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साइबर सुरक्षा और सोशल मीडिया - 1 | आंतरिक सुरक्षा और आपदा प्रबंधन for UPSC CSE in Hindi PDF Download

संचार एवं आंतरिक सुरक्षा


  • लोगों तक पहुंचने एवं उन्हें प्रभावित करने के लिए संप्रेषण के एक सशक्त माध्यम के रूप में मीडिया राज्यतंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, विशेषकर सूचना क्रांति के इस युग में। यह किसी भी स्थानीय क्षेत्रीय या वैश्विक मुद्दे के संबंध में लोगों तक सूचना पहुंचाने का एक स्रोत है। लोग इस पर निर्भर हैं एवं इसके द्वारा की गई प्रस्तुतियों पर विश्वास करते हैं।
  • अत: मीडिया का यह पक्ष इसकी महत्ता को एक प्रभावी एवं साधन उपकरण के रूप में बढ़ाता है। मीडिया की यह महत्ता इस रूप में अत्यधिक बढ़ जाती है क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर लोगों में विश्वास या अविश्वास दोनों का ही निर्माण करने में अत्यधिक सक्षम है।
  • राष्ट्रीय स्तर के संकट के समय मीडिया की यह महत्ता स्वतः ही देखी जा सकती है। सूचना क्रांति के इस युग में, अपने स्पष्ट विचार एवं नैतिक प्रभुता को लोगों तक पहुँचाने के लिए सरकारों को उन्नत मीडिया के समर्थन की अत्यधिक आवश्यकता होती है।
  • आधुनिक युग में मीडिया एक महत्वपूर्ण उपकरण बन चुका है। यह राज्य का चौथा स्तम्भ है, जो राज्य के हितों लक्ष्यों एवं उद्देश्यों को आगे बढ़ाने में सहायता करता है।
  • सूचना क्रांति तथा दूसरे साधनों से युद्ध के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मीडिया का इस्तेमाल आरंभ से ही विचार तथा, नायकों के निर्माण में मीडिया सर्वाधिक सशक्त उपकरण रहा है। 'एम्बेडेड जर्नलिस्ट्स' पदावली का प्रयोग खाड़ी युद्ध (1990-91) के दौरान, वैश्विक स्तर पर युद्ध के एक निश्चित दृष्टिकोण को दर्शाने के लिए किया गया था।
  • राज्य द्वारा, मीडिया की इस शक्ति का उपयोग, आंतरिक एवं वाहय शत्रुओं को प्रतिसंतुलित करने के लिए किया जाता है। किंतु मीडिया को उपलब्ध स्वतंत्रता एवं निष्पादन के 
  • बावजूद भी यह राष्ट्र हित एवं सुरक्षा के मुद्दों पर राष्ट्रवादी नीतियों का ही अनुसरण करती देखी जाती है।
  • आज राष्ट्रराज्य एवं गैर-राज्य राजनीतिक कर्ता अपने उद्देश्यों के लिए मीडिया एवं उसके उपयोग की शक्ति को समझ चुके हैं तथापि विभिन्न देशों में मीडिया का यह प्रभाव अत्यधिक भिन्न, परिवर्तनशील एवं विविधकृत है। 

मीडिया की भूमिका 

  • समकालीन सामरिक परिदृश्य में मीडिया और राजनीति का एक दृढ जुड़ाव है। लोगों और राज्यों तथा राज्यों के बीच सूचनाओं के संप्रेषण के स्रोत की मीडिया की पुरानी भूमिका अब रूपांतरित एवं विस्तृत हो चुकी है अब राजनीतिक कर्त्ता उस वातावरण में कार्य करते है, जिसका आकार मीडिया तय करती है। इन्हीं विचारों के आधार पर राजनीतिक कर्ता नौतियों का, विशेषकर राजनीतिक परिवर्तन जैसे चुनाव या संकट के दौरान निर्माण करते हैं।
  • जो भी हो मीडिया कभी स्वतंत्र नहीं हो सकती या तो यह कानूनों के माध्यम से सृजित सरकारी दबाव के अंतर्गत कार्य करती है या किसी वित्त पोषक या प्रायोजक के प्रभाव कार्य करती है।

मीडिया की भूमिका राज्य के साथ इसके संबंधों द्वारा निर्धारित होती है। इस संबंध के 3 महत्वपूर्ण सिद्धांत है:

