लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: काँग्रेस के मुख्य कार्य क्या थे?
उत्तर: काँग्रेस के मुख्य कार्य थे राष्ट्रीय एकता जिसमें अल्पसंखयकों की समस्याओं को हल करना, दलित जातियों को ऊपर उठाने के साथ छुआछूत के अभिशाप को खत्म करना शामिल था।
प्रश्न 2: गाँधी जी के द्वारा प्रोत्साहित करने का जनता पर क्या असर हुआ ?
उत्तर: गाँधी जी द्वारा ‘डरो मत’ कहकर प्रोत्साहित किए जाने पर लोगों में ब्रिटिश सरकार का भय जाता रहा। इन्हें अब डरकर या छिपकर काम करने की जरूरत नहीं रही।
प्रश्न 3: प्रथम विश्वयुद्ध के शुरू में भारतीय राजनीति उतार पर क्यों थी?
उत्तर: प्रथम विश्वयुद्ध के शुरू में भारतीय राजनीति उतार पर इसलिए थी, क्योंकि कांग्रेस के विचारों में विभिन्नता आ गई थी। कांग्रेस दो टुकड़ों-नरम दल और गरम दल में विभाजित हो गई थी। दूसरी तरफ युद्ध काल में सरकार द्वारा लोगों पर कई कानून भी थोपे गए थे, जिसके कारण आगे बढ़ने में कई बाधाएँ आ रहीं थीं।
प्रश्न 4: विश्वयुद्ध की समाप्ति पर क्या हुआ?
उत्तर: विश्वयुद्ध के समय अंग्रेजों ने भारतीयों का प्रयोग करने के लिए उनसे बहुत से वायदे किए थे और लोगों को इस बात की आशा थी कि अब देश में राहत और प्रगति होगी, लेकिन युद्ध समाप्त होते ही सरकार ने तो दमन करने वाले कानूनों का निर्माण कर पंजाब में ‘मार्शल लाॅ’ घोषित कर दिया, जिससे लोगों की आशा निराशा में परिवर्तित हो गई।
प्रश्न 5: ‘मार्शल लाॅ’ क्या था?
उत्तर: ‘मार्शल लाॅ’ ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाया गया एक ऐसा कानून था, जिसमें किसी भी व्यक्ति को किसी भी समय बिना पुलिस और न्यायालय की इजाजत के गोली का निशाना बनाया जा सकता था।
प्रश्न 6: गाँधीजी का आगमन कैसा था?
उत्तर: गाँधीजी का आगमन ताजा हवा के एक झोंके की तरह था। जिसने हमें गहरी साँस लेने योग्य बनाया। गाँधीजी की शिक्षा का सार था-निर्भयता, सत्य और इनसे जुड़ा कार्य। गाँधीजी ने अपने विचारों से भारत के करोड़ों लोगों को प्रभावित किया।
प्रश्न 7: कांग्रेस की सक्रियता का आह्नान किस तरह का था?
उत्तर: कांग्रेस की सक्रियता का आह्नान दोहरा था- विदेशी शासन को चुनौती देना तथा उसका मुकाबला करने की सक्रियता। अपनी स्वयं की सामाजिक बुराइयों के विरूद्ध लड़ने की सक्रियता भी थी। कांग्रेस का मुख्य आधार राष्ट्रीय एकता थी जिसमें वह अल्पसंख्यकों की समस्याओं का समाधान करने और दलित जातियों को ऊपर उठाने के साथ छुआछूत के अभिशाप को समाप्त करना चाहती थी।
प्रश्न 8: गाँधीजी के नेतृत्व में क्या विशेष काम हुए?
