1. जब सफिया की बात खत्म हो गई तब उन्होंने पुड़िया को दोनों हाथों में उठाया, अच्छी तरह लपेटा और खुद सपि़ळया के बैग में रख दिया। बैग सफिया को देते हुए बोले, ‘‘मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुजर जाती है कि कानून हैरान रह जाता है।’’ वह चलने लगी तो वे खड़े होे गए और कहने लगे, ‘‘जामा मस्जिद की सीढ़ियों कोे मेरा सलाम कहिएगा और उन खातून को यह नमक देते वक्त मेरी तरफ से कहिएगा कि लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा, तो बाकी सब रफ़्ता-रफ़्ता ठीक हो जाएगा।’’
प्रश्न: (क) पुड़िया में ऐसा क्या था जो कहानी बन गया? संक्षेप में समझाइए।
प्रश्न: (ख) आशय समझाइए- ‘जामा मस्जिद की सिढिओ को मेरा सलाम कहिएगा।’
प्रश्न: (ग) नमक का लाना- ले जाना प्रतिबंधित होते हुए भी कस्टम अधिकारी ने अनुमति क्यों दे दी?तर्कसम्मत उत्तर दीजिए।
उत्तर: (क)
व्याख्यात्मक हल- पुड़िया में लाहौरी नमक था जिसे सफिया अपनी पड़ोसन सिख बीबी के लिए ले जाना चाहती है। पाकिस्तान से भारत में नमक ले जाना गैरकानूनी है, परन्तु सफिया सौगात के रूप में ले जाना चाहती है। सफिया के भाई ने मना किया कि इसे कस्टम वाले नहीं ले जाने देंगे परन्तु सफिया बहस करती है। मैं इसे चोरी छिपे नहीं ले जाना चाहती, भाई के विरोध पर सफ़िया क्रोध में आँखों में आँसू भर लाती है। इस प्रकार यह पुड़िया ही एक कहानी बन जाती है।
उत्तर: (ख)
व्याख्यात्मक हल- आशय-कस्टम अधिकारी एक हिन्दुस्तानी है जो दिल्ली में रहता था और विभाजन के समय पाकिस्तान आ गया। उसे आज भी दिल्ली की जामा मस्जिद की याद जाती है। इसलिए वह सफिया से दिल्ली पहुँचकर वहाँ की सीढ़ियों अर्थात् अल्लाह को सलाम कहने को बात कहता है।
उत्तर: (ग)
व्याख्यात्मक हल- जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है। मनुष्य चाहकर भी जन्मभूमि को भूल नहीं पाता। उसकी यादें आजीवन उसके दिल में विराजमान रहती हैं। जब सफिया सच्चाई का परिचय देते हुए हिन्दुस्तान नमक ले जाने की बात कहती है तो कस्टम अधिकारी का भी दिल पसीज जाता है और नमक की पुड़िया चुपके से बैग में रख देता है और उसे नमक ले जाने की अनुमति दे देता है।
2. प्लेटफाॅर्म पर उसके बहुत से दोस्त, भाई, रिश्तेदार थे। हसरत भरी नजरों, बहते हुए आँसुओं, ठंडी साँसों और भिंचे हुए होठों को बीच में काटती हुई रेल सरहद की तरफ बढ़ी। अटारी में पाकिस्तान पुलिस उतरी, हिन्दुस्तानी पुलिस सवार हुई। कुछ समझ में नही आता था कि कहाँ लाहौर खत्म हुआ और किस जगह से अमृतसर शुरू हो गया। एक जमीन थी, एक-सी सूरतें और लिबास, एक-सा लबोलहज़ा और अंदाज थे, गालियाँ भी एक ही सी थीं जिससें दोनों बड़े प्यार से एक-दूसरे को नवाज़ रहे थे। बस मुश्किल सिर्फ इतनी थी कि भरी हुई बंदूकें दोनों हाथों में थीं।
प्रश्न: (क) सफिया की रेल जब सरहद की तरफ बढ़ी तब उसकी मनःस्थिति कैसी थी?
प्रश्न: (ख) ‘अटारी’ स्टेशन के महत्त्व को रेखांकित कीजिए।
प्रश्न: (ग) लाहौर और अमृतसर की दूरी समझ से परे कैसी थी?
उत्तर: (क)
उत्तर: (ख)
उत्तर: (ग)
3. उन सिख बीबी को देखकर सफ़िया हैरान रह गई थी, किस कदर वह उसकी माँ से मिलती थी। वही भारी भरकम जिस्म, छोटी-छोटी चमकदार आँखें जिनमें नेकी, मुहब्बत और रहमदिली की रोशनी जगमगाया करती थी। चेहरा जैसे र्कोइ खुली र्हुइ किताब। वैसा ही सफे़द बारीक मलमल का दुपट्टा जैसा उसकी अम्मा मुहर्रम में ओढ़ा करती थी।
जब सफ़िया ने र्कइ बार उनकी तरफ मुहब्बत से देखा तो उन्होंने भी उसके बारे में घर की बहू से पूछा। उन्हें बताया गया कि ये मुसलमान हैं। कल ही सुबह लाहौर जा रही हैं अपने भाइयों से मिलने, जिन्हे इन्होने र्कइ साल से नहीं देखा। लाहौर का नाम सुनकर वे उठकर सफ़िया के पास आ बैठीं और उसे बताने लगीं कि उनका लाहौर कितना प्यारा शहर है। वहाँ के लोग कैसे खूबसूरत होते हैं उम्दा खाने और नफ़ीस कपड़ों के शैकीन, सैर-सपाटे के रसिया, जिंदादिली की तसवीर हैं।
प्रश्न: (क) पाठ तथा लेखिका का नाम लिखिए।
(ख) सफ़िया सिख बीबी को देखकर क्यों हैरान रह गई?
(ग) सिख बीबी और लेखिका की माँ में क्या समानता थी?
उत्तर: (क) पाठ का नाम-नमक। लेखिका का नाम- रज़िया सज्जाद जहीर।
(ख) सफ़िया सिख बीबी को देखकर हैरान इसलिए रह गई थी क्योंकि वह उसकी माँ से मिलती-जुलती थी।
(ग) भारी भरकम जिस्म, आँखें छोटी-छोटी व चमकदार, चेहरा खुली हुई किताब की तरह और सफेद बारीक मलमल का दुपट्टा जैसी समानताएँ सिख बीबी और लेखिका की माँ में मिलती थीं।
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