  1. सत्तावादी तंत्र में सत्ताधारी सरकार ही मीडिया पर नियंत्रण रखती है। मीडिया का उद्देश्य सरकारी नीतियों का समर्थन करना एवं इन्हें आगे बढ़ाने के साथ राज्य की सेवा करना होता है, ऐसी व्यवस्थाओं में सरकारी तंत्र की आलोचना वर्जित है। जैसे चीन।
  2. उदारवादी व्यवस्था में, मीडिया पर उसका स्वामित्व होता है, जो इसे संचालित करने के लिए आर्थिक रूप से सक्षम हो। यहाँ मीडिया के तीन उद्देश्य होते है- सूचना देना, सच्चाई एवं सरकार के उत्तरदायित्व की खोज करना।
  3. सामाजिक उत्तरदायित्व वाले तंत्र में ऐसा कोई भी व्यक्ति और संस्थान मीडिया पर नियंत्रण रख सकता/सकती है, जो कुछ अभिव्यक्त करना चाहता हो। यह एक परिपक्व व्यवस्था है। यहाँ पर मीडिया का मुख्य उत्तर दायित्व है, सूचना देना, मनोरंजन करना, बेचना किंतु इन सभी गतिविधियों के साथ मतभेद के बिंदुओं को परिचर्चा के धरातल पर लाना। दूसरे शब्दों में अशांत क्षेत्रों/बिंदुओं पर प्रकाश डालना जैसे, भारत।
  • 1980 के दशक से मीडिया राजनीति में एक सक्षमकर्ता के तौर पर उभरा है। इसने न केवल तीव्र वैश्विकरण की प्रक्रिया को गति दी है बल्कि अंतर्राष्ट्रीय राजनीति को भी सारगर्भित रूप में प्रस्तुत किया है। समकालीन वैश्विक वातावरण में सूचना एक प्रमुख संसाधान बन चुकी है।
  • मीडिया सूचना का मुख्य स्रोत है यह राजनीतिक रूप ले चुकी है अतएव, इसमें वैश्विक संरचना को प्रभावित एवं परिवर्तित करने की क्षमता है।
  • यद्यपि अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में मीडिया की भूमिका सकारात्मक है। तथापि, कभी-कभी यह अपने हितों को बढ़ावा देने एवं प्रचलित व्यवस्था में वांछित परिवर्तन लाने के लिए बड़े कर्ताओं द्वारा दुष्प्रचार के एक स्रोत के रूप में इस्तेमाल एवं प्रभावित होता है।
  • शीत युद्ध के दौरान प्रसिद्ध पद 'सी. एन. एन. फैक्टर' की भांति अंतर्राष्ट्रीय मीडिया एवं अन्य सूचना संसाधनों का उपयोग राज्य के एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। जैसे आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध।
  • अमेरिका ने मीडिया का इस्तेमाल, कम्युनिस्ट ब्लॉक में आर्थिक क्षति के रेखांकन के जरिए सोवियत समर्थक देशों में पूर्व यू.एस.एस. आर को नीचा दिखाने के लिए किया।
  • आज मीडिया, अपने सामरिक हितों को बढावा देने के लिए, जैसा कि 9/11 के बाद वैश्विक एजेंडा का उपकरण बन चुका है।
  • आदर्श रूप से मीडिया को दुष्प्रभाव तंत्रों से मुक्त एवं निष्पक्ष होना चाहिए। इसका कर्त्तव्य लोगों के समक्ष घटनाओं का एक संतुलित ब्यौरा रखना है।
  • मीडिया राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय राजनीति एवं प्रतिदिन की वास्तविक घटनाओं के विषय में लोगों को शिक्षित एवं सूचित करता है।

  • मीडिया का उद्देश्य समाज के संकट केंद्रों को रेखांकित करना तथा जनता एवं सरकार पर उन संकट केंद्रों के उन्मूलन हेतु उपर्युक्त तंत्र के निर्माण के लिए दबाव बनाना।

  • राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया का उतरदायित्व सरकार एवं जनता के मध्य सेतु का निर्माण करना है।

  • सरकार अपने जनादेश के भीतर कार्य कर रही है या नहीं मीडिया इसकी जाँच करता है। तथापि वैश्विकरण को देखते हुए आज मीडिया का उतरदायित्व वैश्विक हो चुका है।

  • इसे राष्ट्रहितों के अनुकरण एवं अनुरक्षण में भी अपनी भूमिका निभानी होती है। एवं वैश्विक मुद्दों के प्रति अपनी दृष्टि को भी रेखांकित करना होता है। इसे अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के आचार का परीक्षण करना होता है एवं वैश्विक सुरक्षा के लिए वैश्विक स्तर पर संकट केंद्रों को पुनः रेखांकित करना होता है।

  • लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए सूचना तक आसान पहुँच का होना अनिवार्य है।