उत्तर: जब गाँधीजी ने प्रथम बार कांग्रेस संगठन में प्रवेश किया तब उसी समय उसके संविधान में परिवर्तन कर दिया। उनका तरीका शांतिपूर्ण था। उनमें सामना करने की पूरी ताकत विद्यमान थी। उनकी कांग्रेस का लक्ष्य व मुख्य आधार था-राष्ट्रीय एकता। इसमें अल्पसंख्यकों की समस्याओं को हल करना और दलित जातियों को ऊपर उठाने के साथ छूआछूत का अभिशाप, जो समाज में व्याप्त था, उसे खत्म करना था। गाँधीजी ने अंग्रेजी शासन की बुनियादों पर चोट की। गाँधीजी निवृत्ति मार्ग के विरोधी थे। आर्थिक, सामाजिक और दूसरे मामलों में गाँधीजी के विचार बहुत कठोर थे।
प्रश्न 9: ब्रिटिश राज्य में जनता के भय के साथ जीने के क्या कारण थे?
उत्तर: ब्रिटिश राज्य में भारत की जनता के भय में जीने के अनेक कारण थे। सरकार ने चारों ओर दमनकारी, दमघोंदू वातावरण बना रखा था। इसके अतिरिक्त जनता में पुलिस का भय, सेना का भय, खुफिया विभाग का, अफसरों और जमींदारों का, साहूकारों का, बेकारी तथा भुखमरी का भय व्याप्त था।
प्रश्न 10: गाँधीजी ने कांग्रेस संगठन में प्रवेश करते ही क्या-क्या परिवर्तन किए?
उत्तर: गाँधीजी ने कांग्रेस संगठन में प्रवेश करते ही उसके संविधान में परिवर्तन किया। उसे लोकतांत्रिक बनाया तथा लोक संगठन बनाया। किसानों और मजदूरों को कांग्रेस में आने के लिए उन्होंने उत्साहित किया। इससे संगठन मजबूत हुआ।
प्रश्न 11: लेखक के अनुसार जिन्ना के विचार सही थे या नहीं?
उत्तर: लेखक के अनुसार मिस्टर जिन्ना के विचार सही नहीं थे, क्योंकि उनके विचारों से केवल भारत व पाकिस्तान नामक अवधारणा का विकास हुआ, परन्तु ‘दो राष्ट्रों’ की समस्या का हल नहीं हुआ, क्योंकि हिन्दू व मुस्लिम तो सम्पूर्ण देश में थे।
प्रश्न 12: गाँधीजी की कथनी व करनी कैसी थी?
उत्तर: गाँधीजी की कथनी तथा करनी एक ही थी। अर्थात् वह जो कहते वही करते भी थे। यह सत्य है, क्योंकि अपने विचारों पर अमल करने का प्रारम्भ गाँधीजी स्वयं से ही करते थे।
दीर्घउत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: गाँधी जी कैसे भारत का निर्माण करना चाहते थे?
उत्तर: गाँधी जी चाहते थे कि गरीब से गरीब व्यक्ति भी यह महसूस करे कि यह उसका देश है तथा एक ऐसा भारत जिसमें लोगों के ऊँच-नीच के वर्ग नहीं होंगे। छुआछूत, भेदभाव की कोई जगह नहीं होगी। स्त्रियों को पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त होंगे।
प्रश्न 2: गाँधी जी द्वारा अंग्रेजी शासन की बुनियाद पर किए गए प्रहार का क्या परिणाम निकला?
उत्तर: गाँधी जी ने अंग्रेजी शासन की बुनियाद पर चोट की। इससे प्रभावित होकर लोगों ने अंग्रेजों द्वारा दी गई उपाधियाँ छोड़नी शुरू कर दीं। इन उपाधियों की अब समाज में इज्जत न थी। वे पतन के प्रतीक बन गए। धनी लोगों ने भी साधारण रहन-सहन अपनाना शुरू कर दिया।
प्रश्न 3: गाँधीजी कैसे व्यक्ति थे और उनकी धर्म सम्बन्धी अवधारणा कैसी थी?
