नीतिगत निर्णय निर्माण
- प्रस्तावना
- नीतिगत निर्णय निर्माण के लिए एक निर्देश
- क्या मैं इससे खुश रहूंगा। (लोक रिकार्ड पर)
- जब सभी लोग नीतिगत निर्णय निर्माण को समझेंगे व प्रयोग करेंगे तो क्या प्रभाव होगा।
- मैं इसे किस प्रकार पसंद करूंगा जब किसी अन्य ने मेरे लिए ऐसा किया हो।
- क्या एक सुझावित रास्ता एक अच्छे परिणाम की ओर ले जाएगा।
- एक सुझावित कार्य व्यवहार मेरे चरित्र और मेरे संगठन के चरित्र के बारे में क्या करेगा।
- क्या सुझावित कार्य व्यवहार मुझसे संलग्न मूल्यों और सामान्य सिद्धान्तों के साथ सतत रहेगा।
- निष्कर्ष
- कैसे नीतिशास्त्रीय केन्द्र सहायता कर सकते हैं?
प्रस्तावना (Introduction)
लोगों को सदैव ढेर सारे नीतिगत मुद्दों का सामना करना पड़ता है। वर्तमान सतत व परिवर्तित पर्यावरण ढेर सारे उत्कृष्ट मुद्दों (novel challenges) को जन्म देता है। पूर्व समय में लोग एक निश्चित, निष्पक्ष, मूल्यों एवं सामान्य सिद्धान्तों के साथ रहते थे। ये मूल्य व सिद्धान्त उपयुक्त परिस्थितियों में बेहतर रूप से कार्य करने के लिए निर्देश देते थे।
इस संदर्भ में, यह प्रतीत होता है कि लोगों को नीतिशास्त्र की भाषा के साथ सहज होना चाहिए। दुर्भाग्यपूर्ण रूप से जो इस संदर्भ में साक्ष्य उपलब्ध है कि लोग नीतिशास्त्र की भाषा को अच्छी तरह से नहीं जानते या अपने कार्यों के दौरान नीतिशास्त्र की भाषा का प्रयोग नहीं करते। दिन प्रतिदिन जटिल समस्याओं और मुद्दों के समाधान में संघर्ष और टकराव की ओर जाते हैं।
सौभाग्य से कुछ सापेक्ष साधारण छन्नक हैं जिन्हें उन लोगों के निर्णयों को लागू करने में प्रयोग किया जा सकता है जो अपने निर्णयों का रोड टेस्ट करना चाहते हैं।
नीतिगत निर्णय निर्माण के लिए एक शीघ्र निर्देश
यदि आप एक नीतिगत दुविधा का सामना कर रहे हैं, और अपने लिए कुछ शीघ्र विन्दुओं को सहायता के लिए चाहते हैं तो निम्नलिखित प्रश्न आपके निर्णय निर्माण प्रक्रिया में योगदान दे सकेंगे।
- क्या प्रासंगिक तथ्य है
- कौन से मेरे मूल्य इन तथ्यों के लिए महत्वपूर्ण या महत्व के हैं
- मैं क्या पूर्वधारणा या मान्यता (assumptions) बना रहा हूँ
- मेरे स्वयं के स्थान में क्या कमजोरियां है।
- क्या मैं अपने कार्यों के संदर्भ में लोगों द्वारा परीक्षित या छानबीन (Scrutiny) करने पर खुश रहूंगा
- क्या मैं प्रसन्न रहूंगा, यदि मेरा परिवार यह जान जाए कि मैंने क्या किया है
- यह मेरे चरित्र और मेरे संगठन के चरित्र पर क्या प्रभाव डालेगा
- यदि सभी लोग इसी प्रकार के कार्य करने लगे तो क्या होगा?
- मैं क्या महसूस करूंगा यह सोचकर कि जब मेरे द्वारा किया गया कार्य मेरे बच्चे या मेरे माता-पिता को प्रभावित करेगा?
- मैं क्या महसूस करुंगा यह सोचकर कि जब मेरे द्वारा किया गया कार्य मेरे बच्चे या मेरे माता पिता का प्रभावित करेगा?
- क्या मैंने वास्तविक रूप से पूर्णतया समस्याओं को सोचा है?
- क्या मैंने यह सोचा है कि साध्य को साधन द्वारा सत्यापित नहीं किया जा सकता है?
क्या मैं अपने इस निर्णय से खुश रहूँगा (पब्लिक रिकार्ड)
लोग, जब आपके द्वारा या विशेष व्यक्ति के द्वारा लिए गए निर्णयों पर अपनी सहमति प्रदान कर देते हैं या निर्णयों को वैध ठहराते हैं तो निर्णय नीतिगत कहे जाते हैं और व्यक्ति विशेष को इन निर्णयों के विषय में संतोष व प्रसन्नता का अनुभव होता है।
जब सभी लोग नीतिगत निर्णय को समझेंगे व इसका प्रयोग करेंगे तो क्या प्रभाव पड़ेगा?
