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लेखांश - 3 (Mental Ability) UPSC Previous Year Questions | UPSC Topic-wise Previous Year Questions (Hindi) PDF Download

निम्नलिखित 8 (आठ) प्रश्नांशों के लिए निर्देशः
नीचे दिए गए आठ परिच्छेदों को पढ़िए और परिच्छेदों के नीचे आने-वाले प्रश्नांशों के उत्तर दीजिए। इस प्रश्नांशों के लिए आपके उत्तर केवल संबंधित परिच्छेदों पर आधारित होने चाहिए। [2018] 

परिच्छेद-1

जलवायु परिवर्तन का निवारण करने की सभी कार्यवाहियों में अंततः लागत अंतर्निहित होती है। भारत जैसे देशों के लिए अनुकूलन तथा प्रशासन योजनाओं और परियोजनाओं को अभिकल्पित एवं कार्यान्वित करने के लिए वित्तपोषण उचित रूप से बहुत अहम है। भारत जैसे विकासशील देश के लिए, जो कि जलवायु परिवर्तन की सर्वाधिक मार झेलने वालों में से एक होगा, वित्तीय विकास की इसकी आवश्यकताओं को देखते हुए, यह समस्या और भी गंभीर है। अधिकतर देश निश्चित ही जलवायु परिवर्तन को वास्तविक खतरे के रूप में देखते हैं आरै अपने पास के सीमित संसाधनों को अधिक व्यापक और एकीकृत तरीके से प्रयोग कर इसके निवारण का प्रयास कर रहे हैं। 
प्रश्न.46. उपर्युक्त परिच्छेद के संदर्भ में निम्नलिखित पूर्वधारणाएँ बनाई गई हैं:   (2018)
1. जलवायु परिवर्तन, विकसित देशों के लिए चुनौती नहीं है।
2. अनेक देशों के लिए, जलवायु परिवर्तन एक जटिल नीतिगत मुद्दा है और एक विकास का मुद्दा भी। 
3. वित्तीय तरीके और साधन खोजने होंगे ताकि विकासशील देश अपनी अनुकूलन क्षमता बढ़ा सकें। 
उपर्युक्त में से कौन-सी पूर्वधारणा/पूर्वधारणाएँ वैध है/हैं ? 
(क) केवल 1 और 2
(ख) केवल 3
(ग) केवल 2 और 3  
(घ) 1, 2 और 3
उत्तर. 
(ग)
उपाय:
परिच्छेद  में यह स्पष्टतः उल्लेखित है कि अधिकतर देश जलवायु परिवर्तन को एक खतरे के रूप में देखते हैं। इसलिए सभी के लिए यह एक जटिल नीतिगत तथा विकास का मुददा है। अतः पूर्वधारणा (1) वैध नहीं है परंतु पूर्वधारणा (2) है। पूर्वधारणा (3) को परिच्छेद से प्राप्त किया जा सकता है, अतः सही विकल्प (ग) है।

परिच्छेद-2

भारत में जैव मात्रा तथा कोयले से खाना पकाना स्वास्थ्य समस्याओं के प्रमुख कारक के रूप में स्वीकतृ है तथा निर्धन जनसमुदाय की स्त्रियाँ तथा बच्चे सर्वाधिक जोखिम का सामना करते हैं। प्रति वर्ष इन घरों में 10 लाख से अधिक असामयिक मृत्यु घरेलू वायु प्रदुषण, जो कि खाना बनाने में प्रयुक्त प्रदूषक ईंधन के कारण होती है तथा ऐसे ईंधन से देश में बाह्य वायु प्रदुषण के चलते 1.5 लाख अन्य मृत्यु होती हैं। यद्यपि स्वच्छ खाना बनाने के ईंधन, जैसे कि एल.पीजी., प्राकृतिक गैस तथा बिजली, का उपयोग करने वाले भारतीय जनसमुदाय का हिस्सा धीरे-धीरे बढ़ रहा है, प्रदूषक ठोस ईंधन को प्रमुख खाना बनाने वाले ईंधन के रूप में उपयोग में लाने वाली संख्या लगभग 30 वर्षों से 70 करोड़ पर स्थिर है।
प्रश्न.47. उपर्युक्त परिच्छेद के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा सर्वाधिक निर्णायक और तार्किक निष्कर्ष (इंफेरेंस) निकाला जा सकता है?    (2018)
(क) ग्रामीण जन, स्वास्थ्य खतरों के प्रति बढ़ती जागरूकता के कारण प्रदूषक ठोस ईंधन के उपयोग को त्याग रहे है।
(ख) भारत में घर के अंदर के वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान खाना बनाने के स्वच्छ ईंधन के उपयोग को आर्थिक सहायता देकर किया जा सकता है।
(ग) भारत को प्राकृतिक गैस के आयात को बढ़ाना चाहिए तथा अधिक बिजली उत्पादन करना चाहिए।
(घ) निर्धन घरों में खाना बनाने की गैस तक उनकी पहुँच बनाकर असामयिक मृत्यु को कम किया जा सकता है।
उत्तर.
(घ)
उपाय: परिच्छेद में इस तथ्य का उल्लेख है कि निर्धन लोग घरेलू वायु प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य के खतराें का सामना करते है। इसके परिणाम स्वरूप प्रत्येक वर्ष 10 लाख से ज्यादा मृत्यु होती है। अतः यह कहना प्रांसगिक होगा कि निर्धन परिवाराे तक रसोई गैस की उपलब्ध्ता सुनिश्चित करके असामायिक मृत्यु काे कम किया जा सकता है।


