कैम्ब्रिज डिक्शनरी के अनुसार, “एक आपदा एक घटना है जिसके परिणामस्वरूप बहुत नुकसान होता है और क्षति, मृत्यु या गंभीर कठिनाई होती है।"
'डिजास्टर' शब्द मध्य फ्रेंच शब्द 'डिस्ट्रेस्ट' से लिया गया है। इस फ्रांसीसी शब्द की उत्पत्ति प्राचीन ग्रीक शब्द "डस" से हुई है जिसका अर्थ है बुरा' और "एस्टर जिसका अर्थ है 'स्टार'। आपदा शब्द की जड़ ग्रहों की स्थिति पर दोष वाली आपदा के ज्योतिषीय अर्थ से आती है।
आपदाओं को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है:
➤ प्राकृतिक आपदाः
एक प्राकृतिक आपदा एक प्रतिकूल घटना है जो पृथ्वी की प्राकृतिक प्रक्रियाओं से उत्पन्न होती है। एक प्राकृतिक आपदा या आपदा से संपत्ति को नुकसान और जीवन की हानि हो सकती है। सुनामी, बाढ़, चक्रवात, सूखा, भूकंप प्राकृतिक आपदा के कुछ उदाहरण हैं। जीवन के नुकसान के अलावा, इन आपदाओं से इसके मद्देनजर बहुत अधिक आर्थिक क्षति होती है।
➤ मानव निर्मित आपदाएँ:
मानव निर्मित आपदाएँ तकनीकी खतरों के प्रभाव हैं। आग, परिवहन दुर्घटनाएँ, परमाणु विस्फोट, आतंकवादी हमले, तेल रिसाव और युद्ध सभी इस श्रेणी में आते हैं।
एक आपदा के बाद के प्रभाव घातक हो सकते हैं। पशुओं के साथ-साथ मनुष्यों के जीवन का भी भारी नुकसान हुआ है। संपत्ति का नुकसान भी आपदाओं का एक परिणाम है।
आपदाओं से बचा नहीं जा सकता है. हम हमेशा उनके लिए पहले। से तैयार रह सकते हैं। और इसके लिए, हमें नवीनतम तकनीकों के साथ अद्यतित रहने की आवश्यकता है ताकि लोगों, जानवरों और पौधों के जीवन पर प्रभाव को कम किया जा सके।
आपदा प्रबंधन के महत्वपूर्ण बिन्दु
आपदा प्रबंधन हेतु बेहतर योजना संचालन, समन्वय और कार्यान्वयन की सतत् एवं एकीकृत प्रक्रिया जरूरी है, जिसके अन्तर्गत निम्नलिखित बिन्दुओं को शामिल किया जा सकता है -
सामान्यतया किसी आपदा के घटित होने एवं उससे उत्पन्न होने वाली समस्याओं का 3 चरणों में अध्ययन किया जाता है -
आपदा पूर्व/पूर्वानुमान अवस्था (Pre-Disaster/Antisipatory Stage)
आपदा प्रबंधन के अन्तर्गत आपदा पूर्व अवस्था के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं -
आपदा तैयारी
आपदा तैयारी का सामान्य अर्थ होता है - किसी क्षेत्र तथा मानव समुदाय में किसी प्रकोप के आने की दशा में उससे निपटने के लिए आवश्यक प्रबन्धन तथा तैयारी करना। इसके अन्तर्गत किसी प्रकोप एवं आपदा का तथा मानव समुदाय पर उसके प्रभाव का अध्ययन करना, उसके स्वरूप एवं उत्पत्ति की प्रक्रिया तथा प्रचण्डता का निर्धारण करना, आपदा के जोखिम का आकलन करना, संवेदनशील क्षेत्रों का मानचित्र तैयार करना, आपदा के प्रतिकूल प्रभावों एवं क्षति के सम्बन्ध में लोगों को जागरूक करना आदि शामिल हैं।
आपदा योजना का निर्माण
इसके अन्तर्गत राहत कार्य, पुनःप्राप्ति एवं पुनर्वास कार्यों के लिए ऐसी ढांचागत सुविधाओं का निर्माण करना शामिल है, जिनका आपदा के उपरान्त समुचित ढंग से उपयोग किया जा सके। आवश्यक ढांचागत सुविधाओं के अन्तर्गत त्वरित बचाव कार्यक्रम, भोजन एवं आवास की व्यवस्था, स्वच्छ जल की उपलब्धता, परिवहन एवं संचार की व्यवस्था बहाल करना तथा जीवन-रक्षक औषधि मुहैया करना आदि सम्मिलित किए जाते हैं।
आपदा न्यूनीकरण हेतु आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था करना
इसके अन्तर्गत संस्थागत सुविधाओं को सुलभ कराने के लिए निम्नलिखित सपोर्ट सिस्टम, जैसे - त्वरित चेतावनी प्रणाली, एकीकृत प्रशासनिक तंत्र, पर्याप्त आर्थिक सहायता, चिकित्सा एवं चिकित्सीय उपकरण, आपदा सम्बंधी शिक्षा एवं जन-जागरूकता, आपदा की सूचनाओं एवं जानकारी का प्रसारण तथा सम्प्रेषण आदि शामिल है। अतः इनकी दिशा में प्रयास अपेक्षित है।
