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Table of contents
कोविड-19 स्थानिकता
फुकुतोकू-ओकानोबा ज्वालामुखी: जापान
वर्ल्ड हेरिटेज इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रेनिंग एंड रिसर्च- एशिया पैसिफिक
प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट असेसमेंट: OECD
प्रथम नौसेना अभ्यास: भारत-अल्जीरिया
पश्मीना शॉल: कश्मीर
विशेष आहरण अधिकार
उमंगोट नदी: मेघालय
बहु-पक्षीय अभ्यास जैपेड 2021
63वाँ रमन मैग्सेसे पुरस्कार
वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद (FSDC) की बैठक
अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष
ईट राइट स्टेशन सर्टिफिकेशन
वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2022: टीएचई
सिम्बेक्स 2021
हाइसीन: नई श्रेणी के बाह्य ग्रह
भारत का सबसे ऊँचा वायु शोधक: चंडीगढ
मांडा भैंस: ओडिशा
डेफएक्सपो-2022
भोगदोई नदी
पराग कैलेंडर: चंडीगढ़
कार्ड डेटा स्टोर करने संबंधी दिशा-निर्देश: RBI
पंज प्यारे
हरे कृष्ण आंदोलन : इस्कॉन
‘ऑसइंडेक्स’ 2021
भारतीय दूतावासों/मिशनों में आत्मनिर्भर कॉर्नर
विश्व का सबसे उत्तरी द्वीप
एटीएल स्पेस चैलेंज 2021
स्वामी विवेकानंद
सारागढ़ी का युद
पीलीभीत टाइगर रिज़र्व: उत्तर प्रदेश
मोबाइल एक्स-रे कंटेनर स्कैनिंग सिस्टम: पारादीप पोर
राजा महेंद्र प्रताप सिंह
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक

कोविड-19 स्थानिकता

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत कोविड-19 की स्थानिकता के किसी चरण में प्रवेश कर रहा है, जहाँ निम्न से मध्यम स्तर का संचरण होता है।

प्रमुख बिंदु

स्थानिकता:

(i) स्थानिक रोग एक ऐसा रोग होता है जो सदैव एक निश्चित आबादी या किसी भौगोलिक क्षेत्र में मौजूद रहता है।
(ii) स्थानिक (Endemic) रोग के कुछ उदाहरणों में चिकन पॉक्स और मलेरिया शामिल हैं, जहाँ विश्व के कुछ हिस्सों में प्रत्येक वर्ष
अनुमानित संख्या में मामले सामने आते हैं।


ऐंडेमिक बनाम एपिडेमिक बनाम पेंडेमिक:

(i) प्रायः लोग स्थानिक रोग यानी ऐंडेमिक को महामारी/एपिडेमिक मान लेते हैं जबकि महामारी किसी रोग के प्रकोप को संदर्भित करती है। महामारी तब होती है जब किसी रोग का संक्रमण एक या एक से अधिक आबादी में फैल रहा हो। इसके विपरीत स्थानिक रोग वह है जिसकी उपस्थिति किसी समूह या भौगोलिक क्षेत्र में लगातार बनी रहती है।

  • पेंडेमिक विश्वव्यापी होती है। कोई भी महामारी अधिक संख्या में लोगों को प्रभावित करती है और किसी एपिडेमिक की तुलना में अधिक लोगों की जान लेती है।

(ii) कुछ परिस्थितियों में एक महामारी किसी रोग को स्थानिक बना सकती है।


कोविड की स्थानिकता का कारण:

(i) केवल उन रोगजनकों का उन्मूलन किया जा सकता हैजिनके रिज़र्वायर जानवर (अन्य प्रजाति) नहीं हैं।

  • चेचक और पोलियो मानव वायरस के उदाहरण हैं, रिंडरपेस्ट एक मवेशी वायरस है।

(ii) इसका अर्थ यह हैकि यदि कोई वायरस/रोगजनक है जो किसी एनिमल रिज़र्वायर में मौजूद है तो आबादी में इसके कारण होने वाली बीमारी के खिलाफ प्रतिरक्षा का स्तर कम होने पर यह एक बार फिर से संचारित हो सकता है ।

(iii) कोरोनावायरस रोग के मामले में ऐसा ही देखा गया हैकि यह प्रसारित होता रहेगा क्योंकि यह एनिमल रिज़र्वायर में उपस्थित है।


आशय:

(i) प्रतिरक्षा से:

  • यदि पर्याप्त लोगों को टीका लगाया गया है या वे संक्रमण के संपर्क में आ गए हैं, तो वायरस रोगसूचक संक्रमण का कारण बनेगा लेकिन रोग का नहीं।

(ii) भविष्य के मामलों से:

  • जब तक नया संस्करण डेल्टा संस्करण की तुलना में अधिक संचरण क्षमता के साथ नहीं आता है, तो यह अधिक संभावना हैकि कुछ क्षेत्रों में, विशेष रूप से कम पूर्वसेरोप्रवलेंस और कम टीकाकरण दरों के साथ स्पाइक्स को देखते हुए मामलों का एक स्थिर स्तर होगा।

फुकुतोकू-ओकानोबा ज्वालामुखी: जापान

हाल ही में फुकुतोकू-ओकानोबा सबमरीन ज्वालामुखी (Fukutoku-Okanoba Submarine Volcano) में जापान से दूर प्रशांत महासागर में विस्फोट हुआ है।

  • इससे पहले हवाई के किलाउआ ज्वालामुखी में भूकंप के तेज़ झटके और ज़मीन में उभार देखा गया।

प्रमुख बिंदु

(i) यह जापान के दक्षिण इवो जिमा द्वीप से पाँच किलोमीटर उत्तर में समुद्र से लगभग 25 मीटर नीचे स्थित है।

(ii) प्लम (Plume) सतह से 16 किलोमीटर की ऊँचाई तक पहुँच गया, जिससे विमानों और जहाज़ो के गुज़रने के लिये खतरा पैदा हो गया।यह इस प्रकार के ज्वालामुखी के लिये सामान्य नहीं है।

  • प्रायः निचले स्तर के प्लम सबमरीन विस्फोट से देखे जाते हैं।
  • विस्फोट और पनडुब्बी हाइड्रोथर्मल गतिविधियाँ प्रायः क्षेत्र में जल को दूषित करने का कारण बनती हैं और विस्फोट के दौरान ज्वालामुखी ने कई अस्थायी नए द्वीपों का निर्माण किया है।

सबमरीन ज्वालामुखी:

  • हवाई से लेकर इंडोनेशियाआइसलैंड तक विश्व में सैकड़ों द्वीपों का निर्माण सबमरीन ज्वालामुखियों द्वारा किया गया है। सबमरीन ज्वालामुखी समुद्र की सतह के नीचे स्थित ज्वालामुखियों के समान होते हैं।
  • क्योंकि हवा के बजाय ये जल में विस्फोटित होते हैं, सबमरीन ज्वालामुखी स्थलीय ज्वालामुखियों की तुलना में काफी अलग व्यवहार करते हैं। उदाहरण के लिये सबमरीन ज्वालामुखियों में विस्फोट होना असामान्य है।
  • उनके ऊपर जल का भार बहुत अधिक दबाव बनाता है, जिसे आमतौर पर निष्क्रिय लावा के रूप में जाना जाता है जो समुद्र तल के साथ बहता है। अधिकांश सबमरीन विस्फोट समुद्र की सतह को विचलित नहीं करते हैं।

वर्ल्ड हेरिटेज इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रेनिंग एंड रिसर्च- एशिया पैसिफिक

हाल ही में वर्ल्ड हेरिटेज इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रेनिंग एंड रिसर्च- एशिया पैसिफिक (WHITR-AP) ने विश्व विरासत शिक्षा पर सेंटर फॉर एन्वायरनमेंटल प्लानिंग एंड टेक्नोलॉजी (CEPT), गुजरात यूनिवर्सिटी के संरक्षण और उत्थान के कार्यक्रम को वैश्विक नवाचार के एक सराहनीय मामले के रूप में मान्यता प्रदान की है।

  • वर्ष 1994 में विश्व विरासत शिक्षा कार्यक्रम को 'संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की विशेष परियोजना के रूप में शुरू किया गया था। यह युवाओं को अपने बात रखने और सामान्य सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक विरासत के संरक्षण में शामिल होने का मौका देता है।

प्रमुख बिंदु

WHITR-AP के बारे में:

  • WHITR-AP एक गैर-लाभकारी संगठन है जो विरासत संरक्षण के क्षेत्र में विशिष्ट स्थान रखता है।
  • यह यूनेस्को के तत्त्वावधान में विकासशील देशों में स्थापित पहला संस्थान है।
  • यह सदस्य राज्यों और यूनेस्को के सहयोगी सदस्यों की सेवा में एक स्वायत्त संस्था है।

उद्देश्य:

  • एशिया पैसिफिक क्षेत्र में विश्व विरासत कन्वेंशन 1972 के कार्यान्वयन को मज़बूत करना।

विश्व विरासत कन्वेंशन:

(i) यह सबसे महत्त्वपूर्ण वैश्विक संरक्षण उपकरणों में से एक हैजिसे 1972 में बनाया गया था।

  • इसका उद्देश्य उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य मानी जाने वाली विश्व की प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत की पहचान करना एवं उसकी रक्षा करना है।

(ii) यह संभावित स्थलों की पहचान करने और उनकी सुरक्षा एवं संरक्षण में राज्यों की भूमिका तथा कर्तव्यों को निर्धारित करता है।

  • कन्वेंशन पर हस्ताक्षर करके प्रत्येक देश न केवल अपने क्षेत्र में स्थित विश्व धरोहर स्थलों को संरक्षित करने, बल्कि अपनी राष्ट्रीय विरासत की रक्षा करने हेतु भी प्रतिबद्ध होते हैं।

(iii) यह कन्वेंशन यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर की वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी , कन्वेंशन के सचिवालय और तीन तकनीकी सलाहकार निकायों द्वारा शासित है:

  • प्रकृति के संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN)
  • अंतर्राष्ट्रीय स्मारक और स्थल परिषद (ICOMOS)
  • द इंटरनेशनल सेंटर फॉर द स्रेटडी ऑफ द प्रिजर्वेशन एंड रीस्टॉरेशन ऑफ कल्चरल प्रोपर्टी (ICCROM)

(iv) भारत इस कन्वेंशन का एक हस्ताक्षरकर्त्ता देश है और इसके 40 विश्व धरोहर स्थल हैं, जिनमें 32 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और एक मिश्रित संपत्ति शामिल हैं।

  • तेलंगाना का रामप्पा मंदिर 39वांँ और गुजरात का धौलावीरा भारत का 40वांँ विश्व धरोहर स्थल था।

यूनेस्को

(i) यूनेस्को के बारे में:

  • यह शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से शांति स्थापित करना चाहता है। इसकी स्थापना 1945 में हुई थी, यह पेरिस, फ्रांँस में स्थित है।

(ii) प्रमुख पहलें:

  • मानव और जैवमंडल कार्यक्रम
  • विश्व धरोहर कार्यक्रम
  • ग्लोबल जियोपार्क नेटवर्क
  • रचनात्मक शहरों का नेटवर्क
  • एटलस ऑफ द वर्ल्ड्स लैंग्वेजेज़ इन डेंजर

प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट असेसमेंट: OECD

‘प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट असेसमेंट’ (PISA) का फील्ड ट्रायल सितंबर 2021 से आयोजित होने वाला है।

प्रमुख बिंदु

‘प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट असेसमेंट’ (PISA)

(i) यह एक योग्यता-आधारित परीक्षा है, जिसे 15 वर्ष की आयु तक के उम्मीदवारों की क्षमता का आकलन करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, जो ज्ञान को वास्तविक जीवन की स्थितियों में लागू करने हेतु प्रति तीन वर्ष में उनके पढ़ने, गणित और विज्ञान साक्षरता को मापता है।

(ii) यह ‘आर्थिक सहयोग और विकास संगठन’ (OECD) द्वारा समन्वित एक अंतर्राष्ट्रीय सर्वेक्षण है तथा इसे पहली बार वर्ष 2000 में आयोजित किया गया था।


भारत की भागीदारी

(i) भारत ने इससे पहले वर्ष 2009 में केवल एक बार इस परीक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। इसमें भारत की ओर से हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु के छात्र शामिल हुए थे तथा भारत 73 देशों में से 72वें स्थान पर रहा था।

(ii) तब से लेकर अब तक भारत इस परीक्षण में शामिल नहीं हुआ है, अब वर्ष 2022 में चंडीगढ़ के छात्र इस परीक्षा में शामिल होंगे।