परिच्छेद-3

वैज्ञानिक ज्ञान के अपने संकट हैं लेकिन सभी बड़ी चीजों के साथ ऐसा ही है। उन संकटों के परे, जिनके द्वारा यह ज्ञान वर्तमान को डराता है, एक सम्भावित सुखी विश्व, जो कि गरीबी-रहित है, युद्ध-रहित है, रोगमुक्त है, का भविष्य निरूपण (विजन) करता है, जो और किसी से नहीं हो सकता। विज्ञान के चाहे कोई भी अप्रिय परिणाम हो सकते हो, वह अपनी विशेष प्रकृति में मुक्तिदाता है।
प्रश्न.48. निम्नलिखित में से कौन-सा एक इस परिच्छेद का सबसे महत्वपूर्ण निहितार्थ है?   (2018)
(क) सुखी विश्व विज्ञान का स्वप्न है।
(ख) विज्ञान ही एक सुखी विश्व का निर्माण कर सकता है लेकिन यह अकेला बड़ा संकट भी है।
(ग) विज्ञान के बिना सुखी विश्व संभव नहीं है।
(घ) सुखी विश्व का होना बिलकुल संभव नहीं है, विज्ञान हो या न हो।
उत्तर. 
(ग)
उपाय: परिच्छेद की द्वितीय पंक्ति मे इस तथ्य का स्पष्ट उल्लेख है।


परिच्छेद-4

आर्कटिक के जीवाश्म ईंधन, मत्स्य और खनिजों के विपुल भण्डार अब वर्ष में कहीं अधिक लम्बे समय तक सुलभ हैं। लेकिन अंटार्कटिका, जो कि शीत युद्ध (कोल्ड वार) के दौरान हुई अंटार्कटिक संधि के कारण शोषण से संरक्षित है और किसी भी देश द्वारा किए जाने वाले राज्यक्षेत्रीय दावों के अंतर्गत नहीं आता, इसके विपरीत आर्कटिक को उद्योगीकरण से सुरक्षित रखने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था नहीं है, विशेषकर उस समय जब विश्व अधिक से अधिक संसाधनों के लिए लालायित है। हिम-मुक्त ग्रीष्म की सुस्पष्ट संभावना ने आर्कटिक तट वाले देशों को पिघलते सागर के बड़े खण्डों की छीना-झपटी के लिए उत्साहित किया है।
प्रश्न.49. निम्नलिखित में से कौन-सा एक इस परिच्छेद का सबसे महत्वपूर्ण निहितार्थ है?   (2018)
(क) भारत आर्कटिक प्रदेश में राज्यक्षेत्रीय दावे कर सकता है और उसके संसाधनों तक इसकी मुक्त पहुँच हो सकती है।
(ख) आर्कटिक में ग्रीष्म हिम का पिघलना भू-राजनीति में परिवर्तनों का कारण बनता है।
(ग) आर्कटिक क्षेत्र भविष्य में विश्व के संसाधनों की कमी की भारी समस्या को सुलझाएगा।
(घ) आर्कटिक क्षेत्र में अंटार्कटिका से अधिक संसाधन है।
उत्तर.
(ख)
उपाय: परिच्छेद के अंतिम पंक्ति मे यह उल्लेखित है कि हिम मुक्त ग्रीष्म की सुस्पष्ट संभावना ने आर्कटिक तट वाले देशो काे पिघलते सागर के बड़े खण्डाे की छीना झपटी के लिए उत्साहित किया है।


परिच्छेद-5

डब्ल्यू.टी.ओ. का सदस्य होने के कारण भारत उन समझौतों से बँधा हुआ है जिन पर भारत समेत इसके सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं एवं अनुसमर्थन किया है। समझा जाता है कि कृषि समझौते के अनुच्छेद 6 के अनुसार कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य उपलब्ध कराने से विकृति आएगी और इसे सीमाओं के अधीन रखा गया है। ‘न्यूनतम समर्थनों’ से उत्पन्न आर्थिक सहायता विकासशील देशों के लिए कृषि उत्पादन के मूल्य के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती। भारत में पी.डी.एस. के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और खाद्यान्न का सार्वजनिक स्टाॅकहोल्डिंग आवश्यक है। यह संभव है कि कुछ वर्षों में उत्पादकों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता कृषि उत्पादन के मूल्य के 10 प्रतिशत से अधिक बढ़ जाए।
प्रश्न.50. उपर्युक्त परिच्छेद क्या निर्णायक संदेश देता है?   (2018)
(क) भारत को अपने पी.डी.एस. को संशोधित करना चाहिए।
(ख) भारत को डब्ल्यू.टी.ओ. का सदस्य नहीं होना चाहिए।
(ग) भारत के लिए, खाद्य सुरक्षा व्यापार के साथ टकराव उत्पन्न करती है।
(घ) भारत अपने गरीबों को खाद्य सुरक्षा देता है।
उत्तर.
(क)
उपाय: परिच्छेद का निर्णायक संदेश यह है कि भारत के लिए खादय् सुरक्षा, व्यापार के साथ टकराव उत्पन्न करती है। परंतु डब्ल्यू.टी.ओ. का सदस्य होने के नाते, इसे अपने पी.डी.एस. काे संशोधित करना चाहिए। विकल्प (ख) सही नहीं है।


