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आपदा प्रबंधन: ज्वालामुखी | आंतरिक सुरक्षा और आपदा प्रबंधन for UPSC CSE in Hindi PDF Download

(i) ज्वालामुखी वह छिद्र है, जिससे लावा, राख, गैस व जलवाष्प का उद्गार होता है। ज्वालामुखी क्रिया के अन्तर्गत पृथ्वी के आंतरिक भाग में मैग्मा व गैस के उत्पन्न होने से लेकर भू-पटल के नीचे व ऊपर लावा के प्रकट होने तथा शीतल की जाती है। लावा का यह उद्गार केंद्रीय विस्फोटक के रूप में या दरारी उद्भेदन के रूप में हो सकता है। मैग्मा में सिलिका की मात्रा अधिक होने पर ज्वालामुखी में विस्फोटक उद्गार देखे जाते हैं, जबकि सिलिका की मात्रा कम रहने पर उद्गार प्रायः शांत रहता है।
(ii) ज्वालामुखी के विस्फोटक उद्गार से निर्मित होने वाली स्थलाकृतियों के बाह्य भागों में विभिन्न प्रकार के ज्वालामुखी शंकुओं का निर्माण होता है। क्रेटर व काल्डेरा जैसे धंसे हुए स्थलरूप ज्वालामुखी शंकुओं के ऊपर बनते हैं। सक्रियता के आधार पर ज्वालामुखियों का निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकरण किया जाता है -

  • सक्रिय (Active) ज्वालामुखी
    वैसे ज्वालामुखी जिनसे लावा, गैस तथा विखण्डित पदार्थ सदैव निकला करते हैं। वर्तमान समय में उनकी संख्या लगभग 500 है। इनमें सिसली के उत्तर में लिपारी द्वीप का स्ट्रॉम्बोली (भूमध्यसागर का प्रकाश स्तम्भ), इटली का एटना, इक्वेडोर का कोटोपैक्सी (विश्व का सबसे ऊँचा सक्रिय ज्वालामुखी), अंटार्कटिका का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी माउंट एर्बुश (इरेबस) तथा अण्डमान व निकोबार के बैरेन द्वीप में सक्रिय ज्वालामुखी प्रमुख हैं।
  • सुषुप्त (Dormant) ज्वालामुखी
    ये वैसे ज्वालामुखी हैं जो वर्षों से सक्रिय नहीं है परन्तु कभी भी विस्फोट हो सकते हैं। इनमें इटली का विसुवियस, जापान का फ्यूजीयामा, इंडोनेशिया का क्राकाताओं तथा अण्डमान व निकोबार के नारकोंडम द्वीप (दिसम्बर, 2004 में आए सुनामी के बाद इसमें सक्रियता के लक्षण दिखाई पड़े) के ज्वालामुखी उल्लेखनीय हैं।
  • मृत (Dead or Extinct) ज्वालामुखी
    इसके अन्तर्गत वैसे ज्वालामुखी शामिल किए जाते हैं जिनमें हजारों वर्षों से कोई उद्भेदन नहीं हुआ है तथा भविष्य में भी इसकी कोई संभावना नहीं है। अफ्रीका के पूर्वी भाग में स्थित केनिया व किलिमंजारो, इक्वेडोर का चिम्बाराजो, म्यांमार का पोपा, ईरान का देमबन्द व कोह सुल्तान एवं एंडीज पर्वतश्रेणी का एकांकागुआ इसके प्रमुख उदाहरण हैं।

ज्वालामुखी का विश्व वितरण

प्लेट विवर्तनिकी के आधार पर प्लेट किनारों के परिवेश में ज्वालामुखी के क्षेत्रों का वितरण सर्वाधिक मान्य संकल्पना है। विश्व के 80 प्रतिशत ज्वालामुखी विनाशी प्लेट किनारों के सहारे, जबकि 15 प्रतिशत ज्वालामुखी रचनात्मक प्लेट किनारों के सहारे पाए जाते हैं। इन्हीं के आधार पर विश्व में ज्वालामुखी वितरण को निम्नलिखित रूपों में देखा जा सकता

