा 8 हिंदी में 'सुदाम चरित्र' कृष्ण और सुदामा पर आधारित एक बहुत सुंदर रचना है। इसके कवि नरोत्तम दास जी हैं, जिन्होंने इस रचना को दोहे के रूप में प्रस्तुत किया है। यह रचना इस प्रकार से प्रस्तुत की गई है कि ऐसा लगता है जैसे दोहे न हो, बल्कि श्री कृष्ण और सुदामा की कथा पर आधारित एक नाटक चल रहा हो। आइए इस डॉक्यूमेंट में इस पाठ के Important Questions पर विचार करें।

Important Questions: सुदामा चरित | Hindi Class 8

लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1: सुदामा अपने मित्र श्री कृष्ण के पास किस वेश-भूषा में गए थे?
उत्तर:
जिस समय सुदामा अपने मित्र श्री कृष्ण के पास गए थे, उस समय उनके सिर पर पगड़ी नहीं थी। शरीर पर कुर्ता नहीं था। उनकी धोती जगह-जगह फटी थी। पैरों में जूते भी नहीं थे।

प्रश्न 2: द्वारपाल ने श्री कृष्ण को सुदामा के बारे में क्या बताया?
उत्तर: 
द्वारपाल ने श्री कृष्ण से सुदामा के बारे में बताते हुए कहा, ”प्रभु! दरवाजे पर एक गरीब तथा दुर्बल ब्राह्मण खड़ा है। वह आपसे मिलना चाहता है। वह अपना नाम सुदामा बता रहा है।“

प्रश्न 3: श्री कृष्ण ने सुदामा के दुख को महादुख क्यों कहा है?
उत्तर:
श्री कृष्ण ने सुदामा की दीनहीन दशा देखी तो वे दुखी हुए परंतु जब उन्होंने पैर धोने के लिए हाथ बढ़ाया और सुदामा के पैरों में फटी बिवाइयाँ तथा काँटों का जाल देखा तो ऐसे विकट दुःख को उन्होंने ‘महादुःख’ कहा।

प्रश्न 4: सुदामा अपने साथ लाए उपहार को श्री कृष्ण को देने में संकोच क्यों  कर रहे थे?
उत्तर:
द्वारका आते समय सुदामा की पत्नी ने कृष्ण के लिए उपहारस्वरूप थोड़े-से चावल एक पोटली में बाँधकर दिए थे। द्वारका पहुँचकर जब सुदामा ने कृष्ण का शाही वैभव तथा एशो-आराम देखा तो उन्होंने कृष्ण जैसे बड़े राजा के लिए चावल जैसा तुच्छ उपहार देना उचित न समझा। इसलिए वे संकोच कर रहे थे।

प्रश्न 5: कृष्ण ने सुदामा से अपनी पिछली आदत न छोड़ पाने की बात क्यों कही?
उत्तर:
श्री कृष्ण ने जब देखा कि सुदामा अपने साथ लाया उपहारस्वरूप तंदुल (चावल) भी छिपाते जा रहे हैं और वे देना नहीं चाहते हैं, तब उन्होंने ऐसा कहा, क्योंकि बचपन में एक बार सुदामा श्री कृष्ण के हिस्से के चने चोरी से खा गए थे।

प्रश्न 6: ‘कछू न जानी जात’ के माध्यम से सुदामा ने क्या कहना चाहा है?
उत्तर:
‘कूछ न जानी जात’ के माध्यम से सुदामा ने अपनी खीझ उतारते हुए यह कहना चाहा है कि कृष्ण ने आदर-सत्त्कार तो खूब किया पर वहाँ से आते समय मुझे कुछ दिया नहीं। यह बात मेरे समझ से परे है।

प्रश्न 7: सुदामा को कृष्ण के  बचपन की कौन-सी घटना याद आ गई?
उत्तर:
  सुदामा को कृष्ण के  बचपन की यह घटना याद आई कि कृष्ण बचपन में घर-घर जाकर दही माँगते थे।

प्रश्न 8: कविता में आए अतिशयोक्ति अलंकार से युक्त पंक्ति को लिखकर उसका अर्थ लिखिए।
उत्तर:
“पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के  जल सों पग धोए” इस पंक्ति में बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर चित्रित किया गया है। परात में जो जल सुदामा के चरण धोने के  लिए मँगवाया गया था उसे कृष्ण ने हाथ भी न लगाया। अपने आँसुओं के  जल से ही उनके  पाँव धो डाले।