परिच्छेद-6

भारत की शिक्षा प्रणाली उस व्यापक शिक्षा प्रणाली के नमूने पर बनी है जो यूरोप में 19वीं शताब्दी में विकसित हुई और बाद में विश्व में फैल गई। इस व्यवस्था का उद्देश्य है कि बच्चों को ‘अच्छे’ नागरिक और उत्पादक श्रमिक के रूप में अनुकूलित किया जाए। यह व्यवस्था औद्योगिक युग के लिए उपयुक्त थी जिसमें सीमित क्षमता वाले अनुपालनकर्ता श्रमिकों की लगातार पूर्ति की माँग थी। हमारे शिक्षण संस्थान ऐसे कारखानों की तरह हैं जिनमें घंटियाँ होती हैं, वर्दियाँ होती हैं और शिक्षार्थियों के जत्थे तैयार किए जाते हैं, ऐसे शिक्षार्थी जो अनुपालन के लिए ही बनाए जा रहे हैं। किन्तु, आर्थिक दृष्टिकोण से वर्तमान वातावरण पूर्णतः भिन्न है। यह एक जटिल, अस्थिर एवं भूमंडलीय रूप से अंतः संबंधित संसार है।
प्रश्न.51. उपर्युक्त परिच्छेद के संदर्भ में, निम्नलिखित पूर्वधारणाएँ बनाई गई है:   (2018)
(1) भारत अपनी त्रुटिपूर्ण शिक्षा प्रणाली के कारण तत्त्वतः विकासशील देश बना हुआ है।
(2) आज के शिक्षार्थियों के लिए नए युग के कौशल-समूह प्राप्त करना आवश्यक है।
(3) काफी संख्या में भारतीय शिक्षा प्राप्त करने के लिए कुछ विकसित देशों में जाते है क्योंकि वहाँ की शिक्षा प्रणालियाँ उन समाजों कर पूर्ण प्रतिबिम्ब है जिनमें वे कार्य करती हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सी पूर्वधारणा/पूर्वधारणाएँ वैध है/हैं?
(क) केवल 1 और 3
(ख) केवल 2
(ग) केवल 2 और 3
(घ) 1, 2 और 3
उत्तर.
(ख)
उपाय: परिच्छेद के अंतिम कुछ पंक्तियाे के अनुसार, आज की शिक्षण प्रणाली बहुत ही भिन्न है अर्थात यह जटिल, परिवर्तनशील तथा वैश्विक रूप से आपस में जुड़ी हुई है। ऐसी स्थिति का मुकाबला करने के लिए आज के शिक्षार्थियों काे नए युग के कौशल सेट को प्राप्त करने की आवश्यकता है। पूर्वधारणा (1) तथा (3) को परिच्छेद से प्राप्त नहीं किया जा सकता है।


परिच्छेद-7

आहार-नियंत्रण (डाइटिंग) का प्रचलन महामारी बन चुका है हर कोई एक श्रेष्ठ शरीर प्राप्त करने के तरीके की तलाश में है। हम सभी संजातीयता, आनुवंशिकी, पारिवारिक इतिहास, लिंग, आयु, शारीरिक और मानसिक तथा आध्यात्मिक स्वास्थ्य स्थिति, जीवनशैली एवं वरीयता के संदर्भ में भिन्न हैं। इस कारण से हम किस आहार को सहन कर सकते है या किस आहार के प्रति संवेदनशील हैं, इस मामले में भी भिन्न हैं। अतः हम वास्तव में अनेक जटिलताओं में कमी एक आहार या आहार-पुस्तिका में नहीं ला सकते। यह विश्वभर में मोटापे पर नियंत्रण रखने में आहारों (डाइट) की विफलता को स्पष्ट करता है। जब तक वजन बढऩे के कारणों को भली-भाँति समझा नहीं जाएगा और उन्हें दूर नहीं किया जाएगा और जब तक आदतों को स्थायी तौर पर बदला नहीं जाएगा, कोई भी आहार शायद सफल नहीं होगा।
प्रश्न.52. उपर्युक्त परिच्छेद से कौन-सा सर्वाधिक तार्किक और तर्कसंगत निष्कर्ष (इंफेरेस) निकाला जा सकता है?   (2018)
(क) मोटापा विश्वभर में एक महामारी बन गया है।
(ख) बहुत-से लोग श्रेष्ठ शरीर प्राप्त करने की धुन में लगे है।
(ग) मोटापा तत्त्वतः एक असाध्य रोग है।
(घ) मोटापे के लिए कोई पूर्ण आहार अथवा एक समाधान नहीं है।
उत्तर.
(घ)
उपाय: परिच्छेद से यह स्पष्ट है कि प्रत्येक व्यक्ति मे भिन्नता होती है तथा हम इतनी जटिलताओं मे कमी लाकर इसे एक आहार तालिका का रूप नहीं दे सकते है। अतः इसका कोई पूर्ण समाधान नहीं है। विकल्प (क), (ख) तथा (ग) से केवल एक पहलु की जानकारी मिलती है। विकल्प (घ) तार्किक निष्कर्ष  काे व्यक्त करता है।


