Humanities/Arts Exam  >  Humanities/Arts Notes  >  NCERT Books & Solutions for Humanities  >  NCERT Solutions - रामचंद्र शुक्ल

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra - रामचंद्र शुक्ल

प्रश्न 1: लेखक ने अपने पिता जी की किन-किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर: लेखक ने अपने पिता जी की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया है-

  • उनके पिता फ़ारसी भाषा के अच्छे विद्वान थे।
  • वे प्राचीन हिंदी भाषा के प्रशंसक थे।
  • वे फ़ारसी भाषा में लिखी उक्तियों के साथ हिन्दी भाषा में लिखी गई उक्तियों को मिलाने के शौकीन थे।
  • वे प्रायः रात में सारे परिवार को रामचरितमानस तथा रामचंद्रिका का बड़ा चित्रात्मक ढ़ंग से वर्णन करके सुनाते थे।
  • भारतेंदु के नाटक उन्हें बहुत प्रिय थे।

प्रश्न 2: बचपन में लेखक के मन में भारतेंदु जी के संबंध में कैसी भावना जगी रहती थी?
उत्तर: बचपन में लेखक के मन में भारतेंदु जी के संबंध में मधुर भावना व्याप्त थी। वह राजा हरिश्चंद्र तथा कवि हरिश्चंद्र में अंतर को समझ नहीं पाते थे और दोनों को एक ही दृष्टि से देखते थे। यदि कोई उनके सम्मुख हरिश्चंद्र का नाम लेता, तो उनके सम्मुख उन दोनों से युक्त मिले-जुले भावों का उद्भव होता था। इसी कारण उनके मन में एक माधर्य भाव का संचार होता था।

प्रश्न 3: उपाध्याय बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' की पहली झलक लेखक ने किस प्रकार देखी?
उत्तर: लेखक के पिता की बदली, मिर्जापुर के बाहर नगर में हुई थी। वहाँ रहते हुए उन्हें एक दिन ज्ञात हुआ कि भारतेन्दु हरिश्चंद्र के सखा जिनका नाम उपाध्याय बदरीनारायण चौधरी है और जो 'प्रेमघन' उपनाम से लिखते हैं, वे यहाँ रहते हैं। लेखक उन्हें मिलने को आतुर हो उठा और अपने मित्रों की मंडली के साथ योजना अनुसार एक-डेढ़ मिल चलकर उनके घर के नीचे जा खड़ा हुआ। इसके लिए उन्होंने ऐसे बालकों को भी खोज लिया, जो उनके घर से तथा प्रेमघनजी से भली-भांति परिचित थे। उनके घर की ऊपरी बालकनी लताओं से सुज्जित थी। लेखक ऊपर की और लगातार देखता रहा कुछ देर में उसे प्रेमघन की झलक दिखाई पड़ी। उनके बाल कंधों तक लटक रहे थे। लेखक जब तक कुछ समझ पाता वे अंदर चले गए।

प्रश्न 4: लेखक का हिंदी-साहित्य के प्रति झुकाव किस प्रकार बढ़ता गया?
उत्तर: लेखक के पिता फ़ारसी के ज्ञाता थे तथा हिंदी प्रेमी भी थे। उनके घर में भारतेन्दु रचित हिन्दी नाटकों का वाचन हुआ करता था। रामचरितमानस तथा रामचंद्रिका का भी सुंदर वाचन होता था। पिता द्वारा लेखक को बचपन से ही साहित्य से परिचय करवा दिया गया था। भारतेन्दु लिखित नाटक लेखक को आकर्षित करते थे। अतः इस आधार पर कहा जा सकता है कि पिताजी ने ही उनके अंदर हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम के बीज बोए थे। इस तरह हिंदी साहित्य की ओर झुकाव होना स्वाभाविक था। आगे चलकर पंडित केदारनाथ जी ने इसमें मील के पत्थर का कार्य किया। लेखक जिस पुस्तकालय में हिंदी की पुस्तकें पढ़ने जाया करते थे, उसी के संस्थापक केदारनाथ जी थे। वे लेखक को प्रायः पुस्तक ले जाते हुए देखते थे। बच्चे के अंदर हिंदी पुस्तकों और लेखकों के प्रति आदरभाव देखकर वह बहुत प्रभावित हुए। उन्हीं के कारण सौलह वर्ष की अवस्था में लेखक को हिंदी प्रेमियों की मंडली से परिचय हुआ। इस मंडली के सभी लोग हिंदी जगत में महत्वपूर्ण स्थान रखते थे, जिनमें काशी प्रसाद जायसवाल, भगवानदास हालना, पंडित बदरीनाथ गौड़, पंडित उमाशंकर द्विवेदी इत्यादि थे। इन सबके रहते हुए लेखक का साहित्य के प्रति झुकाव और तेज़ी से बढ़ने लगा।

