अभिवृत्ति एक अर्जित प्रवृत्ति (acquired tendency) है जो समय-समय पर उसके निर्माण एवं संपोषित करने वाले कारकों में परिवर्तन होने पर परिवर्तित होती रहती है। किसी वस्तु या व्यक्ति के प्रति यदि आज आपकी अभिवृत्ति प्रतिकूल है तो सम्भव है कि कुछ दिनों के बाद यह अभिवृत्ति बदलकर अनुकूल हो जाय। हाँ, ऐसा नहीं भी हो सकता है परन्तु इतना तो ज्ञातव्य है कि परिस्थिति में परिवर्तन होने से व्यक्ति की अभिवृत्ति में परिवर्तन होता है।
समाज मनोवैज्ञानिकों एवं समाजशास्त्रियों द्वारा किये गये अध्ययनों से यह स्पष्ट हो गया है कि अभिवृत्ति परिवर्तन दो प्रकार के होते हैं, संगत परिवर्तन (Congruent Change) तथा असंगत परिवर्तन (Incongruent change) किसी एक व्यक्ति की अभिवृत्ति किसी व्यक्ति या घटना के प्रति अनुकूल से परिवर्तित होकर और अधिक अनुकूल हो सकती है। अभिवृत्ति में ये दोनों तरह के परिवर्तन संगत परिवर्तन से बदलकर और अधिक प्रतिकूल भी हो सकती है। अभिवृत्ति में ये दोनों तरह के परिवर्तन संगत परिवर्तन के उदाहरण है। अत: अभिवृत्ति में संगत परिवर्तन वैसे परिवर्तनों को कहा जाता है जिसमें (अभिवृत्ति में) परिवर्तन पहले की ही दिशा में होती है। असंगत परिवर्तन वैसे परिवर्तन को कहा जाता है, जिसमें अभिवृत्ति अनुकूल से बदलकर प्रतिकूल या प्रतिकूल से बदलकर अनुकूल हो जाती है। स्पष्ट है कि असंगत परिवर्तन में अभिवृत्ति की दिशा बदल जाती है। अभिवृत्ति परिवर्तन से तात्पर्य इन दोनों या दोनों में किसी भी एक तरह के परिवर्तन से होता है।
अभिवत्ति परिवर्तन के क्षेत्र में किये गये अध्ययनों से यह स्पष्ट हो गया है कि संगत परिवर्तन तथा असंगत परिवर्तन में एक ही तरह का नियम सम्मिलित नहीं होता है। सच्चाई यह है कि ये दोनों तरह के परिवर्तनों से सम्बन्धित नियम अलग-अलग हैं जो इस प्रकार है-
निम्नलिखित कारक विभिन्न प्रक्रियाओं के द्वारा अभिवृत्तियों के सीण के लिए एक संदर्भ प्रदान करते हैं:
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