परिच्छेद-8

एकधान्य कृषि करने में बड़े जोखिम हैं। कोई एकमात्र रोग या पीड़क विश्वभर के खाद्य उत्पादन की कतारों का समूल नाश कर सकता है,
एक भयप्रद संभावना यह है कि इसकी बढ़ती हुई और अपेक्षाकृत धनाढ्य जनसंख्या 2050 तक 70% और अधिक खाद्य का उपभोग करेगी। परिवर्तित होती जलवायु से ये जोखिम आरै अधिक बढ़ गए हैं। जैसे-जैसे ग्रह गर्म होगा और मानसून वर्षा में तीव्रता आएगी, एशिया की कृषि भूमियाँ बाढ़ग्रस्त हो जाएँगी। उत्तरी अमेरिका को अधिक गहन सूखे का सामना करना होगा और फसल के रोग नए परिमाणों तक विस्तारित हो जाएँगे

प्रश्न.53. निम्नलिखित में से कौन-सा सर्वाधिक तार्किक, तर्कसंगत और निर्णायक संदेश इस परिच्छेद द्वारा दिया गया है?  (2018)
(क) फसल आनुवंशिक विविधता को सुरक्षित रखना जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के विरूद्ध बीमा है।
(ख) बहुत अधिक जोखिम होने के बावजूद, विश्व में खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने का एकमात्र उपाय एकधान्य कृषि ही है।
(ग) अधिक से अधिक आनुवंशिक तौर पर रूपांतरित फसलें ही केवल सन्निकट खाद्य कमी से विश्व की रक्षा कर सकती हैं।
(घ) जलवायु परिवर्तन और तद्जनित खाद्य की कमी से एशिया और उत्तरी अमेरिका सबसे बुरी तरह आक्रांत होंगे।
उत्तर(क)
उपाय.
चूकिं फसल आनुवांशिक विविधता से विभिन्न प्रकार की फसलों का विकास होता है जो वर्षा तथा तापमान के ऋतुगत विविधता पर आधारित होती हैं। इसके साथ ही साथ ये प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़ तथा चक्रवातों के प्रति संवेदनशील होती हैं। अतः फसल आनुवंशिक विविधता को सुरक्षित रखना जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के विरुद्ध बीमा है। परिच्छेद के प्रथम वाक्य से स्पष्ट है कि एकधान्य कृषि में खतरा है। अतः विकल्प (क) सही है।

निम्नलिखित 3 (तीन) प्रश्नांशों के लिए निर्देशः
नीचे दिए गए दो परिच्छेदों को पढ़िए और परिच्छेदों के नीचे आने वाले प्रश्नांशों के उत्तर दीजिए। इन प्रश्नांशों के आपके उत्तर केवल इन परिच्छेदों पर ही आधारित होने चाहिए। [2018]


