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साइबर सुरक्षा और सोशल मीडिया - 3 | आंतरिक सुरक्षा और आपदा प्रबंधन for UPSC CSE in Hindi PDF Download

साइबर सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम

  • सरकार ने यह निर्णय लिया है कि भारत की साइबर सुरक्षा और संरचना की देखभाल के लिए 6 संगठनों में 4446 विशेषज्ञों को तैनात किया जाएगा। ये हैं - डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एण्ड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (DETY) जिसमें शामिल हैं, इंडियन कम्प्यूटर एमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERTIn) एवं नेशनल इन्फर्मेटिक सेंटर (NIC) द डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (DoT), द नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (NTRO), रक्षा मंत्रालय, द इंटेलीजेंस ब्यूरो एवं डी.आर.डी.ओ।
  • इन 4446 पदों में, सैन्य बलों को सर्वाधिक विशेषज्ञ मिलेंगे (1887) तत्पश्चात् NTRO (645), DEITY (590), IB (565), DOT (459) एवं DRDO (250)।
  • ये विशेषज्ञ यातायात स्कैनिंग एवं प्रबंधन, सिस्टम ऑडिट एवं फारेन्सिक, अश्योरेन्स तथा सर्टीफिकेशन, अनुसंधान एवं विकास तथा समन्वय की देखभाल करेंगे।
  • भारत भी अपना 'साइबर सुरक्षा आर्किटेक्चर' स्थापित कर रहा है, जिसमें खतरे के आंकलन एवं साझेदारों के बीच सूचना के वितरण हेतु नेशनल साइबर क्वार्डिनेशन सेंटर (NCCC), रक्षा एवं महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए खतरे के प्रबंधन हेतु NTRO एवं सैन्य बलों द्वारा संयुक्त रूप से संचालित द साइबर ऑपरेशन सेंटर एवं 'क्रिटिकल इन्फॉर्मेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर' को सुरक्षा प्रदान करने के लिए NTRO के अंतर्गत क्रिटिकल इन्फॉर्मेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन सेंटर (NCIIPC) शामिल होंगे।
  • सरकार भी साइबर सुरक्षा के मुद्दे के संदर्भ में एक कानूनी ढाँचा शीघ्र ही लाएगी।
  • जैसाकि सबसे चतुर साइबर अपराधी बैंकों एवं सरकारी संगठनों को ही अपना निशाना बनाना पसंद करते हैं, ऐसी दशा में इंटरनेट गतिविधियों पर नियंत्रण के लिए एक प्रभावी साइबर सुरक्षा व्यवस्था का होना अत्यंत आवश्यक है।

नेशनल साइबर क्वार्डीनेशन सेंटर

  • NCCC"साइबर सुरक्षा खतरों का वास्तविक समय आंकलन एवं पहलकारी कार्यवाहियों के लिए क्रियान्वयन योग्य चेतावनियाँ, विधि प्रवर्तक एजेंसियों के द्वारा सम्पादित करेगी।
  • NCCC विश्लेषण के लिए एक केंद्रीय अवस्थिति पर मुख्य ISPs के विभिन्न गेटवे राउटर्स से डेटा को एकत्रित, एकीकृत एवं स्कैन करेगी। अंतर्राष्ट्रीय गेटवे ट्रैफिक एवं डोमेस्टिक एवं घरेलू ट्रैफिक को अलग-अलग संग्रह किया जाएगा।
  • सभी उच्च सरकारी जासूसी एवं तकनीकी एजेंसियाँ NCCC का भाग होंगी जिसे 1000 करोड़ की लागत से स्थापित किया जाएगा।
  • प्रस्तावित साइबर सुरक्षा आर्किटेक्चर इस NCCC की स्थापना पर विचारशील है, जो कि डिपार्टमेंट ऑ इलेक्ट्रॉनिक्स एण्ड आईटी के तहत एक बहुएजेंसी निकाय होगा।
  • अन्य सरकारी एजेंसियाँ, जो NCCC में सक्रिय भूमिका निभाएंगी इस प्रकार हैं-नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रीटेरिएट (NSCC), इन्टेलिजेंस ब्यूरो (IB), रिसर्च एण्ड एनालिसिस विंग (RAW), इंडियन कम्प्यूटर एमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT-In), नेशनल टेक्नोलॉजी रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (NTRO), डिफेंस रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO), DIARA, थल सेना, जल सेना एवं वायु सेना और डिपार्टमेंट ऑ टेलीकम्यूनिकेशन्स।
  • सरकार इसमें इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को भी संलग्न करेगी ताकि इंटरनेट पर 24 घंटे निगरानी सुनिश्चित की जा सके, जबकि दूसरे निजी क्षेत्र के संगठनों की विशेषज्ञता का भी ज़रूरत पड़ने पर इस्तेमाल किया जाएगा। साइबर सुरक्षा निगरानी के लिए यह भारत का प्रथम स्तर (First layer for cyber threat for monitoring) होगा एवं निजी क्षेत्रों के सर्विस प्रदाताओं तथा सरकार के साथ होने वाले सभी संप्रेषणों को इसमें से होकर जाना होगा
  •  सभी इंटरनेट सर्विस प्रदाताओं के नियंत्रण कक्षों के आभासी संपर्क में होगा ताकि देश के भीतर समस्त ट्रैफिक को (अंतर्राष्ट्रीय गेटवे सहित) स्कैन किया जा सके।
  • इंटरनेट की निगरानी के अलावा NCCC साइबर हमलों के विभिन्न खतरों से भी निबटेगी।