क्या आप प्रसन्न होंगे यदि आपके सुझावित कार्य व्यवहार सभी के लिए नियम बन जाते हैं? यदि नहीं तो आपको विशेष क्या बनाता है?
नीतिगत निर्णय निर्माण का ढांचा उस प्रारंभिक बिन्दु से शुरू होता है। जहां कि सभी स्थानों पर सभी लोगों के लिए नीतिगत निर्णय निर्माण एक जैसा ही प्रभाव रखे।
इसे किस प्राकर पसंद करूँगा जब किसी अन्य ने मेरे लिए ऐसा किया हो?
यह प्रश्न नीतिगत निर्णय कि लिए गोल्डेन रूल (स्वर्ण नियम) है। क्योंकि यह नियम आपको वह कार्यव्यवहार करने से रोकता है जो आप स्वयं अपने लिए उस कार्यव्यवहार की अपेक्षा नहीं करते हैं।
व्यवहार रूप में कभी-कभी पुलिस प्रशासन लोगों पर बल का प्रयोग भी करती है। परन्तु वह स्वयं इस तरह के कार्य व्यवहार की अपेक्षा नहीं करती है।
इसी प्रश्न को ध्यान में रखते हुए पुलिस प्रशासन को लोगों के हितार्थ संवदेनशील बनाया जा रहा है।
क्या एक सुझावित रास्ता एक अच्छे परिणाम की ओर ले जाएगा
बहुत से लोग परिणामों के अनुसार प्राकृतिक रूप से किसी क्रिया व्यवहार के नीतिगत स्थिति का आकलन करते हैं। किस प्रकार हम यह निर्णय करते हैं कि एक विशेष परिणाम अच्छा हैं। क्या कुछ वस्तुएँ है जो छिपी हुई, किस प्रकार से परिणामों की अच्छाई को देखा जाएगा।
उदाहरण के लिए, क्या आप ऐसे व्यक्तियों की भलाई के लिए एक निर्दोष व्यक्ति का बलिदान कर सकते हैं? क्या आप इस व्यक्तियों के रोजगार को बचाने के लिए एक अच्छे कर्मचारी को निकाल सकेंगे।
एक सुझावित कार्य व्यवहार मेरे चरित्र और मेरे संगठन के चरित्र के बारे में क्या करेगा?
बहुत से ऐसे तर्क देते हैं कि हमारे निर्णय हमारे चरित्र को आकार प्रदान करते हैं। अत: हम बिना एक धोखेबाज व छलकपटी झूठा हुए किसी के साथ झूठ नहीं बोल सकते व न ही उसे धोखा दे सकते हैं।
यह एक मुख्य कारण है। जिससे लोग अपना स्व-साक्षात्कार करते हैं। एक दुविधापूर्ण कठिन बाजार में अपने लाभ के लिए घूस देना कहां तक अपने चरित्र के लिए सही है? अपने चरित्र के निर्माण के लिए इसका क्या प्रभाव है? एक बार यह अभ्यास जब आदत बन जाता है तो यह कठिन होता है कि मूल्यों व सामान्य सिद्धान्तों के बेहतर निर्माण हो सके। इससे पूरे संगठन में मल्यों व सामान्य सिद्धान्तों का बेहतर निर्माण नहीं हो सकेगा। इन सभी के बावजूद यदि घूस देकर अपने लाभ के लिए कार्य करवाना एक जगह सही है या एक जगह घूस देकर कार्य करवाया जाता है तो भी सभी जगह ऐसा क्यों नहीं करवाया जाता है?
क्या सुझावित कार्य व्यवहार मुझसे संलग्न मूल्यों और सामान्य सिद्धान्तों के साथ रहेगा?
