UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi  >  आर्थिक संवृद्धि और विकास

आर्थिक संवृद्धि और विकास | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

आर्थिक संवृद्धि (Economic growth)

  • आर्थिक समृद्धि से अभिप्राय निश्चित समय अवधि में किसी अर्थव्यवस्था में होने वाली वास्तविक आय में वृद्धि से है |
  • सामान्यतः यदि सकल राष्ट्रीय उत्पाद, सकल घरेलू उत्पाद तथा प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है तो हम कह सकते हैं कि आर्थिक समृद्धि हो रही है |
  • 70 के दशक में आर्थिक समृद्धि को तथा आर्थिक विकास को एक ही माना जाता था, लेकिन अब इसमें अंतर किया जाता है |
  • अब आर्थिक समृद्धि आर्थिक विकास के एक भाग के रूप में देखी जाती है साधन लागत पर व्यक्त वास्तविक घरेलू उत्पाद राष्ट्रीय उत्पाद तथा प्रति व्यक्ति आय को हम सामान्यतः आर्थिक समृद्धि की आय के रूप में स्वीकार करते हैं |

    आर्थिक संवृद्धि और विकास | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi

आर्थिक विकास 

(Economic Development)
  • आर्थिक विकास से तात्पर्य उस प्रक्रिया से है, जिसके परिणाम स्वरुप देश के समस्त उत्पादन साधनों का कुशलतापूर्वक विदोहन होता है |
  • इसमें राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय में निरंतर एवं दीर्घकालिक वृद्धि होती है तथा जनता के जीवन स्तर एवं सामान्य कल्याण का सूचकांक बढ़ता है अर्थात इस में आर्थिक एवं गैर आर्थिक दोनों चरों को शामिल किया जाता है |
    आर्थिक संवृद्धि और विकास | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi
  • आर्थिक चरणों में उपरोक्त वर्णित शामिल होते हैं तथा गैर आर्थिक आर्थिक चरों के अंतर्गत सामाजिक एवं सांस्कृतिक स्त्रोतों के गुणात्मक परिवर्तन शामिल होते हैं |
  • इस प्रकार आर्थिक संवृद्धि एक मात्रात्मक संकल्पना है, जबकि आर्थिक विकास एक गुणात्मक |
  • पहले का संबंध राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय की वृद्धि दर से जुड़ा है, जबकि दूसरे का संबंध राष्ट्रीय आय में मात्रात्मक वृद्धि के अलावा अर्थव्यवस्था के संरचनात्मक ढांचे में परिवर्तन से होता है |
  • अतः कहा जा सकता है कि आर्थिक विकास एक व्यापक संकल्पना या प्रक्रिया है जिस में सकल राष्ट्रीय उत्पाद में कृषि का हिस्सा लगातार गिरता जाता है |
  • जबकि उद्योगों, सेवाओं, व्यापार, बैंकिंग व निर्माण गतिविधियों का स्तर बढ़ता जाता है इस प्रक्रिया के दौरान श्रम शक्ति के व्यावसायिक ढांचे में भी परिवर्तन होता है और उसकी दक्षता एवं उत्पादन में भी वृद्धि होती है |

मानव विकास क्या है? (Human Development) 

मानव विकास की अवधारणा सबसे पहले पाकिस्तान के अर्थशास्त्री ‘महबूब-उल-हक’ (Mahboob-ul-haq) के द्वारा दी गई संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nation Development Programme – UNDP) के अनुसार 1990 से प्रत्येक वर्ष मानव विकास रिपोर्ट (Human DevelopmentReport-HDR) जारी की जाती है जो मानव विकास सूचकांक (human development index-HDI) पर आधारित होती है|


मानव विकास प्रतिमान (Paradigm) के चार अनिवार्य घटक

  1. औचित्य (Equity)- अवसरों तक पहुँच न्यायोचित होना चाहिए|
  2. धारणीयता (Sustainability)- देश के भीतर और विभिन्न देशों के बीच जीवन स्तर संबंधी विषमताओं पर ध्यान देना चाहिए|
  3. उत्पादकता (Productivity)- यह विकास का एक घटक मात्र है|
  4. सशक्तिकरण (Empowerment)- इसका अर्थ है कि लोग अपनी इच्छा से निर्णय ले सके|

मानव विकास सूचकांक (

Human Development Index)

1990 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने अपनी पहली Human Development Report में मानव विकास सूचकांक की संकल्पना प्रस्तुत की HDI मानव विकास का माप हैवह किसी भी देश की मानव विकास के संदर्भ में तीन मूलभूत आयामों/ सूचकों के क्षेत्र में उपलब्धियां की माप करता है|

आर्थिक संवृद्धि और विकास | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi

HDI तीन सूचकों पर आधारित है 

  1. प्रति व्यक्ति आय (per capita income) या एक अच्छा जीवन स्तर, जिसे क्रयशक्ति समाहित प्रतिव्यक्ति आय के जरिये मापा जाता है. (100-40,000 डॉलर)
  2. जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) या लंबा व स्वस्थ जीवन (जीवन प्रत्याशा: 25-85 वर्ष)
  3. शिक्षा विशेषकर महिला शिक्षा (Education Especially woman Education) या ज्ञान की उपलब्धि (साक्षरता दर: 0-100%)
  • प्रति व्यक्ति आय की गणना सभी देशों के लिए डॉलर में की जाती है.
  • HDR-2009 के अनुसार HDI के मूल्य के आधार पर देशों को चार समूहों में वर्गीकृत किया गया है.

