उन्नीसवीं शताब्दी में पूर्वार्द्ध तक हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में विराम-चिह्नों के रूप में एक पाई (।) दो पाई (।।) का प्रयोग होता था। कलकत्ता में फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना के बाद अंग्रेज़ों के सम्पर्क में आने के कारण उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त तक अंग्रेज़ी के ही बहुत से विराम-चिह्न हिन्दी में आ गए। बीसवीं शताब्दी के आरम्भ से हिन्दी में विरामादि चिह्नों का व्यवस्थित प्रयोग होने लगा और आज हिन्दी व्याकरण में उन्हें पूर्ण मान्यता प्राप्त है।
हिन्दी में निम्नलिखित विराम-चिह्नों का प्रयोग होता है:
नाम – चिह्नों
नीचे दिए गए विराम-चिह्नों का प्रयोग हिन्दी भाषा में निम्न प्रकार किया जाता है-पूर्ण विराम का प्रयोग (।) पूर्ण विराम का अर्थ है भली-भाँति ठहरना। सामान्यतः पूर्ण विराम का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है:
(i) प्रश्नवाचक और विस्मयादिबोधक वाक्यों को छोड़कर शेष सभी वाक्यों के अन्त में पूर्ण विराम का प्रयोग होता है;(ii) किसी व्यक्ति या वस्तु का सजीव वर्णन करते समय वाक्यांशों के अन्त में भी पूर्ण विराम का प्रयोग होता है;
जैसे:
(iii) प्राचीन भाषा के पद्यों में अर्द्धाली के पश्चात् पूर्ण विराम का प्रयोग होता है;
जैसे:
अर्द्ध विराम का प्रयोग (;)
अर्द्ध विराम का अर्थ है-आधा विराम। जहाँ पूर्ण विराम की तुलना में कम रुकना होता है, वहाँ अर्द्ध विराम का प्रयोग होता है।
सामान्यतः अर्द्ध विराम का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है:
(i) जहाँ संयुक्त वाक्यों के मुख्य उपवाक्यों में परस्पर विशेष सम्बन्ध नहीं होता है, वहाँ अर्द्ध विराम द्वारा उन्हें अलग किया जाता है;
जैसे:
(ii) मिश्र वाक्यों में प्रधान वाक्य के साथ पार्थक्य प्रकट करने के लिए अर्द्ध विराम का प्रयोग किया जाता है;
जैसे:
(iii) अनेक उपाधियों को एक साथ लिखने में, उनमें पार्थक्य प्रकट करने के लिए इसका प्रयोग होता है;
जैसे:
अल्प विराम का प्रयोग (,)
अल्प विराम का अर्थ है- न्यून ठहराव। वाक्य में जहाँ बहुत ही कम ठहराव होता है, वहाँ अल्प विराम का प्रयोग होता है। इस चिह्न का प्रयोग सर्वाधिक होता है। सामान्यतः अल्प विराम का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता हैं:
(i) जहाँ एक तरह के कई शब्द, वाक्यांश या वाक्य एक साथ आते हैं. तो उनके बीच अल्प विराम का प्रयोग होता है;
जैसे:
(ii) जहाँ भावातिरेक के कारण शब्दों की पुनरावृत्ति होती है, वहाँ अल्प विराम का प्रयोग होता है;
जैसे:
(iii) सम्बोधन के समय जिसे सम्बोधित किया जाता है, उसके बाद अल्प विराम का प्रयोग होता है;
जैसे:
(iv) जब हाँ अथवा नहीं को शेष वाक्य से पृथक् किया जाता है, तो उसके बाद अल्प विराम का प्रयोग होता है;
जैसे:
(v) पर, परन्तु, इसलिए, अत:, क्योंकि, बल्कि, तथापि, जिससे आदि के पूर्व अल्प विराम का प्रयोग होता है;
जैसे:
(vi) उद्धरण से पूर्व अल्प विराम का प्रयोग होता है;
जैसे:
(vii) यह, वह, तब, तो, और, अब, आदि के लोप होने पर वाक्य में अल्प विराम का प्रयोग होता है;
जैसे:
(viii) बस, वस्तुतः, अच्छा, वास्तव में आदि से आरम्भ होने वाले वाक्यों में इनके पश्चात् अल्प विराम का प्रयोग होता है;
जैसे:
(ix) तारीख के साथ महीने का नाम लिखने के बाद तथा सन्, संवत् के पूर्व अल्प विराम का प्रयोग किया जाता है;
जैसे:
(x) अंकों को लिखते समय भी अल्प विराम का प्रयोग किया जाता है;
जैसे:
प्रश्नवाचक चिह्न का प्रयोग (?)