  • परिप्रशांत महासागरीय पेटी (Circum Pacific Belt)
    प्रशांत महासागर में स्थित द्वीपों और उसके चारों ओर तटीय भागों में ज्वालामुखियों की संख्या अत्यधिक पाई जाती है। यहां विनाशात्मक प्लेट के किनारों के सहारे ज्वालामुखी मिलते हैं। इसे प्रशांत महासागर का अग्नि वलय (Fire Ring of The Pacific Ocean) कहा जाता है। विश्व के ज्वालामुखियों का लगभग 2/3 ज्वालामुखी इसी पेटी के सहारे पाए जाते हैं।
  • मध्य महाद्वीपीय पेटी (Mid-Continental Belt)
    इस मेखला के अधिकांश ज्वालामुखी विनाशी प्लेट किनारों के सहारे पाए जाते हैं, क्योंकि यह क्षेत्र यूरेशियन प्लेट तथा अफ्रीकन एवं इंडियन प्लेट का अभिसरण क्षेत्र होता है। यह श्रृंखला यूरेशिया महाद्वीप के मध्यवर्ती भागों में नवीन वलित पर्वतों के सहारे पूर्व से  पश्चिम को फैली हुई है। भू-मध्य सागर के ज्वालामुखी भी इसी पेटी के अंतर्गत आते हैं। स्ट्राम्बोली, विसुवियस व एटना भूमध्यसागर के प्रसिद्ध ज्वालामुखी है। स्ट्राम्बोली को भू-मध्यसागर का प्रकाश स्तम्भ कहा जाता है।
  • मध्य अटलांटिक पेटी (Mid-Atlantic Belt)

    इसे मध्य महासागरीय कटक ज्वालामुखी मेखला के नाम से भी जाना जाता है। यह मेखला रचनात्मक प्लेट किनारों के सहारे मिलती है। जहां दो प्लेटों के अपसरण के कारण दरार का निर्माण होता है और इस दरार से बेसाल्ट मैग्मा ऊपर उठते हैं। इनके शीतलन से नवीन क्रस्ट का निर्माण होता है। इस तरह की ज्वालामुखी क्रिया सबसे अधिक मध्य अटलांटिक कटक के सहारे होती है। कटक के पास नवीन लावा, जबकि कटक से बढ़ती दूरी के साथ लावा प्राचीन होता जाता है। आइसलैण्ड इस मेखला का सबसे सक्रिय क्षेत्र है, जहां हेकला एवं लाकी का उद्गार प्रमुख है। इसके अलावा एंटलिज, एजोर्स एवं सेन्ट हेलेना भी इसके महत्वपूर्ण ज्वालामुखी हैं।

  • अंतरा प्लेट ज्वालामुखी (Intra-Pleate Vulcanism)
    महाद्वीपीय या महासागरीय प्लेट के अंदर भी ज्वालामुखी क्रियाएं होती हैं, जिसका कारण माइक्रो प्लेट गतिविधियों एवं गर्भस्थल संकल्पना को माना जाता है। हवाई द्वीप से लेकर कमचटका तक के ज्वालामुखी, पूर्वी अफ्रीका के भ्रंश घाटी के ज्वालामुखी, दक्कन ट्रेप व ड्रेकेन्सवर्ग पठार अंतरा प्लेटीय ज्वालामुखी क्रियाओं के अंतर्गत शामिल किए जा सकते हैं।

ज्वालामुखी उद्भेदन के विनाशकारी प्रभाव

ज्वालामुखी उद्गार के समय बड़ी मात्रा में तप्त लावा, ठोस शैलखण्ड, विषैली गैसें आदि भूमि पर तथा वायुमण्डल में फैल जाते है और मानवकृत संरचनाओं (भवन, सड़क, रेलमार्ग, पुल, औद्योगिक इकाइयां आदि), जीव-जंतुओं तथा प्राकृतिक पर्यावरण को भारी क्षति पहुंचाते हैं। इससे जन-धन की अपार क्षति होती है।