I. निम्न देश-0-0.499
II. मध्य देश-0.500-0.799
III. उच्च देश-0.800-0.899
IV. बहुत उच्च देश – 0.900 से ऊपर

  • संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने वर्ष 2011 की मानव विकास रिपोर्ट जारी की है इस सूचना के 187 देशों की सूची में भारत का स्थान 134वां है.

सकल राष्ट्रीय खुशी (Gross National Happiness)

भूटान ने 1970 के दशक की शुरुआत में विकास की एक नई अवधारणा विकसित की है- सकल राष्ट्रीय खुशी (GNH)।

यूएनडीपी द्वारा प्रस्तावित मानव विकास के विचार को खारिज किए बिना, राज्य आधिकारिक तौर पर जीएचएन द्वारा निर्धारित लक्ष्यों का पालन कर रहा है। भूटान 1972 से जीएनएच का अनुसरण कर रहा है। जिसमें सुख/विकास प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित पैरामीटर हैं।

  • उच्च वास्तविक प्रति व्यक्ति आय।
  • सुशासन।
  • पर्यावरण संरक्षण।
  • सांस्कृतिक संवर्धन (अर्थात जीवन में नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों का समावेश जिसके बिना, प्रगति आशीर्वाद के बजाय अभिशाप बन सकती है)।

The document आर्थिक संवृद्धि और विकास | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi is a part of the UPSC Course भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi.
All you need of UPSC at this link: UPSC
245 videos|240 docs|115 tests

Top Courses for UPSC

FAQs on आर्थिक संवृद्धि और विकास - भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi

1. आर्थिक संवृद्धि और विकास में क्या अंतर है?
उत्तर: आर्थिक संवृद्धि एक देश की आर्थिक वृद्धि को दर्शाती है, जैसे कि वित्तीय मापदंडों में ब्रूटो नेशनल प्रोडक्ट (जीएनपी) या व्यक्तिगत आय के रूप में। वहीं, आर्थिक विकास एक ब्रोडर परिप्रेक्ष्य में देश की सामरिक, सामाजिक और मानव संपदाओं के साथ संबंधित होता है। इसमें आर्थिक वृद्धि के साथ-साथ समाजिक सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, जाति, लिंग और न्याय की व्यापकता का मूल्यांकन शामिल होता है।
2. मानव विकास सूचकांक क्या है और इसका महत्व क्या है?
उत्तर: मानव विकास सूचकांक (HDI) एक मापक है जो विभिन्न देशों के मानव विकास को मापता है। इसका उपयोग करके देशों को उनके विकास के स्तर की तुलना करने की अनुमति मिलती है। HDI को विभिन्न मापकों के साथ जैसे कि जीएनपी प्रति व्यक्ति, जीवनकाल, औसत शिक्षा और आयात और निर्यात की मात्रा का उपयोग करके गणना किया जाता है। यह देशों को उनके मानव संसाधनों के वित्तीय और सामाजिक स्तर का मुल्यांकन करने में मदद करता है।
3. सकल राष्ट्रीय खुशी क्या है और इसका महत्व क्या है?
उत्तर: सकल राष्ट्रीय खुशी (GNH) एक मापक है जो भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक सुख को मापता है और भारतीय देश भूतनाथ के प्रस्तावक राष्ट्रीय महकौशल के आधार पर विकसित किया गया है। इसमें समाजिक, आर्थिक, वातावरणिक और सामरिक परिप्रेक्ष्य से खुशी की माप की जाती है। GNH का महत्व यह है कि यह एक व्यापक परिप्रेक्ष्य में देश के विकास को मापता है और उसे सिर्फ आर्थिक मापकों के साथ सीमित नहीं करता है।
4. आर्थिक संवृद्धि और विकास के लिए आवश्यक क्या उपाय हैं?
उत्तर: आर्थिक संवृद्धि और विकास के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय शामिल हैं: 1. वित्तीय सुधार: निवेश, कर नीतियों का सुधार, और वित्तीय संरचना में सुधार करके आर्थिक संवृद्धि में सुधार किया जा सकता है। 2. शिक्षा और कौशल विकास: शिक्षा के माध्यम से सामाजिक और आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा मिलता है। 3. जनसंख्या नियंत्रण: अधिक जनसंख्या के बढ़ने से आर्थिक विकास पर दबाव पड़ता है, इसलिए जनसंख्या नियंत्रण को महत्व दिया जाना चाहिए। 4. वातावरण संरक्षण: वातावरण संरक्षण आर्थिक संवृद्धि के लिए आवश्यक है क्योंकि स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण में ही समृद्धि हो सकती है।
5. मानव विकास के लिए सरकार की क्या भूमिका होती है?
उत्तर: सरकार मानव विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वह नीतियो
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

video lectures

,

MCQs

,

ppt

,

Summary

,

practice quizzes

,

आर्थिक संवृद्धि और विकास | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi

,

Previous Year Questions with Solutions

,

shortcuts and tricks

,

आर्थिक संवृद्धि और विकास | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi

,

Extra Questions

,

study material

,

आर्थिक संवृद्धि और विकास | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi

,

Important questions

,

Semester Notes

,

pdf

,

past year papers

,

mock tests for examination

,

Objective type Questions

,

Sample Paper

,

Exam

,

Free

,

Viva Questions

;