संचार एवं आंतरिक सुरक्षा

  • लोगों तक पहुँचने एवं उन्हें प्रभावित करने के लिए संप्रेषण के एक सशक्त माध्यम के रूप में मीडिया राज्यतंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, विशेषकर सूचना क्रांति के इस युग में। यह किसी भी स्थानीय क्षेत्रीय या वैश्विक मुद्दे के संबंधा में लोगों तक सूचना पहुँचाने का एक स्रोत है। लोग इस पर निर्भर हैं एवं इसके द्वारा की गई प्रस्तुतियों पर विश्वास करते हैं।
  • अत: मीडिया का यह पक्ष इसकी महत्ता को एक प्रभावी एवं साधान उपकरण के रूप में बढ़ाता है। मीडिया की यह महत्ता इस रूप में अत्यधिक बढ़ जाती है क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर लोगों में विश्वास या अविश्वास दोनों का ही निर्माण करने में अत्यधिक सक्षम है।
  • राष्ट्रीय स्तर के संकट के समय मीडिया की यह महत्ता स्वतः ही देखी जा सकती है। सूचना क्रांति के इस युग में, अपने स्पष्ट विचार एवं नैतिक प्रभुत्ता को लोगों तक पहुँचाने के लिए सरकारों को उन्नत मीडिया के समर्थन की अत्यधिक आवश्यकता होती है।
  • आधुनिक युग में मीडिया शासन कला का एक महत्वपूर्ण उपकरण बन चुका है। यह राज्य का चौथा स्तम्भ है, जो राज्य के हितों लक्ष्यों एवं उद्देश्यों को आगे बढ़ाने में सहायता करता है।
  • सूचना क्रांति तथा दूसरे साधनों से युद्ध के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मीडिया का इस्तेमाल के आरंभ से ही विचार तथा, नायकों के निर्माण में मीडिया सर्वाधिक सशक्त उपकरण रहा है। 'एम्बेडेड जर्नलिस्ट्स' पदावली का प्रयोग खाड़ी युद्ध (1990-91) के दौरान, वैश्विक स्तर पर युद्ध के एक निश्चित दृष्टिकोण को दर्शाने के लिए किया गया था।
  • राज्य द्वारा, मीडिया की इस शक्ति का उपयोग, आंतरिक एवं वाहय शत्रुओं को प्रतिसंतुलित करने के लिए किया जाता है। किंतु मीडिया को उपलब्ध स्वतंत्रता एवं निष्पादन के बावजूद भी यह राष्ट्रहित एवं सुरक्षा के मुद्दों पर राष्ट्रवादी नीतियों का ही अनुसरण करती देखी जाती है।
  • आज राष्ट्रराज्य एवं गैर-राज्य राजनीतिक कर्ता अपने उद्देश्यों के लिए मीडिया एवं उसके उपयोग की शति को समझ चुके हैं तथापि विभिन्न देशों में मीडिया का यह प्रभाव अत्यधिक भिन्न परिवर्तनशील एवं विविधकृत है।

सोशल मीडिया

अप्रत्यक्ष साइबर मंच पर लोगों के बीच इंटरनेट आधारित संचार जिसके तहत वे अपने विचारों फोटों, वीडियो एवं जानकारी को सांझा और आदान-प्रदान करते हैं, सोशाल मीडिया कहलाता है। सोशल मीडिया पर लोगों को अपनी बात आसानी से कहने की आजादी है, साथ ही इसके माध्यम से वे तेजी से सूचना और ज्ञान भी प्राप्त कर सकते हैं। सूचना शक्ति है। सोशल मीडिया में फेसबूक, ट्विटर, यू-ट्यूब, ब्लॉग, नई माइक्रोब्लॉगिंग साइटें इत्यादि शामिल हैं।

भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम

➤  भारत सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख कदम निम्नलिखित हैं-

  • सरकार ने कंप्यूटर के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे, जिसे साइबर हमलों के खिलाफ विशेष सुरक्षा की जरूरत है, की सूची तैयार की है। इस सूची में राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा, बैंक, शेयर बाजार, विद्युत ग्रिड, रेल और विमान सेवाएं, मौसम एवं कई अन्य नेटवर्क शामिल हैं।
  • सन् 2013 में साइबर सुरक्षा पर एक राष्ट्रीय नीति तैयार की गई।
  • इन नेटवर्कों के चारों ओर एक पुख्ता फायरवॉल बनाने के लिए एक राष्ट्रीय क्रिटिकल सूचना संरचना के संरक्षण केंद्र (एनसीआईआईपीसी) की स्थापना की प्रक्रिया भी स्थापित की जा रही है।
  • एनसीआईआईपीसी का निर्माण साइबर सुरक्षा के लिए फ्रेमवर्क के तौर पर लागू किए गए, उन सब विचारों में से एक है जिसे हाल ही में सुरक्षा पर कैबिनेट समिति द्वारा अनुमोदित किया गया था।

साइबर सुरक्षा के लिए वैश्विक केंद्र

  • विश्व आर्थिक मंच ने इसकी शुरूआत की है और इसका मुख्यालय जेनेवा में है।
  • यह विश्व आर्थिक मंच के अंतर्गत एक स्वायत्त संगठन के रूप में काम करेगा। यह भविष्य के साइबर सुरक्षा परिदृश्यों के लिए एक प्रयोगशाला और पूर्व चेतावनी देने वाले थिंक टैंक के रूप में अपनी सेवाएं देगा। इस तरह वह सुरक्षित और निश्चिंत वैश्विक साइबर स्पेस बनाने में मदद देगा।
  • इसका लक्ष्य सरकारों, व्यवसायों, विशेषज्ञों और कानून लागू करने वाली एजेंसियों के लिए पहला ग्लोबल प्लेटफॉम बनाने का है। ये सब मिल कर साइबर सुरक्षा की चुनौतियों से निबटने में सहयोग करें और साइबर सुरक्षा के लिए उपरोक्त और चुस्त नियामक ढांचा बनाने की दिशा में काम करेगा।
  • यह विश्व आर्थिक मंच की सरकारों और उद्योगों के सहयोग से बहुसाझेदारी वाले नजरिये से अत्यधिक सुरक्षित साइबर स्पेस बनाने की दिशा में काम करने के लिए उनका खींचेगा।

राष्ट्र मंडल (कॉमन वेल्थ ) शिखर सम्मेलन 2018 का 'राष्ट्र मंडल साइबर घोषणा पत्र'

यह साइबर सुरक्षा सहयोग पर विश्व की सबसे बड़ी और सर्वाधिक भौगोलिक विविधता वाली अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धता है। राष्ट्र मंडल देशों के शासनाध्यक्ष प्रतिबद्धता जताते हैं-

  • ये एक साइबर स्पेस के लिए जो आर्थिक और सामाजिक विकास एवं ऑनलाइन अधिकारों के लिए काम करेंगे।
  • प्रभावी राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा के लिए संरचना का निर्माण करेंगे।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के जरिये साइबर स्पेस के स्थायित्व को बढ़ा देंगे।
    इस घोषणा पत्र पर ब्रिटेन में अप्रैल, 2018 को सभी राष्ट्रमंडल देशों ने हस्ताक्षर किये।

सामाजिक मीडिया पारंपरिक मीडिया से कैसे अलग है?

➤  सामाजिक मीडिया, मीडिया का नया रूप है। निम्नलिखित बातों में यह पारंपरिक मीडिया से अलग हैं-

