(i) निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
छोटा मेरा खेत चैकाना
कागज का एक पन्ना
कोई अंधड़ कहीं से आया
क्षण का बीज वहाँ बोया गया।
कल्पना के रसायनों को पी
बीज गल गया निःशेष;
शब्द के अंकूर फूटे
पल्लव पुष्पों से नमित हुआ विशेष।
प्रश्न 1. (क) कवि खेत किसे मानता है और क्यों?
(ख) ‘अंधर’ से क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
(ग) ‘शब्द के अंकुर फूटे’ में निहित भाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर ;(क)
(ख)
(ग)
(ii) निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
झूमने लगे फल,
रस अलौकिक
अमृत धाराएँ फूटतीं
रोपाई क्षण की,
कटाई अनंतता की
लुटते रहने से जरा भी कम नहीं होती।
रस का अक्षय पात्र सदा का
छोटा मेरा खेत चैकोना।
प्रश्न ; (क) ‘रस अलौकिक अमृत धाराएँ फूटती’ कब, कहाँ और क्यों फूटती हैं?
(ख) ‘लुटते रहने से भी’ क्या कम नहीं होता और क्यों?
(ग) कवि इन पंक्तियों में खेत से किसकी तुलना कर रहा है?
उत्तर ; (क) (i) फलों से रस की व मिठास की अनेक धाराएँ फूटती हैं।
(ii) फलों के पेड़ की डाल पर पक जाने पर, फलों को काटने पर इसकी धाराएँ पूळटती हैं।
(ख) अनंतकाल तक साहित्य का आनंद लूटने पर भी उसमें कमी नहीं आती क्योंकि सभी अपने-अपने पठन में रस का अनुभव करते हैं।
(ग) कवि खेत की तुलना कागज के उस पन्ने से कर रहा है जिस पर कवि ने अपनी रचना लेखनीबद्ध की है। इसी में विचार या भाव का बीज बोया जाता है।
(iii) निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
छोटा मेरा.............................चैकोना!
प्रश्न 1 . कविता तथा कवि का नाम लिखिए।
उत्तर- कवि- उमाशंकर जोशी’।
कविता- छोटा मेरा खेत।
प्रश्न 2 . कवि ने कागज के एक पन्ने को चैकोना खेत क्यों कहा है? दो कारण लिखिए।
उत्तर: कवि ने कागज के पन्ने को चैकोना खेत इसलिए कहा है क्योंकि-
(i) कवि अपने को किसान मानता है। जैसे किसान चैकोने खेत में कृषि कार्य करता है वैसे ही कवि चैकोर पन्ने पर कविता की रचना करता है।
(ii) किसान खेत में आँधी आने पर बीज बोता है वैसे ही कवि भावों की आँधी आने पर कविता रूपी बीज बोता है अर्थात् चैकोर पन्ने पर कविता की रचना करता है।
प्रश्न 3. कागज पर और खेत में बोए जाने वाले बीज का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: किसान खेत में बीज बोता है, पानी देता है, तब फसल पैदा होती है इस प्रकार कृषि कार्य करता है, कवि का खेत चैकोना पन्ना है जिसमे वह भावों के बीज बोता है, कल्पना का खाद पानी देता है तब शब्दों के अंकुर फूटते हैं और कविता की रचना साकार होती है।
प्रश्न 4. फलों की यह रसधारा अनंत काल तक अनंत लोगों के उपयोग में आकार में भी कम क्यों नहीं होती?
उत्तर: कविता के अनुसार फलों की रसधारा अनंत काल तक अनंत लोगों के उपयोग में आकर कम नहीं होती क्योंकि कविता की रचना क्षणभर की है, परन्तु इसका आनंद युगों तक उठाया जाता है, जबकि फसल की कटाई उसका अंत है, कविता अनेक हाथों में जाती है वह लुटते रहने से भी कम नही होती। वह अक्षय पात्र के समान है। वह यूगो तक रस देती है।
प्रश्न 5. कवि का खेत कौन-सा है? उस पर आँधी का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: कवि को कागज का चैकोर पन्ना एक खेत की तरह दिर्खाइ देता है। जब आँधी आती है तो बीज बोया जाता है। इसी प्रकार भावों की आँधी आने पर कविता रूपी बीज बोया जाता है।
प्रश्न 6. कविता की रचना कैसे होती है?
उत्तर: कविता का संबंध भावों से है। कवि कहता है कि कल्पना रूपी रसायन इस कागज रूपी खेत मे बीज रूप मे पूरी तरह समा गया है। इस तरीके से शब्द रूपी अंकुर फूटने लगे अर्थात् कविता की पंक्तियाँ कागज पर उतरने लगीं। फिर इन अंकुरों पर भावना रूपी फूल खिलने लगे। कवि का मन प्रसन्नता से भर गया।
प्रश्न 7. कवि ने अपनी तुलना किससे की है और क्यों?
उत्तर: कवि ने स्व्यं को किसान के समान माना है। किसान खेत में बीज बोकर, पानी तथा खाद देकर फसल उगाता है। कविता की रचना भी फसल उगाने के समान श्रम साध्य कार्य है।
प्रश्न 8. रचनाकार और रचना के संदर्भ में पहली पंक्तियों का क्या आशय है?
अथवा
कविता रूपी फसल तैयार होने पर क्या होता है?
उत्तर: आशय- जब कवि के हृदय में पलने वाला भाव पककर कवितारूपी फल के रूप में झूमने लगता है तो उसमें से अद्भुत-अलौकिक रस झरने लगता है। आनंद की अमृत जैसी धाराएँ फूटने लगती हैं। सचमुच किसी भाव का आरोपण एक विशष् क्षण में अपने-आप दिव्य-प्ररेणा से हो जाया करता हैं।
प्रश्न 9. कविता तथा फसल में क्या अंतर है?
उत्तर: कविता की रचना क्षणभर की है, परंतु इसका आनंद युगों तक उठाया जायेगा, जबकि फसल की कर्टाइ उसका अंत है। कवि कहता है कि मेरे खेत रूपी रस का कविता रूपी पात्र छोटा है, परंतु यह कभी खत्म नही होता, यह हमेशा लोगो को प्रसन्न करता रहता है।
प्रश्न 10. भाव स्पष्ट कीजिए-‘रोपाई क्षण की, कटाई अनंतता की।’
उत्तर: भाव-कविता किसी भावनामय क्षण में लिखी जाती है किन्तु वह अनंतकाल तक पाठको को आनंद से सराबोर करती रहती हैं।
प्रश्न 11. ‘लुटते रहने से जरा भी नहीं कम होती’ - पंक्ति को साहित्यिक रचना के संदर्भ में समझाइए।
उत्तर: कविता की फसल ऐसी अनंत है कि उसे जितना भी लुटाओ, वह खाली नही होती। वह युगों-युगों तक रस देती रहती है।
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1. कला विषय में कौनसी कवियों की रचनाएं परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण हो सकती हैं? |
2. कला क्षेत्र में कौनसे ग्रंथ परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं? |
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