सूखा, एक ऐसा प्राकृतिक संकट है, जो कि एक मौसम में अथवा उससे भी अधिक समय तक सामान्य वर्षा के न होने का परिणाम होता है। दूसरे शब्दों में सूखा एक ऐसी परिस्थिति है, जिसके तहत् एक क्षेत्र विशेष में वर्षा के अभाव में लम्बे समय के लिए जल तथा नमी की कमी हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप प्राकृतिक वनस्पतियां समाप्त होने लगती है एवं शाकाहारी पशुओं को संकट का सामना करना पड़ता है और वे मरने लगते हैं। यह एक ऐसी आपदा है, जिसमें कोई त्वरित बचावकारी कार्य सम्भव नहीं हो पाते हैं। वर्षा के अभाव में ऐसे क्षेत्रों में कृषि कार्य नहीं होने के कारण धीरे-धीरे इन क्षेत्रों से लोगों तथा पशुओं का पलायन होने लगता है।
भारत के कई क्षेत्र जहां एक ओर बाढ़ से ग्रसित हैं, वहीं दूसरी ओर कई क्षेत्र वर्षा की कमी के कारण सूखे से प्रभावित हैं। जहां वर्षा की अधिकता कुछ क्षेत्रों में बाढ़ की समस्या उत्पन्न करती है, तो वहीं कम वर्षा के कुछ क्षेत्रों में सूखे का कारण बनती है। भारत में 77 ऐसे जिलों की पहचान की गई है, जहां वार्षिक वर्षा 75 सेमी से भी कम होती है। इन जिलों में से कुछ जिले ऐसे हैं, जहां हमेशा सूखे की समस्या उत्पन्न होती रहती है, जबकि कुछ जिले अत्यन्त सूखे की चपेट में रहते हैं। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, राजस्थान तथा गुजरात के कई जिले सूखे से प्रभावित रहते हैं। सूखे की स्थिति को निम्नलिखित वर्गों में रखा जा सकता है -
अन्य प्राकृतिक आपदाओं से हटकर सूखे के कारण कोई संरचनात्मक क्षतियां नहीं होती हैं। इससे पड़ने वाले विशिष्ट प्रभाव निम्नलिखित हैं -
भारत की कृषि मानसून पर निर्भर है एवं मानसून में अनियमितता एक सच्चाई है, इसलिए हमारा सूखे पर भी कोई नियंत्रण नहीं है, परन्तु यदि हम पहले से सूखे के प्रति सतर्क हो जाएं, तो सूखे के व्यापक प्रभाव को कम कर सकते हैं। इसके लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं -
सूखाग्रस्त क्षेत्रों की कुछ विशेष समस्याएं हैं। अतः इन समस्याओं को दूर करने के लिए विशेष कार्यक्रम की आवश्यकता महसूस की गई तथा 5वीं पंचवर्षीय योजना में (Drought Prone Area Programme - DPAP) कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भूमि (मृदा), जल जैविक संसाधन आदि प्राकृतिक संसाधनों के अनुकूलतम उपयोग के द्वारा सूखे की गहनता को कम करना, गरीब जनसंख्या की आय में वृद्धि करना तथा सूखाग्रस्त क्षेत्र में पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखना है। क्षेत्र विशेष के विकास के लिए चलाए जा रहे इस कार्यक्रम के अन्तर्गत सूखे से बचाव तथा सूखे के उपचार के लिए कई कदम उठाए गए हैं -
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