प्रश्न.1. जून की 21वीं तारीख को सूर्य [2019]
(क) उत्तरध्रुवीय वृत्त पर क्षितिज के नीचे नहीं डूबता है
(ख) दक्षिणध्रुवीय वृत्त पर क्षितिज के नीचे नहीं डूबता है
(ग) मध्यान्ह में भूमध्यरेखा पर ऊर्ध्वाधर रूप से व्योमस्थ चमकता है
(घ) मकर-रेखा पर ऊर्ध्वाधर रूप से व्योमस्थ चमकता है ?
उत्तर. (क)
उपाय:
उत्तरी गोलार्द्ध (Northern Hemisphere) में मध्य मई से जुलाई के अंत तक तथा दक्षिणी गोलार्द्ध (Southern Hemisphere) में मध्य नवंबर से जनवरी के अंत तक की अविधयों में 63° समानातंर से उच्च अक्षांशों (High Latitude) में पाई जाने वाली वह अवस्था, जिसमें सूर्य 24 घंटे नहीं छिपता और मध्य रात्रि में भी देखा जा सकता है। इन क्षेत्रों में 21 जनू के मध्य-रात्रि अर्थात रात को 12 बजे भी सूर्य दिखाई देता है इस समय 66° उ. अक्षांश से 90° उ. अक्षांश तक का संपूर्ण भू-भाग प्रकाश वृत्त के भीतर रहता है। इसका अर्थ यह हुआ कि यहाँ चौबीसों घंटे दिन रहता है रात होती ही नहीं इसीलिए वहाँ आप आधी रात को भी सूर्य को देख सकते हैं। वहाँ न तो सूर्योदय होगा और न ही सूर्यास्त होगा।
प्रश्न.2. ‘मेथेन हाइड्रेट’ के निक्षेपों के बारे में, निम्नलिखित में से कौन-से कथन सही हैं? [2019]
(1) भूमंडलीय तापन के कारण इन निक्षेपों से मेथेन गैस का निर्मुक्त होना प्रेरित हो सकता है।
(2) ‘मेथेन हाइड्रेट’ के विशाल निक्षेप उत्तरध्रवुीय टुंड्रा में तथा समुद्र अधस्तल के नीचे पाए जाते हैं।
(3) वायुमंडल के अंदर मेथेन एक या दो दशक के बाद कार्बन डाइऑक्साइड में ऑक्सीकृत हो जाता है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उतर चुनिए।
(क) केवल 1 और 2
(ख) केवल 2 और 3
(ग) केवल 1 और 3
(घ) 1, 2 और 3
उत्तर. (घ)
उपाय:
मीथेन हाइड्रेट लगभग 500 मीटर नीचे पानी की गहराई पर समुद्रतल (Sea floor) में स्थिर है। यह ज्वलनशील बर्फ के रूप में जाना जाता है। मीथेन हाइड्रेट्स के निक्षेप 500 मीटर गहराई से नीचे महाद्वीपीय मार्जिन पर आर्कटिक के क्षेत्रों और समुद्री तट पाए जाने वाले बर्फ मैट्रिक्स में निहित गैस के अणु हैं।
प्रश्न.3. मेघाच्छादित रात में ओस की बूंदे क्यों नही बनतीं? [2019]
(क) भूपृष्ठ से निर्मुक्त विकिरण को बादल अवशोषित कर लेते हैं।
(ख) पृथ्वी के विकिरण को बादल वापस परावर्तित कर देते हैं।
(ग) मेघाच्छादित रातों में भूपृष्ठ का तापमान कम होता है।
(घ) बादल बहते हुए पवन को भूमितल की ओर विक्षेपित कर देते हैं।
उत्तर. (ख)
उपाय:
ओस वायु में उपस्थित जलवाष्प के धरातल पर संघनित (वाष्प का द्रव बनना) होने से उत्पन्न होती है। स्वच्छ और शांत रातों में जब धरातल तीव्रगति से ठंडा होता है तब ओस उत्पन्न होती है, जबकि बादलों वाली रात में पृथ्वी के विकिरण को बादल वापस परावर्तित कर देते हैं परिणामस्वरूप ओस की बूंदे नहीं बनती हैं।
प्रश्न.4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: [2018]
(1) बैरेन द्वीप ज्वालामुखी एक सक्रिय ज्वालामुखी है जो भारतीय राज्य-क्षेत्र में स्थित है।