प्रश्न 5: 'निस्संदेह' शब्द को लेकर लेखक ने किस प्रसंग का ज़िक्र किया है?
उत्तर: 'निस्संदेह' शब्द को लेकर लेखक ने इस प्रसंग का ज़िक्र किया है। जब लेखक का परिचय हिन्दी प्रेमी मंडली से हुआ, तो वहाँ प्रायः लिखने तथा बोलने के लिए हिंदी भाषा का प्रयोग किया करते थे। बातचीत करते समय निस्संदेह शब्द का अधिक प्रयोग किया जाता था। दूसरे लेखक के घर के आसपास ऐसे लोग अधिक रहा करते थे, जो मुख्तार, कचहरी के अफसर या कर्मचारी तथा वकील हुआ करते थे। ये लोग राजभाषा होने के कारण उर्दू का प्रयोग अधिक किया करते थे। ऐसे लोगों को लेखक तथा उसकी मंडली द्वारा हिंदी बोलना अजीब लगता था। इन्हीं लोगों ने लेखक तथा उनकी मित्र-मंडली का नाम 'निस्संदेह' रख दिया था।

प्रश्न 6: पाठ में कुछ रोचक घटनाओं का उल्लेख है। ऐसी तीन घटनाएँ चुनकर उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: तीन रोचक घटनाएँ चौधरी साहब से जुड़ी हुई हैं। वे इस प्रकार हैं-

  • एक बार एक प्रसिद्ध कवि वामनाचार्यगिरि चौधरी साहब से मिलने आए। वे मार्ग पर चलते हुए चौधरी साहब पर आधारित कविता का निर्माण कर रहे थे। कविता के आखिर अंक पर वह अटके हुए थे तभी उन्हें ऊपरी बालकनी में चौधरी साहब खड़े दिखाई दिए। उन्हें देखते ही वह तपाक से ज़ोर से बोल पड़े "खंभा टेकि खड़ी जैसे नारि मुगलाने की।"  
  • ऐसे ही एक दिन चौधरी साहब बहुत से लोगों के साथ बैठे हुए थे। वहाँ से एक पंडित जी गुजर रहे थे, सो वह भी इस मंडली में आ गए। चौधरी साहब ने उनका हालचाल पूछा "और क्या हाल है?"  पंडित जी बोल पड़े- "कुछ नहीं, आज मेरा एकदशी का वर्त है। अतः कुछ जल खाया है और बस यूहीं चले आ रहे हैं।" उनका इतना कहना था कि सब पूछ पड़े "जल ही खाया है या कुछ फलाहार भी पिया है।"   
  • चौधरी साहब के पास एक दिन उनके मित्र मिलने के लिए पहुँचे। चौधरी साहब से वह अचानक प्रश्न पूछ बैठे- " साहब में अकसर 'घनचक्कर' शब्द सुना करता हूँ आपको मालूम है इसका क्या अर्थ है?"  बस क्या था चौधरी साहब बोल पड़े "इसमें कौन सी कठिन बात है? रात के समय एक कागज़ कलम लो। उसमें सुबह से लेकर रात तक का जो-जो काम किया है, उसे लिखिए और पढ़ लीजिए।"

