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सारांश - सौहार्दं प्रकृतेः शोभा | Summary | संस्कृत कक्षा 10 (Sanskrit Class 10) PDF Download

आधुनिक युग में भौतिक सुखों में जकड़ा हुआ मानव अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए अन्यों का अहित और तिरस्कार करने से भी नहीं चूकता। स्वार्थपरक और दूसरों को हीन समझने वाले मनुष्य की सबसे श्रेष्ठ शिक्षिका प्रकृति ही है। समाज के उत्थान, विकास और सुरक्षा के हेतु हमें अपना स्वार्थ छोड़ना ही होगा।

सारांश - सौहार्दं प्रकृतेः शोभा | Summary | संस्कृत कक्षा 10 (Sanskrit Class 10)

प्रस्तुत पाठ में इसी मानवीय भावना को पशु-पक्षियों के माध्यम से दर्शाया गया है कि परस्पर विवाद नहीं करते हुए आपसी सहयोग से कल्याणपथ पर चलना चाहिए। नदी किनारे आराम करते सिंह को बन्दर अनेक प्रकार से तंग करते हैं तो क्रोधित सिंह उनसे तंग करने का कारण पूछता है। बन्दर सिंह को वनराज पद के अयोग्य घोषित करते है कि वह भक्षक है रक्षक नहीं। और अपनी ही रक्षा करने में असमर्थ है तो अन्यजीवों की रक्षा किस प्रकार करेगा?

सारांश - सौहार्दं प्रकृतेः शोभा | Summary | संस्कृत कक्षा 10 (Sanskrit Class 10)

 इनका विवाद सुनकर कौआ, कोयल, हाथी, बगुला, मोर, व्याघ्र और चीता भी आते हैं और वनराज पद के लिए अपने गुणों का बखान कर अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने का प्रयास करते हैं और सभी पक्षी अपने पक्षी समुदाय के उल्लू को ही वनराज पद के योग्य कहते हैं। परन्तु कौआ अप्रियवादी, क्रूर रौद्र उल्लू के पक्ष में ना जाकर कहता है मोर, हंस, कोयल, चक्रवाक, तोता और सारस आदि पक्षिप्रधानों के होते हुए, दिन के अंधे और विकराल रूप वाला उल्लू क्या हित करेगा?

सारांश - सौहार्दं प्रकृतेः शोभा | Summary | संस्कृत कक्षा 10 (Sanskrit Class 10)

विवाद सुनकर प्रकृतिमाता प्रवेश कर सबसे कहती है कि तुम सब ही मेरी सन्तान हो। परस्पर कलह मत करो मिलकर खुशी से जीवन को रसमय बनाओ। परस्पर विवाद से प्राणियों की हानि होती है और प्रेम व सहयोग से सब प्राणियों का उत्थान व विकास होता है।

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FAQs on सारांश - सौहार्दं प्रकृतेः शोभा - Summary - संस्कृत कक्षा 10 (Sanskrit Class 10)

1. सौहार्दं प्रकृतेः शोभा का सारांश क्या है?
उत्तर: सौहार्दं प्रकृतेः शोभा का अर्थ होता है कि सभी प्रकृति के तत्वों में मेल-जोल होने से ही सौंदर्य उत्पन्न होता है। जब हम प्रकृति के सभी तत्वों को आदर्श रूप से संगठित करते हैं और उनके मेल-जोल की देखभाल करते हैं, तो हमारे आसपास की प्रकृति में बहुत सौंदर्य देखने को मिलता है।
2. सौहार्दं प्रकृतेः शोभा क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: सौहार्दं प्रकृतेः शोभा महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें प्रकृति की महानता और सौंदर्य को समझने का अवसर देता है। इसके माध्यम से हम अपने आसपास की प्रकृति को समझ सकते हैं और इसकी सुंदरता का आनंद ले सकते हैं। सौहार्दं प्रकृतेः शोभा भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण मान्यता है और हमारे जीवन में सामाजिक समरसता को बढ़ावा देता है।
3. प्रकृति के तत्वों में मेल-जोल क्या होता है?
उत्तर: प्रकृति के तत्वों में मेल-जोल एक सामंजस्य होता है जो उन्हें संतुलित, सुंदर और स्वास्थ्यप्रद बनाता है। यह मेल-जोल तत्वों के बीच सहजता, सहयोग और समरसता का आदान-प्रदान करता है। जब यह स्थिति होती है, तो प्रकृति की सुंदरता और ताजगी में वृद्धि होती है।
4. सौहार्दं प्रकृतेः शोभा के उदाहरण क्या हैं?
उत्तर: सौहार्दं प्रकृतेः शोभा के उदाहरणों में शामिल हैं - समुद्र और समुद्रतट, पहाड़ और घाटी, बाग़ और बगीचा, पक्षी और फूल, बारिश और गर्मी, वनस्पति और जीव-जंतु, आदि। इन उदाहरणों में प्रकृति के विभिन्न तत्वों का संगठन और सहयोग देखा जा सकता है, जो सौंदर्य को बढ़ाता है।
5. सौहार्दं प्रकृतेः शोभा का महत्व क्या है?
उत्तर: सौहार्दं प्रकृतेः शोभा का महत्व यह है कि यह हमें प्रकृति के साथ अनुबंध बनाने के लिए प्रेरित करता है। जब हम प्रकृति के तत्वों के संगठन और सहयोग को समझते हैं और उन्हें समरसता से बांधते हैं, तो हमारे जीवन में सौंदर्य और स्वस्थ्य का आदान-प्रदान होता है। इसके साथ ही, सौहार्दं प्रकृतेः शोभा हमारे सामाजिक संबंधों में एकजुटता और समरसता को बढ़ावा देता है।
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