  • ज्वालामुखी का लावा जब तेजी से आगे बढ़ता है, तो मार्ग में आने वाली प्रत्येक वस्तु, जैसे - मानवकृत रचनाएं, कृषि क्षेत्र, चारागाह आदि का विनाश कर देता है। नदियों एवं झीलों में भी लावा भर जाता है और जंगल में आग भी लग जाती है।
  • ज्वालामुखी से निःसृत पदार्थ जैसे-शैल पिंड, धूल, राख आदि कुछ समय तक वायुमण्डल में रहकर उसे प्रदूषित करते हैं और बाद में गुरूत्वाकर्षण बल के प्रभावाधीन भूमि पर गिरते हैं और फसलों, मानव बस्तियों, औद्योगिक इकाइयों आदि को अत्यधिक हानि पहुंचाते हैं। कुछ अम्लीय गैस वायुमण्डल में प्रवेश करके अम्लीय वर्षा का कारण बनती है।
  • प्रायः ज्वालामुखीय उद्गर के कारण भूकम्प भी आते हैं, जो लोगों की मृत्यु का कारण बनते हैं। जब भी ज्वालामुखी उद्गार से समुद्र में सुनामी आती है तो ऊँची-ऊँची लहरें उठती हैं और तटवर्ती इलाकों में हजारों लोगों को बहाकर ले जाती है, इससे जन-धन की अपार क्षति होती है।

हाल के वर्षों में हुई ज्वालामुखी घटनाएं 

  • इंडोनेशिया का सर्वाधिक सक्रिय ज्वालामुखी माउंट मेरापी है, जो कि मध्य जावा में स्थित है। वर्ष 2010 में इस ज्वालामुखी के सक्रिय हो जाने से लगभग 350 से अधिक लागों की मृत्यु हो गई थी।
  • जापान के नागोया शहर में ज्वालामुखी के अचानक फटने से 31 लोगों की मृत्यु हो गई तथा सैकड़ों लागे घायल हो गए।
  • सितम्बर, 2014 में आइसलैण्ड में भीषण ज्वालामुखी विस्फोट से 1.5 किमी तक 165 फीट ऊँची लावा दीवार बन गई तथा आस-पास का जन-जीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया।
  • इंडोनेशिया में 5 अगस्त, 2015 में 3 ज्वालामुखियों में एकसाथ विस्फोट हुआ, जिसने माउंट सिनाबोंग में विस्फोट के कारण कुछ लोगों की मृत्यु हो गई तथा हजारों लोगों को विस्थापित किया गया।
  • 5 मार्च, 2017 को एटना ज्वालामुखी (इटली) में विस्फोट हुआ, जिससे निकट क्षेत्रों के लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाना पड़ा।

ज्वालामुखी आपदा से बचने के उपाय 

ज्वालामुखी उद्गार को न तो रोका जा सकता है और न ही सम्पत्तियों को नष्ट होने से बचाया जा सकता है। परन्तु यदि समय रहते उद्गार का पूर्वानुमान कर लिया जाए एवं सम्भावित आपदा-स्थल से लोगों को हटाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया जाए, तो मानव जीवन को बचाया जा सकता है। ज्वालामुखी आपदा से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं -

1. ज्वालामुखी उद्गार से पहले

  • अपने घर के सदस्यों के साथ मिलकर बचाव हेतु स्थान छोड़कर जाने का अभ्यास करें।
  • एक घरेलू आपातकालीन योजना बनाएं। अपने घर के लिए तथा साथ ले कर जा सकने वाली आपातकालीन बचाव वस्तुओं को व्यवस्थित करें और इनका रखरखाव बनाए रखें।
  • अपनी आपातकालीन योजनाओं में अपने पालतु पशुओं और पशुधन को शामिल करें।

2. जब ज्वालामुखी उदगार का खतरा हो

  • अपने स्थानीय रेडियो केन्द्रों को सुनें जहां आपातकालीन प्रबंधन कर्मचारी आपके समुदाय के लिए सर्वाधिक उपयुक्त जानकारी प्रसारित करेंगे।
  • अपनी आपातकालीन योजना पर कार्यवाही करें।
  • यदि आप विकलांग हैं या आपको सहायता की आवश्यकता हो तो, अपने सहयोगी नेटवर्क से सम्पर्क करें और नागरिक प्रतिरक्षा सलाह के प्रति जागरूक रहें।
  • सभी मशीनों को ज्वालामुखी की राख से बचाने के लिए गैराज या शेड में रखें, या उनको बड़े तिरपाल से ढक दें।
  • पालतू पशुओं और पशुधन को ज्वालामुखी राख से बचाने के लिए बन्द आश्रयस्थलों पर ले आएं।
  • नाजुक इलेक्ट्रॉनिक सामानों को बचाकर रखें और उन्हें तब तक न खोलें जब तक कि वातावरण पूर्ण रूप से राख रहित न हो जाए।
  • उन मित्रों और पड़ोसियों के विषय में पता लगाएं, जिनको किसी विशेष सहायता की आवश्यकता हो सकती है।