    • ताकि नागरिक जिम्मेदारी भरा एवं सुविचारित निर्णय ले सके।
    • यह सुनिश्चित करने क लिए कि चुने हुए प्रतिनिधि अपनी शपथ को निभाएं एवं निर्वाचकों के हितों एवं इच्छाओं की पूर्ति हेतु सदैव प्रयत्नशील हैं, एक निगरानी व्यवस्था का प्रबंधन करना।
  • जनसंचार से संबंधित परिकल्पनाओं में से एक यह है कि मीडिया कुछ मुद्दों पर ही अत्यधिक ध्यान देती है और कुछ को पूर्णत: उपेक्षित कर देती है। जिसका दुष्प्रभाव जन विचारों एवं राष्ट्रीय हितों पर पड़ता है।
  • इस संदर्भ में एजेंडा सेटिंग वह अवधारणा है, जिसके अनुसार न्यूज मीडिया अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से स्वयं ही यह निर्धारित करती है कि जनता किन मुद्दों पर परिचर्चाएं करे।
  • मीडिया एजेंडा के निम्नलिखित प्रभाव होते हैं:
    (i) मास मीडिया पब्लिक एजेंडा का प्रत्यक्ष प्रभावित करती
    (ii) पब्लिक एजेंडा (जनता के विचार) नीति निर्माण की प्रक्रिया को प्रभावित करता है।
    (iii) इन दोनों के अतिरिक्त नीति निर्माण की प्रक्रिया पर मीडिया एजेंडा का सीधा एवं स्वतंत्र प्रभाव भी पड़ता है।

मीडिया एवं राष्ट्रीय सुरक्षा 

  • राष्ट्रीय सुरक्षा शब्द का प्रयोग लंबे समय से सैन्य नेताओं एवं राजनेताओं द्वारा नीति, उद्देश्य (Policy objective) के विवरण हेतु एक प्रतीकात्मक पद के रूप में किया जाता रहा है।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा का एक व्यापक अर्थ है, जिसमें अनेक आयाम शामिल हैं। राष्ट्रीय शक्ति के समक्ष खतरा उपस्थित करने वाला कोई भी तत्व सुरक्षा समस्याएं उत्पन्न करता है।
  • युद्ध में मीडिया की भूमिका केवल एक विशेष क्षेत्र में विकासशीत गतिविधियों को दिखाना ही नहीं होता है बल्कि एक व्यापक चित्र प्रस्तुत करना होता है. जिसमें उस देश कीनीतियों के सभी आयाम शामिल हों।
  • मीडिया युद्ध की प्रक्रिया के दौरान कथावाचक की भूमिका निभान चाहता है नया सेन पट जीतना एवं हताहतों को संख्या न्यूनतम रखना चाहती है।
  • मीडिया स्वतंत्रता चाहती है, जिसमें कोई सेंसरशिप न हो तथा वह अपने स्रोताओं तक आसानी से पहुँच सके, जबकि दूसरी तरफ सेना नियंत्रण चाहती है।
  • पूर्व आक्रमण की स्थिति में सेना के कमांडर को सबसे बड़ा भय यह होता है कि कहीं उसकी योजना का शत्रु को पता न चल जाए और वह सावधान न हो जाए सोक शत्रु को चकित कर देना ही युद्ध का सर्वाधिक पातक हथिवार माना जाता है।
  • जबकि दूसरी ओर मीडिया को वह भय होता है कि सेना कहीं जनता में अपनी छवि को अच्छा बनने एवं गाणानियों को हकने के लिए मीडिया कवरेज को बाधित न करें। ये कुछ मौलिक अंतर है जो की बाल नहीं सकते।
  • वर्तमान में सेना एवं मीडिया दोनों ने देश के हितों एवं सुरक्षा को भान में रखते हुए समय पक कार्य करना प्रारंभ कर दिया है।
  • आज जनसमूह को प्रेरित करने के लिए मीडिया सर्वाधिक प्रभावी एवं शक्तिशाली माध्यम है एक ऐसा राष्ट्र, जिसमें पर्याण प्रेरणा का अभाव हो, शव के आक्रमण का सामना नहीं कर सकता और न ही अपनी स्वतंत्रता विश्वास एवं
    आदर्श को लम्बे समय तक संरक्षित नहीं कर सकता है। दूसरी पर्वप्त रूप से प्रेरित एवं इद जनता को कठिन पारिस्थितियों में संघर्ष छोड़ने के लिए विवश नहीं किया जा सकता है। इन्ही उद्देश्यों के संदर्भ में, लोगों के बीच व्यापक स्तर पर सुरक्षा जागरुकता का प्रसार करने के लिए मीडिया का कुशलता पूर्वक प्रभावी इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • अत्यधिक समक्ष सॉफ्टवेयों के माध्यम से सरकारी एजेंसियों, कॉरपोरेट एवं व्यक्तियों की गोपनीय सूचनाओं में सेंध लगाने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं दूसरी अपराधिक घटनाओं के विपरीत डिजिटल क्षेत्र में होने वाले ये अपराध अत्यधिक तीव्र एवं सटीक होते है।