(2) बैरेन द्वीप, ग्रेट निकोबार के लगभग 140 किमी पूर्व में स्थित है।
(3) पिछली बार बैरेन द्वीप ज्वालामुखी में 1991 में उद्गार हुआ था और तब से यह निष्क्रिय बना हुआ है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(क) केवल 1
(ख) 2 और 3
(ग) केवल 3
(घ) 1 और 3
उत्तर. (क)
उपाय:
भारत का एक मात्र सक्रिय ज्वालामुखी बैरेन द्वीप जो अंडमान और निकोबार द्वीप में स्थित है। बैरेन द्वीप पोर्टब्लेयर से लगभग 140 किमी. उत्तर-पूर्व में स्थित है। ऐतिहासिक रिकार्ड के आधार पर इसका प्रथम उद्गार 1787 में हुआ था। लगभग 100 वर्षों में वह 5 बार उद्गारित हो चुका है। पिछली बार बैरेन द्वीप ज्वालामुखी में फरवरी 2016 में उद्गार हुआ था।
प्रश्न.5. कृषि मृदाओ के सन्दर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः [2018]
(1) मृदा में कार्बनिक पदार्थ का उच्च अंश इसकी जलधारण क्षमता को प्रबल रूप से कम करता है।
(2) गंधक चक्र में मृदा की कोई भूमिका नहीं होती है।
(3) कुछ समयावधि तक सिंचाई कुछ कृषि भूमियों के लवणीभवन में योगदान कर सकती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(क) केवल 1 और 2
(ख) केवल 3
(ग) केवल 1 और 3
(घ) 1, 2 और 3
उत्तर. (ख)
उपाय:
मृदा में पाई जाने वाली कार्बनिक पदार्थों की मात्रा मृदा के भौतिक तथा रासायनिक संरचना को प्रभावित करती है। मृदा की जल धारण क्षमता उसमें निहित कार्बनिक पदार्थों की मात्रा पर निर्भर करती है, अर्थात कार्बनिक पदार्थ मृदा में जलधारण क्षमता में वृद्धि करते हैं। गंधक की सूक्ष्म मात्रा पादप विकास के लिए आवश्यक होती है। यह दलहनी पौधों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण हेतु ग्रन्थियों के निर्माण सहायक होती है। यह अमीनो एसिड, एंजाइम तथा आवश्यक विटामिन्स के सश्ंलेषण में सहयोग करता है। मृदा में लम्बी अवधि तक जल ग्रहण के कारण लवणता में वृद्धि होती है, जिससे मृदा की उर्वर क्षमता घटती है।
प्रश्न.6. निम्नलिखित में से कौन-सा/से नदी तल में बहुत अधिक बालू खनन का/ के संभावित परिणाम हो सकता है/सकते हैं? [2018]
(1) नदी की लवणता में कमी
(2) भौम जल का प्रदूषण
(3) भौम जलस्तर का नीचे चले जाना
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(क) केवल 1
(ख) केवल 2 और 3
(ग) केवल 1 और 3
(घ) 1, 2 और 3
उत्तर. (ख)
उपाय:
बहुत अधिक बालू खनन से नदियों के अवक्रमण का कारण बनता है। रेत खनन ज्यादा होने पर इनका तल कम होता जाता है। फलस्वरूप तटीय क्षरण होता है एवं नदियों की लवणता में वृद्धि हो जाती है। अत्यधिक बालू खनन से जल के गुणवत्ता पर खराब असर पड़ता है, जिससे जल प्रदूषण बढ़ने की सम्भावना बढ़ जाती है।
प्रश्न.7. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा ‘‘कार्बन निषेचन’’, (कार्बन फर्टिलाइजेशन) को सर्वोत्तम वर्णित करता है? [2018]
(क) वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ी हुई सांद्रता के कारण बढी़ हुई पादप वृद्धि
(ख) वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ी हुई सांद्रता के कारण पृथ्वी का बढ़ा हुआ तापमान