3. ज्वालामुखी उदगार के दौरान

  • नागरिक प्रतिरक्षा सलाह के लिए रेडियो सुनें और दिशानिर्देशों का पालन करें।
  • यदि उद्गार के समय घर से बाहर हैं, तो कार या किसी भवन में आश्रय लें। यदि ज्वालामुखीय राख में फंस जाएं, तो डस्ट मॉस्क (Dust Mask) पहनें या अपने मुंह व नाक को रूमाल से ढंक लें।
  • घर में ही ठहरें क्योंकि ज्वालामुखी की राख स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, विशेषकर यदि आप को सांस की परेशानियां, जैसे दमा या ब्रोंकाइटिस है।
  • जब घर में हों तो ज्वालामुखीय राख को अंदर आने से रोकने के लिए सभी खिड़की-दरवाजे बन्द कर दें। दहलीजों पर भीगे तौलिए रखें।
  • फोन लाइनों को गैर-आपातकालीन कॉलों पर व्यस्त न रखें।
  • यदि आपको बाहर जाना हो तो मास्क व चश्मे जैसे सुरक्षात्मक उपकरण इस्तेमाल करें और अपनी त्वचा को यथासम्भव ढककर रखें।
  • कान्टैक्ट लेन्स के बजाय चश्मे पहनें वरना यह कॉर्निया में खरोंच का कारण बन सकते हैं। की जिन पाइपों/नालियों से गटर को गन्दे पानी की निकासी होती हो उन्हें जाम होने से रोकने के लिए कनेक्शन बंद कर दें। यदि
  • आप पानी की आपूर्ति के लिए वर्षा जल संग्रहण प्रणाली इस्तेमाल करते हों तो टैंक का कनेक्शन बंद कर दें। १) 
  • चिह्नित निषिद्ध क्षेत्रों से बाहर ठहरें।

4. ज्वालामुखी उदगार के बाद

  • नागरिक प्रतिरक्षा सलाह के लिए आपके स्थानीय रेडियो केन्द्रों को सुनें और दिशानिर्देशों का पालन करें।
  • घरों में ठहरें और ज्वालामुखी की राख गिरने वाले स्थानों से यथासम्भव दूर रहें।
  • जब बाहर जाना सुरक्षित हो, तो अपने गटर और छत की राख साफ करें क्योंकि अधिक राख जमा होने से आपकी छत ढह सकती है।
  • अधिक राख गिरने पर वाहन न चलाएं क्योंकि इससे राख उड़ सकती है जो इंजन को जाम कर सकती है और जो आपके वाहन को काफी क्षतिग्रस्त कर सकती है।
  • पशुओं को जहां तक संभव हो बंद जगहों पर रखें, उनके पेट में राख जाने से रोकने के लिए उनके पंजों/खुरों व त्वचा की राख साफ कर दें, और उन्हें पीने के लिए साफ पानी दें।
  • राख साफ करते समय आंखों को सुरक्षित रखने के लिए मॉस्क या भीगे कपड़े का इस्तेमाल करें। राख को साफ करने से पहले उस पर छिड़काव करके नम बना दें।
  • उपयोगी सेवाओं की टूटी लाईनों को जांचें और उपयुक्त प्राधिकारियों को इसकी रिपोर्ट करें।
  • यदि आपकी सम्पत्ति नष्ट हो गई हो, तो बीमा उद्देश्यों के लिए इसका विवरण लिखें और फोटो खींच लें। यदि आपकी सम्पत्ति किराए की है, तो जितनी जल्दी संभव हो सके अपने मकान-मालिक तथा संबंधित बीमा कंपनी से सम्पर्क करें।
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