  • मूलतः ‘प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट असेसमेंट’ सर्वेक्षण 2021 में आयोजित किया जाना था, किंतु महामारी के कारण इसे एक वर्ष के लिये स्थगित कर दिया गया था।

भारत के लिये महत्त्व

  • ‘प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट असेसमेंट’ से स्कूलों में योग्यता-आधारित परीक्षा प्रणाली में सुधार लाने में मदद मिलेगी और रटने की शिक्षा पद्धति को समाप्त किया जा सकेगा।
  • यह भारतीय छात्रों की पहचान एवं स्वीकार्यता को बढ़ावा देगा तथा उन्हें 21वीं सदी में वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिये तैयार करेगा।

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन

  • इसका गठन वर्ष 1961 में हुआ था। इसमें 38 सदस्य देश हैं। भारत इसका सदस्य नहीं है, किंतु इसके प्रमुख भागीदारों में से एक है।
  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जिसका लक्ष्य उन नीतियों को आकार देना है जो सभी के लिये समृद्धि, समानता और कल्याण को बढ़ावा देती हैं।
  • इसका मुख्यालय पेरिस, फ्रांँस में स्थित है।
  • ‘फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स’ (FATF) का सचिवालय OECD मुख्यालय में ही स्थित है।

प्रथम नौसेना अभ्यास: भारत-अल्जीरिया

हाल ही में भारतीय और अल्जीरियाई नौसेनाओं ने समुद्री सहयोग बढ़ाने हेतु अल्जीरियाई तट पर पहले नौसैनिक अभ्यास में भाग लिया।

  • अल्जीरिया के साथ नौसैनिक अभ्यास भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह रणनीतिक रूप से माघरेब क्षेत्र (भूमध्य सागर की सीमा से लगे उत्तरी अफ्रीका के क्षेत्र) में स्थित है और अफ्रीका का सबसे बड़ा देश है।

प्रमुख बिंदु

परिचय:

(i) भारतीय नौसेना के जहाज़ आईएनएस तबर ने अल्जीरियाई नौसेना के जहाज़ 'एज्जादजेर' के साथ समुद्री साझेदारी अभ्यास में भाग लिया।

  • आईएनएस तबर, रूस में भारतीय नौसेना के लिये बनाया गया तलवार श्रेणी का ‘स्टील्थ फ्रिगेट’ है।

(ii) भारत पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न अफ्रीकी देशों के साथ रक्षा और सुरक्षा संबंधों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।


भारत और अफ्रीका समुद्री सुरक्षा:

(i) अफ्रीकी संघ की एकीकृत समुद्री रणनीति 2050:

इसमें कार्यों की व्यापक, समेकित और सुसंगत दीर्घकालिक बहुस्तरीय योजनाएँ शामिल हैं जो एक समृद्ध अफ्रीका के लिये समुद्री व्यवहार्यता को बढ़ाने हेतु अफ्रीकी संघ के उद्देश्यों को प्राप्त करेगी।

(ii) समुद्री डोमेन जागरूकता:

  • हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में समुद्री डोमेन जागरूकता संबंधी गतिविधियों की निगरानी के लिये भारत द्वारा एक मज़बूत सूचना साझाकरण तंत्र स्थापित किया गया है और आईओआर में विभिन्न बहुपक्षीय ढाँचे में अफ्रीकी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के प्रयास किये गए हैं।

(iii) हिंद महासागर रिम एसोसिएशन:

  • यह एक भारतीय नेतृत्त्व वाली पहल है जो सर्वसम्मति आधारित, विकासवादी और गैर-घुसपैठ दृष्टिकोण के माध्यम से समझ तथा पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग का निर्माण एवं विस्तार करना चाहता है।

(iv) समुद्री सुरक्षा अवसंरचना:

  • भारत लगातार नौसैनिक तैनाती और बंदरगाह यात्राओं के माध्यम से अफ्रीकी महाद्वीप में नौसेनाओं के साथ अपने जुड़ाव को धीरे- धीरे बढ़ा रहा है। साथ ही समावेशी क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा बुनियादी ढाँचा स्थापित किया गया है जो कि रणनीतिक रूप से स्थित है और परिचालन स्तर पर निरंतर संपर्क में हैं।

पश्मीना शॉल: कश्मीर

हस्तशिल्प और हथकरघा निदेशालय, कश्मीर ने "पुरानी तकनीकों को बनाए रखने के लिये" भौगोलिक संकेत (GI)-प्रमाणित हाथ से बने पश्मीना शॉल हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की घोषणा की है।

  • इससे पहले कश्मीर केसर को जीआई टैग का दर्जा प्राप्त हो चुका है।

प्रमुख बिंदु

(i) पश्मीना शॉल के बारे में:

  • शॉल दो तकनीकों द्वारा निर्मित होते हैं, करघा से बुने हुए (Loom Woven) या कनी शॉल (Kani Shawls) तथा सुई कढ़ाई (Needle Embroidered) या सोज़नी शॉल (Sozni Shawls)।
  • शॉल बनाने में प्रयोग होने वाला मूल कपड़ा तीन प्रकार का होता है - शाह तुश (Shah Tush), पश्मीना (Pashmina) और रफ़ल (Raffal)।
  • शाह तुश (ऊन का राजा) हाथ की एक अंँगूठी से निकल जाता है और इसे रिंग शॉल (Ring shawl) के नाम से भी जाना जाता है। इसे हिमालय के जंगलों में 14000 फीट से अधिक की ऊंँचाई पर रहने वाले एक दुर्लभ तिब्बती मृग से प्राप्त किया जाता है।
  • वैश्विक स्तर पर पश्मीना को कश्मीरी ऊन के रूप में जाना जाता है, यह 12000 से 14000 फीट की ऊंँचाई पर पाई जाने वाली एक विशेष बकरी (Capra hircus) से प्राप्त किया जाता है।
  • रैफल को मेरिनो वूल टॉप से काता जाता है और यह एक लोकप्रिय प्रकार का शॉल है।

(ii) भौगोलिक संकेत (GI) प्रमाणन:

भौगोलिक संकेत के बारे में:

  • GI एक संकेतक हैजिसका उपयोग एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में उत्पन्न होने वाली विशेष विशेषताओं वाले सामानों की पहचान करने हेतु किया जाता है।
  • इसका उपयोग कृषि, प्राकृतिक और निर्मित वस्तुओं के लिये किया जाता है।
  • 'माल भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999' भारत में माल के संबंध में भौगोलिक संकेतों के पंजीकरण एवं अत्यधिक सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास करता है।
  • यह विश्व व्यापार संगठन के बौद्धिक संपदा अधिकार के व्यापार संबंधी पहलुओं (TRIPS) का भी एक हिस्सा है।

(iii) प्रशासित:

  • इसे भौगोलिक संकेतकों के रजिस्ट्रार पेटेंट, डिज़ाइन और ट्रेडमार्क महानियंत्रक द्वारा प्रसाशित किया जाता है।
  • भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री (Geographical Indications Registry) चेन्नई में स्थित है।

(iv) पंजीकरण की वैधता:

  • भौगोलिक संकेत का पंजीकरण 10 वर्षों की अवधि के लिये वैध होता है।
  • इसे समय-समय पर 10-10 वर्षों की अतिरिक्त अवधि के लिये नवीकृत (Renewed) किया जा सकता है।

विशेष आहरण अधिकार

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत को 12.57 बिलियन (नवीनतम विनिमय दर पर लगभग 17.86 बिलियन डॉलर के बराबर) के विशेष आहरण अधिकार (SDR) का आवंटन किया है।

  • अब, भारत की कुल SDR होल्डिंग्स 13.66 बिलियन है।

प्रमुख बिंदु

विशेष आहरण अधिकार (SDR):

  • सदस्य देशों का मतदान अधिकार सीधे उनके कोटे से संबंधित होता है।
  • IMF अपने सदस्यों को आईएमएफ में उनके मौजूदा कोटा के अनुपात में सामान्य एसडीआर आवंटन करता है।
  • SDR न तो मुद्रा है और न ही IMF पर दावा। बल्कि, यह आईएमएफ के सदस्यों की स्वतंत्र रूप से प्रयोग करने योग्य मुद्राओं पर एक संभावित दावा है। इन मुद्राओं के एवज में एसडीआर का आदान-प्रदान किया जा सकता है।
  • एसडीआर आईएमएफ और कुछ अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के खाते की इकाई के रूप में कार्य करता है।SDR की मुद्रा कीमत का निर्धारण अमेरिकी डॉलर में मूल्यों को जोड़कर किया जाता है, जो बाज़ार विनिमय दर, मुद्राओं की एक SDR बास्केट पर आधारित होता है।
  • मुद्राओं के एसडीआर बास्केट में अमेरिकी डॉलर, यूरो, जापानी येन, पाउंड स्टर्लिंग और चीनी रॅन्मिन्बी (2016 में शामिल) शामिल हैं।
  • SDR मुद्रा के मूल्यों का दैनिक मूल्यांकन (अवकाश को छोड़कर या जिस दिन IMF व्यावसायिक गतिविधियों के लिये बंद हो) होता है एवं मूल्यांकन बास्केट की समीक्षा तथा इसका समायोजन प्रत्येक 5 वर्ष के अंतराल पर किया जाता है।
  • कोटा (Quotas) को SDRs में इंगित किया गया है।
  • भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में IMF के पास रिज़र्व कोष, स्वर्ण भंडार और विदेशी मुद्रा संपत्ति के अलावा अन्य SDR भी शामिल है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF):

(i) इस कोष की स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) के पश्चात् युद्ध प्रभावित देशों के पुनर्निर्माण में सहायता के लिये विश्व बैंक (World Bank) के साथ की गई थी।

  • इन दोनों संगठनों की स्थापना के लिये अमेरिका के ब्रेटन वुड्स में आयोजित एक सम्मेलन में सहमति बनी। इसलिये इन्हें ‘ब्रेटन वुड्स ट्विन्स’ (Bretton Woods Twins) के नाम से भी जाना जाता है।

(ii) वर्ष 1945 में स्थापित IMF विश्व के 189 देशों द्वारा शासित है तथा यह अपने निर्णयों के लिये इन देशों के प्रति उत्तरदायी है। भारत 27 दिसंबर, 1945 को IMF में शामिल हुआ था।

(iii) IMF का प्राथमिक उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली की स्थिरता सुनिश्चित करना है। अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली से आशय विनिमय दरों और अंतर्राष्ट्रीय भुगतान की उस प्रणाली से है जो देशों (और उनके नागरिकों) को एक-दूसरे के साथ लेन-देन करने में सक्षम बनाती है।

  • IMF के अधिदेश में वैश्विक स्थिरता से संबंधित सभी व्यापक आर्थिक और वित्तीय मुद्दों को शामिल करने के लिये वर्ष 2012 में इसे अद्यतन/अपडेट किया गया था।

(iv) IMF द्वारा जारी की जाने वाली रिपोर्ट:

  • वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (Global Financial Stability Report)।
  • वर्ल्ड इकॉनमी आउटलुक।

उमंगोट नदी: मेघालय

हाल ही में मेघालय सरकार ने उमंगोट नदी पर प्रस्तावित उमंगोट जलविद्युत परियोजना (Umngot Hydroelectric Project) को निष्पादित करने के लिये निजी विद्युत उत्पादकों के साथ एक समझौते को रद्द कर दिया है।

प्रमुख बिंदु

(i) दावकी नदी के रूप में लोकप्रिय, मेघालय की उमंगोट नदी निर्विवाद रूप से अपने साफ जल के साथ एशिया की सबसे स्वच्छ नदी है। यह पूर्वी शिलांग पीक (Shillong Peak) से निकलती है, जो समुद्र तल से 1,800 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।

(ii) यह नदी बांग्लादेश के साथ भारत की सीमा के करीब मेघालय के मावलिननॉन्ग/मावल्यान्नॉंग/मौलिन्नोंग गाँव जिसका अर्थ है ईश्वर का स्वयं का बगीचा (God's Own Garden), में स्थित है, जिसे एशिया का सबसे स्वच्छ गाँव कहा जाता है।

  • स्वच्छता के साथ-साथ इस गाँव ने 100% साक्षरता दर की एक दुर्लभ उपलब्धि भी हासिल की है।

(iii) यह अंत में बांग्लादेश में बहने से पहले जयंतिया और खासी पहाड़ियों के बीच एक प्राकृतिक विभाजक के रूप में कार्य करती है।

बहु-पक्षीय अभ्यास जैपेड 2021

भारतीय सेना का एक दल रूस के निझनी में आयोजित होने वाले बहुराष्ट्रीय अभ्यास जैपेड 2021 में भाग लेगा।