Important Questions: सुदामा चरित | Hindi Class 8

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1: कृष्ण ने सुदामा की मदद अप्रत्यक्ष रूप में क्यों की थी?
उत्तर:
कृष्ण सुदामा के  बारे में जान गए थे। उन्होंने सुदामा की मदद अप्रत्यक्ष रूप से इसलिए की, क्योंकि वे सुदामा को कुछ भी देकर उसे उसकी नजरों में नीचा नहीं करना चाहते थे और न ही हीनता की भावना उत्पन्न करना चाहते थे।

प्रश्न 2: श्रीकृष्ण ने सुदामा के  साथ सच्चे मित्र का कर्तव्य किस तरह निभाया?
उत्तर:
श्रीकृष्ण ने सुदामा की सहायता गरीबी के  दिनों में करके सच्चा मित्र होने का प्रमाण दिया। उन्होंने सुदामा की मदद अप्रत्यक्ष रूप में करके  सुदामा को अपनी ही नजरों में नीचा होने से बचा लिया। उनका यह कृत्य हमारे लिए सच्चा मित्र होने का संदेश दे जाता है।

प्रश्न 3: ‘प्रभु के परताप तें दाख न भावत’ कहकर कवि ने किस ओर संकेत किया है?
उत्तर: 
‘प्रभु के परताप तें दाख न भावत’ के  माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि सुदामा अब पहले वाले सुदामा नहीं रहे, उनके  पास स्वर्ण जड़ित भवन, आने-जाने के  लिए हाथी-घोड़े, मुलायम बिस्तर तथा स्वादिष्ट पकवान व व्यंजन हैं।

प्रश्न 4: अपने गाँव आकर सुदामा यह सोचने पर विवश क्यों हो रहे थे कि कहीं वे मार्ग भूलकर द्वारका वापस तो नहीं आ गए हैं?
उत्तर: सुदामा जब द्वारका से अपने गाँव वापस आए तो जहाँ पर उनका गाँव था, वहाँ सब कुछ बदला-बदला नजर आ रहा था। उन्हें अपने आस-पास द्वारका जैसे ही राजभवन, सुख, समृद्धि, हाथी-घोड़े आदि दिख रहे थे। ऐसे में वे यह सोचने पर विवश हो गए कि कहीं वे मार्ग भूलकर अपने गाँव जाने की बजाय द्वारका वापस तो नहीं आ गए।

प्रश्न 5: गुरुमाता कौन थीं? उन्होंने चने किसे दिए थे और कब?
उत्तर:
गुरुमाता ऋषि संदीपनि की पत्नी थीं जिनके आश्रम में कृष्ण और सुदामा पढ़ा करते थे। एक बार जब आश्रम में लकड़ियाँ खत्म हो गई थीं, तब गुरुमाता ने उन्हें लकड़ियाँ लाने जंगल भेजा। उस समय रास्ते में खाने के लिए उन्होंने कृष्ण और सुदामा को चने दिए थे, ताकि भूख लगे तो उसे खाकर वे अपनी भूख शांत कर सकें। सुदामा यह चने चोरी से अकेले ही खा गए थे और कृष्ण को कुछ न मिला।

मूल्यपरक प्रश्न


प्रश्न 1: कविता ‘सुदामा-चरित’ में ‘अतिथि देवो भव’ की भावना चरितार्थ होती है। क्या वर्तमान समय में भी इस भावना की उतनी ही आवश्यकता है? तर्क सहित उत्तर लिखिए।
उत्तर:
कविता 'सुदामा चरित' में श्री कृष्ण ने अपने गरीब दोस्त सुदामा के दुःख को अपना दुःख समझा। जब सुदामा उनके पास आए तो श्री कृष्ण ने उनका बहुत अच्छे से स्वागत किया, उन्हें आदर दिया और उनके दुःख को दूर करने की पूरी कोशिश की। उन्होंने अपने दोस्त के साथ अपनी मित्रता निभाई। यह मित्रता और अतिथि-सत्कार की भावना आज भी उतनी ही जरूरी है जितनी उस समय थी, क्योंकि ये गुण हमारे आदर्श हैं। अगर हम इन्हें अपनाएं, तो हमारी दुनिया में एक अलग पहचान बन सकती है। हालांकि, आजकल ये विचार कुछ कम होते दिखते हैं। आजकल के समाज में कुछ मूल्यों में कमी आई है और स्वार्थ बढ़ता जा रहा है। ऐसे में कृष्ण और सुदामा की मित्रता हमें एक बड़ी शिक्षा देती है कि हमें अपने जीवन में भी इस तरह की मित्रता और आदर को अपनाना चाहिए, इससे हमारी कई समस्याओं का समाधान हो सकता है।