(ग) वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ी हुई सांद्रता के परिणामस्वरूप महासागरों की बढ़ी हुई अम्लता
(घ) वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ी हुई सांद्रता के द्वारा हुए जलवायु परिवर्तन के अनुरूप पृथ्वी पर सभी जीवधारियों का अनुकूलन
उत्तर. (ख)
उपाय:
कार्बन निषेचन से पता चलता है कि वायुमंडल में CO2 की वृद्धि पौधों में प्रकाश संश्लेषण की दर को बढ़ाती है। यह प्रभाव पौधों की प्रजातियॉ तापमान और पानी तथा पोषक तत्वों की उपलब्धता के आधार पर भिन्न होता है।
प्रश्न.8. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: [2018]
(1) पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र हर कुछ सौ हजार सालों में उत्क्रमित हुआ है।
(2) पृथ्वी जब 4000 मिलियन वर्षों से भी अधिक पहले बनी, तो ऑक्सीजन 54% थी और कार्बन डाइऑक्साइड नहीं थी।
(3) जब जीवित जीव पैदा हुए, उन्होंने पृथ्वी के आरंभिक वायुमंडल को बदल दिया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/ से सही है/हैं?
(क) केवल 1
(ख) केवल 2 और 3
(ग) केवल 1 और 3
(घ) 1, 2 और 3
उत्तर. (ग)
उपाय:
समुद्र तल के प्रसार होने के माध्यम से यह सिद्ध हो चुका है कि पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र प्रत्येक कुछ हज़ारों वर्षों में उत्क्रमित (Reversed) हो जाता है। जब पृथ्वी बनी थी तो वातावरण में कोई ऑक्सीजन नहीं था। ऑक्सीजन आज पृथ्वी के वायुमंडल की मात्रा का पांचवाँ हिस्सा बनाता है जिसे हम जीवन के एक केंद्रीय तत्व के रूप में जानते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड, जलवाष्प तथा मीथेन ने पृथ्वी के विकास के दौरान एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2.7 बिलियन वर्ष पहले एक नए तरह का जीवन स्वयं स्थापित हुआ।
प्रकाश संश्लेषक सूक्ष्म जीवों को साइनोबैक्टीरिया कहा जाता है जो सूर्य ऊर्जा का उपयोग कर कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल को भोजन तथा ऑक्सीजन (अवशिष्ट पदार्थ) के रूप में परिवर्तित करने में सक्षम थे। वे उथले समुद्र में रहते थे जो सूर्य के हानिकारक विकिरण से संरक्षित थे। ये जीव इतने अधिक मात्रा में हो गये कि 2.5 बिलियन वर्ष पूर्व उनके द्वारा उत्पादित मुक्त ऑक्सीजन वातावरण में एकत्रित होने लगी।
प्रश्न.9. भारतीय मानसून का पूर्वानुमान करते समय कभी-कभी समाचारों में उल्लिखित ‘इंडियन ओशन डाइपोल (IOD)' के सन्दर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? [2017]
(1) IOD परिघटना, उष्णकटिबंधीय पश्चिमी हिंद महासागर एवं उष्णकटिबंधीय पूर्वी प्रशांत महासागर के बीच सागर पृष्ठ तापमान के अंतर से विशेषित होती है।
(2) IOD परिघटना मानसून पर एल- नीनो के असर को प्रभावित कर सकती है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(क) केवल 1
(ख) केवल 2
(ग) 1 और 2 दोनों
(घ) न तो 1, न ही 2
उत्तर. (ख)
उपाय:
इंडियन ओशन डाइपोल (IOD) जिसे भारतीय नीनो भी कहा जाता है, समुद्री सतह के तापमान का एक अनियमित दोलन है जिसमें पश्चिमी हिन्द महासागर एकांतर से गर्म हो जाता है, इसके बाद हिन्द महासागर गर्म होता है या प्रभावित होता, न कि ऊष्णकटिबंधीय पूर्वी प्रशांत महासागर।
हाल के अध्ययनों के अनुसार, दº-पूºऑस्ट्रेलिया में प्रशांत महासागर में अल-नीनो दक्षिणी दोलन (ENSO) की तुलना में वर्षा पैटर्न पर अधिक महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
प्रश्न.10. निम्नलिखित में से कौन-सी, ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी है/नदियों है? [2016]
(1) दिबागं
(2) कमेंग
(3) लोहित
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(क) केवल 1
(ख) केवल 2 और 3
(ग) केवल 1 और 3
(घ) 1, 2 और 3
उत्तर. (घ)
उपाय:
ब्रह्मपुत्र अपने मूल स्रोत तिब्बत से भारत के राज्य अरूणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है और असम घाटी के अग्र भाग में दिबांग नदी और लोहित नदी से जुडत़ी है। यह कामेंग नदी (या जिया बोरेली) से सोनितपुर में जुड़ती है।
ब्रह्मपुत्र के बाएं तट की प्रमुख सहायक नदियाँ दिबांग या सिकांग और लोहित है। दाएं तट की प्रमुख सहायक नदियाँ सुबनसिरी, कामेंग, मानस और संकोश है। इसलिए सभी 3 सही हैं।
प्रश्न.11. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः [2015]
(1) पूरे वर्ष 30°N और 60°S अक्षांशों के बीच बहने वाली हवाएँ पछुआ हवाएँ कहलाती हैं।
(2) भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में शीतकालीन वर्षा लाने वाली आर्द्र वायु सहंतियां (माइॅस्ट एयर मासेज) पछुआ हवाओं के भाग हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(क) केवल 1
(ख) केवल 2
(ग) 1 और 2 दोनों
(घ) न तो 1 और न ही 2
उत्तर. (घ)
उपाय:
दिए गए प्रश्न के कथन (1) में पछुआ हवाओं का अक्षांशीय विस्तार सही नहीं है। पछुआ हवा दोनों गोलार्द्धों में 30° से 60° अक्षांशों के मध्य प्रवाहित होती है।
प्रश्न.12. महासागरों और समुद्रों में ज्वार-भाटाएं किसके/किनके कारण होता/होते है? [2015]
(1) सूर्य का गुरुत्वीय बल
(2) चन्द्रमा का गुरुत्वीय बल
(3) पृथ्वी का अपकेंद्रीय बल
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(क) केवल 1
(ख) केवल 2 और 3
(ग) केवल 1 और 3
(घ) 1, 2 और 3
उत्तर. (घ)
उपाय:
ज्वार-भाटा की उत्पत्ति सूर्य एंव चन्द्रमा के आकर्षण बल-गरुुत्वीय बल तथा पृथ्वी पर उत्पन्न होने वाले दो बलों अधिकेन्द्रीय बल-केन्द्रोन्मुख बल एंव अपकेन्द्रीय बल केन्द्रोप्रसारित बल के फलस्वरूप होती है अर्थात पृथ्वी का जो गोलार्द्ध चन्द्रमा के सम्मुख पड़ता है वहां चन्द्रमा का आकर्षण बल पृथ्वी के केन्द्रोप्रसारित बल की अपेक्षा अधिक मात्रा में होता है फलस्वरूप उच्च ज्वार उत्पन्न होता है। दूसरी ओर पृथ्वी का जा चन्द्रमा के विमुख होता है वहां केन्द्रोप्रसारित बल का परिणाम चन्द्रमा के आकर्षण बल से अधिक होता है फलस्वरूप निम्न ज्वार उत्पन्न होता है। इसी कारण पृथ्वी पर प्रत्येक 24 घंटो में दो बार ज्वार व दो बार भाटा उत्पन्न होता है।