प्रमुख बिंदु

(i) यह रूसी सशस्त्र बलों के थिएटर स्तर के अभ्यासों में से एक है और मुख्य रूप से आतंकवादियों के खिलाफ संचालन पर ध्यान केंद्रित करता है।

(ii) अभ्यास में यूरेशियाई और दक्षिण एशियाई क्षेत्र के एक दर्ज़न से अधिक देश भाग लेंगे।

  • इसमें नौ देश भाग लेंगे जिनमें मंगोलिया, आर्मेनिया, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, सर्बिया, रूस, भारत और बेलारूस शामिल हैं।
  • आठ देश पर्यवेक्षक हैं जिनमें पाकिस्तान, चीन, वियतनाम, मलेशिया, बांग्लादेश, म्याँमार, उज़्बेकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं।

(ii) इसका उद्देश्य भागीदार देशों के बीच सैन्य और रणनीतिक संबंधों को बढ़ाना है।

(iii) अभ्यास में भारत की और से नगा बटालियन समूह भाग लेगा।

  • नागा रेजिमेंट भारतीय सेना की एक इन्फैंट्री रेजिमेंट है।

(iv) भारत ने अभ्यास TSENTR 2019 में भी भाग लिया, जो बड़े पैमाने पर अभ्यास की वार्षिक शृंखला तथा रूसी सशस्त्र बलों के वार्षिक प्रशिक्षण चक्र का हिस्सा है।

(v) भारत तथा रूस के बीच सैन्य अभ्यास

  • इंद्र 2021: संयुक्त त्रि-सेवा (सेना, नौसेना, वायु सेना) अभ्यास।

63वाँ रमन मैग्सेसे पुरस्कार

हाल ही में ‘रमन मैग्सेसे पुरस्कार-2021’ की घोषणा की गई है। यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष 31 अगस्त को फिलीपींस की राजधानी ‘मनीला’ में एक औपचारिक समारोह में प्रदान किया जाता है।

प्रमुख बिंदु

(i) ‘रेमन मैग्सेसे पुरस्कार’ वर्ष 1957 में स्थापित किया गया था और इसे एशिया का सर्वोच्च सम्मान माना जाता है।

(ii) इसका नाम फिलीपींस गणराज्य के तीसरे राष्ट्रपति ‘रेमन मैग्सेसे’ के नाम पर रखा गया है।

(iii) इस पुरस्कार का उद्देश्य एशिया में ऐसे व्यक्तियों एवं संगठनों को पहचानना और सम्मानित करना है, जिन्होंने सार्वजनिक मान्यता के लक्ष्य के बिना विशिष्टता हासिल की है और उदारता से दूसरों की मदद की है।

(iv) वर्ष 2009 तक यह पुरस्कार पारंपरिक रूप से पाँच श्रेणियों में दिया जाता था:

  • सरकारी सेवा; सार्वजनिक सेवा; सामुदायिक नेतृत्व; पत्रकारिता, साहित्य एवं रचनात्मक संचार कला; शांति एवं अंतर्राष्ट्रीय समझ।

(v) हालाँकि वर्ष 2009 के बाद से ‘रेमन मैग्सेसे अवार्ड फाउंडेशन’ प्रतिवर्ष ‘इमर्जेंट लीडरशिप’ के क्षेत्र से पुरस्कार विजेताओं का चयन करता है।

(vi) पुरस्कार विजेताओं को एक प्रमाण पत्र, रेमन मैग्सेसे की छवि के साथ एक पदक एवं नकद पुरस्कार प्रदान किया जाता है।

(vii) इस पुरस्कार को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एशिया के ‘नोबेल पुरस्कार’ के रूप में मान्यता प्राप्त है।

(viii) वर्ष 2021 के विजेता: बांग्लादेश से डॉ. फिरदौसी कादरी (वैक्सीन वैज्ञानिक), पाकिस्तान से मुहम्मद अमजद साकिब (माइक्रोफाइनेंस में अग्रणी), फिलिपीन से रॉबर्टो बैलोन (फिशर और सामुदायिक पर्यावरणविद्), संयुक्त राज्य अमेरिका से स्टीवन मुंसी (मानव अधिकार कार्यकर्त्ता) और ‘वॉचडॉक (खोजी पत्रकारिता संबंधी इंडोनेशियाई समूह)।

वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद (FSDC) की बैठक

हाल ही में वित्त मंत्री ने वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद (FSDC) की 24वीं बैठक की अध्यक्षता की। 

  • परिषद ने तनावग्रस्त संपत्तियों के प्रबंधन, वित्तीय स्थिरता विश्लेषण के लिये संस्थागत तंत्र को मज़बूती प्रदान करने, IBC (दिवाला और दिवालियापन संहिता) से संबंधित मुद्दों, सरकारी अधिकारियों के डेटा साझाकरण तंत्र, भारतीय रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण और पेंशन क्षेत्र से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की।

प्रमुख बिंदु

FSDC की स्थापना:

(i) यह वित्त मंत्रालय के तहत एक गैर-सांविधिक शीर्ष परिषद है तथा इसकी स्थापना वर्ष 2010 में एक कार्यकारी आदेश द्वारा की गई थी।

(ii) FSDC की स्थापना का प्रस्ताव सबसे पहले वित्तीय क्षेत्र के सुधारों पर गठित रघुराम राजन समिति (2008) द्वारा किया गया था।.


संरचना:

(i) इसकी अध्यक्षता वित्त मंत्री द्वारा की जाती है तथा इसके सदस्यों में वित्तीय क्षेत्र के सभी नियामकों (RBI, SEBI, PFRDA और IRDA) के प्रमुख, वित्त सचिव, आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) के सचिव, वित्तीय सेवा विभाग (DFS) के सचिव और मुख्य आर्थिक सलाहकार शामिल हैं।

  • वर्ष 2018 में, सरकार ने आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) के ज़िम्मेदार राज्य मंत्री, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव, भारतीय दिवाला और दिवालियापन बोर्ड (IBBI) के अध्यक्ष तथा राजस्व सचिव को शामिल करने के उद्देश्य से FSDC का पुनर्गठन किया।

(ii) FSDC उप-समिति की अध्यक्षता RBI के गवर्नर द्वारा की जाती है।

(iii) आवश्यकता पड़ने पर यह परिषद विशेषज्ञों को भी अपनी बैठक में आमंत्रित कर सकती है।


कार्य:

  • वित्तीय स्थिरता बनाए रखने, अंतर-नियामक समन्वय को बढ़ाने और वित्तीय क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिये प्रक्रिया को मज़बूत और संस्थागत बनाना।
  • अर्थव्यवस्था के वृहद-विवेकपूर्ण पर्यवेक्षण की निगरानी करना। यह बड़ेवित्तीय समूहों के कामकाज का आकलन करता है।

अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष

हाल ही में कृषि विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय कोष (IFAD) ने वर्ष 2030 तक अपने जलवायु वित्त का 30% ग्रामीण लघु-स्तरीय कृषि में प्रकृति-आधारित समाधानों के समर्थन पर केंद्रित करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।

  • इसने अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के वर्ल्ड कंज़र्वेशन कॉन्ग्रेस (WCC) से पूर्व, यह जैव विविधता की रक्षा के लिये अधिक निवेश का आह्वान किया है।
  • IUCN द्वारा प्रत्येक चार वर्ष के अंतराल पर वर्ल्ड कंज़र्वेशन कॉन्ग्रेस का आयोजन किया जाता है। कॉन्ग्रेस के माध्यम से IUCN के विभिन्न सदस्य एक साथ आते हैं, सिफारिशों पर मतदान करते हैं और वैश्विक संरक्षण प्रयासों के लिये एजेंडा निर्धारित करते हैं।

प्रमुख बिंदु

IFAD के विषय में:

  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान और संयुक्त राष्ट्र की एक विशिष्ट एजेंसी है जो विकासशील देशों के ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन के क्षेत्र में काम कर रही है तथा संबद्ध परियोजनाओं के लिये कम ब्याज के साथ अनुदान और ऋण प्रदान करने का कार्य करती है।
  • यह हाशिए पर जीवन व्यतीत कर रहे लोगों और कमज़ोर समूहों (जैसे कि छोटी जोत वाले किसान, वनवासी, पशुचारक, मछुआरे तथा छोटे पैमाने के उद्यमी) को आपदा की तैयारी, मौसम की जानकारी तक पहुँच, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एवं सामाजिक शिक्षा आदि प्रदान करने का कार्य करता है।

गठन:

  • वर्ष 1974 के वर्ल्ड फूड कॉन्फ्रेंस के परिणामस्वरूप वर्ष 1977 में इसका गठन किया गया था।

मुख्यालय:

  • रोम, इटली

सदस्य:

(i) इसके 177 सदस्य देश हैं।

  • भारत भी इसका सदस्य देश है।

उद्देश्य:

  • गरीब लोगों की उत्पादक क्षमता में वृद्धि करना।
  • बाज़ार की भागीदारी के माध्यम से उनके लाभ में वृद्धि करना।
  • उनकी आर्थिक गतिविधियों की पर्यावरणीय स्थिरता और जलवायु अनुकूलता को मज़बूती प्रदान करना।

रिपोर्ट:

  • यह संगठन प्रतिवर्ष रूरल डेवलपमेंट रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।

ईट राइट स्टेशन सर्टिफिकेशन

हाल ही में भारतीय रेलवे के चंडीगढ़ स्टेशन को यात्रियों को उच्च गुणवत्ता वाला पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिये 5-स्टार 'ईट राइट स्टेशन' प्रमाणपत्र से सम्मानित किया गया है। चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन यह प्रमाणपत्र प्राप्त करने वाला देश का पाँचवां स्टेशन बन गया है।

  • यह प्रमाणपत्र पाने वाले अन्य चार रेलवे स्टेशन हैं- आनंद विहार टर्मिनल रेलवे स्टेशन (दिल्ली), छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (मुंबई), मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन (मुंबई) और वडोदरा रेलवे स्टेशन। यह प्रमाणीकरण ‘ईट राइट इंडिया’ मूवमेंट का हिस्सा है।

प्रमुख बिंदु

परिचय:

(i) भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा 'ईट राइट स्टेशन' प्रमाणीकरण उन रेलवे स्टेशनों को प्रदान किया जाता है जो यात्रियों को सुरक्षित और पौष्टिक भोजन प्रदान करने में मानक (खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के अनुसार) स्थापित करते हैं।

  • FSSAI खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 (FSS अधिनियम) के तहत स्थापित एक स्वायत्त वैधानिक निकाय है।

(ii) रेलवे स्टेशन को 1 से 5 तक की रेटिंग वाली FSSAI पैनल की तृतीय-पक्ष ऑडिट एजेंसी के निष्कर्ष पर उक्त प्रमाण पत्र से सम्मानित किया किया जाता है।

  • 5-स्टार रेटिंग यात्रियों के लिये सुरक्षित और स्वच्छ भोजन सुनिश्चित करने के बारे में स्टेशनों द्वारा किये गए अनुकरणीय प्रयासों को दर्शाती है।

ईट राइट मूवमेंट

  • यह सभी भारतीयों हेतु सुरक्षित, स्वस्थ और टिकाऊ भोजन सुनिश्चित कर देश की खाद्य प्रणाली को बदलने के लिये भारत और FSSAI की एक पहल है। इसकी टैगलाइन है 'सही भोजन बेहतर जीवन'।
  • ईट राइट इंडिया, राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 से जुड़ा हुआ है, जिसमें आयुष्मान भारत, पोषण अभियान, एनीमिया मुक्त भारत और स्वच्छ भारत मिशन जैसे प्रमुख कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • यह खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये नियामक, क्षमता निर्माण, सहयोगात्मक और सशक्तीकरण दृष्टिकोण के विवेकपूर्ण संयोजन को अपनाता है।

संबंधित पहल:

(i) राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक:

  • FSSAI ने खाद्य सुरक्षा के पाँच मापदंडों पर राज्यों के प्रदर्शन को मापने के लिये राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक (SFSI) विकसित किया है।

(ii) ईट राइट अवार्ड्स:

  • FSSAI ने नागरिकों को सुरक्षित और स्वस्थ भोजन विकल्प चुनने तथा खाद्यान्न कंपनियों तथा व्यक्तियों के योगदान को मान्यता देने हेतु 'ईट राइट अवार्ड्स' की स्थापना की है, जो नागरिकों के बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण में मदद करेगा।

(iii) ईट राइट मेला:

  • FSSAI द्वारा आयोजित यह मेला नागरिकों को सही खान-पान हेतु प्रेरित करने के लिये एक आउटरीच गतिविधि है।

वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2022: टीएचई

हाल ही में टाइम्स हायर एजुकेशन (THE) द्वारा वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2022 संस्करण जारी किया गया है।