प्रश्न 2: सुदामा कृष्ण के साथ मिलकर कैसे बदल गए थे? 
उत्तर: सुदामा ने कृष्ण के साथ बिताए समय में अपने जीवन को पूरी तरह से बदलते देखा। वह इस अद्भुत मित्रता में सुख और शांति से भरे जीवन का आनंद लेने लगे। सुदामा के जीवन में जो बदलाव आया, वह कृष्ण की कृपा और उनके भक्ति के कारण था। कृष्ण की कृपा ने सुदामा को गरीबी से मुक्ति दिलाई और उन्हें संतुलित और समृद्ध जीवन दिया। उनका धन भी कृष्ण की कृपा से बहुत बढ़ गया, जिससे उनका जीवन समृद्ध हो गया। सुदामा ने कृष्ण के साथ बिताए समय में उनकी भक्ति और विश्वास को और भी मजबूत किया। उन्होंने अपनी सरलता और साधुता को कृष्ण के साथ बढ़ाया और उनके जीवन को एक नए नजरिए से देखने का मौका पाया। इस समय ने सुदामा को जीवन की असली महत्वपूर्णता समझने में मदद की और उन्हें यह एहसास हुआ कि असली संपत्ति धन नहीं, बल्कि सही दृष्टिकोण और जीवन की सच्ची मूल्य हैं।

प्रश्न 3: सुदामा ने कृष्ण से कैसी भिक्षा मांगी थी और कृष्ण ने उसे कैसे सम्मानित किया? 
उत्तर: सुदामा ने कृष्ण से एक मुट्ठी चावल मांगे थे, जो उनकी गरीबी को दिखाता था और उनके विनम्र भिक्षाटन को स्वीकार करने की नीति को बढ़ावा देता था। कृष्ण ने सुदामा के इस विनम्र अनुरोध को याद रखते हुए, उसकी भिक्षा को देखकर उसे धन और समृद्धि से मुक्त कर दिया। कृष्ण ने अपनी असीम कृपा और अनंत धन देने की शक्ति से सुदामा के जीवन में बड़ा बदलाव किया। अब सुदामा धन-दौलत से ज्यादा संतुलित और समृद्ध जीवन जीने लगे। कृष्ण ने उन्हें मित्रता और सम्मान का असली मतलब सिखाया, जिससे सुदामा का जीवन समृद्धि और सफलता से भर गया। इस मित्रता को देखते हुए, हम कह सकते हैं कि कृष्ण ने सुदामा को अपने दोस्त के रूप में सम्मान दिया और उनकी भिक्षा को एक अद्भुत धन-दौलत में बदल दिया। कृष्ण ने इस मित्रता के जरिए सुदामा की भिक्षा को एक नई दिशा दी, जिससे उनका जीवन सफलता और समृद्धि से भर गया।

सार-आधारित प्रश्न

सार - 1

सीस पगा न झगा तन में, प्रभु! जाने को आहि बसै केहि ग्रामा।
धोती फटी-सी लटी दुपटी, अरु पाँय उपानह को नहिं सामा।
द्वार खड़ो द्विज दुर्बल एक, रह्मो चकिसो वसुधा अभिरामा।
पूछत दीनदयाल को धाम, बतावत आपनो नाम सुदामा।
ऐसे बेहाल बिवाइन सों, पग कंटक जाल लगे पुनि जोए।
हाय! महादुख पायो सखा, तुम आए इतै न कितै दनि खोए।
देखि सुदामा की दीन दसा, करुना करिकै करुनानिधि रोए।
पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।