प्रश्न.13. ‘‘हर दिन कमोबेश एक-सा ही होता है। सुबह, समुंद्री मन्द पवन के साथ, साफ और उजली होती है।जैसे-जैसे सूर्य आकाश में ऊपर चढत़ा जाता है, गर्मी बढत़ी जाती है, घने बादल बनने लगते हैं और फिर बादलों की गरज और बिजली की चमक के साथ वर्षा होने लगती है। लेकिन वर्षा शीघ्र ही समाप्त हो जाती है।’’
उपर्युक्त उदाहरण में निम्नलिखित क्षेत्रों में से किसका वर्णन किया गया है? [2015]
(क) सवाना
(ख) विषुवतीय
(ग) मानसून
(घ) भमूध्यसागरीय
उत्तर. (ख)
उपाय:
विषुवतीय क्षेत्रों (Equatorial region) में प्रतिदिन सुबह मौसम साफ रहता है किंतु सूर्य की किरणों के साथ गर्मी बढ़ती जाती है और दोपहर के वक्त बादलों की गरज के साथ वर्षा होने लगती है। कुछ देर बाद वर्षा बंद हो जाती है और आकाश साफ हो जाता है। इसी कारण विषुवतीय क्षेत्रों में उमस भरी गर्मी होती है।
प्रश्न.14. उष्णकटिबंधीय (ट्राॅपिकल) अक्षांशों में दक्षिणी अटलांटिक और दक्षिण पूर्वी प्रशान्त क्षेत्रों में चक्रवात उत्पन्न नहीं होता। इसका क्या कारण है? [2015]
(क) समुद्री पृष्ठों के ताप निम्न हाते हैं
(ख) अन्तः उष्णकटिबंधीय अभिसारी क्षेत्र (इंटर ट्रॉपिकल कन्वर्जेंस जोन) बिरले ही होता है
(ग) कोरिऑलिस बल अत्यन्त दुर्बल होता है
(घ) उन क्षेत्रों में भूमि मौजूद नहीं होती
उत्तर. (क)
उपाय:
उष्ण कटिबन्धीय अक्षांशों में चक्रवात मुख्य रूप से 5º-15º अक्षांशों के मध्य दोनों गोलार्द्धों में सागरों के ऊपर पाये जाते हैं तथा महाद्वीपों के तटीय भागों को प्रभावित करने के उपरांत समाप्त हो जाते हैं। उष्ण कटिबंधीय भागों में चक्रवात का कोई न कोई रूप देखने को अवश्य मिलता है, परन्तु दक्षिणी अटलांटिक महासागर, दक्षिण पूर्वी प्रशांत महासागर तथा भूमध्य रेखा के दोनों ओर 5° अक्षांशों के मध्य चक्रवात बिल्कुल नहीं पाये जाते। चक्रवात के जन्म हेतु समुद्री पृष्ठ का तापमान कम से कम 26° सेल्सियस होना ही चाहिए। दक्षिणी अटलांटिक और दक्षिणी पूर्वी प्रशांत महासागर क्षेत्रों में ठंडी धाराएं पाई जाती हैं, जो समुद्री पृष्ठ के निम्न तापमान में सहायक होती है, इसलिए इस क्षेत्र में चक्रवात का जन्म नहीं हो पाता है।
प्रश्न.15. विषुवतीय प्रतिधाराओं (इकेटोरियल काउटंर-करेंट) के पूर्वाभिमुख प्रवाह की व्याख्या किससे होती है? [2015]
(क) पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूर्णन
(ख) दो विषुवतीय धाराओं का अभिसरण (कन्वर्जेन्स)
(ग) जल की लवणता में अन्तर
(घ) विषुवत्-वृत्त के पास प्रशान्तमण्डल मेखला(बेल्ट ऑफ़ काम) का होना
उत्तर. (क)
उपाय:
पृथ्वी के पश्चिम से पूर्व घूणर्न गति के कारण जल पीछे छूट जाता है, जिसके कारण जल में पूर्व से पश्चिम दिशा में गति उत्पन्न होती है तथा विषुवत रेखीय धाराओं की उत्पत्ति होती है, किन्तु जल का कुछ भाग पृथ्वी की घूर्णन दिशा की ओर अग्रसर हो जाता है, जिससे प्रति विषवुतीय धारा उत्पन्न होती है।
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