परिच्छेद-1

सस्ते और प्रचुर मांस की तलाश के परिणामस्वरूप फैक्टरी फार्म बनाए गए हैं जहाँ अधिक से अधिक पशुओं को क्रूर और शोचनीय दशाओं में छोटी-छोटी ढेरियों में ठूँसा जाता है। इस प्रकार के प्रचलनों के परिणामस्वरूप विश्व की अनेक स्वास्थ्य संबंधी देशांतरगामी महामारियाँ उठ खड़ी हुई हैं, जैसे कि एवियन फ्लू। विश्वभर में पशुधन का पालन लगातार बढ़ती हुई क्रूर और तंग दशाओं में किया जा रहा है, जहाँ पशु अपना लघु जीवन कृत्रिम प्रकाश, प्रतिजैविकों और वृद्धि हाॅर्मोनों के ठसाठस इस्तेमाल के बीच वध होने के दिन तक व्यतीत करते हैं। मांस उत्पादन जल की अत्यधिक खपत माँगता है। मांस के प्रत्येक किलोग्राम के लिए 15000 लीटर जल की आवश्यकता होती है जबकि 1 किलोग्राम धान के लिए 3400 लीटर, 1 किलोग्राम अंडों के लिए 3300 लीटर और 1 किलोग्राम आलू के लिए 255 लीटर जल की आवश्यकता होती है।
प्रश्न.54. इस परिच्छेद द्वारा दिया गया सर्वाधिक तर्कसंगत और निर्णायक संदेश कौन-सा है?  (2018)
(क) औद्योगिक पशुपालन (इंडस्ट्रियल फार्मिंग) से बड़े पैमाने पर मांस का उत्पादन करना सस्ता होता है और यह गरीब देशों को प्रोटीन पोषण प्रदान करने के लिए उपयुक्त है।
(ख) मांस उत्पादन उद्योग पशुओं के प्रति क्रूरता के विरुद्ध कानूनों का उल्लंघन करता है।
(ग) औद्योगिक पशुपालन के द्वारा बड़े पैमाने पर मांस उत्पादन अवांछनीय है और इसको तुरंत रोक देना चाहिए।
(घ) मांस उत्पादन की पर्यावरणीय लागत अधारणीय होती है जब इसका उत्पादन औद्योगिक पशुपालन से किया जाता है।
उत्तर. (घ)
उपाय.
परिच्छेद के अंतिम कुछ पंक्तियों से स्पष्ट है कि फैक्टरी फार्म के जरिए मांस उत्पादन में बहुत ही अधिक मात्रा में जल की खपत होती है। एक किग्रा मांस के उत्पादन में लगभग 15000 ली. जल की आवश्यकता होती है। हम इस तथ्य से अवगत हैं कि पूरे विश्व में बहुत से लोग पेय जल तथा घरेलू कार्यों हेतु जल के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अतः फार्म में मासं उत्पादन के लिए इतनी बडी़ मात्रा में जल का अपव्यय नहीं कर सकते हैं। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि मांस उत्पादन की पर्यावरणीय लागत अधारणीय होती है जब इसका उत्पादन औद्योगिक पशुपालन से किया जाता है।


परिच्छेद-2

एक नर बाघ को पेंच बाघ अभयारण्य (टाइगर रिज़र्व) से हटाकर पन्ना राष्ट्रीय पार्क में ले जाकर रखा गया। बाद में, इस बाघ ने अपने घर की ओर 250 मील लंबी दूरी तय की। इस अकेले बाघ की यह यात्रा एक संकट पर प्रकाश डालती है। कई वन्य जीव अभयारण्य मानवता के विशाल सागर के बीच भंगुर आवास के द्वीपों के रूप में विद्यमान हैं। फिर भी कोई बाघ शिकार, जोड़े और अपने क्षेत्र की तलाश में सौ मील के परास में घूम सकता है। भारत के लगभग एक-तिहाई बाघ, बाघ अभयारण्यों के बाहर रहते हैं। यह स्थिति मानव और पशु दोनों के लिए ही संकटपूर्ण है। बाघ और उसके शिकार तभी अलग रह सकते हैं यदि अभयारण्यों के बीच भूमि के मान्य गलियारे हों, ताकि वे बिना छेड़छाड़ के आ-जा सकें। 
प्रश्न.55. इस परिच्छेद द्वारा दिया गया सर्वाधिक तर्कसंगत और निर्णायक संदेश निम्नलिखित में से कौ-सा है? (2018)
(क) मनुष्य और वन्य जीव के बीच संघर्ष को सुलझाया नहीं जा सकता, चाहे हम जो भी प्रयत्न करें।
(ख) संरक्षित क्षेत्रों के बीच सुरक्षित वन्य जीव गलियारे, संरक्षण के प्रयत्नों का आवश्यक पहलू है।
(ग) भारत के लिए आवश्यक है कि वह और अधिक संरक्षित क्षेत्रों की घोषणा करे तथा और अधिक बाघ अभयारण्यों की स्थापना करे।
(घ) भारत के राष्ट्रीय पार्कों और बाघ अभयारण्यों का व्यावसायिक (प्रोफेशनल) प्रबंधन होना चाहिए।
उत्तर.  
(ख)
उपाय.

परिच्छेद के अंतिम पंक्ति में यह स्पष्टतः उल्लेखित है।

प्रश्न.56. उपर्युक्त परिच्छेद के संदर्भ में, निम्नलिखित पूर्वधारणाएँ बनाई गई हैंः  (2018)
1. एक संरक्षित क्षेत्र से दूसरे संरक्षित क्षेत्र में स्थान परिवर्तन हुए वन्य जीव के संरक्षण करने की रणनीति प्रायः सफल नहीं होती है।
2. भारत में बाघों की सुरक्षा के लिए उपयुक्त कानून नहीं हैं और इसके संरक्षण के प्रयास असफल हो गए हैं जिसके कारण बाघ संरक्षित क्षेत्रों से बाहर रहने पर बाध्य हैं।
उपर्युक्त में से कौन-सी पूर्वधारणा/पूर्वधारणाएँ वैध है/हैं?
(क) केवल 1
(ख) केवल 2
(ग) 1 और 2 दोनों
(घ) न तो 1 और न ही 2
उत्तर. 
(क)
उपाय.