प्रश्न 1: "सीस पगा न झगा तन में" से लेखक किसकी दीन-हीन अवस्था का वर्णन कर रहे हैं?
(क)
सुदामा की
(ख) श्री कृष्ण की
(ग) द्वारपाल की
(घ) भगवान की
उत्तर: (क) सुदामा की

प्रश्न 2: "धोती फटी-सी लटी दुपटी" का क्या अर्थ है?
(क)
सुदामा के शरीर पर चांदी के गहने थे।
(ख) सुदामा के पास सुंदर कपड़े थे।
(ग) सुदामा की धोती और गमछा फटे हुए थे।
(घ) सुदामा के पास कोई कपड़ा नहीं था।
उत्तर: (ग) सुदामा की धोती और गमछा फटे हुए थे।

प्रश्न 3: "रह्मो चकिसो वसुधा अभिरामा" का क्या अर्थ है?
(क) सुदामा का महल को देखना।

(ख) सुदामा का कृष्ण को देखना।
(ग) सुदामा का द्वारका को देखना।
(घ) सुदामा का पृथ्वी को देखना।
उत्तर: (क) सुदामा का पृथ्वी को देखना।

प्रश्न 4: "पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए" का क्या संदेश है?
(क)
कृष्ण ने सुदामा के पाँव धोने के लिए परात मंगवाई थी, लेकिन कृष्ण ने आँसुओं से ही उनका पाँव धोया।
(ख) कृष्ण ने सुदामा के पाँव धोने के लिए परात का पानी मंगवाया।
(ग) कृष्ण ने सुदामा के पाँव धोने के लिए गंगाजल मंगवाया।
(घ) कृष्ण ने सुदामा के पाँव धोने के लिए बर्फ का पानी मंगवाया।
उत्तर: (क) कृष्ण ने सुदामा के पाँव धोने के लिए परात मंगवाई थी, लेकिन कृष्ण ने आँसुओं से ही उनका पाँव धोया।

प्रश्न 5: "हाय! महादुख पायो सखा, तुम आए इतै न कितै दनि खोए" का क्या भाव है?
(क)
सुदामा को कृष्ण के दर्शन से बहुत खुशी हुई।
(ख) सुदामा कृष्ण के मिलने से बहुत दुखी हुए।
(ग) सुदामा कृष्ण से मिलने के बाद खुश थे।
(घ) सुदामा कृष्ण से मिलने के बाद दुखी थे, क्योंकि उन्हें कोई उपहार नहीं मिला।
उत्तर: (ख) सुदामा कृष्ण के मिलने से बहुत दुखी हुए।

सार - 2

कछु भाभी हमको दियो, सो तुम काहे न देत।
चाँपि पोटरी काँख में, रहे कहो केहि हेतु।।
आगे चना गुरुमातु दए ते, लए तुम चाबि हमें नहिं दीने।
स्याम कह्याउे मुसकाय सुदामा सों, ‘‘चोरी की बान में हौं जू प्रवीने।।
पोटरी काँख में चाँपि रहे तुम, खोलत नहिं सुधा रस भीने।
पाछिलि बानि अजौ न तजो तुम, तैसई भाभी के तंदुल कीन्हें।।”
वह पुलकनि, वह उठि मिलनि, वह आदर की बात।
वह पठवनि गोपल की, कछू न जानी जात।।
घर-घर कर ओड़त फिरे, तनक दही के काज।
कहा भयो जो अब भयो, हरि को राज-समाज।
हौं आवत नाहीं हुतौ, वाही पठयो ठेलि।।
अब कहिहौं समुझाय कै, बहु धन धरौ सकेलि।।

प्रश्न 1: श्री कृष्ण ने सुदामा से पोटली क्यों खोलने को कहा?
(क)
क्योंकि कृष्ण ने पोटली से चने चुराने का ताना दिया।
(ख) क्योंकि कृष्ण ने सुदामा से भाभी का उपहार लेने का आदेश दिया।
(ग) क्योंकि कृष्ण ने पोटली में रखे चावल को देखना चाहा।
(घ) क्योंकि कृष्ण ने पोटली में कोई और चीज देखी थी।
उत्तर: (ग) क्योंकि कृष्ण ने पोटली में रखे चावल को देखना चाहा।