संचार नेटवर्कों के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को मिलने वाली चुनौतियाँ

साइबर सुरक्षा का तात्पर्य साइबर स्पेस को हमले क्षति, दुरुपयोग और आर्थिक जासूसी से सुरक्षित करना है। साइबर स्पेस सूचना परिवेश के अंदर एक वैश्विक डोमेन है जिसमें परस्पर निर्भर IT अवसंरचना जैसे इंटरनेट टेलीकॉम नेटवर्क कंप्यूटर सिस्टम इत्यादि शामिल है।

हाल ही में हुई एक साइबर चूक के कारण रक्षा और गृह मंत्रालय 10 सरकारी वेबसाइटें कई घंटों तक प्रभावित रही।

  • 1990 से ही भारत, पाकिस्तान एवं चीन द्वारा साइबर हमलों का भुक्तभोगी रहा है। ये हमले 1998 में पोखरण परीक्षण के बाद तेजी से बढ़े हैं।
  • साक्ष्य ये बताते हैं कि किस तरह साइबर क्षेत्र में आतंकवादियों द्वारा संसाधनों का दुरूपयोग किया जा रहा है।
  • सोशल मीडिया का इस्तेमाल गैर-जिम्मेदाराना तरीके से अफवाहों को फैलाने के लिए किया जा रहा है, जिसके कारण हमारी, आतंरिक सुरक्षा के सामने नई चुनौतियाँ उत्पन्न हो रही हैं।
  • हाल ही में आसाम में नृताजीय समूहों द्वारा की गई हिंसा अत्यधिक बढ़ गई जब कुछ शरारती तत्वों द्वारा सोशल मीडिया का इस्तेमाल उकसाने वाले संदेशों एवं तस्वीरों को पोस्ट किया गया, जिसकी वजह से देश के विभिन्न भागों में रह रहीं पूर्वोत्तर की जनता को अपनी क्षेत्रों में लौटने के लिए विवश होना पड़ा। मार्च 2013 के आरंभ में ही कुछ संदिग्ध चीनी हैकरों द्वारा भारत के सर्वोच्च सैन्यशोध संस्थान डी. आर.डी.ओ. के कम्प्यूटरों में सेंध लगाई गई। इसे भारत की साइबर सुरक्षा के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी सेंध माना जा रहा है।
  • मोबाइल बैंकिंग प्रौद्योगिकियों का तेजी से बढ़ता उपयोग जोखिम एवं सुभेद्यता को बढ़ा रहा है। जब बड़ी संख्या में ग्राहक बेतार की तकनीकों जैसे आईफोन, आईपैड एवं एन्ड्रायड युक्त स्मार्ट फोनों के वित्तीय सेवाओं हेतु प्रयोग को प्राथमिकता देते हैं, तब विभिन्न स्मार्ट फोन एप्लीकेशनों के जरिए साइबर अपराधियों द्वारा ग्राहकों की गोपनीय जानकारियों तक पहुँचने का खतरा अत्यधिक बढ़ जाता है।
  • भारत को अपनी साइबर सुरक्षा के गंभीर परीक्षण से तब गुजरना पड़ा जब राष्ट्रमण्डल खेलों के दौरान चीन एवं पाकिस्तान ने साइबर हमलों के कारण सूचना व्यवस्था को क्षतिग्रस्त करना पड़ा।
  • उसके बाद से अब तक अमेरिका, चीन, रूस एवं ईरान तथा पूर्वी यूरोप के देशों से प्रारंभ होने वाले साइबर हमलों ने भारतीय डोमेनों पर कई बार आक्रमण किया है।
  • कैस्पर स्काई, जो कि एण्टी वायरस सॉल्यूशन कंपनी है। के अनुसार विश्व में 45 लाख बॉटनेट, जो इन वायरसों के शिकार होते हैं, में सं 7 प्रतिशत कम्प्यूटर भारत के है। बॉटनेट पर्सनल कम्प्यूटर का एक नेटवर्क है जिन्हें वायरस अपना शिकार बनाकर इनका पूर्ण नियंत्रण साइबर अपराधियों के हाथ में दे देते हैं। ये वायरस इन कम्प्यूटरों में तब प्रवेश करते हैं, जब लोग इनसे भरी अश्लील एवं पाइरेटेड फिल्मों की वेबसाइट परों पर क्लिक करते हैं। फलस्वरूप विश्व के कहीं दूसरे कोने में बैठे हुए ये हैकर हाइजैक किए हुए कम्प्यूटर में दर्ज सूचनाओं एवं आंकड़ों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लेते हैं। ये हैकर इन कम्प्यूटरों का प्रयोग अन्य कम्प्यूटरों पर साइबर हमले के लिए भी करते हैं।
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