परिच्छेद में यह उल्लेखित है कि किस प्रकार एक नर बाघ को दूसरे अभयारण्य से पन्ना राष्ट्रीय पार्क में रखा गया जो पनु: अपने घर की ओर 250 मील की दूरी तय की। भारत के लगभग एक तिहाई बाघ अपने अभयारण्यों से दूर रहते हैं। इस बात से यह पता चलता है कि यद्यपि वन्य जीव संरक्षण हेतु कई कदम उठाए गए हैं जिसमें जीवों का पुनवार्स भी शामिल हैं, फिर भी इन्हें पूर्णतया सफल नहीं कहा जा सकता है।

निम्नलिखित 8 (आठ) प्रश्नांशों के लिए निर्देशः
निम्नलिखित आठ परिच्छेदों को पढ़िए और उनके नीचे आने वाले प्रश्नांशों के उत्तर दीजिए। इन प्रश्नांशों के लिए आपके उत्तर केवल इन परिच्छेदों पर ही आधारित होने चाहिए।   (2017)

परिच्छेद- 1

जलवायु परिवर्तन में एक चीज़ जो अकाट्य रूप से होती है, वह ऐसी घटनाओं का घटित होना या बढ़ना है जिनसे संसाधनों के कम होते जाने में और तेजी आती है। इन घटते जाते संसाधनों के ऊपर होने वाली प्रतिस्पर्धा के परिणामस्वरूप राजनीतिक या और भी हिंसक संघर्ष सामने आता है। संसाधन - आधारित संघर्ष शायद ही कभी खुलेआम हुए हैं, इसलिए उन्हें विलग रूप में देखना कठिन होता है। इसके बजाय वे ऊपरी परतें ओढ़कर राजनीतिक रूप से कही अधिक स्वीकार्य रूप में सामने आते हैं। जल- जैसे संसाधनों के ऊपर होने वाले संघर्ष प्रायः पहचान या विचारधारा के वेश का लबादा ओढ़े रहते हैं। 
प्रश्न.57. उपर्युक्त परिच्छेद का निहितार्थ क्या है?  (2017)
(क) संसाधन-आधारित संघर्ष सदैव राजनीतिक रूप से प्रेरित होते हैं।
(ख) पर्यावरणीय और संसाधन-आधारित संघर्षों के समाधान के लिए कोई राजनीतिक हल नहीं होते।
(ग) पर्यावरणीय मुद्दे संसाधनों पर दबाव बनाए रखने आरै राजनीतिक संघर्ष में योगदान करते हैं।
(घ) पहचान अथवा विचारधारा पर आधारित राजनीतिक संघर्ष का समाधान नहीं हो सकता।
उत्तर. (ग)
उपाय.
परिच्छेद पारितोषिक संसाधन तनाव और राजनीतिक संघर्ष में योगदान देने वाले पर्यावरणीय मुद्दों को स्पष्ट करता हे।


परिच्छेद-2

जो व्यक्ति निरंतर इस हिचकिचाहट में रहता है कि दो चीज़ों में से किसे पहले करें, वह दोनों में से कोई भी नहीं करेगा। जो व्यक्ति संकल्प करता है, लेकिन उसकी काट में किसी मित्र द्वारा दिए गए पहले सुझाव पर ही अपने संकल्प को बदल देता है- जो कभी एक राय कभी दूसरी राय के बीच आगा-पीछा करता है और एक योजना से दूसरी योजना तक रूख बदलता रहता है- वह किसी भी चीज़ को कभी पूरा नही कर सकता। ज्यादा से ज्यादा वह बम ठहरा रहेगा, और संभवतः सभी चीजों में पीछे हटता रहेगा। जो व्यक्ति पहले विवेक पूर्वक परामर्श करता है, फिर दृढ़ संकल्प करता है, और कमजोर को भयभीत करने वाली तुच्छ कठिनाइयों से निर्भीक बने रहकर अटल दृढ़ता से अपने उद्देश्यों को पूरा करता है- केवल वही व्यक्ति किसी भी दिशा में उत्कर्ष की ओर आगे बढ़ सकता है।  
प्रश्न.58. इस परिच्छेद से निकलने वाला मूलभाव क्या है? (2017)
(क) हमें पहले विवेकपूर्वक परामर्श करना चाहिए, फिर दृढ़ संकल्प करना चाहिए
(ख) हमें मित्रों के सुझावों को नकार देना चाहिए और बिना बदले अपनी राय पर कायम रहना चाहिए
(ग) हमें विचारों में सदैव उदार होना चाहिए
(घ) हमें सदैव कृतसंकल्प और उपलब्धि-अभिमुख होना चाहिए
उत्तर. (क)
उपाय.
परिच्छेद का सार है कि पहले विवेकपूर्ण परामर्श करे फिर, दृढ़तापूर्वक हल करें।


