Table of contents |
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लघु उत्तरीय प्रश्न |
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न |
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मूल्यपरक प्रश्न |
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सार-आधारित प्रश्न |
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हिंदी कक्षा 8 'अकबरी लोटा' अन्नपूर्णानन्द द्वारा लिखी गई एक हास्यपूर्ण कहानी है। इस कहानी में लेखक ने यह बताया है कि जब भी कोई समस्या सामने आए, तो परेशान होने की बजाय समझदारी से उसे कैसे हल किया जा सकता है। इसके साथ ही, यह भी दिखाया गया है कि एक सच्चा मित्र हमेशा अपने मित्र के काम आता है और उसके लिए किसी भी हद तक जा सकता है। इस कहानी के मुख्य पात्र लाला झाऊलाल और उनके मित्र पं. बिलवासी मिश्र जी हैं। इस कहानी के माध्यम से लेखक हमें यह सीख देने की कोशिश करते हैं कि सही समय पर सही निर्णय लेना कितना महत्वपूर्ण है। आइए इस डॉक्यूमेंट में इस पाठ के Important Questions पर विचार करें।
प्रश्न 1: लाला झाऊलाल को ढाई सौ रुपये क्यों चाहिए थे?
उत्तर: लाला झाऊलाल को ढाई सौ रुपये अपनी पत्नी के लिए चाहिए थे, क्योंकि उनकी पत्नी ने किसी जरूरी काम के लिए पैसे मांगे थे, जो लाला झाऊलाल के पास नहीं थे।
प्रश्न 2: लाला झाऊलाल को किसने मदद की थी?
उत्तर: लाला झाऊलाल को उनके मित्र पं. बिलवासी मिश्र ने उनकी मदद की थी।
प्रश्न 3: लाला झाऊलाल का चेहरा कैसे था जब उन्हें पैसे मिल गए थे?
उत्तर: लाला झाऊलाल का चेहरा खुशी से भरा हुआ था। उनके चेहरे पर प्रसन्नता साफ झलक रही थी, जैसे उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था।
प्रश्न 4: पं. बिलवासी मिश्र ने लोटे की कीमत क्यों बढ़ाई?
उत्तर: पं. बिलवासी मिश्र ने लोटे की कीमत बढ़ाई ताकि अंग्रेज उसे खरीदने के लिए उत्सुक हो जाएं और लाला झाऊलाल को ढाई सौ रुपये मिल जाएं।
प्रश्न 5: बिलवासी मिश्र ने पैसे कहां से लाए थे?
उत्तर: पं. बिलवासी मिश्र ने अपनी पत्नी के संदूक से पैसे निकाले थे, जो बाद में उन्होंने लाला झाऊलाल की मदद के लिए दिए।
प्रश्न 1: लाला झाऊलाल के लिए ढाई सौ रुपये की समस्या क्यों बन गई?
उत्तर: लाला झाऊलाल के पास भले ही अच्छा व्यवसाय और संपत्ति थी, लेकिन एक साथ ढाई सौ रुपये जुटाना उनके लिए कठिन था। जब उनकी पत्नी ने यह रकम मांगी, तो यह उनके लिए सम्मान और प्रतिष्ठा का सवाल बन गया। लाला झाऊलाल को चिंता होने लगी कि यदि वह पत्नी से वादा किए पैसे नहीं दे पाए, तो उनकी इज्जत और आत्मसम्मान पर सवाल उठेगा। इसी कारण वह परेशान थे और पैसे जुटाने के लिए उपाय ढूंढ रहे थे।
प्रश्न 2: पं. बिलवासी मिश्र ने लाला झाऊलाल की मदद कैसे की?
उत्तर: पं. बिलवासी मिश्र ने लाला झाऊलाल की मदद तब की जब उन्हें पैसों की जरूरत थी। उन्होंने अपने दोस्त की परेशानी को समझा और कहा कि वे किसी से पैसे मांग कर लाएंगे। हालांकि, उनके पास पैसे नहीं थे, लेकिन उन्होंने वादा किया और अगले दिन ढाई सौ रुपये का इंतजाम कर लाला झाऊलाल को दे दिए थे। उनकी मदद ने लाला की परेशानी का समाधान किया।
प्रश्न 3: लाला झाऊलाल को अपनी पत्नी के सामने क्या डर था?