आपदा विशेष पर शोध करना
इसके अन्तर्गत निम्नलिखित पक्षों को सम्मिलित किया जाता है - प्रकोप एवं आपदा के प्रकार एंव स्वरूप, उत्तरदायी कारक, आपदा सुभेद्यता क्षेत्रों का मापन एवं मानचित्रण, पूर्वानुमान, प्राकृतिक प्रकोपों की निगरानी आदि ।
आपदा चेतावनी प्रणाली का विकास करना
इसके अन्तर्गत किसी भी आपदा से प्रभावित होने वाले क्षेत्र के मानव समुदाय को उस सम्भावित आपदा के विभिन्न पक्षों से अवगत कराया जाता है। आपदा चेतावनी प्रणाली के अन्तर्गत पूर्व चेतावनी की आधुनिकतम तकनीकों को सम्मिलित किया जाता है, जैसे - रडार, रेडियो, टेलीविजन, सामाचार पत्र, लाउडस्पीकर, इन्टरनेट आदि । इसके अतिरिक्त स्थानीय, प्रादेशिक, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आपदा चेतावनी केन्द्रों की स्थापना करना तथा विभिन्न आपदाओं की प्रकृति, उत्पत्ति, प्रभाव क्षति का प्रकार एवं मात्रा आदि से आम जनता को अवगत कराना है, ताकि विभिन्न आपदाओं का दुष्प्रभाव न्यूनतम हो सके।
आपदा न्यूनीकरण के उपाय करना
आपदा न्यूनीकरण का मुख्य उद्देश्य मनुष्यों के जान की सुरक्षा के साथ-साथ उनकी सम्पत्ति को बचाने या आर्थिक क्षति को कम करना होता है। आपदा न्यूनीकरण को स्वरूप आपदा की प्रकृति तथा आपदा से प्रभावित होने वाले क्षेत्र की पर्यावरणीय दशाओं पर निर्भर करता है। प्राकृतिक आपदाओं द्वारा होने वाले प्रतिकूल प्रभावों विशेषकर आर्थिक क्षति को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय कारगर होते हैं -
आपदा न्यूनीकरण का कोई भी कार्यक्रम या उपाय तब तक सफल नहीं हो सकता, जब तक कि पर्याप्त धन एवं ढांचागत सुविधाएं सुलभ नहीं हो पाती। अतः आपदा न्यूनीकरण कार्यक्रमों में सरकारी सहायता अत्यन्त आवश्यक है। इनमें स्थानीय जनता विभिन्न समुदाय व संगठनों की सक्रिय भागीदारी भी अपेक्षित है ताकि आपदा न्यूनीकरण के कार्यक्रमों एवं उपायों का लाभ आपदा से प्रभावित लोगों तक आसानी से पहुंच सके।
आपदा के समय/सहभागिता अवस्था (On-Disaster/Participatory Stage)
जब कोई संकट वास्तव में उत्पन्न होता है, तब उससे प्रभावित होने वालों की पीड़ा और क्षति दूर करने तथा उसे न्यूनतम करने हेतु तीव्र कार्यवाही की अपेक्षा होती है। इस चरण में कुछ प्राथमिक कार्यकलाप अनिवार्य हो जाते हैं। ये कार्यकलाप पीड़ितों की खोज, उनकी निकासी तथा उनके बचाव और उसके बाद बुनियादी आवश्यकताओं, जैसे - भोजन, वस्त्र, आश्रय स्थल, दवाइयां तथा प्रभावित समुदाय के समान्य जीवन हेतु अन्य आवश्यकताओं से संबंधित होते हैं । इन आवश्यकताओं की त्वरित पूर्ति हेतु प्रत्येक स्तर पर त्वरित कार्यवाही के साथ-साथ विभिन्न स्तरों पर समन्वय की आवश्यकता होती है।
आपदा उपरान्त/पुन: प्राप्ति अवस्था (Post-Disaster/Recovery Stage)
आपदा प्रबंधन की आपदा के उपरान्त की अवस्था किसी भी आपदा से दुष्प्रभावित समुदाय की आपदाओं द्वारा उत्पन्न त्रासदी को झेलने की लोचकता (Resilience) की प्रतीक होती है। इस अवस्था के अन्तर्गत निम्नलिखित चरण सम्मिलित किए जाते हैं -
राहत कार्य (Relief Work)
आपदा पुनरूत्थान (Disaster Recurrence)