परिच्छेद-3

आर्कटिक महासागर में ग्रीष्म ऋतु के दौरान बर्फ अपेक्षाकृत अधिक पहले और तेजी से पिघल रही है, और शीत ऋतु की बर्फ के बनने में अधिक देरी लग रही है। पिछले तीन दशकों में, ग्रीष्म ऋतु की बर्फ का परिमाण लगभग 30 प्रतिशत तक घट गया है। ग्रीष्म-गलन की अवधि के लंबे हो जाने से संपूर्ण आर्कटिक खाद्यजाल के, जिसमें ध्रुवीय भालू शीर्ष पर है, छिन्न-भिन्न हो जाने का संकट सामने आ गया है।   (2017)
प्रश्न.59. उपर्युक्त परिच्छेद से, निम्नलिखित में से कौन-सा सर्वाधिक निर्णायक संदेश व्यक्त होता है?
(क) जलवायु परिवर्तन के कारण, आर्कटिक ग्रीष्म ऋतु अल्पावधि की परंतु उच्च तापमान वाली हो गई है।
(ख) ध्रुवीय भालुओं की उत्तरजीविता को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें दक्षिणी ध्रुव में स्थानांतरित किया जा सकता है।
(ग) ध्रुवीय भालुओं के न होने से आर्कटिक क्षेत्र की खाद्य- श्रृंखलाएँ लुप्त हो जाएंगी।
(घ) जलवायु परिवर्तन से ध्रुवीय भालुओं की उत्तरजीविता के लिए संकट उत्पन्न हो गया है।
उत्तर. (घ)
उपाय.
परिच्छेद का महत्वपूर्ण संदेश है कि ‘जलवायु परिवर्तन ध्रुवीय भालू के अस्तित्व के लिए संकट उत्पन्न कर रही है।


परिच्छेद-4

लोग क्यों खुले में शौच जाना ज्यादा पसंद करते हैं और शौचालय रखना नहीं चाहते, या जिनके पास शौचालय है वे उसका उपयोग कभी-कभी ही करते हैं? हाल के अनुसंधान दो खास बातें सामने आई हैंः शुद्धता और प्रदूषण के विचार, और न चाहना कि गढ्ड़े या सेप्टिक टैंक भरे, क्योंकि उन्हें खाली करना होता है। ये वे मुद्दे है जिन पर कोई बात नही करना चाहता, लेकिन यदि हम खुले में शौच की प्रथा का उन्मूलन करना चाहते हैं, तो इन मुद्दों का सामना करना होगा और इनमें समुचित तरीके से निपटना होगा।   (2017)
प्रश्न.60. उपर्युक्त परिच्छेद से, निम्नलिखित मे सें कौन-सा सर्वाधिक निर्णायक संदेश व्यक्त होता है?
(क) शुद्धता और प्रदूषण के विचार इतने गहरे समाये हैं कि उन्हें लोगों के दिमाग से हटाया नहीं जा सकता।
(ख) लोगों को समझना होगा कि शौचालय का उपयोग और गड्ढो का खाली किया जाना शुद्धता की बात है न कि अशुद्धता की।
(ग) लोग अपनी पुरानी आदतों को बदल नहीं सकते।
(घ) लोगों में न तो नागरिक बोध है और न ही एकांतता (प्राइवेसी) का बोध है।
उत्तर. (ख)
उपाय.
लोगों को समझना होगा कि शौचालय का प्रयोग और गड़ढे खाली करना स्वच्छता का एक हिस्सा है।


परिच्छेद-5

पिछले दो दशकों में, विश्व के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि समावेशी संपदा मात्र 6 प्रतिशत बढ़ी है। हाल के दशकों में, GDP-संचालित आर्थिक निष्पादन ने मानव पूँजी जैसी समावेशी संपदा को और जंगल, जमीन एवं जल जैसी प्राकृतिक संपदा को केवल क्षति ही पहुँचाई है। पिछले दो दशकों में, विश्व की मानव पूँजी, जो कल समावेशी संपदा का 57 प्रतिशत है, केवल 8 प्रतिशत ही बढ़ी, जबकि प्राकृतिक संपदा में, जो कुल समावेशी संपदा का 23 प्रतिशत है, विश्वस्तर पर 30 प्रतिशत की गिरावट आई।  (2017)
प्रश्न.61. निम्नलिखित में से कौन-सा उपर्युक्त परिच्छेद का सर्वाधिक निणार्य क निष्कर्ष (इन्फरेंस) है?
(क) प्राकृतिक संपदा के विकास पर और अधिक बल दिया जाना चाहिए।
(ख) केवल GDP-संचालित संवृद्धि न तो वांछनीय है, न ही धारणीय है।
(ग) विश्व के देशों का आर्थिक निष्पादन संतोषजनक नहीं है।
(घ) वर्तमान परिस्थितियों में विश्व को और अधिक मानव पूँजी की आवश्यकता है।
उत्तर. (ख)
उपाय.
बताता है कि जीडीपी के द्वारा की गयी वृद्धी न तो वांछनीय है ना ही धारणीय।


