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भाषा, लिपि और व्याकरण | Hindi Grammar for Class 6 PDF Download

भाषा

मनुष्य एक समाज में रहने वाला प्राणी है। वह अपने विचारों, भावनाओं को बोलकर ही व्यक्त करता है। भाषा को ध्वनि संकेतों की व्यवस्था माना जाता है। यह मनुष्य के मुंह से निकली हुई अभिव्यक्ति होती है। इसे विचारों के आदान प्रदान का एक आसान साधन माना जाता हैं। इसके शब्द प्राय: रूढ़ होते हैं।
संस्कृत भाषा को हिंदी भाषा की जननी माना जाता है। हमें पता है कि भाषा का लिखित आज भी संस्कृत में पाया जा सकता है। लेकिन मौखिक रूप मुख से घिस-घिसकर अपना स्वरूप खो चुके हैं, आज हम उन्हें तद्भव शब्दों के रूप में जानते हैं। हिंदी भाषा को अपने अस्तित्व में आने के लिए बहुत समय लग गया है। पहले संस्कृत से पालि, पालि से प्राकृत, प्राकृत से अपभ्रंश, तब अपभ्रंश से हिंदी भाषा का विकास हुआ है।

भाषा की परिभाषा

भाषा शब्द को संस्कृत की ‘भाष‘ धातु से लिया गया है, जिसका अर्थ है- ‘बोलना’। हमारे भावों और विचारों की अभिव्यक्ति के लिए रूढ़ अर्थों में जो ध्वनि संकेतों की व्यवस्था प्रयोग में लायी जाती है, उसे भाषा कहते हैं।
दूसरे शब्दों में: भाषा वह साधन है, जिसके माध्यम से हम सोचते हैं तथा अपने विचारों को व्यक्त करते हैं।
साधारण शब्दों में: जब हम अपने विचारों को लिखकर या बोलकर प्रकट करते हैं और दूसरों के विचारों को सुनकर या पढकर ग्रहण करते हैं, उसे भाषा कहते हैं।
मनुष्य कभी शब्दों, कभी सिर हिलाने या संकेत द्वारा भी अपने विचारों को अभिव्यक्त करता है। किन्तु भाषा केवल उसी को कहा जाता है, जो बोली जाती हो या सुनी जाती हो। यहाँ पर भी बोलने का अभिप्राय गूँगे मनुष्यों या पशु-पक्षियों की बोली से नहीं बल्कि बोल सकने वाले मनुष्यों के अर्थ में लिया जाता है। 
भाषा, लिपि और व्याकरण | Hindi Grammar for Class 6

भाषा के भेद

1. लिखित भाषा
जब हम दूर बैठे किसी व्यक्ति से अपनी बातें लिखकर व्यक्त करते हैं, तो उसे लिखित भाषा कहते हैं। यह भाषा का स्थायी रूप होता है। ये लिपि पर आधारित होती हैं। इससे अपने अस्तित्व को सुरक्षित रखा जा सकता है।
दूसरे शब्दों में: जब व्यक्ति किसी दूर बैठे व्यक्ति को पत्र द्वारा अथवा पुस्तकों एवं पत्र-पत्रिकाओं में लेख द्वारा अपने विचार प्रकट करता है, तब उसे भाषा का लिखित रूप कहते हैं।
जैसे: ग्रन्थ, पुस्तकें, अख़बार, पत्र-पत्रिकाएँ आदि।

2. मौखिक भाषा
जब हम अपने विचारों को बोलकर या सुनकर व्यक्त करते हैं, तो उसे मौखिक भाषा कहते हैं। मौखिक भाषा में मनुष्य अपने विचारों एवं मनोभावों को बोल कर प्रकट करते हैं। मौखिक भाषा का प्रयोग तभी होता है, जब श्रोता सामने हो। दूसरे शब्दों में – आमने-सामने बैठे व्यक्ति परस्पर बातचीत करते हैं अथवा कोई व्यक्ति भाषण, आदि द्वारा अपने विचार प्रकट करता है तो उसे भाषा का मौखिक रूप कहते हैं।
जैसे – नाटक, फिल्म, समाचार सुनना, संवाद, भाषण आदि।