उत्तर: लाला झाऊलाल को इस बात का डर था कि यदि वह पत्नी से किए गए वादे को पूरा नहीं कर पाए तो वह उनके बारे में क्या सोचेंगी। उन्हें यह चिंता थी कि उनकी पत्नी को यह कैसे लगेगा कि उन्होंने पैसे जुटाने में नाकामी पाई थी। इससे उनका आत्मसम्मान और प्रतिष्ठा दांव पर थी, और वह इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए कुछ उपाय ढूंढ रहे थे।
प्रश्न 4: पं. बिलवासी मिश्र ने अंग्रेज के साथ किस प्रकार की चतुराई दिखाई?
उत्तर: पं. बिलवासी मिश्र ने अंग्रेज को अकबरी लोटे के बारे में चतुराई से बताया था। उन्होंने अंग्रेज को यह विश्वास दिलाया कि यह लोटा ऐतिहासिक महत्व का है और उसे म्यूजियम में रखा जाएगा। बिलवासी जी की कहानी ने अंग्रेज की रुचि को बढ़ाया, और उसने इस लोटे के लिए बड़ी कीमत देने की पेशकश की। इस चतुराई से लाला झाऊलाल को ढाई सौ रुपये मिले और उनकी परेशानी दूर हुई।
प्रश्न 5: लाला झाऊलाल की खुशियाँ क्यों बढ़ गईं?
उत्तर: लाला झाऊलाल की खुशियाँ इसलिए बढ़ गईं क्योंकि वह जो ढाई सौ रुपये अपनी पत्नी को देने का वादा कर चुके थे, वे उन्हें मिल गए। इसके साथ ही उनकी प्रतिष्ठा भी बच गई, और वह मानसिक शांति महसूस करने लगे। पं. बिलवासी मिश्र ने उनकी मदद की और उन्हें ढाई सौ रुपये का इंतजाम किया, जिससे उनका आत्मसम्मान बरकरार रहा और वह खुशी से भर गए।
प्रश्न 1: इस पाठ में लाला झाऊलाल की स्थिति को देखकर हमें क्या सिखने को मिलता है?
उत्तर: इस पाठ में लाला झाऊलाल की स्थिति हमें यह सिखाती है कि कभी भी अपने वादों को निभाने के लिए आत्मसम्मान और प्रतिष्ठा को प्राथमिकता देनी चाहिए। लाला झाऊलाल भले ही आर्थिक रूप से समृद्ध थे, लेकिन एक छोटे से पैमाने पर भी पैसे जुटाने की कठिनाई का सामना करना पड़ा। यह दिखाता है कि सफलता और सम्पन्नता के बावजूद कुछ स्थितियाँ हमारे आत्मसम्मान और प्रतिष्ठा से जुड़ी होती हैं, जिन्हें बचाने के लिए हमें सचेत रहना चाहिए। हमें अपने वादों को पूरा करने के लिए कभी भी समझदारी से काम करना चाहिए और मदद लेने से नहीं झिझकना चाहिए। इस पाठ से यह भी शिक्षा मिलती है कि एक सच्चा मित्र किसी भी समस्या में हमें सहारा दे सकता है और हमारी मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहता है, जैसे पं. बिलवासी मिश्र ने लाला झाऊलाल की मदद की।
प्रश्न 2: पं. बिलवासी मिश्र और लाला झाऊलाल की मित्रता से हम क्या मूल्य सीखते हैं?
उत्तर: पं. बिलवासी मिश्र और लाला झाऊलाल की मित्रता हमें सच्चे दोस्ती के मूल्य की समझ देती है। इस पाठ में पं. बिलवासी मिश्र ने अपने मित्र की मदद की, भले ही उनके पास पैसे नहीं थे, लेकिन उन्होंने लाला झाऊलाल की परेशानी समझी और उनका साथ दिया। यह दर्शाता है कि सच्चा मित्र कभी भी अपने दोस्त को अकेला नहीं छोड़ता, चाहे वह मुश्किल समय हो या खुशियाँ। इसके अलावा, यह हमें यह सिखाता है कि जीवन में किसी भी समस्या का समाधान केवल सहनशीलता, समझदारी और सही मित्रता से हो सकता है। पं. बिलवासी मिश्र ने अपनी चतुराई और सहानुभूति से लाला झाऊलाल की मदद की, और इसने उनके बीच की मित्रता को और मजबूत किया।
लाला झाऊलाल तिलमिला उठे। उन्होंने रोब के साथ कहा- ’अजी हटो, ढाई सौ रुपये के लिए भाई से भीख माँगोगी, मुझसे ले लेना।’ लेकिन मुझे इसी जिंदगी में चाहिए।’ अजी इसी सप्ताह में ले लेना। ’सप्ताह से आपका तात्पर्य सात दिन से है या सात वर्ष से?’ लाला झाऊलाल ने रोब के साथ खड़े होते हुए कहा-’आज से सातवें दिन मुझसे ढाई सौ रुपये ले लेना।’
लेकिन जब चार दिन ज्यों-त्यों में यों ही बीत गए और रुपयों का कोई प्रबंध न हो सका तब उन्हें चिंता होने लगी। प्रश्न अपनी प्रतिष्ठा का था, अपने ही घर में अपनी साख का था। देने का पक्का वादा करके अगर अब दे न सके तो अपने मन में वह क्या सोचेगी?