पुनरूत्थान अवस्था में आपदा के बाद स्थायी पुनर्विकास (पुनर्निमाण, पुनर्वास) को बढ़ावा देने वाली कार्यवाहियां शामिल हैं। पुनरूत्थान प्रक्रिया में उन सभी कार्यों और क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है, जो व्यक्ति एवं समुदाय को आपदा विशेष द्वारा उत्पन्न सभी प्रकार की समस्याओं एवं दुष्प्रभावों से समायोजन करने में सहायता करती है। आपदा से उत्पन्न प्रतिकूल प्रभावों में शारीरिक एवं मानसिक पीड़ा, सम्पत्ति का विनाश व अन्य आर्थिक हानि, असामाजिक कृत्यों से उत्पन्न पीड़ा आदि हो सकते हैं। चूंकि आपदा पुनरूत्थान एवं समुदाय आधारित प्रक्रिया है, अत: इस प्रक्रिया में सामुदायिक सहभागिता का होना अति आवश्यक होता है, ताकि आपदा के भय एवं उसकी पीड़ा से व्यक्ति एवं समुदाय को बाहर निकाला जा सके।
आपदा पुनर्वास (Disaster Rehabilitation)
आपदाओं के कारण विश्व भर में तेजी से बढ़ रही मानवीय और आर्थिक क्षति को समझते हुए विगत वर्षों में कई अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों का अविर्भाव हुआ है। इनमें से कुछ संगठन पहले से स्थापित विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों के अन्तर्गत स्थापित किए गए हैं तो कुछ का गठन स्वतंत्र रूप से हुआ है। ये संगठन किसी भी आपदाग्रस्त देश या देशों के अनुरोध पर विभिन्न तरीकों से भिन्न - भिन्न स्तरों पर उनकी सहायता करते हैं। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय संगठन निम्नलिखित हैं -
अनाराष्ट्रीय पुनरुत्थान मंच (International Recomey Platform, IRP)
इस संगठन का गठन वर्ष 2005 में जापान के कोने में आयोजित 'वर्ल्ड कॉक्रेन्स ऑन डिजास्टर रिहमान के रोशन किया गया। इस संगठन के प्रमुख कार्यों में आपदोपराना पुनसत्थान के दौरान अनुभव की गई प्रमुख बाधाओं को विहित करण, विकास संसाधनों की आपूर्ति हेतु उत्प्रेरक का कार्य करना एवं प्रभावी आपदा पुनरुत्थान के कार्वे में ज्ञान का एक अन्तर्राष्ट्रीय स्रोत बनना आदि है।
रेडक्रॉस
अपदा प्रबंधन में यह संगठन महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाता है। इसके अनागा बवय एवं राहत कार्य, अपदा पुनरुत्थान एवं पुनर्वास पर विशेष बल दिया जाता है। इण्टरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेडक्रॉस एवं रेड जोसेष्ट सोसायटी (IFRC) आपदा से प्रभावित देश का रेतापी राष्ट्रीय मॉम या रेड कासष्ट सोसायटी द्वारा अपुरोध करने पर प्रभावित क्षेत्र में अपना से हुई पति का आकलन कार के लिए 'फोल्ड असेसमेष्ट' एवं 'कोजाडिनेशन टीम, जैसे - आकलन दल भेजती है। यह संस्था आकलन के पश्चात् आपदा से प्रभाषित पेत्रोंचा देशों में इमरजेन्सी रिस्पॉन्स यूनिट (ERUS) भेज सकती है।
संयुक्त राष्ट्र संघ
इण्डरनेशनल एसोसिएशन ऑफ जमरजेंसी मैनेजमेंट
पह एक गैर-साधकारी शौक्षिक संगठन है। इसका प्रमुख उद्देश्य आपदा से प्रभावित देश या क्षेत्र के अनुरोध पर लोगों के नाम माल का संरक्षण कल है।
विश्व बैंक
अपना प्रभावित क्षेत्र के समुचित सर्वेक्षण एवं आकलन करने के बाद विश्व बैंक आपोषात कायें, जैसे-जांचागत सुविधाओं के पुर्नस्थापना तथा आपढ़ पीड़ितों के पुनर्वस के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करती है।
यूरोपियन संघ
चूरोपियन संघका कम्युनिटी मैकनित्य फॉर सिविल प्रेटेक्सान (CMCP) वर्ष 2007 से नागरिक संरक्षण प्यायला तथा आपतकाल की बड़ी घटनाओं की स्थिति में तत्काल कार्यवाही की आवश्यकता में सहयोग करता जा रहा है।
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1. आपदा प्रबंधन क्या है? |
2. आपदा प्रबंधन क्यों महत्वपूर्ण है? |
3. आपदा प्रबंधन के मुख्य तत्व क्या हैं? |
4. आपदा प्रबंधन के लिए कौन-कौन से संगठन उपलब्ध हैं? |
5. आपदा प्रबंधन के लिए भारत सरकार द्वारा अधिसूचित किए गए कुछ योजनाएं कौन-कौन सी हैं? |
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