अधिनियम की धारा-24 में यह प्रावधान है कि केन्द्र सरकार के निम्नांकित आसूचना एवं सुरक्षा संगठन सूचना के अधिकार के अन्तर्गत नहीं आते हैं। अधिनियम की अनुसूची -2 के अनुसार ये 22 संगठन इस प्रकार हैं:
- आसूचना ब्यूरो (Intelligence Bureau)
- कैबिनेट सचिवालय की रॉ (Research & Analysis Wing of Cabinet Seceretariat)
- राजस्व आसूचना निदेशालय (Directorate of Revenue Intelligence)
- केन्द्रीय आर्थिक आसूचना ब्यूरो (Central Economic Intelligence Bureau)
- प्रवर्तन निदेशालय (Directorate of Enforcement)
- स्वापन नियंत्रण ब्यूरो (Narcotics Control Bureau)
- वैमानिक अनुसंधान केन्द्र (Aviation Research Centre)
- विशेष सीमान्त बल (Special Frontier Force)
- सीमा सुरक्षा बल (Border Security Force)
- केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (Central Reserve Police Force)
- भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (Indo &Tibetan Border Police)
- केन्द्रीय औद्योगिक सरक्षा बल (Central Industrial Security Force)
- राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (National Security Guards)
- असम राइफल्स (Assam Rifles)
- सशस्त्र सीमा बल (Sashastra Seema Bal)
- विशेष शाखा (सीआईडी) अण्डमान एवं निकोबार (Special Branch (CID)Andaman & Nicobaar)
- अपराध शाखा-सीआईडी- सीबी-दादरा एवं नगर हवेली (The Crime Brach-CID-CB-Dadra & Nagar Haveli)
- विशेष शाखा-लक्षद्वीप पुलिस (Special Branch - Lakshdweep Police)
- विशेष सुरक्षा बल (Special Protection Group)
- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research & Development Organisation)
- सीमा सड़क विकास बोर्ड (Border Road Development Board)
- भारत वित्तीय आसूचना इकाई (Financial Intelligence Unit, India)
परन्तु इन संगठनों से भ्रष्टाचार तथा मानवाधिकार के हनन सम्बन्धी सूचनाएँ माँगी जा सकती हैं। मानवाधिकार हनन सम्बन्धी सूचना हेतु केन्द्रीय सूचना आयोग को आवेदन देना होगा, जो 45 दिनों के अन्दर सूचनाएँ उपलब्ध कराएगा। इन संगठनों की सूची में नए नाम जोड़े जा सकते हैं या हटाए जा सकते हैं। ऐसी सूचना संसद को दी जानी आवश्यक है। राज्य सरकारें भी ऐसी सूची अधिसूचित कर सकती हैं, किन्तु भ्रष्टाचार सम्बन्धी सूचनाएँ अपवर्जित नहीं की जा सकती हैं। मानवाधिकार हनन सम्बन्धी सूचना हेतु राज्य मानवाधिकार को आवेदन देना होगा जो 45 दिन में सूचना उपलब्ध कराता है।
रूप में रखने होंगे जिससे सूचना के अधिकार की सुविधा हो सके।
प्राधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि जिन अभिलेखों को कम्प्यूटरीकृत किया जा सकता है,
उन सभी को उचित समय के भीतर इलेक्ट्रॉनिक रूप में बदल दिया जाये और यह साधनों (स्रोतों) की उपलब्धता के अधीन हो।
लोगों को प्रभावित करते हुये महत्वपूर्ण नीतियाँ बनाते या घोषित करते समय सभी सम्बन्धित तथ्यों का प्रकाशन करना।
सूचना के रिकॉर्ड को 18 महीनों में संग्रहित करना और नियमित रूप से उसे अद्यतन करना।
प्रत्येक सूचना को विस्तृत रूप से और ऐसे प्रारूप और रीति में प्रसारित किया जायेगा. जो जनता के लिये सहज रूप से पहुंच योग्य हो।
सभी सामग्री को, लागत प्रभावशीलता, स्थानीय भाषा और उस क्षेत्र में संसूचना की अत्यंत प्रभावी पद्धति को ध्यान में रखते हुये प्रसारित किया जायेगा तथा सूचना, यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी के पास इलेक्ट्रॉनिक रूप में संभव सीमा तक नि:शुल्क या माध्यम की ऐसी लागत जो विहित की जाये, सहज रूप में पहुँच योग्य बनाया जायेगा।
भारत सरकार ने सार्वजनिक प्राधिकरणों के अंतर्गत सूचना तक पहुंच बनाने हेतु 'सूचना का अधिकार अधिनियम 2005' के अंतर्गत सूचना का अधिकार (RTI) कानून बनाया है।
इस कानून में ऐसी सूचना तक पहुँच पाने का प्रावधान है जो किसी सार्वजनिक प्राधिकरण ने धारित की है अथवा उसके नियंत्रण में है। इसमें कार्य की जाँच, दस्तावेजों/अभिलेखों, उद्धरणों या प्रमाणित प्रतियों और ऐसी सूचना जो इलेक्ट्रॉनिक रूप में भी भण्डारित है, को प्राप्त करने का अधिकार शामिल है।
कोई भी नागरिक निर्धारित शुल्कों सहित अंग्रेजी या हिन्दी या क्षेत्र की राजभाषा में लिखित रूप में आवेदन करके या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम के जरियों से सूचना प्राप्त करने हेतु अनुरोध कर सकता है।
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