जहाँ तक UPSC सिविल सेवा परीक्षा का सवाल है, भूगोल एक महत्वपूर्ण विषय है। भूगोल भी आयोग द्वारा प्रस्तुत एक वैकल्पिक विषय है और जहाँ तक संख्याएँ जाती हैं, यह एक बेहद लोकप्रिय विकल्प है। इसकी तर्कसंगत प्रकृति और स्कोरिंग क्षमता इसे विज्ञान और कला पृष्ठभूमि दोनों के साथ उम्मीदवारों के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय बनाती है।
यहाँ सामान्य ज्ञान के महत्वपूर्ण स्तंभ भूगोल की तैयारी करने के बारे में बात की जा रही है। इससे पहले कि सीधे तैयारी करने के तरीके पर आया जाये, बेहतर होगा कि हम उन दो व्यावहारिक मेड़ों को पहचानकर अपनी उस सीमा-रेखा का निर्धारण कर ले, जिसके अन्तर्गत रहकर यह तैयारी की जानी चाहिए। अन्यथा तैयारी करने का फोकस बिखर जाता है।
वे दो मेड़ें; जो इस विषय की तैयारी की सीमा का निर्धारण करते हैं, हैं-सिविल सर्विस द्वारा निर्धारित किया गया इस विषय का पाठ्यक्रम तथा प्री एवं मुख्य परीक्षा में इस पर पूछे जाने वाले प्रश्नों की संख्या। हाँ, इस विषय पर तैयारी किस तरह से की जानी चाहिए, इसका निर्देशन अनसॉल्वड पेपर्स/ Mock Tests करते हैं। तो पहले मुख्यतः आरम्भ के दो बिन्दुओं को देख लेते हैं।
प्रीलिम्स और मेन्स परीक्षा के लिए पूरा UPSC पाठ्यक्रम यहाँ से देख सकते हैं।
प्रारम्भिक परीक्षा के लिए भूगोल का जो पाठ्यक्रम दिया गया है, वह मात्र नौ शब्दों का है-‘भारत एवं विश्व का प्राकृतिक, सामाजिक और आर्थिक भूगोल।’’ दरअसल, पाठ्यक्रम का यह संक्षिप्त रूप सिविल सेवा परीक्षा को अधिक जटिल, अत्यंत विस्तृत और सही में पूछिये तो उसे कुछ-कुछ डरावना भी बना देता है। यदि सैद्धांतिक रूप से देखा जाये, तो भूगोल के संबंध में अब तक का ज्ञात अधिकांश ज्ञान केवल इन नौ शब्दों में समाहित हो जाता है। जब आप इन नौ शब्दों पर आधारित पुस्तकें पलटना शुरू करेंगे, तो आपका दिमाग चकराने लगेगा। तो यहाँ सवाल यह है कि फिर आप करेंगे क्या? निराश न हों। इसका भी हल है।
इसका हल मुख्य परीक्षा के सिलेबस में है। उसमें भूगोल के लिए; जो सामान्य अध्ययन के प्रथम प्रश्न पत्र का लगभग 40 प्रतिशत भाग घेरता है, तीन मुख्य बिन्दु दिए हुए हैं। मैं यहाँ उन बिन्दुओं को ज्यों का त्यों न देकर उसके सत्व को दे रहा हूँ। ये तीन बिन्दु हैं-
इन तीनों प्रमुख तथ्यों के प्रकाश में मैं यहाँ भूगोल के कुछ सर्वाधिक महत्वपूर्ण टॉपिक्स के बारे में बताना चाहूंगा।
ये मुख्य टॉपिक्स हैं। आप जब इनकी तैयारी में लगेंगे, तो निश्चित रूप से आपकी मुलाकात इनसे सम्बद्ध अन्य कुछ सहायक टॉपिक्स से होगी। आपको उन पर भी थोड़ा ध्यान देना होगा। वैसे भी इन सहायक तथ्यों के अभाव में मुख्य टॉपिक्स को अच्छी तरह समझ पाना संभव नहीं होता है।
यह विषय आपकी रुचि का है, या नहीं है, आपको यह बात बिल्कुल भूल जानी चाहिए। प्री एवं मेन्स में इससे जितने अंकों के प्रश्न पूछे जाते हैं, उन्हें देखते हुए इस विषय की उपेक्षा करना आपके लिए पर्याप्त जोखिम भरा हो सकता है।
सिविल सर्विस की परीक्षा में जितने भी विषय हैं, उन सभी विषयों के प्रश्नों की प्रकृति एक जैसी नहीं होती। सच तो यह है कि किन्हीं भी दो विषयों की प्रकृति समान मालूम नहीं पड़ती है। और यह इस परीक्षा की व्यवस्थित तैयारी करने के लिए एक जबर्दस्त चुनौती प्रस्तुत करती है।
भूगोल के प्रश्नों की प्रकृति को हम प्री एवं मेन्स के संदर्भ में निम्न बिन्दुओं के आधार पर देखेंगे।
दूसरी तरह के प्रश्न समसामयिक घटनाओं पर आधारित होते हैं। भूगोल में करेंट अफेयर्स दो ही तरह के संभावित होते हैं। पहला स्थान को लेकर, तथा दूसरा प्राकृतिक आपदाओं को लेकर। स्थान (लोकेशन) को लेकर पूछे जाने वाले प्रश्न काफी सूक्ष्म अंतर वाले होते हैं। ये थोडे़ कठिन जरूर होते हैं। लेकिन यदि आपने एटलस को अपना अच्छा मित्र बना लिया है, तो सही-सही अनुमान लगाने में यह आपकी काफी मदद कर देता है।
प्राकृतिक घटनाओं वाले प्रश्न अपेक्षाकृत सरल होते हैं। यदि आप सतर्कता के साथ न्यूज एवं न्यूज पेपर से जुड़े हुए हैं, तो आपके लिए ये प्रश्न सरल बन जाते हैं। अन्यथा केवल अनुमान के आधार पर इनके उत्तर पर निशान लगाना नुकसानदेह हो सकता है।
प्रश्नों की प्रकृति को जान लेने के बाद इस बात का निर्धारण कर पाना मुश्किल नहीं रह जाता कि तैयारी की किस प्रकार जानी चाहिए। फिर भी मैं यहाँ कुछ विशेष महत्व की बातें आपके ध्यान में लाना चाहूंगा।
ऐसा करके इस विषय में आप अपने लिए अच्छे अंक सुनिश्चित कर सकेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है।
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1. परिचयसिविल सेवा के लिए भूगोल की तैयारी कैसे करें? |
2. प्रमुख भूगोल प्रश्न क्या हैं जो सिविल सेवा परीक्षा में आने की संभावना है? |
3. भूगोल की तैयारी के दौरान कौन-कौन से स्रोतों का उपयोग किया जा सकता है? |
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