भाषा के कुछ अन्य भेद भी होते हैं

1. मातृभाषा: जिस भाषा को बालक बचपन में अपनी माँ से सीखता है, उसे मातृभाषा कहते हैं।

2. राजभाषा: जब किसी देश में सरकारी काम में भाषा का प्रयोग होता है, उसे राजभाषा कहते हैं। अंग्रेजी हमारी सह-राजभाषा है।

3. राष्ट्रभाषा: भारत में अनेक भाषाएँ बोली, पढ़ी, लिखी, सुनी जाती हैं। सब प्रदेशों की अपनी अलग भाषा है। भारतीय संविधान ने 22 भाषाओँ को स्वीकार किया है – संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, असमिया, पंजाबी, नेपाली, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, गुजराती, बांग्ला, उड़िया, कश्मीरी, कोंकणी, मणिपुर, मराठी, मलयालम, मैथिलि, डोंगरी, बोडो, संथाली और सिंधी आदि। इन सभी भाषाओँ का प्रयोग अपने-अपने क्षेत्र में ही किया जाता है, पर हिंदी को पुरे भारत में बोला जाता है, इसलिए इसे राष्ट्रभाषा कहते हैं।

4. मानक भाषा: मानक हिंदी, हिंदी भाषा का ही मानक रूप होता है। इसे शिक्षा, कार्यालयीन कामों में प्रयोग किया जाता है। हम जानते हैं की भाषा का क्षेत्र काल और पात्र की दृष्टि से व्यापक होता है। सभी भाषाओँ के विविध रूप को मानक कहते हैं।

भाषा और बोली

सीमित क्षेत्रों में बोली जाने वाली भाषा के रूप को बोली कहा जाता है अर्थात स्थानीय व्यवहार में अल्पविकसित रूप में प्रयुक्त होने वाली भाषा बोली कहलाती है। बोली का कोई लिखित रूप नहीं होता।
छोटे भू-भाग में बोली जाने वाली भाषा को बोली कहते हैं। बोली को भाषा का प्रारंभिक रूप माना जाता है, बोली भाषा का स्थानीय रूप होती है। हम जानते हैं कि हर दस किलोमीटर के बाद बोली बदल जाती है। भाषा व्याकरणिक नियमों से बंधी होती है, लेकिन बोली स्वतंत्र होती है।
जब कोई भाषा बहुत बड़े भाग में बोली जाती है, तो वह क्षेत्र में बंट जाता है और ‘बोली’ बोली जाने लगती है। कोई भी बोली हो वो विकसित होकर भाषा का रूप ही लेती है। हिंदी को भी एक समय में बोली माना जाता था। क्योकि इसका विकास खड़ी बोली से हुआ था। बोली को लिख नहीं सकते इसलिए इसका साहित्य मौखिक होता है, लेकिन भाषा को लिखा जा सकता है इसलिए इसका साहित्य लिखित होता है। जब कोई बोली विकसित होती है तो वह साहित्य की भाषा का रूप ले लेती है।
अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग बोलियाँ बोली जाती हैं –
जैसे: पूर्वी उत्तर प्रदेश की बोली अवधी है, बिहार की भोजपुरी और मैथिलि, हरियाणा में हरियाणवी और बांगड़ू, राजस्थान में राजस्थानी, मारवाड़ी और गुजरात में गुजराती बोली बोली जाती है।


लिपि

किसी भाषा को लिखने के लिए जिन चिन्हों की जरूरत होती है, उन चिन्हों को लिपि कहते है। लिपि भाषा का लिखित रूप होता है। इसके माध्यम से मौखिक रूप की ध्वनियों को लिखकर प्रकट किया जाता है। सारी भाषाओँ के लिखने की लिपि अलग होती है।

भाषा, लिपि और व्याकरण | Hindi Grammar for Class 6

हिंदी व संस्कृत भाषा की लिपि देवनागरी है।
देवनागरी लिपि की विशेषताएं
1. इसे दाएं से बाएं लिखा जाता है।
2. हर वर्ण का आकार समान होता है।
3. ये उच्चारण के अनुरूप लिखी जाती हैं।