प्रश्न 2: "चोरी की बान में हौं जू प्रवीने" का अर्थ क्या है?
(क) 
कृष्ण ने सुदामा को चोरी का शिक्षक बताया।
(ख) कृष्ण ने सुदामा को चोरी का इल्जाम लगाया।
(ग) सुदामा ने कृष्ण से कोई चोरी की थी।
(घ) सुदामा चोरी करने में माहिर हो गए थे।
उत्तर: (घ) सुदामा चोरी करने में माहिर हो गए थे।

प्रश्न 3: "पोटरी काँख में चाँपि रहे तुम" का क्या संदेश है?
(क)
सुदामा ने चुपके से चावल छिपा रखे थे।
(ख) सुदामा ने पोटली खोली और कृष्ण से चावल दिए।
(ग) सुदामा ने कृष्ण से भाभी का उपहार छिपाया था।
(घ) सुदामा ने पोटली से चाँदी निकाली थी।
उत्तर: (क) सुदामा ने चुपके से चावल छिपा रखे थे।

प्रश्न 4: "वह पुलकनि, वह उठि मिलनि, वह आदर की बात" में किसकी भव्यता का वर्णन किया गया है?
(क) 
सुदामा का
(ख) कृष्ण का
(ग) कृष्ण और सुदामा दोनों का
(घ) द्वारका के महलों का
उत्तर: (ख) कृष्ण का

प्रश्न 5: "अब कहिहौं समुझाय कै, बहु धन धरौ सकेलि" का क्या अर्थ है?
(क)
सुदामा अब धन का महत्व समझ रहे थे।
(ख) कृष्ण ने सुदामा को धन देने का वादा किया।
(ग) सुदामा ने कृष्ण से समृद्धि की इच्छा जताई।
(घ) कृष्ण ने सुदामा को धन का उपहार दिया।
उत्तर: (क) सुदामा अब धन का महत्व समझ रहे थे।

सार - 3

वैसोई राज समाज बने, गज, बाजि घने मन संभ्रम छायो।
कैधों परयो कहुँ मारग भूलि, कि फैरि कै मैं अब द्वारका आयो।।
भौन बिलोकिबे को मन लोचत, सोचत ही सब गाँव मँझायो।
पूँछत पाँडे फिरे सब सों, पर झोपरी को कहुँ खोज न पायो।।
कै वह टूटी-सी छानी हती, कहँ कंचन के अब धाम सुहावत।
कै पग में पनही न हती, कहँ लै गजराजहु ठाढे़ महावत।।
भूमि कठोर पै रात कटै, कहँ कोमल सेज पर नींद न आवत।
कै जुरतों नहिं कोदी-सवाँ, कहँ प्रभु के परताप ते दाख न भावत।।

प्रश्न 1: "वैसोई राज समाज बने, गज, बाजि घने मन संभ्रम छायो" का क्या अर्थ है?
(क) 
सुदामा को गाँव में राजसी ठाठ-बाट दिखाई दिए।
(ख) सुदामा को द्वारका का राजमहल बहुत भाया।
(ग) सुदामा को अपने गाँव का जीवन बदलते हुए दिखा।
(घ) सुदामा को राज समाज के बारे में जानकर खुशी हुई।
उत्तर: (ग) सुदामा को अपने गाँव का जीवन बदलते हुए दिखा।

प्रश्न 2: "कैधों परयो कहुँ मारग भूलि, कि फैरि कै मैं अब द्वारका आयो" का अर्थ क्या है?
(क) 
सुदामा द्वारका के रास्ते को भूलकर वापस लौट आए थे।
(ख) सुदामा भ्रमित होकर रास्ता भटक गए थे।
(ग) सुदामा ने अपने गाँव का रास्ता छोड़ दिया था।
(घ) सुदामा अब द्वारका नहीं जाना चाहते थे।
उत्तर: (ख) सुदामा भ्रमित होकर रास्ता भटक गए थे।

प्रश्न 3: "पूँछत पाँडे फिरे सब सों, पर झोपरी को कहुँ खोज न पायो" का क्या भाव है?
(क) 
सुदामा ने अपनी झोपड़ी को ढूंढने की कोशिश की, लेकिन नहीं मिली।
(ख) सुदामा अपनी झोपड़ी को दिखाने के लिए लोगों से पूछ रहे थे।
(ग) सुदामा ने अपनी झोपड़ी में कोई बदलाव नहीं देखा।
(घ) सुदामा ने अपनी झोपड़ी को बदलने की सोची थी।
उत्तर: (क) सुदामा ने अपनी झोपड़ी को ढूंढने की कोशिश की, लेकिन नहीं मिली।