  • टाइम्स हायर एजुकेशन जिसे पहले टाइम्स हायर एजुकेशन सप्लीमेंट (THES) के नाम से जाना जाता था, एक पत्रिका है जो विशेष रूप से उच्च शिक्षा से संबंधित खबरों और मुद्दों पर रिपोर्टिंग करती है।
  • इससे पहले क्वाक्वेरेली साइमंड्स (QS) ने क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2022 जारी की थी।

प्रमुख बिंदु 

वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग के बारे में:

यह रैंकिंग यूनिवर्सिटी/विश्वविद्यालय गतिविधि के चार मुख्य क्षेत्रों को कवर करती हैजिनमें शिक्षण, अनुसंधान, ज्ञान हस्तांतरण औरअंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण शामिल हैं टाइम्स हायर एजुकेशन वर्ष 2004 से यह डेटा जारी कर रहा है।

भारत की रैंकिंग:

  • टाइम्स हायर एजुकेशन (THE) द्वारा जारी वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2022 में विश्व की शीर्ष 1,000 यूनिवर्सिटीज़ में भारत की 35 यूनिवर्सिटीज़ शामिल हैं , जो रैंकिंग में अब तक का दूसरा सबसे बड़ा विश्वविद्यालयों का समूह है। पिछले साल इसमें 36 यूनिवर्सिटीज़ शामिल थीं।
  • भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) शीर्ष प्रदर्शन करने वाला संस्थान था, उसके बाद IIT रोपड़ और JSS अकादमी ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च रहे हैं।

वैश्विक रैंकिंग:

  • विश्व स्तर पर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी लगातार छठे वर्ष रैंकिंग में सबसे ऊपर रही है, जबकि चीन (मुख्य भूमि) की सिंघुआ यूनिवर्सिटी वर्तमान पद्धति (2011 में लॉन्च) के तहत शीर्ष 20 में प्रवेश करने वाला पहला एशियाई विश्वविद्यालय बन गया है।
  • देशों के हिसाब से देखा जाए तो कुल मिलाकर रैंकिंग में अमेरिका के सर्वाधिक 183 संस्थान शामिल हैं।

संबंधित भारतीय पहल:

(i) उत्कृष्ट संस्थान (IoE) योजना

  • 20 संस्थानों (सार्वजनिक क्षेत्र से 10 और निजी क्षेत्र से 10) की स्थापना या उन्नयन हेतु नियामक वास्तुकला प्रदान करने के लिये विश्व स्तरीय शिक्षण और अनुसंधान संस्थान जिन्हें 'उत्कृष्ट संस्थान' (Institutions of Eminence) कहा जाता है।

(ii) राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020:

  • इसका उद्देश्य भारतीय शिक्षा प्रणाली में स्कूल से लेकर कॉलेज स्तर तक बदलाव लाना और भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना है।

(iii) अनुसंधान नवाचार और प्रौद्योगिकी को प्रभावित करना (IMPRINT):

  • एक नई इंजीनियरिंग शिक्षा नीति का निर्माण करने और प्रमुख इंजीनियरिंग तथा प्रौद्योगिकी चुनौतियों को हल करने के लिये अनुसंधान हेतु रोडमैप विकसित करने के लिये पैन-आईआईटी (Pan-IIT) व आईआईएससी (IISc) की अपनी तरह की पहली संयुक्त पहल।

(iv) उच्चतर आविष्कार योजना (UAY):

  • प्रमुख तकनीकी संस्थानों में छात्रों और संकाय में नवीन विचारों को बढ़ावा देने हेतु।

सिम्बेक्स 2021

हाल ही में भारत और सिंगापुर के मध्य सिंगापुर-भारत द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास (Singapore-India Maritime Bilateral Exercise- SIMBEX) का 28वाँ संस्करण पूर्ण हुआ है।

प्रमुख बिंदु

SIMBEX:

  • वर्ष 1994 में शुरू किया गया, SIMBEX किसी भी विदेशी नौसेना के साथ भारतीय नौसेना का सबसे लंबा निर्बाध द्विपक्षीय समुद्रीअभ्यास है।
  • SIMBEX का 28वाँ संस्करण दक्षिण चीन सागर के दक्षिणी किनारे पर एक विशाल नौसैनिक युद्ध अभ्यास था, जो रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्णक्षेत्र में हितों की बढ़ती समानता को दर्शाता है।

अन्य रक्षा सहयोग:

  • दोनों नौसेनाओं का एक-दूसरे के समुद्री सूचना संलयन केंद्रों में प्रतिनिधित्व है और हाल ही में आपसी पनडुब्बी बचाव सहायता एवं समन्वय पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • सिंगापुर हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (IONS) और भारतीय नौसेना द्वारा आयोजित बहुपक्षीय अभ्यास मिलन में भाग लेता है।
  • हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) की सिंगापुर की सदस्यता और ADMM+ (आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक- प्लस) की भारत की सदस्यता दोनों देशों को पारस्परिक चिंता के क्षेत्रीय मुद्दों पर स्थिति समन्वय हेतु एक मंच प्रदान करती है।

अन्य अभ्यास:

  • बोल्ड कुरुक्षेत्र (थल सेना)
  • संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण (वायु सेना)
  • त्रिपक्षीय समुद्री अभ्यास SIMTEX (थाईलैंड के साथ)।

नोट:

  • सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट से संबंधित रिपोर्ट 'हेनले पासपोर्ट इंडेक्स 2021' में सिंगापुर को दूसरा स्थान दिया गया है।
  • सिंगापुर के नाम पर पहली संयुक्त राष्ट्र संधि- इंटरनेशनल सेटलमेंट अग्रीमेंट्स रिजल्टिंग फ्रॉम मीडियेशन (या, सिंगापुर कन्वेंशन ऑन मीडियेशन) हाल ही में लागू हुई है।
  • हाल ही में सिंगापुर के हॉकर कल्चर को मानवता की अमूर्तसांस्कृतिक विरासत की यूनेस्को प्रतिनिधि सूची में शामिल किया गया था।

हाइसीन: नई श्रेणी के बाह्य ग्रह

हाल ही में कुछ खगोलविदों ने एक्सोप्लेनेट के एक नए वर्ग हाइसीन वर्ल्ड (Hycean Worlds) की पहचान की है।

प्रमुख बिंदु

परिचय:

(i) हाइसीन वर्ल्ड हाइड्रोजन और महासागर से मिलकर बना है। ग्रह-व्यापी महासागर एवं हाइड्रोजन-समृद्ध वातावरण इस वर्ल्ड को कवर कर सकते हैं।

(ii) पृथ्वी के व्यास के 2.6 गुने व्यास, 200 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान तथा हाइड्रोजन की मोटी परत के साथ वे विशिष्ट प्रकार के एलियन ग्रह हैं। इनका यह गुण उन्हें पृथ्वी और नेपच्यून या यूरेनस जैसे विशाल ग्रहों के बीच कहीं स्थापित करता है।

  • सौरमंडल में कोई एनालॉग नहीं होने के कारण इन ग्रहों को उनके घनत्व के आधार पर विस्तृत संघटन (Bulk Compositions) के संबंध में अनुमानों पर सुपर-अर्थ या मिनी-नेप्च्यून के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

(iii) अधिकांश मिनी-नेप्च्यून के विपरीत इन ग्रहों में पृथ्वी की तरह ठोस सतह हो सकती है। कई ज्ञात हाइसीन ग्रह पृथ्वी की तुलना में कहीं अधिक बड़े हैं जहाँ महासागर उपस्थित हो सकते हैं।

(iv) कुछ हाइसीन अपने सितारों के साथ ज्वारबंधन की स्थिति में होते हैं अर्थात् इतने करीब से परिक्रमा करते हैं कि इन पर दिन की अवधि अत्यधिक गर्म होती है तथा दूसरी तरफ घना अंधेरा रहता है। साथ ही कुछ हाइसीन अपने सितारे से बहुत दूरस्थित होते हैं तथा बहुत कम प्रकाश प्राप्त करते हैं लेकिन ऐसे हाइसीन पर भी जीवन मौजूद हो सकता है।

  • ज्वारबंधन (Tidal Locking) उस स्थिति को दिया गया नाम है जब किसी वस्तु की कक्षीय अवधि उसकी घूर्णन अवधि से मेल खाती है।

महत्त्व:

(i) ऐसे ग्रहों पर स्थितियाँ हमारे ग्रह से कुछ अधिक चरम जलीय वातावरण के समान हो सकती हैं, लेकिन सैद्धांतिक रूप से कम-से-कम माइक्रोबियल जीवन का समर्थन कर सकती हैं।

(ii) हाइसीन वर्ल्ड कहीं और जीवन की खोज में तेज़ी ला सकता है। कुछ मायनों में वे बड़े पैमाने पर या यहाँ तक कि पूरी तरह से महासागरों से आच्छादित पृथ्वी की याद दिलाते हैं।

  • हाइसीन वर्ल्ड पृथ्वी से भिन्न जीवन का समर्थन कर सकता है।

एक्सोप्लेनेट:

(i) एक एक्सोप्लेनेट या एक्स्ट्रासोलर ग्रह सौरमंडल के बाहर स्थित एक ग्रह है। एक्सोप्लेनेट की जानकारी के बारे में पुष्टि पहली बार वर्ष 1992 में की गई थी।

  • अब तक 4,400 से अधिक एक्सोप्लेनेट की खोज की जा चुकी है।

(ii) एक्सोप्लेनेट को सीधे दूरबीन से देखना बहुत कठिन है। वे उन सितारों की अत्यधिक चमक से छिपे हुए हैं जिनकी वे परिक्रमा करते हैं। इसलिये खगोलविद् एक्सोप्लेनेट का पता लगाने और उनका अध्ययन करने के लिये अन्य तरीकों का उपयोग करते हैं जैसे कि ग्रहों के उन सितारों पर पड़ने वाले प्रभावों को देखना जिनकी वे परिक्रमा करते हैं।

भारत का सबसे ऊँचा वायु शोधक: चंडीगढ

नीले आसमान के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस (International Day of Clean Air for Blue Skies) पर चंडीगढ़ में भारत के सबसे ऊँचे वायु शोधक का उद्घाटन किया गया।

  • इससे पहले अगस्त 2021 में नई दिल्ली के कनॉट प्लेस में देश के पहले 'स्मॉग टॉवर' का उद्घाटन किया गया था।

प्रमुख बिंदु

संदर्भ:

(i) यह 24 मीटर ऊँचा आउटडोर वायु शोधन टॉवर है और लगभग 1 किमी. के दायरे की वायु को शुद्ध करने में सक्षम है।

(ii) यह अपने द्वारा ग्रहण की गई और छोड़ी गई वायु का गुणवत्ता सूचकांक भी दर्शाएगा। यह विद्युत के माध्यम से कार्य करता है।

  • वायु शोधक, वायु प्रदूषण कणों को कम करने के लिये बड़े पैमाने पर वायु शोधक के रूप में डिज़ाइन की गई संरचनाएँ हैं।

(iii) चंडीगढ़, राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) मानदंडों के अनुसार, देश के गैर-प्राप्ति (Non-Attainment) श्रेणी के शहरों में से एक हैजिसका अर्थ हैकि यह पाँच वर्ष की अवधि में हानिकारक पीएम 10 (पार्टिकुलेट मैटर जो 10 माइक्रोन या उससे कम व्यास का है), पीएम 25 या NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड) के लिये लगातार राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानकों (NAAQS) को पूरा नहीं करता है।

  • लॉकडाउन अवधि के दौरान "संतोषजनक" और "मध्यम" रहने के बाद तथा कुछ महीनों के पश्चात् वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) नवंबर 2020 में पहली बार फिर से "खराब" स्थिति में हो गया था।

नीले आसमान के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस:

(i) संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने दिसंबर 2019 में एक प्रस्ताव अपनाया जिसके द्वारा 7 सितंबर को नीले आसमान के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस की घोषणा की गई।

(ii) इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन, मानव और ग्रहीय स्वास्थ्य के साथ-साथ सतत् विकास लक्ष्यों जैसे अन्य महत्त्वपूर्ण मुद्दों को शामिल करने के लिये व्यापक स्तर पर बातचीत को जारी रखते हुए सभी के लिये स्वस्थ वायु की आवश्यकता को प्राथमिकता देना है।

(iii) वर्ष 2030 तक वायु, जल और मिट्टी में रसायनों जैसे प्रदूषकों के कारण हताहतों की संख्या और रोगों को कम करने की आवश्यकता को मान्यता देने के लिये प्रस्ताव को अपनाया गया था।

(iv) वर्ष 2021 के लिये थीम स्वस्थ वायु, स्वस्थ ग्रह (Healthy Air, Healthy Planet) है।