ढेर सारे लोग (और संगठन) अपाको यह बताते हुए खुश हैं कि वे कहाँ खड़े हैं या उनकी स्थिति व दशा क्या है? दुर्भाग्यपूर्ण रूप से लोग व्यवहार में जो करते हैं, उनकी कार्य दशा व मानक एक साथ नहीं ठहरती है। शब्दों और कार्यों के बीच में यह मूल्यात्मक खाली वर्तमान समसामयिक समाज में आलोचना का एक महत्पूर्ण श्रोत है।
निष्कर्ष
वास्तव में ढेर सारे प्रश्न है जिनके बारे में पूछा जा सकता है? इसके अलावा कृत्रिमता के द्वारा इन प्रश्नों को लोगों के ध्यान व दायरे में लाया जाता है। यह सफल व विश्वसनीय नीतिगत प्रत्युत्तर से उत्पन्न होता है। इस बिन्दु पर भी ध्यान देना चाहिए कि इस बात की कोई भी गारंटी नहीं है कि इन प्रश्नों के पूछे जाने पर एक सार्वभौमिक रास्ते की ओर जाया जाएगा, जिस पर सभी लोग सहमत होंगे। एक व्यक्ति जो निर्णय लेता है, हो सकता है कि अन्य व्यक्ति भिन्न निर्णय को ले।
लेकिन महा यही है कि नीतिगत निर्णय निर्माण के दौरान प्रत्येक को सार्वभौमिक रूप से एक सहमत निर्णयों को लेना पड़ता है।
नीतिशास्त्र और आचार में अन्तर (Difference between ethics and morality)
नीतिशास्त्र और आचरण दोनों सही और गलत व्यवहार से संबंधित है। फिर भी, नीतिशास्त्र नियमों की श्रृंखला से सम्बन्धित है। यह एक व्यक्ति को बाध्य श्रोत से प्राप्त होता है यथा व्यवसाय। दूसरी तरफ आचरण व्यक्ति के स्वयं के सामान्य सिद्धान्तों (सही या गलत के संदर्भ में) से सम्बन्धित है।
व्यक्तिगत नीतिशास्त्र के सामान्य सिद्धान्त (Principles of personal Ethics)
व्यक्तिगत नीतिशास्त्र को नैतिकता भी कहा जा सकता है, वे किसी भी व्यक्ति के किसी भी समाज में व किसी भी क्षमता के तहत कार्य करते हुए सामान्य आशाओं को प्रतिबिम्बित करते हैं। निम्नलिखित सिद्धान्तों को हम अपने बच्चों में देखना चाहते हैं, साथ ही एक दूसरे के आशाओं को बिना औपचारिक रूप दिए हम उनका कार्यान्वयन भी करना चाहते हैं
व्यक्तिगत नीतिशास्त्र के सामान्य सिद्धान्तों में शामिल हैं
- दूसरों के हित की चिन्ता
- दूसरों के स्वायत्तता के प्रति सम्मान
- विश्वसनीयता और ईमानदारी
- नीतियों के अनुपालन की दृढ़शक्ति
- आधारभूत न्याय
- अनिष्पक्ष लाभों को लेने से इंकार करना।
- परोपकारिता
- हानि न पहुंचाना या हानि से बचना
व्यावसायिक नीतिशास्त्र के सामान्य सिद्धान्त (Principles of Professional Ethics)
व्यक्ति जो व्यावसायिक जीवन जीता है उसे एक अतिरिक्त नीतिगत उत्तरदायित्वों को निभाना पड़ता है। उदाहरण के लिए व्यावसायिक संगठन/संघ उन कोड आफ एथिक्स को रखते हैं जो व्यावसायिक व्यवहार के अनुपालन के दौरान जरूरी होते हैं। इंजिनियरिंग, मेडिकल, कानून, लेखा आदि क्षेत्रों के नीतिशास्त्र से संबंधित है। ये लिखित कानून या कोड, कार्य व्यवहार के नियम को उपलब्ध कराता है साथ ही व्यावसायिक नीतिशास्त्र के सिद्धान्तों पर आधारित व्यवहार के मानक को उपलब्ध कराता है
इसमें निम्नलिखित सम्मिलित हैं:
- निष्पक्षता (Impartiality)/ तटस्थता, वस्तुपरकता (Objectivity)
- खुलापन (Openness), पूर्णतया खुलापन/ (Full disclosure)
- गोपनीयता (Confidentiality)
- कर्मठता/ देखभाल का कर्तव्य (Duty of care)
- व्यावसायिक उत्तरादायित्वों के प्रति निष्ठा
- परम या पारदर्शी संघर्ष के मुद्दों से बचना
- (Avoiding potential or apparent conflict of interest)
वैश्विक नीतिशास्त्र के सामान्य सिद्धान्त (Principles of Global Ethics)
वैश्विक नीतिशास्त्र बहुत ही विवादित क्षेत्र है। यह अभी समक्ष के स्तर पर विकास की अवस्था में है। व्यापक स्तर पर निर्वचन के लिए खुला है कि कैसे या किस पर इनको लागू करना चाहिए। ये सामान्य सिद्धान्त कुछ समय भावनात्मक प्रत्युत्तर और गर्म वादविवादों (heated debate) को जन्म देते हैं। वैश्विक नीतिशास्त्र के सामान्य सिद्धान्तों में निम्नलिखित सम्मिलित है