प्रश्न 4: "कै वह टूटी-सी छानी हती, कहँ कंचन के अब धाम सुहावत" का क्या अर्थ है?
(क)
सुदामा की झोपड़ी अब स्वर्ण-महल में बदल चुकी थी।
(ख) सुदामा की झोपड़ी अब कंचन से बनी एक महल बन गई थी।
(ग) सुदामा की झोपड़ी अब टूटी हुई थी।
(घ) सुदामा को अपनी झोपड़ी में कोई बदलाव नहीं दिखाई दिया।
उत्तर: (क) सुदामा की झोपड़ी अब स्वर्ण-महल में बदल चुकी थी।

प्रश्न 5: "कै जुरतों नहिं कोदी-सवाँ, कहँ प्रभु के परताप ते दाख न भावत" का अर्थ क्या है?
(क) 
सुदामा को गरीब होने के बावजूद स्वादिष्ट व्यंजन मिल रहे थे।
(ख) सुदामा को कृष्ण की कृपा से बहुत धन और सुख मिला।
(ग) सुदामा को पहले की तरह गरीबी की स्थिति महसूस हो रही थी।
(घ) सुदामा को अब कोई भी समस्या नहीं रही थी।
उत्तर: (ख) सुदामा को कृष्ण की कृपा से बहुत धन और सुख मिला।

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FAQs on Important Questions: सुदामा चरित - Hindi Class 8

1. सुदामा चरित की मुख्य कहानी क्या है ?
Ans. सुदामा चरित की कहानी सुदामा नामक एक गरीब ब्राह्मण और उनके बचपन के मित्र भगवान श्री कृष्ण के बीच की मित्रता और उनकी भक्ति को दर्शाती है। सुदामा कठिनाई में हैं और अपने जीवन की परेशानियों के कारण श्री कृष्ण से मिलने जाते हैं। वहां भगवान कृष्ण उनकी दीन-हीन स्थिति को देखकर उन्हें सम्मानित करते हैं और उन्हें धन-धान्य से परिपूर्ण कर देते हैं।
2. सुदामा और श्री कृष्ण की मित्रता का महत्व क्या है ?
Ans. सुदामा और श्री कृष्ण की मित्रता इस बात का प्रतीक है कि सच्ची मित्रता और भक्ति हमेशा सामाजिक स्थिति से परे होती है। सुदामा की भक्ति ने उन्हें भगवान कृष्ण के निकट पहुँचाया, जो यह दर्शाता है कि सच्चे प्रेम और समर्पण का कोई मोल नहीं होता। यह कहानी मित्रता, भक्ति और दीनता के मूल्यों को उजागर करती है।
3. सुदामा चरित में कौन-कौन से प्रमुख पात्र हैं ?
Ans. सुदामा चरित में प्रमुख पात्रों में सुदामा, भगवान कृष्ण, सुदामा की पत्नी, और अन्य ब्राह्मण शामिल हैं। सुदामा और श्री कृष्ण के बीच की संबंध की गहराई और उनके बीच का संवाद कहानी का मुख्य आकर्षण है।
4. सुदामा की पत्नी का क्या योगदान है ?
Ans. सुदामा की पत्नी ने उन्हें भगवान कृष्ण के पास जाने के लिए प्रेरित किया और उन्हें अपने पति की आर्थिक स्थिति के बारे में बताया। उनकी प्रेरणा से ही सुदामा ने भगवान कृष्ण के पास जाने का निर्णय लिया, जो यह दर्शाता है कि घर के सदस्यों का समर्थन भी महत्वपूर्ण होता है।
5. सुदामा चरित से हमें कौन से मूल्य सीखने को मिलते हैं ?
Ans. सुदामा चरित से हमें कई महत्वपूर्ण मूल्य सीखने को मिलते हैं, जैसे सच्ची मित्रता, भक्ति, दीनता, और जीवन में कठिनाइयों का सामना करने की ताकत। यह कहानी यह भी सिखाती है कि सच्चे प्रेम और भक्ति के माध्यम से सभी बाधाएं पार की जा सकती हैं।
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