मांडा भैंस: ओडिशा

मांडा भैंस को राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (National Bureau of Animal Genetic ResourcesNBAGR) द्वारा भारत में पाई जाने वाली भैंसों की 19वीं अनूठी नस्ल के रूप में मान्यता दी गई है।

  • मवेशियों की चार नस्लें- बिंझारपुरी, मोटू, घुमुसरी, खरियार तथा भैंस की दो नस्लें- चिलिका एवं कालाहांडी और भेड़ की एक नस्लकेंद्रपाड़ा को पहले ही NBAGR द्वारा मान्यता प्रदान की जा चुकी है।

प्रमुख बिंदु

मांडा:

(i) निवास:

  • यह पूर्वी घाटों और ओडिशा के कोरापुट क्षेत्र के पठार में पाए जाते हैं।
  • इन छोटी और मज़बूत भैंसों का उपयोग उनके मूल निवास स्थानों पर जुताई के लिये किया जाता है।

(ii) विशेषताएँ:

  • इस नस्ल के भैंसों के शरीर का रंग आमतौर पर धूसर (Grey) होता है तथा कुछ चांदी के समान सफेद रंग के होते हैं।

(iii) नस्ल की विशेषता:

  • मांडा परजीवी संक्रमणों के लिये प्रतिरोधी हैं, जिनमें बीमारियों की संभावना कम होती है और ये कम या शून्य इनपुट प्रणाली पर जीवित रहने के साथ ही उत्पादन और प्रजनन में सक्षम होते हैं।

मान्यता का महत्त्व:

  • राज्य एवं केंद्र ओडिशा के इस अद्वितीय भैंस आनुवंशिक संसाधन के संरक्षण और प्रजनन रणनीति के माध्यम से इनकी उत्पादकता बढ़ाने के प्रयास करेंगे।
  • सरकार इनसे प्राप्त उत्पादों- दूध, दही और घी को प्रीमियम मूल्य पर विपणन करने में मदद करेगी जिसके परिणामस्वरूप मूल क्षेत्र में हितधारकों की आजीविका में सुधार होगा।

राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो:

  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)- राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, करनाल (ICAR-NBAGR) देश के पशुधन और कुक्कुट के नए पहचाने गए प्लाज़्मा जर्मप्लाज़्म (Germplasm) के पंजीकरण के लिये नोडल एजेंसी है।
  • इसके अधिदेश में पशुधन एवं कुक्कुट आनुवंशिक संसाधनों की पहचान, मूल्यांकन, विशेषता, संरक्षण और टिकाऊ उपयोग शामिल है।

डेफएक्सपो-2022

मार्च 2022 में डेफएक्सपो-2022 (DefExpo) का 12वाँ संस्करण गुजरात के गांधीनगर में आयोजित किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

संदर्भ:

(i) डेफएक्सपो रक्षा मंत्रालय का एक प्रमुख द्विवार्षिक कार्यक्रम है, जिसमें भूमि, नौसेना, वायु के साथ-साथ मातृभूमि सुरक्षा प्रणालियों का प्रदर्शन किया जाता है।

(ii) डेफएक्सपो-2022 का उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के विज़न पर आगे बढ़ना और वर्ष 2024 तक 5 बिलियन डॉलर के रक्षा निर्यात के लक्ष्य को प्राप्त करना है।

(iii) डेफएक्सपो का 11वाँ संस्करण वर्ष 2020 में लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में आयोजित किया गया था।


आत्मनिर्भर भारत के तहत रक्षा क्षेत्र में सुधार:

(i) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) सीमा में संशोधन: स्वचालित मार्ग के तहत रक्षा निर्माण में FDI की सीमा 49% से बढ़ाकर 74% कर दी गई है।

(ii) परियोजना प्रबंधन इकाई (PMU): सरकार से एक परियोजना प्रबंधन इकाई (अनुबंध प्रबंधन उद्देश्यों के लिये) की स्थापना करके समयबद्ध रक्षा खरीद और तेज़ी से निर्णय लेने की आशा की जाती है।

(iii) रक्षा आयात विधेयक में कमी: सरकार आयात के लिये प्रतिबंधित हथियारों/प्लेटफॉर्मों की एक सूची अधिसूचित करेगी और इस प्रकार ऐसी वस्तुओं को केवल घरेलू बाज़ार से ही खरीदा जा सकता है।

  • घरेलू पूंजी खरीद के लिये अलग बजट प्रावधान।

(iv) आयुध निर्माणी बोर्ड का निगमीकरण: इसमें कुछ इकाइयों की सार्वजनिक सूची शामिल होगी, जो डिज़ाइनर और अंतिम उपयोगकर्त्ता के साथ निर्माता के अधिक कुशल इंटरफेस को सुनिश्चित करेगा।

भोगदोई नदी

नगालैंड में बड़े पैमाने पर कोयला खनन, चाय बागानों से अपशिष्ट निर्वहन और अतिक्रमण असम में भोगदोई नदी के जल को प्रदूषित कर रहे हैं।

  • वर्ष 2019 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने भोगदोई को असम की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक और देश की प्रदूषित नदियों में 351वीं घोषित किया।

प्रमुख बिंदु

(i) परिचय:

  • यह नगालैंड के ‘मोकोकचुंग’ से निकलती है, जहाँ इसे ‘सुजेनयोंग’ नाला के नाम से भी जाना जाता है और यह ब्रह्मपुत्र नदी की दक्षिण तट से जुड़ने वाली सहायक नदी है।
  • यह एक अंतर-राज्यीय नदी है (असम और नगालैंड के बीच बहती है) और ब्रह्मपुत्र के संगम के पास धनसिरी नदी में मिलती है।

(ii) मुद्दे:

  • नगालैंड में कोयला खनन ने नदी में उच्च स्तर के मैंगनीज़ के प्रवाह की शुरुआत की।
  • चाय बागानों से निकलने वाला रासायनिक कचरा नदी को ज़हरीला और प्रदूषित कर रहा है।
  • नालियों में औद्योगिक और आवासीय कचरे के बहाव के कारण इस नदी में भारी मात्रा में गाद जमा हो गई है, जिससे इसकी वहन क्षमता कम हो गई है।
  • उच्च BOD (जैविक ऑक्सीजन मांग) जलीय जीवन के लिये पानी की कम गुणवत्ता और कम ऑक्सीजन को इंगित करता है।
  • नदी के किनारे बड़े पैमाने पर अतिक्रमण न केवल नदी को संकरा बना रहा हैबल्कि गंदगी और कचरा भी बढ़ा रहा है।
  • नदी के किनारे मानव मल और शवों का अंतिम संस्कार करना धीरे-धीरे इस क्षेत्र की मिट्टी और पानी को दूषित कर रहा है। इससे जलजनित बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।

(iii) ब्रह्मपुत्र नदी:

  • ब्रह्मपुत्र नदी मानसरोवर झील (तिब्बत) के पास कैलाश श्रेणी के चेमायुंगडुंग ग्लेशियर से सियांग या दिहांग के नाम से निकलती है। यह अरुणाचल प्रदेश के सादिया शहर के पश्चिम में भारत में प्रवेश करती है।
  • सहायक नदियाँ: दिहांग नदी, दिबांग नदी, लोहित नदी, धनसिरी नदी, कोलोंग नदी, कामेंग नदी, मानस नदी, बेकी नदी, रैदक नदी, जलधाका नदी, तीस्ता नदी, सुबनसिरी नदी।

जैविक ऑक्सीजन मांग (BOD):

  • जैविक कचरे से होने वाले जल प्रदूषण को BOD के रूप में मापा जाता है।
    BOD पानी में मौजूद कार्बनिक कचरे को विघटित करने के लिये बैक्टीरिया द्वारा आवश्यक घुलित ऑक्सीजन (डीओ) की मात्रा है। इसे प्रति लीटर पानी में मिलीग्राम ऑक्सीजन में व्यक्त किया जाता है।
  • चूँकि BOD बायोडिग्रेडेबल सामग्री तक सीमित है, इसलिये यह जल प्रदूषण को मापने का एक विश्वसनीय तरीका नहीं है।

रासायनिक ऑक्सीजन मांग (COD):

  • COD पानी के नमूने में कार्बनिक (बायोडिग्रेडेबल और गैर-बायोडिग्रेडेबल) एवं ऑक्सीकरण योग्य अकार्बनिक यौगिकों को ऑक्सीकरण करने के लिये आवश्यक प्रति मिलियन भागों में ऑक्सीजन की मात्रा को मापता है।

पराग कैलेंडर: चंडीगढ़

‘पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च’ (PGIMER) और ‘पंजाब विश्वविद्यालय’ ने चंडीगढ़ के लिये एक ‘पराग कैलेंडर’ (PC) विकसित किया है, जो भारत के किसी शहर के लिये अपनी तरह का पहला प्रयास है।

  • पराग कैलेंडर को लगभग दो वर्षों तक हवाई/वायुजनित पराग और इसके मौसमी बदलावों का अध्ययन करने के बाद बनाया गया था।

प्रमुख बिंदु

(i) पराग कैलेंडर (PC)

  • पराग कैलेंडर (PC) एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र में मौजूद हवाई/वायुजनित पराग के समय की गतिशीलता का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे एक ही चित्र में पूरे वर्ष में मौजूद विभिन्न वायुजनित परागों के बारे में आसानी से सुलभ दृश्य विवरण प्राप्त करते हैं।
  • ‘पराग कैलेंडर’ प्रायः स्थान-विशिष्ट होते हैं, जिसमें पराग की सांद्रता स्थानीय रूप से वितरित वनस्पतियों से निकटता से संबंधित होती है।
  • यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और अमेरिका द्वारा ‘एलर्जिक राइनाइटिस’/’हे फीवर’ को रोकने तथा निदान करने एवं पराग के मौसम के समय एवं गंभीरता का अनुमान लगाने के लिये क्षेत्रीय पराग कैलेंडर का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है।

(ii) पराग

  • परागकण नर जैविक संरचनाएँ हैं, जिनका प्राथमिक दायित्व ‘गर्भाधान’ होता है, लेकिन जब मनुष्यों द्वारा साँस ली जाती है, तो वे श्वसन प्रणाली पर दबाव डाल सकते हैं और एलर्जी का कारण बन सकते हैं।
  • ‘पराग’ पौधों द्वारा छोड़ा जाता है, जिससे लाखों लोग हे फीवर, परागण और एलर्जिक राइनाइटिस से पीड़ित होते हैं।
  • भारत में लगभग 20-30% आबादी एलर्जिक राइनाइटिस या हे फीवर से पीड़ित है और लगभग 15% लोग अस्थमा से पीड़ित हैं।
  • PGIMER के एक अध्ययन के अनुसार, वसंत और शरद ऋतु का मौसम वायुजनित पराग के लिये काफी विशिष्ट होता है, जब फेनोलॉजिकल एवं मौसम संबंधी मापदंड पराग कणों के विकास, फैलाव और संचरण के लिये अनुकूल होते हैं।

अन्य समाधान

  • ‘द्विलिंगी पुष्प’ (एक ही पुष्प पर नर और मादा पुष्प) लगाना। हिबिस्कस, लिली और हॉली ऐसे पौधों के उदाहरण हैं।
  • ऐसे पेड़/झाड़ियाँ लगाना जो बहुत कम पराग छोड़ते हैं। ताड़, बिछुआ, सफेदा, शहतूत, काॅन्ग्रेस ग्रास, चीड़ जैसे पेड़ों में पराग का प्रकोप अधिक होता है।
  • गैर-एलर्जी या एंटोमोफिलस पौधों की प्रजातियाँ जैसे- गुलाब, चमेली, साल्विया, बोगनविलिया, रात की रानी और सूरजमुखी आदि।

कार्ड डेटा स्टोर करने संबंधी दिशा-निर्देश: RBI

हाल ही में भारतीय रिज़र्वबैंक (RBI) ने संस्थाओं या अन्य व्यापारियों द्वारा बैंक कार्ड डेटा के भंडारण के संबंध में नए निर्देश दिये हैं।

  • इसने निर्देश दिया हैकि कार्ड जारीकर्त्ता और कार्ड नेटवर्क के अलावा कोई भी संस्था या व्यापारी कार्ड के विवरण को स्टोर नहीं करेगा। यह कार्डविवरण साझा करने के कारण होने वाली धोखाधड़ी को कम करेगा।

प्रमुख बिंदु

संदर्भ:

(i) जनवरी 2022 से कार्ड जारीकर्त्ता और कार्डनेटवर्क के अलावा कार्डलेनदेन या भुगतान शृंखला में किसी भी संस्था को वास्तविक कार्ड डेटा संग्रहीत नहीं करना होगा। पहले से संग्रहीत ऐसा कोई भी डेटा हटा दिया जाएगा।

