Class 7 Exam  >  Class 7 Notes  >  संस्कृत कक्षा 7 (Sanskrit Class 7)  >  अभ्यास - विश्वबंधुत्वम् | NCERT Solution

अभ्यास - विश्वबंधुत्वम् | NCERT Solution | संस्कृत कक्षा 7 (Sanskrit Class 7) PDF Download

प्रश्न.1. मञ्जूषातः समानार्थकपदानि चित्वा लिखत-
परस्य दुःखम् आत्मानम् बाधितः परिवारः सम्पन्नम् त्यक्त्वा सम्पूर्णे
स्वकीयम् ______(1)
अवरुद्धः ______(2)
कुटुम्बकम् ______(3)
अन्यस्य ______(4)
अपहाय ______(5)
समृद्धम् ______(6)
कष्टम् ______(7)
निखिले ______(8)
उत्तरम्-

(1) आत्मानम्
(2) बाधितः
(3) परिवारः
(4) परस्य
(5) त्यक्त्वा
(6) सम्पन्नम्
(7) दुःखम्
(8) सम्पूर्णे।

प्रश्न.2. रेखाङ्कितानि पदानि संशोध्य लिखतं-
(क) छात्राः क्रीडाक्षेत्रे 
कन्दुकात् क्रीडन्ति।
(ख) 
ते बालिकाः मधुरं गायन्ति।
(ग) अहं 
पुस्तकालयेन पुस्तकानि आनयामि।
(घ) त्वं नाम किम्
(ङ) गुरुं नमः।
उत्तरम्- 

(क) कन्दुकेन
(ख) ताः
(ग) पुस्तकालयात्
(घ) तव
(ङ) गुरवे।

प्रश्न.3. मञ्जूषातः विलोमपदानि चित्वा लिखत
अधुना मित्रतायाः लघुचेतसाम् गृहीत्वा दुःखिनः दानवाः
शत्रुतायाः ______(1)
पुरा ______(2)
मानवाः ______(3)
उदारचरितानाम्  ______(4)
सुखिनः ______(5)
अपहाय ______(6)
उत्तरम्- 

(1) मित्रतायाः
(2) अधुना
(3) दानवाः
(4) लघुचेतसाम्
(5) दुःखिनः
(6) गृहीत्वा।

प्रश्न.4. अधोलिखितपदानां लिङ्ग, विभक्तिं वचनञ्च लिखत-
अभ्यास - विश्वबंधुत्वम् | NCERT Solution | संस्कृत कक्षा 7 (Sanskrit Class 7)
उत्तरम्- 
अभ्यास - विश्वबंधुत्वम् | NCERT Solution | संस्कृत कक्षा 7 (Sanskrit Class 7)

प्रश्न.5. कोष्ठकेषु दत्तेषु शब्देषु समुचितां विभक्तिं योजयित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
(क) विद्यालयम् उभयतः वृक्षाः सन्ति।(विद्यालय) ______ उभयतः गोपालिकाः।(कृष्ण)
(ख) ग्रामं परित: गोचारणभूमिः।(ग्राम) ______ परितः भक्ताः। (मन्दिर)
(ग) सूर्याय नमः। (सूर्य) ______ नमः। (गुरु)
(घ) वृक्षस्य उपरि खगाः। (वृक्ष) ______ उपरि सैनिकः। (अश्व)
उत्तरम्-

(क) कृष्णम् उभयतः गोपालिकाः।,
(ख) मन्दिरम् परितः भक्ताः।
(ग) गुरवे नमः।
(घ) अश्वस्य उपरि सैनिकः।

प्रश्न.6. कोष्ठकात् समुचितं पदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
(क) ______ नमः। (हरि/हरये)
(ख) ______ परितः कृषिक्षेत्राणि सन्ति। (ग्रामस्य/ग्रामम्)
(ग) ______ नमः। (अम्बायाः/अम्बायै)
(घ) ______ उपरि अभिनेता अभिनयं करोति। (मञ्चस्य पञ्चम्)
(ङ) ______ उभयतः पुत्रौ स्तः। (पितरम/पितुः)
उत्तरम्-

(क) हरये
(ख) ग्रामम्
(ग) अम्बायै
(घ) मञ्चस्य
(ङ) पितरम्।

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FAQs on अभ्यास - विश्वबंधुत्वम् - NCERT Solution - संस्कृत कक्षा 7 (Sanskrit Class 7)

1. क्या विश्वबंधुत्वम् एक व्यक्ति के व्यक्तित्व में कैसे महत्वपूर्ण है?
उत्तर: विश्वबंधुत्वम् एक व्यक्ति के व्यक्तित्व में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उनकी सामाजिक और मानसिक विकास को संवेदनशील बनाता है। इसके माध्यम से व्यक्ति दूसरों के साथ संबंध बना सकता है, सहयोग कर सकता है और समानता के भाव को विस्तार दे सकता है। विश्वबंधुत्वम् एक व्यक्ति को अन्य लोगों के साथ अनुभवों की समझ और संवेदनशीलता की क्षमता प्रदान करता है।
2. विश्वबंधुत्वम् के लिए व्यक्ति कैसे तैयार हो सकता है?
उत्तर: व्यक्ति विश्वबंधुत्वम् के लिए तैयार हो सकता है जब वह अपनी सोच और व्यवहार में उदारता और समझदारी विकसित करता है। यह उनकी सामाजिक और भावनात्मक क्षमताओं का विकास करने के लिए अनुभवों का उपयोग करने के माध्यम से हो सकता है। व्यक्ति को दूसरों के द्वारा प्रभावित होने की क्षमता को बढ़ाना चाहिए और उनके साथ उदारता, सहयोग और समानता का अनुभव करने की कोशिश करनी चाहिए।
3. क्या विश्वबंधुत्वम् केवल सामाजिक विषय है?
उत्तर: नहीं, विश्वबंधुत्वम् केवल सामाजिक विषय नहीं है। यह एक व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य और वैचारिक विकास को भी प्रभावित करता है। विश्वबंधुत्वम् एक व्यक्ति को अपने सामाजिक और वैचारिक परिवेश के साथी के रूप में गहरी रूप से जुड़ने की क्षमता प्रदान करता है।
4. विश्वबंधुत्वम् का महत्व क्या है?
उत्तर: विश्वबंधुत्वम् का महत्व यह है कि यह हमें अन्य लोगों के साथ समझदारी, सहयोग और समानता के भाव को विकसित करने में मदद करता है। इसके माध्यम से हम लोगों के बीच समझ, विश्राम और सम्बंध विकसित कर सकते हैं, जो हमारे व्यक्तित्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। विश्वबंधुत्वम् हमें अनुभवों की गहराई को समझने और अपने जीवन में सुख और समृद्धि का अनुभव करने में मदद करता है।
5. क्या विश्वबंधुत्वम् केवल व्यक्तिगत स्तर पर ही महत्वपूर्ण है?
उत्तर: नहीं, विश्वबंधुत्वम् केवल व्यक्तिगत स्तर पर महत्वपूर्ण नहीं है। यह सामाजिक स्तर पर भी महत्वपूर्ण है। जब हम सभी लोग विश्वबंधुत्वम् के महत्व को समझते हैं और इसे अपनाते हैं, तो हम सामाजिक समुदाय में समानता, सहयोग और समझ को बढ़ा सकते हैं। इसके माध्यम से हम एक संघटित और समृद्ध समाज का निर्माण कर सकते हैं जहां हर व्यक्ति को समान अवसर मिलते हैं और उनकी आवाज़ की सीमाओं को समाप्त किया जाता है।
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