प्रश्न 7: "इस पुरातत्व की दृष्टि में प्रेम और कुतूहल का अद्भुत मिश्रण रहता था।" यह कथन किसके संदर्भ में कहा गया है और क्यों? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: यह कथन चौधरी साहब के संदर्भ में कहा गया है। वे उनकी मंडली में सबसे अधिक उम्र के थे। यही कारण भी था कि उन्हें मंडली में पुरानी वस्तु समझा जाता था। चौधरी साहब स्नेही व्यक्ति थे। वे सबसे प्रेम से बातें किया करते थे। लोगों को उनके विषय में जानने का कुतूहल विद्यमान था। इन्हीं सब कारणों से लेखक ने उनके लिए "इस पुरातत्व की दृष्टि में प्रेम और कुतूहल का अद्भुत मिश्रण रहता था।" इस प्रकार के कथन कहे थे।

प्रश्न 8: प्रस्तुत संस्मरण में लेखक ने चौधरी साहब के व्यक्तित्व के किन-किन पहलुओं को उजागर किया है?
उत्तर: लेखक ने चौधी साहब के व्यक्तित्व के निम्नलिखित पहलुओं को उजागर किया है।-

  • हिंदी प्रेमी- चौधरी साहब हिंदी के कवि थे। वह 'प्रेमघन' उपनाम से लिखा करते थे। हिंदी से उनका प्रेम इन बातों से स्पष्ट हो जाता है। लेखक को हिंदी साहित्य की ओर ले जाने में उनका बड़ा योगदान था।
  • रियासती व्यक्ति- चौधरी साहब एक रियासत और तबीयतदारी व्यक्ति थे। उनके यहाँ हर उत्सव तथा अवसर में नाचरंग का आयोजन होता है। यह उनकी रईसी का प्रतीक था।
  • आकर्षक व्यक्तित्व- चौधरी साहब का व्यक्तित्व बड़ा आकर्षक था। लंबा कद तथा कंधे तक लटकते बाल उनकी पहचान थे।
  • हँसमुख व्यक्ति- चौधरी साहब हँसमुख व्यक्ति थे। बात-बात पर लोगों को गुदगुदा देते थे।

प्रश्न 9: समवयस्क हिंदी प्रेमियों की मंडली में कौन-कौन से लेखक मुख्य थे?
उत्तर: समवयस्क हिंदी प्रेमियों की मंडली में ये लेखक मुख्य थे- काशी प्रसाद जायसवाल, भगवानदास हालना, पंडित बदरीनाथ गौड़, पंडित उमाशंकर द्विवेदी इत्यादि।

प्रश्न 10: 'भारतेंदु जी के मकान के नीचे का यह ह्दय परिचय बहुत शीघ्र गहरी मैत्री में परिणत हो गया।'- कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: एक बार लेखक पिता के कहने पर किसी की बारात में काशी चले गए। वहाँ घूमते हुए काशी के चौखंभा स्थान पर पहुँच गए। यहीं उनकी मुलाकात पंडित केदारनाथ जी पाठक से हुई। वे भरतेन्दु के मित्र थे। लेखक स्वयं भरतेंदु के प्रशांसक थे। पंडित जी से भरतेन्दु के विषय में जानकर वह उनके घर को बड़ी चाह तथा कुतूहल से देख रहे थे। वह लेखक को भावनाओं में डूबा देखकर प्रसन्न थे। उन्हें लेखक की इस प्रकार की भावुकता ने बहुत प्रभावित किया। आगे चलकर दोनों का यह हृदय परिचय एक पक्की दोस्ती में बदल गया। भाव यह है कि पंडित जी ने लेखक का जो व्यवहार देखा वह उन्हें छू गया और आगे चलकर इसी कारण वे गहरे मित्र बन गए।