(ii) इसने कार्ड जारीकर्त्ताओं द्वारा कार्ड-ऑन-फाइल (CoF) के टोकनाइज़ेशन को भी बढ़ा दिया है।

(iii) इसने कार्ड जारीकर्त्ताओं को टोकन सेवा प्रदाता (TSPs) के रूप में कार्ड टोकनाइज़ेशन सेवाएँ प्रदान करने की अनुमति दी है।

  • TSPs केवल उनके द्वारा जारी या संबद्ध कार्डों के लिये टोकन की सुविधा की पेशकश करेंगे।

टोकनाइज़ेशन:

  • टोकनाइज़ेशन वास्तविक कार्डविवरण को "टोकन" नामक एक वैकल्पिक कोड के साथ बदलने को संदर्भित करता है, जो कार्ड, टोकन अनुरोधकर्त्ता और डिवाइस के संयोजन के लिये अद्वितीय होगा।
  • टोकन का उपयोग पॉइंट-ऑफ-सेल टर्मिनल्स, त्वरित प्रतिक्रिया और कोड भुगतान पर संपर्क रहित मोड में कार्ड से लेनदेन करने के लिये किया जाता है।

कार्ड-ऑन-फाइल (CoF):

(i) CoF एक ऐसा लेन-देन है जहाँ कार्डधारक द्वारा कार्डधारक के मास्टरकार्ड या वीज़ा भुगतान विवरण को संग्रहीत करने के लिये एक व्यापारी को अधिकृत किया गया है।

(ii) कार्डधारक तब उसी व्यापारी को अपने संग्रहीत मास्टरकार्ड या वीज़ा खाते से ही बिल करने के लिये अधिकृत करता है।

  • ई-कॉमर्स कंपनियाँ और एयरलाइंस तथा सुपरमार्केट चेन सामान्य रूप से अपने सिस्टम में कार्डविवरण को संग्रहीत करते हैं।

पंज प्यारे

हाल ही में पंजाब में राजनीतिक नेताओं के लिये "पंज प्यारे" (Panj Piare) शब्द के प्रयोग के कारण विवाद उत्पन्न हो गया।

प्रमुख बिंदु

सिख परंपरा का हिस्सा : पंज प्यारे, पाँच बपतिस्मा प्राप्त सिखों को संबोधित करने के लिये उपयोग किया जाने वाला शब्द है, अर्थात् वे पुरुष जिन्हें दस गुरुओं में से अंतिम गुरु गोबिंद सिंह के नेतृत्व में खालसा (सिख योद्धाओं का विशेष समूह) में दीक्षित किया गया था।

  • वे दृढ़ता और भक्ति के प्रतीक के रूप में सिखों द्वारा सद्भावपूर्वक सम्मानित हैं।

उद्भव : गुरु गोबिंद सिंह ने वर्ष 1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ के साथ-साथ पंज प्यारे नामक संस्था की स्थापना की थी।

(i) गुरु गोबिंद सिंह ने पाँच लोगों को संस्कृति को संरक्षित करने हेतु अपने जीवन को आत्मसमर्पण करने का आग्रह किया। इस संदर्भ में बड़ी संख्या लोगों ने असहमति प्रकट की लेकिन अंततः पाँच स्वयंसेवक इसके लिये आगे आए।

(ii) गुरु गोबिंद सिंह ने स्वयं सिखों को यह अवगत कराने के लिये उसी चरण में उनसे बपतिस्मा लिया था कि पंज प्यारों के पास समुदाय में किसी की तुलना में उच्च अधिकार और निर्णय लेने की शक्ति है।

(iii) सिख इतिहास को आकार देने और सिख धर्म को परिभाषित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वास्तविक पंज प्यारे हैं:

  • भाई दया सिंह, लाहौर (1661-1708 ई.)
  • भाई धरम सिंह, हस्तिनापुर (1699-1708 ई.)
  • भाई हिम्मत सिंह, जगन्नाथपुरी (1661-1705 ई.)
  • भाई मोहकम सिंह, द्वारका (1663-1705 ई.)
  • भाई साहिब सिंह, बीदर (1662-1705 ई.)

(iv) तब से पाँच बपतिस्मा प्राप्त सिखों के प्रत्येक समूह को पंज प्यारे कहा जाता है तथा उन्हें भी वही सम्मान दिया जाता है जो प्रारंभिक पाँच सिख ‘पंज प्यारों’ को दिया जाता है।

योगदान :

(i) इन आध्यात्मिक योद्धाओं ने न केवल युद्ध के मैदान में विरोधियों से लड़ने का वचन दिया, बल्कि आंतरिक दुश्मन, अहंकार का मुकाबला करने तथा जाति उन्मूलन के प्रयासों के साथ-साथ मानवता की सेवा करने की शपथ ली।

(ii) उन्होंने वर्ष 1699 में बैसाखी के त्योहार पर गुरु गोबिंद सिंह तथा लगभग 80,000 अन्य लोगों को बपतिस्मा देते हुए वास्तविक अमृत संचार (सिख दीक्षा समारोह) किया।

(iii) सभी पाँच पंज प्यारे ने आनंद पुरीन की घेराबंदी में गुरु गोबिंद सिंह और खालसा के साथ युद्ध में हिस्सा लिया और दिसंबर 1704 में चमकौर की लड़ाई के दौरान गुरु गोबिंद सिंह को सुरक्षित निकालने में मदद की।

(iv) पंज प्यारे द्वारा लिये गए सर्वसम्मत निर्णय का समुदाय में सभी को पालन करना होता है।

  • अकाल तख्त के जत्थेदार भी किसी एक पक्ष में फैसला नहीं ले सकते हैं तथा अकाल तख्त के प्रत्येक फरमान पर पाँच तख्तों(अस्थायी सीटों) के सभी पाँच जत्थेदारों या उनके प्रतिनिधियों द्वारा हस्ताक्षर किया जाना आवश्यक है।

खालसा पंथ

  • गुरु गोबिंद सिंह ने सैनिक-संतों यानी ‘खालसा’ पंथ (जिसका अर्थ है 'शुद्ध') की स्थापना की थी।
  • खालसा पंथ से जुड़े संतों में प्रतिबद्धता, समर्पण और सामाजिक चेतना के उच्चतम गुण मौजूद होते हैं।
  • खालसा का आशय उन ‘पुरुष’ और ‘महिलाओं’ से है, जो सिख दीक्षा समारोह के माध्यम से पंथ में शामिल हुए हैं और जो सिख आचार संहिता एवं संबंधित नियमों का सख्ती से पालन करते हैं तथा गुरुओं द्वारा निर्धारित दिनचर्या (5K: केश (बिना कटे बाल), कंघा (एक लकड़ी की कंघी), कारा (एक लोहे का कंगन), कचेरा (सूती जांघिया) और कृपाण (एक लोहे का खंजर)) का पालन करते हैं।

चमकौर का युद्ध

  • यह युद्ध 21 से 23 दिसंबर (1704) के बीच तीन दिनों तक गुरु गोबिंद सिंह के खालसा और मुगलों तथा राजपूत पहाड़ी सरदारों की गठबंधन सेना के बीच लड़ा गया था।
  • गुरु गोबिंद सिंह ने अपने विजय पत्र ‘ज़फरनामा’ में इस युद्ध का उल्लेख किया है।

अकाल तख्त जत्थेदार

  • अकाल तख्त साहिब का अर्थ है ‘शाश्वत सिंहासन’। यह अमृतसर में स्वर्ण मंदिर परिसर का भी हिस्सा है। इसकी नींव छठे सिख गुरु, गुरु हरगोबिंद जी ने रखी थी।
  • जत्थेदार एक जत्थे (एक समूह, एक समुदाय या एक राष्ट्र) का नेता होता है।
  • सिखों में एक जत्थेदार का आशय सिख धर्मगुरुओं के नेता से होता है और वह तख्त का नेतृत्त्व करता है। सिख धर्म में पाँच जत्थेदार होते हैं, जिनमें से प्रत्येक एक तख्त या पवित्र स्थान का प्रतिनिधि होता है।

हरे कृष्ण आंदोलन : इस्कॉन

हाल ही में प्रधानमंत्री ने ‘इस्कॉन’ (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस) के संस्थापक ‘श्रील भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद’ की 125वीं जयंती को चिह्नित करने के लिये 125 रुपए का एक विशेष स्मारक सिक्का जारी किया है।

प्रमुख बिंदु

‘इस्कॉन’ के विषय में

(i) वर्ष 1966 में स्थापित ‘इस्कॉन’ को आमतौर पर ‘हरे कृष्ण आंदोलन’ के रूप में जाना जाता है।

(ii) ‘इस्कॉन’ ने श्रीमद्भगवद गीता और अन्य वैदिक साहित्य का 89 भाषाओं में अनुवाद किया है, जो दुनिया भर में वैदिक साहित्य के प्रसार में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

(iii) इस्कॉन आंदोलन के सदस्य भक्तिवेदांत स्वामी को कृष्ण चैतन्य महाप्रभु के प्रतिनिधि और दूत के रूप में देखते हैं।


श्रील भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद

(i) ‘अभय चरण डे’ के रूप में जन्मे (01 सितंबर, 1896 को कलकत्ता में) भक्तिवेदांत स्वामी एक भारतीय आध्यात्मिक शिक्षक और इस्कॉन के संस्थापक थे।

(ii) उन्हें भक्ति-योग के विषय में दुनिया के सबसे प्रमुख व्यक्तियों में से एक के रूप में सम्मान प्राप्त है, जिन्होंने भारत के प्राचीन वैदिक लेखन में उल्लिखित कृष्ण भक्ति के मार्ग को अपनाया।

(iii) स्वामी जी ने सौ से अधिक मंदिरों की भी स्थापना की और कई पुस्तकें लिखीं, जो दुनिया को भक्ति योग के मार्ग का अनुसरण करना सिखाती हैं।

(iv) आगे के वर्षों में उन्होंने एक वैष्णव भिक्षु के रूप में यात्राएँ कीं, वह इस्कॉन में स्वयं के नेतृत्व के माध्यम से भारत तथा विशेष रूप से पश्चिम में गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय के धर्मशास्त्र के एक प्रभावशाली संचारक बन गए।


गौड़ीय वैष्णववाद:

(i) यह चैतन्य महाप्रभु से प्रेरित एक वैष्णव हिंदू धार्मिक आंदोलन है।

  • यहाँ "गौड़िया" बंगाल के गौर या गौड़ क्षेत्र को वैष्णववाद के साथ संदर्भित करता हैजिसका अर्थ है "विष्णु की पूजा"।

(ii) गौड़ीय वैष्णववाद के मतानुसार, राधा और कृष्ण की भक्ति पूजा (भक्ति-योग के रूप में जाना जाता है) तथा भगवान के सर्वोच्च रूपों (स्वयं भगवान, Svayam Bhagavan) में उनके कई दिव्य अवतार हैं।

(iii) सबसे लोकप्रिय गीत जैसे "हरे कृष्णा और हरे रामा " के रूप में यह पूजा राधा और कृष्ण के पवित्र नामों के साथ गीत का रूप लेती है, आमतौर पर हरे कृष्णा (मंत्र) स्वर के रूप में कीर्तन किया जाता है तथा इसके साथ नृत्य भी किया जाता है।

‘ऑसइंडेक्स’ 2021

हाल ही में भारत और ऑस्ट्रेलिया ने ऑसइंडेक्स नौसैनिक अभ्यास के चौथे संस्करण में भाग लिया।

(i) यह मालाबार नौसैनिक अभ्यास के बाद शुरू हुआ है।

  • मालाबार अभ्यास भारत के सबसे बड़े युद्ध अभ्यासों में से एक है तथा हाल ही में (अगस्त 2021 के अंतिम सप्ताह में) इसका आयोजन किया गया था जिसमें क्वाड के सभी चार सदस्यों - भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान ने भाग लिया था।

(ii) यह अभ्यास दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण चीन सागर और पश्चिमी प्रशांत में नौसेना के पूर्वी बेड़े की दो महीने की तैनाती का एक हिस्सा है।

प्रमुख बिंदु

(i) ऑसइंडेक्स:

  • यह एक प्रमुख द्विवार्षिक द्विपक्षीय अभ्यास है, जो पहली बार वर्ष 2015 में भारत में आयोजित किया गया था।
  • वर्ष 2021 का युद्ध अभ्यास ऑस्ट्रेलिया में हो रहा है।
  • इसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने वाली क्षेत्रीय तथा वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों के प्रति साझा प्रतिबद्धता को मज़बूत करना है।
  • यह दोनों देशों के बीच वर्ष 2020 की व्यापक रणनीतिक साझेदारी से जुड़ा है।