उसकी नज़रों में उसका क्या मूल्य रह जाएगा? अपनी वाहवाही की सैकड़ों गाथाएँ सुना चुके थे। अब जो एक काम पडा़ तो चारों खाने चित्त हो रहे। यह पहली बार उसने मुँह खोलकर कुछ रुपयों का सवाल किया था। इस समय अगर दुम दबाकर निकल भागते हैं तो फिर उसे क्या मुँह दिखलाएँगे?
खैर, एक दिन और बीता। पाँचवें दिन घबराकर उन्होंने पं. बिलवासी मिश्र को अपनी विपदा सुनाई। संयोग कुछ ऐसा बिगड़ा था कि बिलवासी जी भी उस समय बिलकुल खुक्ख थे। उन्हानें कहा- “मेरे पास हैं तो नहीं पर मैं कहीं से माँग-जाँच कर लाने की कोशिश करूँगा और अगर मिल गया तो कल शाम को तुमसे मकान पर मिलूँगा।”
प्रश्न 1: लाला झाऊलाल ने अपनी पत्नी को ढाई सौ रुपये देने का वादा क्यों किया था?
(क) क्योंकि यह उनका आत्मसम्मान का सवाल था।
(ख) क्योंकि वह पत्नी से डरते थे।
(ग) क्योंकि वह अपनी पत्नी को खुश रखना चाहते थे।
(घ) क्योंकि उन्हें अपनी प्रतिष्ठा को बचाना था।
उत्तर: (क) क्योंकि यह उनका आत्मसम्मान का सवाल था।
प्रश्न 2: लाला झाऊलाल ने अपने मित्र पं. बिलवासी मिश्र को अपनी समस्या क्यों बताई?
(क) क्योंकि वह उन्हें पैसे देना चाहते थे।
(ख) क्योंकि वह उनकी मदद चाहते थे।
(ग) क्योंकि वह अपनी पत्नी से झगड़ना नहीं चाहते थे।
(घ) क्योंकि उन्हें किसी से सलाह चाहिए थी।
उत्तर: (ख) क्योंकि वह उनकी मदद चाहते थे।
प्रश्न 3: पं. बिलवासी मिश्र ने लाला झाऊलाल को क्या आश्वासन दिया था?
(क) उन्होंने कहा कि वह पैसे देंगे।
(ख) उन्होंने कहा कि वह लाला को पैसे उधार देंगे।
(ग) उन्होंने कहा कि वह लाला को सलाह देंगे।
(घ) उन्होंने कहा कि वह किसी से पैसे मांगकर लाएंगे।
उत्तर: (घ) उन्होंने कहा कि वह किसी से पैसे मांगकर लाएंगे।
प्रश्न 4: लाला झाऊलाल को चिंता क्यों होने लगी थी?
(क) क्योंकि उन्होंने गलत वादा किया था।
(ख) क्योंकि वह अपने प्रतिष्ठा को खोना नहीं चाहते थे।
(ग) क्योंकि उन्हें पैसे की जरूरत थी।
(घ) क्योंकि वह अपने घर के बाहर निकलना चाहते थे।
उत्तर: (ख) क्योंकि वह अपने प्रतिष्ठा को खोना नहीं चाहते थे।
प्रश्न 5: पं. बिलवासी मिश्र ने लाला झाऊलाल से कब मिलने का वादा किया था?