व्याकरण

मनुष्य मौखिक एवं लिखित भाषा में अपने विचार प्रकट कर सकता है और करता रहा है किन्तु इससे भाषा का कोई निश्चित एवं शुद्ध स्वरूप स्थिर नहीं हो सकता। भाषा के शुद्ध और स्थायी रूप को निश्चित करने के लिए नियमबद्ध योजना की आवश्यकता होती है और उस नियमबद्ध योजना को हम व्याकरण कहते हैं।
साधारण शब्दों में: व्याकरण वह शास्त्र है, जिससे भाषा को शुद्ध लिखने, बोलने और पढने का ज्ञान सीखा जाता है। शुद्ध लिखने के लिए व्याकरण को जानने की बहुत जरूरत होती है। व्याकरण से भाषा को बोलना और लिखना आसान होता है। व्याकरण से हमें भाषा की शुद्धता का ज्ञान होता है। भाषा को प्रयोग करने के लिए हमें भाषा के नियमों को जानने की जरूरत है। इन्ही नियमों की जानकारी हमें व्याकरण से मिलती है।

व्याकरण और भाषा का संबंध

कोई भी व्यक्ति व्याकरण को जाने बिना भाषा के शुद्ध रूप को नहीं सीख सकता है। इसी वजह से भाषा और व्याकरण का बहुत गहरा संबंध है। व्याकरण, भाषा को उच्चारण, प्रयोग, अर्थों के प्रयोग के रूप को निश्चित करता है।

व्याकरण के अंग

1. वर्ण विचार: इस विचार में वर्णों के उच्चारण, रूप, आकार, भेद, वर्णों को मिलाने की विधि, लिखने की विधि बताई जाती है।

2. शब्द विचार: इस विचार में शब्दों के भेद, व्युत्पत्ति, रचना, रूप, प्रयोगों, उत्पत्ति आदि का अध्ययन करवाया जाता है।

3. पद विचार: इस विचार में पद का तथा पद के भेदों का वर्णन किया जाता है।

4. वाक्य विचार: इस विचार में वाक्यों की रचना, उनके भेद, वाक्य बनाने, वाक्यों को अलग करने, विराम चिन्हों, पद परिचय, वाक्य निर्माण, गठन, प्रयोग, उनके प्रकार आदि का अध्ययन करवाया जाता है।

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FAQs on भाषा, लिपि और व्याकरण - Hindi Grammar for Class 6

1. भाषा क्या होती है?
उत्तर: भाषा मनुष्यों की संवाद करने की क्षमता को संकेतित करती है। यह विचारों, भावनाओं और ज्ञान को शब्दों और वाक्यों के माध्यम से व्यक्त करने का एक तरीका है। भाषा व्यक्ति के साथी होती है और समान भाषा का उपयोग करने वाले लोगों के बीच संवाद को संभव बनाती है।
2. लिपि क्या होती है?
उत्तर: लिपि एक व्याकरणिक संकेत होता है जिसका उपयोग भाषा के शब्दों और वाक्यों को लिखने और पढ़ने के लिए किया जाता है। यह एक निर्दिष्ट सेट के अक्षरों और अक्षरों के संयोजन का प्रयोग करती है जो भाषा की व्याकरणिक यात्रा को दर्शाते हैं। विभिन्न भाषाओं के लिए विभिन्न लिपियों का उपयोग होता है।
3. व्याकरण क्या होता है?
उत्तर: व्याकरण भाषा का एक विज्ञान है जो उसके संरचना, रचना, और उपयोग का अध्ययन करता है। यह विचारों और ज्ञान को शब्दों और वाक्यों के रूप में व्यक्त करने के नियमों का अध्ययन करता है। व्याकरण की मदद से हम भाषा के सही उपयोग और अर्थ को समझ सकते हैं।
4. कौनसी भाषा सबसे अधिक बोली जाती है?
उत्तर: विश्वभर में मांडराती भाषाओं में चीनी भाषा सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। यह चीन और उनके पड़ोसी देशों में बोली जाती है और करीब 1.3 अरब से अधिक लोगों द्वारा बोली जाती है।
5. व्याकरण क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: व्याकरण भाषा के सही उपयोग को समझने और संवाद को सुगम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह हमें शब्दों, वाक्यों, और वाक्य संरचना के नियमों को समझने में मदद करता है और सही भाषा का उपयोग करके अच्छे संवाद को सुनिश्चित करता है।
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