भाषा-शिल्प

प्रश्न 1: हिंदी-उर्दू के विषय में लेखक के विचारों को देखिए। आप इन दोनों को एक ही भाषा की दो शैलियाँ मानते हैं या भिन्न भाषाएँ?
उत्तर: हमारा देश भारत एकता का प्रतीक है। हमारे देश में कई भाषाएँ तथा बोलियाँ विद्यमान हैं। हिन्दी, उर्दू, मराठी, बंगाली, गुजराती, पंजाबी आदि कई भाषाएँ विशेष स्थान रखती हैं। सभी भाषाओं की अलग-अलग ऐतिहासिक पृष्ठभूमि होने के बावजूद इन सभी भाषाओं का महत्वपूर्ण स्थान तथा साहित्य में इनका विशेष योगदान रहा है। मुगलों के आगमन के साथ ही भारत में उर्दू भाषा का भी आगमन हुआ। अंग्रेज़ों के समय में आज़ादी पाने के लिए एक ऐसी भाषा के विकास की आवश्यकता हुई, जो जन भाषा बन सके। अतः वह काल संक्रमण का काल था। भरतेन्दु जी ने खड़ी बोली में लिखना आरंभ कर दिया था। उस समय सभी उर्दू के साथ-साथ हिंदी का भी प्रयोग करते थे। अतः इस आधार पर यह कहना सरल होगा कि हिंदी और उर्दू दो अलग-अलग भाषाएँ हैं। उर्दू भाषा हिंदी के साथ रच बस गई है। आज दोनों में अंतर करना बहुत कठिन हो गया है। परन्तु सत्य यही है कि अन्य सभी भाषाओं की तरह ये दोनों अलग हैं और भिन्न शैली की हैं। सभी भाषाओं की तरह दोनों भाषाओं की लिपियाँ भी अलग हैं।

प्रश्न 2: चौधरी जी के व्यक्तित्व को बताने के लिए पाठ में कुछ मज़ेदार वाक्य आए हैं- उन्हें छाँटकर उनका संदर्भ लिखिए।
उत्तर:

  • इस पुरातत्व की दृष्टि में प्रेम और कुतूहल का एक अद्भुत मिश्रण रहता था।– प्रस्तुत कथन लेखक ने चौधरी जी के व्यक्तित्व को दर्शाने हेतु लिखे हैं। लेखक के अनुसार चौधरी जी उनकी मंडली में सबसे पुराने थे। अतः वे पुराने (पुरातत्व) की संज्ञा पाए हुए थे। दूसरे वे स्नेही थे। अपनी मंडली के हर सदस्य से प्रेम करते थे। उनका व्यक्तित्व कुछ ऐसा भी था कि सब उन्हें कुतूहल की दृष्टि से देखा करते थे। उन्हें जानने के प्रयास में सबके अंदर जिज्ञासा विद्यमान रहती थी।
  • उनकी हर एक अदा से रियासत और तबीयतदारी टपकती थी- प्रस्तुत कथन के अनुसार चौधरी साहब रईस परिवार से संबंधित थे। उनके स्वभाव में रईसी रच-बच गई थी। उनकी रईसी उनके हर हाव-भाव से दिखाई देती थी। उन्हें अनज़ान व्यक्ति भी बता सकता था कि ये धनी परिवार के हैं।
  • जो बातें उनके मुँह से निकलती थीं, उनमें एक विलक्षण वक्रता रहती थी।– अर्थात चौधरी साहब कुछ भी बोलते थे, उसमें कुटिलता का समावेश विद्यमान रहता था। वह सीधी बात बोलना नहीं जानते थे।
  • खंभा टेकि खड़ी जैसे नारि मुगलाने की। प्रस्तुत पंक्तियाँ चौधरी स्वभाव के बाहरी वेश को इंगित करके बोली गई है। चौधरी साहब के बाल कंधे तक लटके रहते थे। उस समय इस प्रकार की केशसज्जा पुरुषों की नहीं हुआ करती थी। वामनाचार्यगिरी ने उन पर व्यंग्य करते हुए कहा था कि खंभे पर टेक लगाकर चौधरी ऐसे खड़े हैं मानो कोई मुस्लिम स्त्री खड़ी हो।