- वैश्विक न्याय (जो अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों में दिखता है)
- समाज पहले है स्व/सामाजिक उत्तरयित्वों के (Society before self/social responsibility)
- पर्यावरणीय नीतिशास्त्र जो संसाधनों के उत्तरदायित्वपर्ण नियोजन और प्रबंधन से सम्बन्धित है।
- परस्पर निर्भरता और सम्पूर्ण के प्रति उत्तरदायित्व
- जगह/स्थान के लिए आदर
ये प्रत्येक साधारणतया अस्तित्व में होते हुए विश्व को प्रभावित करते है और वैश्विक सोच के लिए हमेंशा सही है।
14 सामान्य सिद्धान्त (14 General principles)
नीतिगत आचारसंहिता के 14 नियम/ सिद्धान्तनीचे दी गयी 14 सामान्य सिद्धान्त सभी कर्मचारियों पर लागू हैं और मानक के आधार पर निर्माण करती हैं। जहां पर एक सी परिस्थिति उत्पन्न हो जो मानकों पर खरी न उतरती हो वहां इन चौदह सामान्य सिद्धान्तों के द्वारा कर्मचारी अपने कार्य व्यवहार में प्रयोग कर सकता है। साथ ही सभी कर्मचारियों के कार्य व्यवहार में इन सभी चौदह सिद्धांतों का प्रयोग है।
- लोक सेवा लोक विश्वास है। कर्मचारियों को निजी हित के अपेक्षा संविधान, कानूनों, नीतिगत सामान्य सिद्धान्तों के प्रति निष्ठा रखनी चाहिए।
- कर्मचारियों को ऐसे वित्तीय हितों को नहीं सोचना चाहिए जो कर्तव्यों के निर्वहन से संघर्ष या टकराव वाला हो
- कर्मचारियों को उन वित्तीय संप्रेषण या अंतरण में नहीं सम्मिलित होना चाहिए जो गैर लोक (Non public) सरकारी सूचना का प्रयोग करता हो या इस तरह की सूचना का वाद में निजी हित के लिए दुरुपयोग करता हो।
- कर्मचारियों को किसी भी गिफ्ट या अन्य सामान्य जो धन के रूप में मूल्य रखता हो उसे किसी भी व्यक्ति, संस्था व संगठन से नहीं लेनी चाहिए। मूलत: इसके पीछे कारण कर्मचारी के कर्तव्य व दायित्व का निष्पक्षता से कार्यरत रहने के लिए है।
- कर्मचारियों की अपने दायित्वों के निर्वाह में ईमानदारीपूर्ण प्रयास किये जाने चाहिए।
- कर्मचारियों को किसी भी अप्राधिकृत वचनबद्धता या वादा को नहीं करना चाहिए जिससे सरकार बँधी हो या सरकार का उत्तरदायित्व उस वचनबद्धता या वादों में आता हो।
- कर्मचारियों को स्व-लाभ के लिए लोक पद का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- कर्मचारियों को निष्पक्षता के साथ कार्य करना चाहिए। साथ ही कर्मचारियों को किसी भी निजी संगठन या व्यक्ति को वरीयता के आधार पर सेवा या ध्यान नहीं देना चाहिए।
- कर्मचारियों को देश के धन का बचाव व संरक्षण करना चाहिए। कर्मचारियों की राष्ट्रीय या राज्य की पूंजी को प्राधिकृत गतिविधियों के अलावा प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- कर्मचारियों को बाहरी रोजगार या गतिविधियों में व्यस्त नहीं होना चाहिए। इसमें रोजगार योजना या रोजगार पर सहमत होना शामिल है, जो सरकारी कर्तव्यों व उत्तरदायित्वों से टकराव वाला हो।
- कर्मचारियों को उचित प्राधिकृत पद को बर्बादी, धोखाधड़ी, दुरुपयोग और भ्रष्टाचार को उजागर करना चाहिए या उसके संज्ञान में इन मुद्दों को लाया जाना चाहिए।
- कर्मचारियों को नागरिक के रूप में बाध्यताओं को ध्यान के रखकर अच्छी निष्ठा व विश्वास से संतुष्ट रहना चाहिए। इसमें सभी प्रकार की वित्तीय बाध्यताएं भी शामिल हैं। विशेषकर- राष्ट्रीय, राज्य या स्थानीय टैक्स- जो नियमों द्वारा लगाया गया हो।
- कर्मचारियों को उन सभी नियमों और विनियमों के साथ टिके रहना चाहिए जो सभी भारतीयों को समान अवसर दिलाता हो। उसे नस्ल, रंग, धर्म, सेक्स, राष्ट्रीय उत्पत्ति, उम्र या विकलांगता जैसे मानकों के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए।
- कर्मचारियों को इनसे सभी उपरोक्त मानकों को मानना चाहिए। नीतिगत मानकों का अनुसरण करना चाहिए। नीतिगत मानकों को नुकसान पहुचाने वाले नियमों, कानूनों से बचना चाहिए।