(ii) अन्य अभ्यास:

  • Ex AUSTRA HIND (सेना के साथ द्विपक्षीय अभ्यास), पिच ब्लैक सैन्य अभ्यास (ऑस्ट्रेलिया का बहुपक्षीय हवाई युद्ध प्रशिक्षण अभ्यास)

(iii) अन्य विकास:

  • सप्लाई चैन रेज़ीलिएंस इनीशिएटिव
  • म्युचुअल लॉजिस्टिक सपोर्ट अरेंजमेंट (MLSA)

भारतीय दूतावासों/मिशनों में आत्मनिर्भर कॉर्नर

भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ (Tribal Cooperative Marketing Development

Federation of India- TRIFED) विदेश मंत्रालय के सहयोग से विश्व भर में स्थित 100 भारतीय मिशनों/दूतावासों में आत्मनिर्भर भारत कॉर्नर स्थापित करने की योजना बना रहा है।

  • स्वतंत्रता दिवस पर थाईलैंड के बैंकॉक में भारतीय दूतावास में पहले आत्मनिर्भर भारत कॉर्नर का उद्घाटन किया गया।
  • ट्राइफेड एक राष्ट्रीय स्तर का शीर्ष संगठन है जो जनजातीय मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है। यह वन धन कार्यक्रम, एमएफपी के लिये एमएसपी और ट्राइफूड जैसी योजनाओं में शामिल है।

प्रमुख बिंदु


आत्मनिर्भर भारत कॉर्नर:

  • प्राकृतिक और जैविक उत्पादों के अलावा GI टैग (भौगोलिक संकेत) प्राप्त करने वाले आदिवासी कला और शिल्प उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये आत्मनिर्भर कॉर्नर का एक विशेष स्थान होगा।

भौगोलिक संकेत:

(i) भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication) का इस्तेमाल ऐसे उत्पादों के लिये किया जाता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है। इन उत्पादों की विशिष्ट विशेषता एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण होती है। इस तरह का संबोधन उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है।

(ii) जीआई टैग को औद्योगिक संपत्ति के संरक्षण के लिये पेरिस कन्वेंशन (Paris Convention for the Protection of Industrial Property) के तहत बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) के एक घटक के रूप में शामिल किया गया है।

(iii) अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर GI का विनियमन विश्व व्यापार संगठन (WTO) के बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं (Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights-TRIPS) पर समझौते के तहत किया जाता है।

(iv) वहीं राष्ट्रीय स्तर पर यह कार्य ‘वस्तुओं का भौगोलिक सूचक’ (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 (Geographical Indications of goods ‘Registration and Protection’ act, 1999) के तहत किया जाता है, जो सितंबर 2003 से लागू हुआ।

(v) वर्ष 2004 में ‘दार्जिलिंग टी’ जीआई टैग प्राप्त करने वाला पहला भारतीय उत्पाद है।

  • भारत के लिये भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री चेन्नई में स्थित है।
  • भौगोलिक संकेत का पंजीकरण 10 वर्षों की अवधि के लिये वैध होता है। इसे समय-समय पर 10-10 वर्षों की अतिरिक्त अवधि के लिये नवीनीकृत किया जा सकता है।

अन्य संबंधित पहलें: आदि महोत्सव, गो ट्राइबल अभियान, ट्राइब्स इंडिया आदि।

विश्व का सबसे उत्तरी द्वीप

हाल ही में एक नए द्वीप की खोज की गई है जो ग्रीनलैंड के तट पर स्थित है।

प्रमुख बिंदु:

  • 60×30 मीटर वाला और समुद्र तल से तीन मीटर की चोटी के साथ यह अब पृथ्वी पर भूमि का नया सबसे उत्तरी टुकड़ा बन गया है।
  • इससे पहले उडाक आईलैंड (Oodaaq) को पृथ्वी के सबसे उत्तरी क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया था।
  • इसका निर्माण समुद्र तल की मृदा और मलबे (Moraine) से हुआ है तथा इसमें कोई वनस्पति नहीं पाई जाती है।
  • शोधकर्त्ताओं ने सुझाव दिया हैकि इस खोज का नाम 'क्यूकर्टाक अवन्नारलेक' (Qeqertaq Avannarleq) रखा जाए, जिसका अर्थ ग्रीनलैंडिक में “सबसे उत्तरी द्वीप” है।
  • यह खोज आर्कटिक देशों- संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, कनाडा, डेनमार्क और नॉर्वे के बीच उत्तरी ध्रुव के उत्तर में लगभग 700 किमी. तथा आसपास के समुद्र तल, मछली पकड़ने के अधिकार और जलवायु परिवर्तन के कारण बर्फ के पिघलने से उजागर मार्गों के नियंत्रण के लिये एक चुनौती के रूप में सामने आई है।
  • ग्लोबल वार्मिंग का ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर पर गंभीर प्रभाव हो सकता है, हालाँकि नया द्वीप जलवायु परिवर्तन का प्रत्यक्ष परिणाम नहीं है।

एटीएल स्पेस चैलेंज 2021

हाल ही में ‘नीति आयोग’ के ‘अटल इनोवेशन मिशन’ ने ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (इसरो) और ‘केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड’ के सहयोग से 'एटीएल स्पेस चैलेंज 2021' लॉन्च किया है।

  • इससे पहले जून 2020 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिये अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने का फैसला किया था और साथ ही निजी कंपनियों को भारत की अंतरिक्ष अवसंरचना का उपयोग करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिये एक नई इकाई- ‘भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन और प्राधिकरण केंद्र’ (IN-SPACe) के निर्माण को मंज़ूरी दी थी।

प्रमुख बिंदु

एटीएल स्पेस चैलेंज 2021

(i) इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना हैकि कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों को एक स्वतंत्र मंच प्रदान किया जा सके, जहाँ वे डिजिटल युग से संबंधित अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी समस्याओं को हल करने हेतु स्वयं को नवाचार के लिये सक्षम कर सकें।

(ii) एटीएल (अटल टिंकरिंग लैब्स) और गैर-एटीएल दोनों स्कूलों के छात्र अपनी प्रविष्टियाँ जमा कर सकते हैं। इसके तहत स्कूल के शिक्षक, एटीएल प्रभारी और संरक्षक, छात्र टीमों का समर्थन करेंगे।

  • ‘अटल टिंकरिंग लैब्स’ पहल के तहत छात्रों को अपने विचारों को आकार देने और प्रयोगशालाओं में अभिनव प्रयोग करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिये विशिष्ट प्रयोगशालाओं की स्थापना हेतु स्कूलों को अनुदान दिया जाता है।

(iii) यह विश्व अंतरिक्ष सप्ताह 2021 के साथ संरेखित है, जो अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के योगदान के महत्त्व को रेखांकित करने हेतु प्रतिवर्ष 4-10 अक्तूबर तक मनाया जाता है।

(iv) यह ऐसे समय में शुरू किया गया है जब ‘ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स’ (विश्व बौद्धिक संपदा संगठन द्वारा जारी) रैंकिंग में भारत के स्थान में बढ़ोतरी हेतु सरकार द्वारा कई प्रयास किये जा रहे हैं।


अटल इनोवेशन मिशन:

(i) ‘अटल इनोवेशन मिशन’ देश में नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार की प्रमुख पहल है।

(ii) इसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये नए कार्यक्रमों और नीतियों को विकसित करना, विभिन्न हितधारकों हेतु एक मंच और सहयोग के अवसर प्रदान करना, जागरूकता पैदा करना तथा देश के नवाचार

(iii) पारिस्थितिकी तंत्र की निगरानी के लिये एक अम्ब्रेला संरचना का निर्माण करना है।

(iv) प्रमुख पहलें:

  • अटल टिंकरिंग लैब्स: भारतीय स्कूलों में समस्या समाधान मानसिकता विकसित करना।
  • अटल इनक्यूबेशन सेंटर: विश्व स्तर पर स्टार्टअप को बढ़ावा देना और इनक्यूबेटर मॉडल में एक नया आयाम जोड़ना।
  • अटल न्यू इंडिया चैलेंज: उत्पाद नवाचारों को बढ़ावा देना और उन्हें विभिन्न क्षेत्रों/मंत्रालयों की ज़रूरतों के अनुरूप बनाना।
  • मेंटर इंडिया कैंपेन: मिशन की सभी पहलों का समर्थन करने हेतु यह सार्वजनिक क्षेत्र, कॉरपोरेट्स और संस्थानों के सहयोग से एक राष्ट्रीय मेंटर नेटवर्क है।
  • अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर: टियर-2 और टियर-3 शहरों सहित देश के असेवित क्षेत्रों में समुदाय केंद्रित नवाचार एवं विचारों को प्रोत्साहित करना।
  • लघु उद्यमों हेतु अटल अनुसंधान और नवाचार (ARISE): सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों में नवाचार एवं अनुसंधान को प्रोत्साहित करना।

स्वामी विवेकानंद

हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने स्वामी विवेकानंद द्वारा वर्ष 1893 में शिकागो में दिये गए प्रतिष्ठित भाषण को याद करते हुए कहा कि इसमें पृथ्वी को अधिक न्यायपूर्ण, समृद्ध एवं समावेशी बनाने की क्षमता है।

  • स्वामी विवेकानंद को भारत के सबसे बेहतरीन आध्यात्मिक नेताओं और बुद्धिजीवियों में से एक माना जाता है।

प्रमुख बिंदु

(i) जन्म: स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को नरेंद्रनाथ दत्त के रूप में हुआ था।

  • प्रतिवर्ष स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ का आयोजन किया जाता है।
  • वर्ष 1893 में खेतड़ी राज्य के महाराजा अजीत सिंह के अनुरोध पर उन्होंने 'विवेकानंद' की उपाधि धारण की।

(ii) योगदान

  • उन्होंने दुनिया को वेदांत और योग के भारतीय दर्शन से परिचित कराया।
  • उन्होंने 'नव-वेदांत' (पश्चिमी दृष्टिकोण के माध्यम से हिंदू धर्म की व्याख्या) का प्रचार किया और भौतिक प्रगति के साथ आध्यात्मिकता के संयोजन में विश्वास किया।
  • विवेकानंद ने मातृभूमि के उत्थान के लिये शिक्षा पर सबसे अधिक बल दिया। साथ ही उन्होंने मानव हेतु चरित्र-निर्माण की शिक्षा की वकालत की।
  • उन्हें वर्ष 1893 में शिकागो में विश्व धर्मसंसद में दिये गए उनके भाषण के लिये जाना जाता है।
  • उन्होंने अपनी पुस्तकों (राजयोग, कर्मयोग, ज्ञानयोग और भक्तियोग) में सांसारिक सुख एवं मोह से मोक्ष प्राप्त करने के चार मार्गों का वर्णन किया है।
  • नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने विवेकानंद को "आधुनिक भारत का निर्माता" कहा था।

(iii) संबंधित संगठन

  • वह 19वीं सदी के रहस्यवादी रामकृष्ण परमहंस के मुख्य शिष्य थे और उन्होंने वर्ष 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।
  • रामकृष्ण मिशन एक ऐसा संगठन है जो मूल्य आधारित शिक्षा, संस्कृति, स्वास्थ्य, महिला सशक्तीकरण, युवा एवं आदिवासी कल्याण और राहत तथा पुनर्वास के क्षेत्र में काम करता है।
  • वर्ष 1899 में उन्होंने ‘बेलूर मठ’ की स्थापना की, जो उनका स्थायी निवास बन गया।

(iv) मृत्यु: वर्ष 1902 में बेलूर मठ में उनकी मृत्यु हो गई। पश्चिम बंगाल में स्थित बेलूर मठ, रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय है।

सारागढ़ी का युद

हाल ही में 12 सितंबर को सारागढ़ी के युद्ध की 124वीं वर्षगाँठ थी।

प्रमुख बिंदु

(i) सारागढ़ी के युद्ध को दुनिया के सैन्य इतिहास में सबसे बेहतरीन लास्ट स्टैंड में से एक माना जाता है।

(ii) सारागढ़ी फोर्ट लॉकहार्ट और फोर्ट गुलिस्तान के बीच संचार टावर था। बीहड़ उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत (NWFP) में दो किले, जो अब पाकिस्तान में हैं, महाराजा रणजीत सिंह द्वारा बनाए गए थे, लेकिन अंग्रेज़ों ने उनका नाम बदल दिया।

  • सारागढ़ी ने उन दो महत्त्वपूर्णकिलों को जोड़ने में मदद की जहाँ NWFP के बीहड़ इलाके में बड़ी संख्या में ब्रिटिश सैनिक रहते थे।