प्रश्न 3: पाठ की शैली की रोचकता पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर: पाठ की शैली बड़ी रोचक है। कवि ने प्रयास किया है कि पुरानी बातों को उसके यथावथ रूप में प्रस्तुत किया जा सके। उसने उस समय बोली जाने वाली स्थानीय बोली, हिंदी तथा उर्दू भाषा का भी सुंदर प्रयोग किया है। उन्होंने रोचकता का ध्यान रखते हुए ऐसी घटनाओं का उल्लेख किया है, जो उस समय के वातावरण, सामाजिक परिवर्तन तथा स्थिति का सटीक वर्णन करती है। यह पाठ प्राचीन भारत के दर्शन भी करता है लेकिन रोचक शैली में।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1: भारतेंदु मंडल के प्रमुख लेखकों के नाम और उनकी प्रमुख रचनाओं की सूची बनाकर स्पष्ट कीजिए कि आधुनिक हिंदी गद्य के विकास में इन लेखकों का क्या योगदान रहा?
उत्तर: भारतेंदु मंडल के प्रमुख लेखकों के नाम इस प्रकार हैं-

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra - रामचंद्र शुक्ल

प्रश्न 2: आपको जिस व्यक्ति ने सर्वाधिक प्रभावित किया है, उसके व्यक्तित्व की विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर: मुझ मेरी माता के व्यक्तित्व ने बहुत प्रभावित किया है। उनके व्यक्तित्व की विशेषताएँ इस प्रकार हैं।-

  • स्नेही- मेरी माँ बहुत स्नेही स्वभाव की हैं। वे सभी से स्नेह रखती हैं। इसी स्नेह के कारण मेरे मित्र उन्हें बहुत अच्छा मानते हैं।
  • हँसमुख- मेरी माँ बहुत हँसमुख स्वभाव की हैं। वे अपने इस स्वभाव के कारण कहीं भी जान डालने की क्षमता रखती हैं।
  • सत्यवादी तथा स्पष्टवादी- मेरी माँ सत्य बोलती हैं। वह अपनी बाद को घूमाने के स्थान पर सीधे-सीधे बोलने में विश्वास रखती हैं।
  • निडर- मेरी माँ निडर हैं। उन्हें किसी भी बात से डर नहीं लगता है। किसी भी परिस्थिति में वह निडरता से आगे बढ़ती हैं।
  • तीव्र बुद्धि- मेरी माँ की बुद्धि बहुत तीव्र हैं। वह अधिक पढ़ी-लिखी नहीं हैं मगर किसी बात को सीखने-समझने में समय नहीं लगता। तुरंत सब सीख जाती हैं।

प्रश्न 3: यदि आपको किसी साहित्यकार से मिलने का अवसर मिले तो आप उनसे क्या-क्या पूछना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर: यदि मुझे किसी साहित्यकार से मिलने का अवसर प्राप्त होता, तो मैं सुमित्रानंदन से निम्नलिखित बातें पूछना चाहती।-

  • आप प्रकृति का इतना सुंदर वर्णन कैसे करते हैं?
  • अपने मन में उठने वाले भावों का इतना सुंदर चित्रण कैसे दे पाते हैं?
  • कविता में इतना सटिक शब्द 'शब्द विन्यास' करना आपने किससे सीखा है?

ये सब बातें मैं पूछना चाहूँगी क्योंकि मैं उनकी कविताएँ पढ़कर हैरान रह जाती हूँ। उनका प्रकृति चित्रण शब्दों के रूप में इतना सजीव होता है कि आँखों में वे चित्र के रूप में उभर आते हैं। अपने भावों को वे इतने सुंदर तरीके से व्यक्त करते हैं कि मैं सोच में पड़ जाती हूँ। शब्दों का ऐसा विन्यास जो कविता को एक अनमोल कृति बना देता। मैं भी ऐसी ही कविता लिखना चाहती हूँ।

प्रश्न 4: यदि आपको किसी साहित्यकार से मिलने का अवसर मिले तो आप उनसे क्या-क्या पूछना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर: यदि मुझे किसी साहित्यकार से मिलने का अवसर प्राप्त होता, तो मैं सुमित्रानंदन से निम्नलिखित बातें पूछना चाहती।-

  • आप प्रकृति का इतना सुंदर वर्णन कैसे करते हैं?
  • अपने मन में उठने वाले भावों का इतना सुंदर चित्रण कैसे दे पाते हैं?
  • कविता में इतना सटिक शब्द 'शब्द विन्यास' करना आपने किससे सीखा है?