परिच्छेद-6

2020 तक, वैश्विक अर्थव्यवस्था में 5.6 करोड़ (56 मिलियन) युवाओं की कमी होने की आशंका है तब भारत अपने 4.7 करोड़ (47 मिलियन) अधिेशेष युवाओं से इस कमी को पूरा कर सकता है। भारत में दो अंकों में विकास निर्मुक्त करने के एक मार्ग के रूप में श्रम सुधारों को इसी संदर्भ में प्रायः उद्धृत किया जाता है। 2014 में, भारत का श्रमबल जनसंख्या का लगभग 40 प्रतिशत होने का आकलन था, लेकिन इस बल का 93 प्रतिशत असंगठित क्षेत्र में था। विगत पूरे दशक में रोजगार की चक्रवृद्धि वार्षिक संवृद्धि दर कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) 0.5 प्रतिशत तक मंद को चुकी थी, जहाँ पिछले वर्ष के दौरान लगभग 1.4 करोड़ (14 मिलियन) नौकरियाँ सृजित हुई जबकि श्रमबल में लगभग 1.5 करोड़ (15 मिलियन) की वृद्धि हुई।    (2017)
प्रश्न.62. निम्नलिखित में से कौन-सा उपर्युक्त परिच्छेद का सर्वाधिक तार्किक निष्कर्ष (इन्फरेंस) है?
(क) भारत को अपनी जनसंख्या वृद्धि पर अवश्य ही नियंत्रण करना चाहिए, ताकि इसकी बेरोजगारी दर कम हो सके।
(ख) भारत के विशाल श्रमबल का उत्पादन रूप से दृष्टतम उपयोग करने के लिए भारत में श्रम सुधारों की आवश्यकता है।
(ग) भारत अतिशीघ्र दो अंकों का विकास प्राप्त करने की और अग्रसर है।
(घ) भारत अन्य देशों को कौशल-प्राप्त युवाओं की पूर्ति करने में सक्षम है।
उत्तर. (ख)
उपाय.
परिच्छेद प्रमाणित करता है कि भारत में श्रम बल के अधिकतम उत्पाद क्षमता के प्रयोग के लिए श्रम-सुधारों की आवश्यकता है।


परिच्छेद-7

सबसे पहला पाठ, जो हमें तब पढ़ाया जाना चाहिए जब हम उसे समझने के लिए पर्याप्त बड़े हो चुके हों, यह है कि कार्य करने की बाध्यता से पूरी स्वतंत्रता अप्राकृतिक है, और इसे गैर-कानूनी होना चाहिए, क्योंकि हम कार्य-भार के अपने हिस्से से केवल तभी बच सकते हैं, जब हम इसे किसी दूसरे के कंधों पर डाल दें। प्रकृति ने यह विधान किया है कि मानव प्रजाति, यदि कार्य करना बंद कर दे, तो भुखमरी से नष्ट हो जाएगी। हम इस निरंकुशता से बच नही सकते है। हमें इस प्रश्न को सुलझाना पड़ेगा कि हम अपने-आपको कितना अवकाश देने में समर्थ हो सकते हैं।    (2017)
प्रश्न.63. उपर्युक्त परिच्छेद का यह मुख्य विचार है कि
(क) मनुष्यों के लिए यह आवश्यक है कि वे काम करें
(ख) कार्य एवं अवकाश के मध्य संतुलन होना चाहिए
(ग) कार्य करना एक निरंकुशता है जिसका हमें सामना करना ही पड़ता है
(घ) मनुष्य के लिए कार्य की प्रकृति को समझना आवश्यक है
उत्तर. (ख)
उपाय.
परिच्छेद का मुख्य बिंदु है कि कार्य और अवकाश के बीच संतुलन होना चाहिए।


परिच्छेद-8

आदतों का पालन करने में कोई हानि नहीं है, जब तक कि वे आदतें हारिकारक न हो। वास्तव में हममें से अधिकांश लोग, आदतों के पुलिंदे से शायद कुछ अधिक ही व्यवस्थित होते हैं। हम अपनी आदतों से मुक्त हो जायें तो जो बचेगा उस पर शायद ही कोई ध्यान देना चाहे। हम इनके बिना नहीं चल सकते। वे जीवन की प्रक्रिया को सरल बनाती हैं इनसे हम बहुत-सी चीजें अपने-आप करने में समर्थ हातेे हैं, जिन्हें, यदि हम हर बार नया और मौलिक विचार देकर करना चाहें, तो अस्तित्व एक संभव उलझन बन जाए।     (2017)
प्रश्न.64. लेखक का सुझाव है कि आदतें
(क) हमारे जीवन को कठिन बनाती है
(ख) हमारे जीवन में सटीकता लाती है
(ग) हमारे लिए जीना आसान करती है।
(घ) हमारे जीवन को मशीन बनाती है।
उत्तर. (ग)
उपाय. 
परिच्छेद में, लेखक अभिव्यक्त करता है कि आदतें हमारे लिए जीना आसान करती है।

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