  • यह अपने उपयोगकर्ताओं तक तेजी से जानकारी पहुंचाता है। यह पारंपरिक मीडिया से भिन्न है, क्योंकि यह वास्तविक जानकारी प्रदान करता है। सामाजिक मीडिया पर सूचना बहुत ही कम समय में व्यापक रूप से फैल जाती है इसलिए इसका प्रभाव पारंपरिक प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और संचार के पारंपरिक माध्यमों, जैसे-फोन कॉल, डाक और आमने-सामने के संचार से ज्यादा होता है।
  • पारंपरिक - प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, बड़े मीडिया घरानों द्वारा नियंत्रित होता है। इसका नियंत्रण कुछ गिने-चुने हाथों तक सीमित है। इसलिए वे समाचार आइटमों के संशोधित/विकृत संस्करण के माध्यम से आम जनता, चुनाव और राजनीति समाचारों को प्रभावित करते हुए उस पर अपना एकाधिकार स्थापित करते हैं, लेकिन सामाजिक मीडिया लोगों के हाथ में है। इसे किसी भी व्यक्ति या किसी भी समूह द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता। इसलिए सामाजिक मीडिया ने बड़े मीडिया घरानों के एकाधिकार को तोड़ दिया है। सोशल मीडिया ने परंपरागत मीडिया में अधिक-से-अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित की है। वास्तव में, अब सामाजिक मीडिया पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया भी उपलब्ध होते जा रहे हैं।
  • जबकि पारंपरिक मीडिया एक तरफा संचार प्रदान करता है। यह उपयोगकताओं को केवल जानकारी प्रदान करताहै, लेकिन सामाजिक मीडिया पर लोग चर्चा, वर्तमान मुद्दों एवं महत्वपूर्ण नीतियों पर बहस करते हैं। इसलिए सामाजिक मीडिया न केवल पारदर्शिता को बढ़ाते हुए सरकार की जवावदेही सुनिश्चित करता है, बल्कि लोकतंत्र में हमारी और अधिक सहभागिता भी सुनिश्चि करता है, बल्कि लोकतंत्र में हमारी और अधिक सहभागिता भी सुनिश्चित करता है। यह किसी भी लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए अत्यंत आवश्क घटक चर्चा की संस्कृति को विकसित करता है।

सोशल मीडिया का नकारात्मक उपयोग

➤  साशेल मीडिया के नकारात्मक उपयोग में सम्मिलित हैं-

  • दंगे,
  • गलत सूचना,
  • आतंकवाद, राष्ट्र विरोधी गतिविधियां,
  • अफवाहें फैलाना
  • दुर्व्यसन/लत
  • सोशल मीडिया भारत में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने में एक विनाशकारी भूमिका निभा रहा है।

सोशल मीडिया का सकारात्म उपयोग

➤  सोशल मीडिया के सकारात्मक उपयोग में सम्मिलित हैं-

  • सामाजिक जागरूकता,
  • संचार का सबसे सस्त और तेज रूप
  • अन्ना आंदोलन, आप पार्टी इत्यादि
  • बहस और चर्चा की संस्कृति का प्रचार
  • बड़े मीडिया घरानों के टूटते एकाधिकार
  • सहभागितापूर्ण लोकतंत्र

महत्वपूर्ण मुद्दे

पिछले 2-3 सालों से, सोशल मीडिया के उपयोग/दुरुपयोग के बारे में एक बहस चल रही है। एक तरफ, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रा और गोपनीयता का अधिकार है, जबकि दूसरी ओर, धार्मिक भावनाओं को भड़काने, नफरत को बढ़ावा देने, विभिन्न वर्गों और समूहों के बीच शत्रुता, झुंझलाहट, आपराधिक मानहानि आदि के मुद्दे हैं। हम जानते हैं कि वहां दोनों के बीच एक अच्छा संतुलन होना चाहिए, जबकि संविधान में परिकल्पना की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व्यक्ति का अधिकार है, लेकिन हमें इसे कानून की सीमाओं के भीतर ही प्रयोग करना है और इससे प्रशासन के लिए कानून एवं व्यवस्था की समस्याएं पैदा न हों। हमें दूसरी के अधिकारों का भी ध्यान रखना होगा इस संबंध में हाल के दिनों में हुए दो उदाहरणों को उजागर किया जा सकता है-

  • भारत में फेसबुक पर दो महिलाओं द्वारा की गई एक टिप्पणी के कारण उनकी गिरफ्तारी से जन-आक्राकेश फैल गया। जिनमें से एक महिला ने फेसबुक पर टिप्पणी के माध्यम से राजनीतिज्ञ बाल ठाकरने की मौत के बाद, मंबुई बंद की आलोचना की थी, जबकि दूसरी महिला ने इस टिप्पणी को 'पसंद किया' था। उस महिला पर 'दो वर्गों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने' का आरोप लगाया गया था, जिसे बाद में जानत पर रिहा कर दिया गया था। इससे आई एक्ट-2000 की धारा-66ए पर एक राष्ट्रव्यापी बहस छिड़ गई भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू ने भी इस गिरफ्तारीकी आलोचना की। बाद में सरकार द्वारा लड़कियों के खिलाफ आरोप वापस ले लिए गए।
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