उत्तर: गाँधीजी धर्मपरायण व्यक्ति थे। वे अपने हृदय की गहराइयों तक हिन्दू थे। उनकी धर्म सम्बन्धी अवधारणा का किसी सिद्धांत, परम्परा या कर्मकांड से कोई सम्बन्ध नहीं था। वे नैतिक नियमों में दृढ़ विश्वास रखने वाले थे। जिन्हें वे सत्य या प्रेम का नियम कहते थे। उनकी कथनी और करनी में मेल था। वे जो कहते थे, वही करते थे। वे ऐसे भारत के लिए मिलजुल कर काम करना चाहते थे, जिससे गरीब-से-गरीब व्यक्ति भी अपनी भागीदारी महसूस करे तथा सभी जातियाँ समानता की भावना से रहें। छुआछूत कहीं नहीं हो।
प्रश्न 4: गाँधीजी किस तरीके से कार्य करते थे?
उत्तर: गाँधीजी का कार्य करने का तरीका शांतिपूर्ण व अहिंसात्मक था, उसमें हिंसा का कोई स्थान नहीं था। वे जिस बात को गलत मानते थे उसे कदापि स्वीकार नहीं करते थे। किसी बुरी बात के सामने सिर नहीं झुकाया। उन्होंने लोगों को खिताब छोड़ने के लिए प्रेरित किया। गाँव-गाँव में कर्म का संदेश पहुँचाना चाहा। उनके दो हथियार थे- सत्य और अहिंसा, जिनकी शक्ति से उन्होंने देश को स्वतंत्र कराया। सविनय अवज्ञा आंदोलन और असहयोग आंदोलन उन्हीं की देख-रेख में भारत में चलाए गए, जिन्होंने अंग्रेजी सरकार की जड़ें उखाड़ दीं।
प्रश्न 5: गाँधीजी की मनोवैज्ञानिक क्रान्ति क्या थी?
उत्तर: गाँधीजी तेजस्वी व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने अपने सुदृढ़ विचारों से भारत की साधारण जनता को अपने विचारों से सम्मोहित कर लिया था और उन्हें चुंबक की तरह आकर्षित भी किया था। वे उनके लिए अतीत के साथ भविष्य को जोड़ने वाली कड़ी बन गए। उन्होंने अपने समर्थकों को ही नहीं, बल्कि विरोधियों और तमााम तटस्थ रहने वाले लोगों को भी अपनी विचारधारा से झकझोर डाला और देश के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया। यही उनकी मनोवैज्ञानिक क्रान्ति थी।
मूल्यपरक प्रश्न
प्रश्न 1: राजनीतिक मामलों ने सांप्रदायिकता का रूप कैसे ले लिया था?
उत्तर: अब भारत में राजनीतिक मामलों में धर्म के स्थान पर सांप्रदायिकता का आगमन हो गया था। संकीर्ण विचारधारा रखने वाले समुदाय ने इसका प्रयोग अपनी राजनीतिक शक्ति और समुदाय को बढ़ावा देने में किया। ऐसा मुस्लिम वर्ग ने किया। आज तक हिन्दू और मुसलमान साथ-साथ मिलकर स्वाधीनता की लड़ाई अंग्रेजों के विरूद्ध लड़ते रहे, लेकिन मुस्लिमों ने धर्म के आधार पर धार्मिक समुदाय अलग बना लिया था। कांग्रेस सांप्रदायिक हल निकालने के लिए उत्सुक और चिंतित थी। कांग्रेस की सदस्य संख्या में मुख्य रूप से हिन्दू थे, लेकिन उसमें बड़ी संख्या में दूसरे तमाम धर्मों के लोग जैसे-सिख, ईसाई आदि भी शामिल थे। अतः मुस्लिमों में कांग्रेस के विचार के विरूद्ध विचार उत्पन्न होने लगे और उन्होंने धर्म को राजनीतिक शक्ति का आधार बनाना चाहा।
1. अंतिम दौर-दो क्या हैं? |
2. अंतिम दौर-दो परीक्षा के लिए कितने पेपर होते हैं? |
3. अंतिम दौर-दो परीक्षा के लिए कौन-कौन से विषयों की तैयारी करनी चाहिए? |
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