ये सब बातें मैं पूछना चाहूँगी क्योंकि मैं उनकी कविताएँ पढ़कर हैरान रह जाती हूँ। उनका प्रकृति चित्रण शब्दों के रूप में इतना सजीव होता है कि आँखों में वे चित्र के रूप में उभर आते हैं। अपने भावों को वे इतने सुंदर तरीके से व्यक्त करते हैं कि मैं सोच में पड़ जाती हूँ। शब्दों का ऐसा विन्यास जो कविता को एक अनमोल कृति बना देता। मैं भी ऐसी ही कविता लिखना चाहती हूँ।

प्रश्न 5: संस्मरण साहित्य क्या है? इसके बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर: हमारे द्वारा अपनी स्मृति को आधार बनाकर कोई लेख लिखा जाता है, उसे संस्मरण कहते हैं। साहित्य में यह साहित्यिक निबंध के अंतर्गत आता है। इसके अंतर्गत लिखने वाला अपने आस-पास का वर्णन करता है। यह विवरण यथावत नहीं होता है। बस उसे जो याद आता है, उसी को आधार बनाकर लिख लेता है। इन लेखों से युक्त साहित्य को ही संस्मरण साहित्य कहते हैं। हिन्दी साहित्य इससे भरा पड़ा है। उदाहरण के लिए-

  • महादेवी वर्मा- मेरा परिवार, पथ के साथी, स्मृति चित्र, संस्मरण
  • रामवृक्ष बेनीपुरी-  पतितों के देश में, चिता के फूल
The document NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra - रामचंद्र शुक्ल is a part of the Humanities/Arts Course NCERT Books & Solutions for Humanities.
All you need of Humanities/Arts at this link: Humanities/Arts
535 docs

Top Courses for Humanities/Arts

FAQs on NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra - रामचंद्र शुक्ल

1. रामचंद्र शुक्ल कौन थे?
Ans. रामचंद्र शुक्ल एक प्रमुख हिंदी साहित्यकार थे जिन्होंने हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
2. रामचंद्र शुक्ल के जीवन के बारे में कुछ बताएं।
Ans. रामचंद्र शुक्ल का जन्म 4 अगस्त 1884 को हुआ था और उनका निधन 2 जनवरी 1941 को हुआ था। उन्होंने हिंदी साहित्य के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे।
3. रामचंद्र शुक्ल की रचनाओं में कौन-कौन सी पुस्तकें शामिल हैं?
Ans. रामचंद्र शुक्ल की रचनाओं में 'चित्रलेखा', 'हिन्दी साहित्य का इतिहास', 'अर्थी', 'सुधा', 'एक आवाज', 'अनामिक', 'अहर्निश', 'आदिम', 'अज्ञात देवता' आदि शामिल हैं।
4. रामचंद्र शुक्ल के काम का महत्व क्या है?
Ans. रामचंद्र शुक्ल के काम का महत्व उनके उदात्त साहित्यिक सोच और भाषा के प्रयोग में है, जो उन्हें एक प्रमुख हिंदी साहित्यकार बनाता है।
5. रामचंद्र शुक्ल की कौन-कौन सी ग्रंथें खास हैं?
Ans. रामचंद्र शुक्ल की ग्रंथों में 'चित्रलेखा', 'हिन्दी साहित्य का इतिहास', 'अर्थी', 'सुधा' और 'एक आवाज' खास मानी जाती हैं।
535 docs
Download as PDF
Explore Courses for Humanities/Arts exam

Top Courses for Humanities/Arts

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Free

,

pdf

,

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra - रामचंद्र शुक्ल

,

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra - रामचंद्र शुक्ल

,

Extra Questions

,

shortcuts and tricks

,

Sample Paper

,

Important questions

,

past year papers

,

Previous Year Questions with Solutions

,

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra - रामचंद्र शुक्ल

,

Semester Notes

,

practice quizzes

,

Viva Questions

,

Exam

,

Summary

,

study material

,

ppt

,

mock tests for examination

,

Objective type Questions

,

MCQs

,

video lectures

;