(क) अगले दिन सुबह
(ख) अगले सप्ताह
(ग) अगले दिन शाम
(घ) अगले महीने
उत्तर: (ग) अगले दिन शाम
वह पानी तो जरूर लाईं पर गिलास लाना भूल गई थीं। केवल लोटे में पानी लिए वह प्रकट हुईं। फिर लोटा भी संयोग से वह जो अपनी बेढ़ंगी सूरत के कारण लाला झाऊलाल को सदा से नापसंद था।
था तो नया, साल दो साल का ही बना पर कुछ ऐसी गढ़न उस लोटे की थी कि उसका बाप डमरू, माँ चिलम रही हो। लाला ने लोटा ले लिया, बोले कुछ नहीं, अपनी पत्नी का अदब मानते थे। मानना ही चाहिए। इसी को सभ्यता कहते हैं। जो पति अपनी पत्नी का न हुआ, वह पति कैसा?
फिर उन्होंने यह भी सोचा कि लोटे में पानी दे, तब भी गनीमत है, अभी अगर चूँ कर देता हूँ तो बाल्टी में भोजन मिलेगा। तब क्या करना बाकी रह जाएगा?
लाला अपना गुस्सा पीकर पानी पीने लगे। उस समय वे छत की मुँडेर के पास ही खड़े थे। जिन बुजुर्गों ने पानी पीने के संबंध में यह नियम बनाए थे कि खड़े-खड़े पानी न पियो, सोते समय पानी न पियो, दौड़ने के बाद पानी न पियो, उन्होंने पता नहीं कभी यह भी नियम बनाया या नहीं कि छत की मुँडेर के पास खड़े होकर पानी न पियो।
प्रश्न 1: लाला झाऊलाल को पानी लाने के दौरान क्या भूल गई थीं?
(क) वह पानी नहीं लाईं।
(ख) वह पानी के साथ गिलास लाना भूल गईं।
(ग) वह गिलास लाना भूल गईं।
(घ) वह पानी को पीने का तरीका भूल गईं।
उत्तर: (ग) वह गिलास लाना भूल गईं।
प्रश्न 2: लाला झाऊलाल ने लोटे को क्यों नापसंद किया?
(क) क्योंकि लोटा पुराना था।
(ख) क्योंकि लोटे की सूरत बेढ़ंगी थी।
(ग) क्योंकि लोटा बहुत महंगा था।
(घ) क्योंकि लोटा नया था।
उत्तर: (ख) क्योंकि लोटे की सूरत बेढ़ंगी थी।
प्रश्न 3: लाला झाऊलाल ने अपनी पत्नी का आदर क्यों किया?
(क) क्योंकि वह अपनी पत्नी से डरते थे।
(ख) क्योंकि वह अपनी पत्नी का आदर करते थे।
(ग) क्योंकि वह अपनी पत्नी को खुश रखना चाहते थे।
(घ) क्योंकि वह अपनी पत्नी से प्यार करते थे।
उत्तर: (घ) क्योंकि वह अपनी पत्नी से प्यार करते थे।
प्रश्न 4: लाला झाऊलाल ने पानी पीने के समय किस बात पर विचार किया?
(क) वह खाना लाने के बारे में सोच रहे थे।
(ख) वह पानी पीने के नियमों के बारे में सोच रहे थे।
(ग) वह अपनी पत्नी को दोष देने के बारे में सोच रहे थे।
(घ) वह यह सोच रहे थे कि वे कितने अच्छे पति हैं।
उत्तर: (घ) वह यह सोच रहे थे कि वे कितने अच्छे पति हैं।
प्रश्न 5: लाला झाऊलाल छत की मुँडेर के पास खड़े होकर पानी क्यों पी रहे थे?
(क) क्योंकि वह गुस्से में थे।
(ख) क्योंकि वह कुछ सोच रहे थे।
(ग) क्योंकि वह पानी पीने का तरीका जानना चाहते थे।
(घ) क्योंकि वह पानी पीने के नियमों का उल्लंघन नहीं करना चाहते थे।
उत्तर: (क) क्योंकि वह गुस्से में थे।
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1. अकबरी लोटा क्या है और इसका ऐतिहासिक महत्व क्या है ? | ![]() |
2. अकबरी लोटा का निर्माण किस प्रकार किया गया था ? | ![]() |
3. अकबर के शासनकाल में कला और संस्कृति का क्या स्थान था ? | ![]() |
4. अकबरी लोटा के बारे में कौन-कौन सी रोचक बातें हैं ? | ![]() |
5. अकबर ने अपने शासन में कौन-कौन सी अन्य कलात्मक वस्तुओं का निर्माण कराया ? | ![]() |