(iii) यहाँ 21 सैनिकों ने 8,000 से अधिक अफरीदी और ओरकजई आदिवासियों के खिलाफ मोर्चासंभाला था, लेकिन उन्होंने सात घंटे तक किले पर कब्ज़ा नहीं करने दिया।

  • हालाँकि सारागढ़ी में आमतौर पर 40 सैनिकों की एक पल्टन (Platoon) होती थी।
  • उस दिन यहाँ पर 36वीं सिख रेजिमेंट (भारतीय सेना में अब चौथे सिख) के केवल 21 सैनिकों और एक गैर-लड़ाकू पश्तून ‘दाद’ द्वारा यह युद्ध लड़ा गया, जबकि पश्तून सेना में असैन्य कार्यकिया करते थे।

(iv) हालाँकि 36वें सिख के हवलदार ईशर सिंह के नेतृत्व में इन सिख सैनिकों ने विद्रोहियों की भारी सेना के खिलाफ अंतिम साँस तक लड़ाई लड़ी, जिसमें 200 जनजातीय लोगों की मौत हो गई और 600 घायल हो गए।

(v) वर्ष 2017 में पंजाब सरकार ने सारागढ़ी दिवस पर 12 सितंबर को अवकाश की घोषणा की।


पीलीभीत टाइगर रिज़र्व: उत्तर प्रदेश

हाल ही में शुक्लाफांटा राष्ट्रीय उद्यान (Shuklaphanta National Park) से हाथियों का एक झुंड पीलीभीत टाइगर रिज़र्व (उत्तर प्रदेश) पहुँचा और किसानों की फसलों को नुकसान पहुँचाया।

  • शुक्लाफांटा राष्ट्रीय उद्यान सुदूर पश्चिमी क्षेत्र, नेपाल के तराई में एक संरक्षित क्षेत्र है।

प्रमुख बिंदु

परिचय:

(i) यह टाइगर रिज़र्व उत्तर प्रदेश के तीन ज़िलों यथा- पीलीभीत, लखीमपुर खीरी और बहराइच में अवस्थित है।

(ii) इसे वर्ष 2014 में टाइगर रिज़र्व के रूप में नामित किया गया था और यह भारत की 45वीं टाइगर रिज़र्व परियोजना थी।

  • वर्ष 2020 में इसने बीते चार वर्षों (2014-18) में बाघों की संख्या को दोगुना करने के लिये TX2 अवार्ड भी जीता।

(iii) यह ऊपरी गंगा के मैदान में ‘तराई आर्क लैंडस्केप’ के हिस्से का निर्माण करता है। रिज़र्व का उत्तरी छोर भारत-नेपाल सीमा के पास स्थित है, जबकि दक्षिणी सीमा शारदा और खकरा नदी तक विस्तृत है।


कॉरिडोर लिंकेज:

(i) राज्य के भीतर और बाहर कई बाघ आवासों के साथ संबंध होने के कारण पीलीभीत बाघों के लिये एक महत्त्वपूर्ण निवास स्थान है। इसका उपयोग बाघ और अन्य जंगली जानवरों के आवास के रूप में किया जता है।

(ii) महत्त्वपूर्ण लिंकेज हैं:

  • सुरही रेंज - कॉर्बेट
  • लग्गा-बग्गा - शुक्लफांटा राष्ट्रीय उद्यान (नेपाल)
  • किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य - दुधवा।

वनस्पति और प्राणीजगत:

(i) यहाँ 127 से अधिक जंगली जानवर, 326 पक्षी प्रजातियाँ और 2,100 फूल एवं पौधों की विभिन्न प्रजतियाँ पाई जाती हैं।

(ii) जंगली जानवरों में बाघ, हिरण और तेंदुआ आदि शामिल हैं।

(iii) इसमें कई जल निकायों के साथ जंगल और घास के मैदान भी शामिल हैं।

तराई आर्क लैंडस्केप

  • तराई आर्क लैंडस्केप (TAL) पश्चिम में यमुना नदी और पूर्व में बागमती नदी के बीच 810 किमी. लंबा खंड है।
  • यह उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और नेपाल की निचली पहाड़ियों तक विस्तृत है।
  • इसमें भारत के कुछ सबसे प्रसिद्ध टाइगर रिज़र्व और संरक्षित क्षेत्र जैसे कि कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व (उत्तराखंड), राजाजी नेशनल पार्क (उत्तराखंड), दुधवा टाइगर रिज़र्व (उत्तर प्रदेश), वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व (बिहार) शामिल हैं।
  • वन तीन प्रमुख प्रजातियों का निवास स्थान हैं, बंगाल टाइगर (पैंथेरा टाइग्रिस), एक सींग वाला गैंडा (राइनोसेरोस यूनिकॉर्निस) और एशियाई हाथी (एलिफस मैक्सिमस)।

मोबाइल एक्स-रे कंटेनर स्कैनिंग सिस्टम: पारादीप पोर

हाल ही में पारादीप पोर्ट द्वारा पारादीप इंटरनेशनल कार्गो टर्मिनल (PICT) के पास एक मोबाइल एक्स-रे कंटेनर स्कैनिंग सिस्टम (MXCS) स्थापित किया गया है।

प्रमुख बिंदु:

संदर्भ:

(i) इसे बंदरगाह पर कंटेनरों के भौतिक परीक्षण और उनके वहाँ रहने की अवधि को कम करने के उद्देश्य से ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (EoDB) पहल के तहत स्थापित किया गया है।

(ii) यह आंतरिक इलाकों के उद्योगों की लंबे समय से चली आ रही आवश्यकता को पूरा करने के लिये बंदरगाह के माध्यम से कंटेनरों में बिना कटा हुआ धातु स्क्रैप सामग्री की आवाजाही की सुविधा प्रदान करेगा।


महत्त्व:

(i) इससे पारादीप बंदरगाह पर कंटेनर की मात्रा को बढ़ाने और रसद लागत को कम करने तथा एक्जिम (निर्यात-आयात) व्यापार में मदद मिलने की आशा है।


पारादीप पोर्ट:

(i) यह भारत के पूर्वी तट पर एक प्राकृतिक, गहरे पानी का बंदरगाह है, जो ओडिशा में महानदी और बंगाल की खाड़ी के संगम पर स्थित है।

  • कोलकाता के दक्षिण में 210 समुद्री मील और विशाखापत्तनम के उत्तर में 260 समुद्री मील की दूरी पर स्थित है।

(ii) यह पोर्ट, पारादीप पोर्ट ट्रस्ट (PPT) द्वारा प्रशासित है। PPT इसका प्रशासन बंदरगाह ट्रस्ट अधिनियम, 1963 के तहत करता है।

  • PPT को वर्ष 1966 में लौह अयस्क के निर्यात के लिये एक मोनो कमोडिटी पोर्ट के रूप में कमीशन किया गया था।

राजा महेंद्र प्रताप सिंह

हाल ही में प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह राजकीय विश्वविद्यालय (Raja Mahendra Pratap Singh State University) की आधारशिला रखी।

प्रमुख बिंदु

संक्षिप्त परिचय: उनका जन्म 1886 में हाथरस (उत्तर प्रदेश) में हुआ था, वह एक स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी, लेखक, समाज सुधारक और अंतर्राष्ट्रवादी थे।

  • वह आठ अलग-अलग भाषाओं में पारंगत थे और विभिन्न धर्मों का पालन करते थे।

शिक्षा को बढ़ावा: वर्ष 1909 में उन्होंने अपना निवास छोड़ दिया ताकि उसे तकनीकी विद्यालय में परिवर्तित किया जा सके। इस तकनीकी विद्यालय का नाम प्रेम महाविद्यालय था।

  • कहा जाता हैकि यह देश का पहला पॉलिटेक्निक कॉलेज था।

स्वतंत्रता संघर्ष में योगदान

(i) वर्ष 1913 में उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में गांधी के अभियान में भाग लिया।

(ii) उन्होंने वर्ष 1915 में प्रथम विश्व युद्ध के मध्य काबुल में "भारत की अंतरिम सरकार (बाग-ए-बाबर)" की स्थापना की।

  • उन्होंने खुद को राष्ट्रपति घोषित किया और भोपाल के उनके साथी क्रांतिकारी मौलाना बरकतुल्लाह इस अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री बने।

(iii) कहा जाता हैकि बोल्शेविक क्रांति (रूस में) के दो वर्षबाद 1919 में उनकी मुलाकात व्लादिमीर लेनिन से हुई थी।

(iv) वर्ष 1925 में वे एक मिशन पर तिब्बत गए और दलाई लामा से मिले। वह मुख्य रूप से अफगानिस्तान की ओर से एक अनौपचारिक आर्थिक मिशन पर थे लेकिन वह भारत में ब्रिटिश क्रूता को भी उजागर करना चाहते थे।

(v) स्वतंत्रता से एक वर्ष पहले राजा महेंद्र प्रताप सिंह आखिरकार भारत लौट आए और उन्होंने तुरंत ही महात्मा गांधी के साथ कार्य करना आरंभ कर दिया।


अन्य जानकारी:

  • वर्ष 1929 में उन्होंने बर्लिन में वर्ल्ड फेडरेशन (जो बाद में संयुक्त राष्ट्र के निर्माण की पृष्ठभूमि बना) का शुभारंभ किया। उन्हें 1932 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिये नामांकित किया गया था।
  • स्वतंत्र भारत में उन्होंने पंचायती राज के अपने आदर्श का परिश्रमपूर्वक पालन किया।
  • उन्होंने वर्ष 1957 में मथुरा से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल कर लोकसभा में प्रवेश किया।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक

हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office- NSO) के त्वरित अनुमानों (Quick Estimate) के अनुसार, जुलाई में भारत का औद्योगिक उत्पादन एक वर्ष पहले के 10.5 प्रतिशत संकुचन की तुलना में 11.5% बढ़ा है।

प्रमुख बिंदु


त्वरित अनुमानों के विषय में:

(i) औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) का त्वरित अनुमान आधार वर्ष 2011-12 के अनुसार, वर्ष 2021 के जुलाई माह में 131.4 रहा।

(ii) खनन, विनिर्माण और बिजली में क्रमश: 19.5%, 10.5% और 11.1% की वृद्धि दर्ज की गई।

(iii) देश के आठ प्रमुख क्षेत्रों का उत्पादन जिसे बुनियादी ढाँचा उत्पादन के रूप में भी जाना जाता है, जुलाई 2021 में 9.4% बढ़ा।

(iv) इस सूचकांक ने महामारी पूर्व के स्तर के अंतर को काफी हद तक कम कर दिया जो राज्यों में प्रतिबंधों (लॉकडाउन) में ढील के साथ औद्योगिक गतिविधियों में क्रमिक बढ़ोतरी का संकेत देता है।

(v) यह रिकवरी वर्ष 2020 में आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित करने वाले कोविड-19 लॉकडाउन के कारण बेस इफेक्ट (Base Effect) के परिणाम का कारण है।

  • ‘बेस इफेक्ट’ का आशय किसी दो डेटा बिंदुओं के बीच तुलना के परिणाम पर तुलना के आधार या संदर्भ के प्रभाव से है।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक:

(i) IIP एक संकेतक है जो एक निश्चित अवधि के दौरान औद्योगिक उत्पादों के उत्पादन की मात्रा में बदलाव को मापता है।

(ii) यह सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा मासिक रूप से संकलित और प्रकाशित किया जाता है।

(iii) यह एक समग्र संकेतक है, जो निम्न रूप से वर्गीकृत उद्योग समूहों की वृद्धि दर को मापता है:

  • व्यापक क्षेत्र, अर्थात्-खनन, विनिर्माण और बिजली।
  • बेसिक गुड्स, कैपिटल गुड्स और इंटरमीडिएट गुड्स जैसे उपयोग आधारित क्षेत्र।

(iv) IIP के लिये आधार वर्ष 2011-2012 है।

(v) IIP का महत्त्व:

  • इसका उपयोग नीति निर्माण के लिये वित्त मंत्रालय, भारतीय रिज़र्वबैंक आदि सरकारी एजेंसियों द्वारा किया जाता है।
  • IIP त्रैमासिक और अग्रिम जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) अनुमानों की गणना के लिये बेहद प्रासंगिक है।

आठ कोर क्षेत्रों के विषय में:

  • इनमें औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में शामिल वस्तुओं के कुल वेटेज का 40.27% शामिल है।
  • अपने वेटेज के घटते क्रम में आठ प्रमुख उद्योग क्षेत्र: रिफाइनरी उत्पाद> बिजली> स्टील> कोयला> कच्चा तेल> प्राकृतिक गैस> सीमेंट> उर्वरक।
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