जब किसी वाक्य में प्रश्नात्मक भाव हो, उसके अन्त में प्रश्नवाचक चिह्न (?) लगाया जाता है। प्रश्नवाचक चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है:
(i) प्रश्नवाचक चिह्न का प्रयोग प्रश्नवाचक वाक्यों के अन्त में किया जाता है;
जैसे:
(ii) प्रश्नवाचक चिह्न का प्रयोग अनिश्चय की स्थिति में किया जाता है;
जैसे:
(iii) व्यंग्य करने की स्थिति में भी प्रश्नवाचक चिह्न का प्रयोग होता है;
जैसे:
(iv) जहाँ शुद्ध-अशुद्ध का सन्देह उत्पन्न हो, तो उस पर या उसकी बगल में कोष्ठक लगाकर उसके अन्तर्गत प्रश्नवाचक चिह्न लगा दिया जाता है;
जैसे:
ऐसे वाक्य जिनमें प्रश्नवाचक चिह्न का प्रयोग नहीं होता
अप्रत्यक्ष कथन वाले प्रश्नवाचक वाक्यों के अन्त में प्रश्नवाचक चिह्न नहीं लगाया जाता;
जैसे:
जिन वाक्यों में प्रश्न आज्ञा के रूप में हों, उन वाक्यों में प्रश्नवाचक चिह्न नहीं लगाया जाता है;
जैसे:
विस्मयादिबोधक चिह्न का प्रयोग (!)
आश्चर्य, करुणा, घृणा, भय, विवाद, विस्मय आदि भावों की अभिव्यक्ति के लिए विस्मयादिबोधक चिह्न का प्रयोग होता है। इसका प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है
(i) विस्मयादिबोधक चिह्न का प्रयोग हर्ष, घृणा, आश्चर्य आदि भावों को व्यक्त करने वाले शब्दों के साथ होता है;
जैसे:
(ii) विनय, व्यंग्य, उपहास इत्यादि के व्यक्त करने वाले वाक्यों के अन्त में पूर्ण विराम के स्थान पर विस्मयादिबोधक चिह्न का प्रयोग होता है;
जैसे:
उद्धरण चिह्न का प्रयोग (‘….’) (“….”)
उद्धरण चिह्न दो प्रकार के होते हैं—इकहरे चिह्न (‘….’) और दोहरे चिह्न (“….”) .. उद्धरण चिह्नों का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है;
(i) किसी लेख, कविता और पुस्तक इत्यादि का शीर्षक लिखने में इकहरे उद्धरण . चिह्न का प्रयोग होता है;
जैसे:
(ii) जब किसी शब्द की विशिष्टता अथवा विलगता सूचित करनी होती है, तो इकहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग होता है;
जैसे:
(iii) उद्धरण के अन्तर्गत कोई दूसरा उद्धरण होने पर इकहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग होता है;
जैसे:
(iv) जब किसी कथन को जैसा का तैसा उद्धृत करना होता है, तब दोहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग होता है;
जैसे:
निर्देशक या रेखिका का प्रयोग (-)
किसी विषय-विचार अथवा विभाग के मन्तव्य को सुस्पष्ट करने के लिए निर्देशक चिह्न या रेखिका चिह्न का प्रयोग किया जाता है। निर्देशक या रेखिका का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है:
(i) जब किसी कथन को जैसा का तैसा उद्धृत करना होता है, तब उससे पहले रेखिका का प्रयोग किया जाता है;
जैसे:
(ii) विवरण प्रस्तुत करने के पहले निर्देशक (रेखिका) का प्रयोग किया जाता है;
जैसे:
(iii) जैसे, यथा और उदाहरण आदि शब्दों के बाद रेखिका का प्रयोग होता है;
जैसे:
जैसे:
(iv) वाक्य में टूटे हुए विचारों को जोड़ने के लिए रेखिका का प्रयोग होता है;
जैसे:
(v) किसी कविता या अन्य रचना के अन्त में रचनाकार का नाम देने से पूर्व रेखिका का प्रयोग होता है;
जैसे:
(vi) संवादों को लिखने के लिए निर्देशक चिह्न का प्रयोग किया जाता है;
जैसे:
विवरण चिह्न का प्रयोग (:-)
सामान्यतः विवरण चिह्न का प्रयोग निर्देशक चिह्न की भाँति ही होता है। विशेष रूप से जब किसी विवरण को प्रारम्भ करना होता है अथवा किसी कथन को विस्तार देना होता है तब विवरण चिह्न का प्रयोग किया जाता है;
जैसे:
जैसे:-
अपूर्ण विराम का प्रयोग (:)
अपूर्ण विराम चिह्न विसर्ग की तरह दो बिन्दुओं के रूप में होता है, इसलिए कभी-कभी विसर्ग का भ्रम होता है, फलत: इसका प्रयोग कम होता है। अपूर्ण विराम का स्वतन्त्र प्रयोग किसी शीर्षक को उसी के आगे स्पष्ट करने में होता है;
जैसे:
योजक चिह्न का प्रयोग (-)
योजक चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जाता है
(i) दो विलोम शब्दों के बीच योजक चिह्न का प्रयोग होता है;
जैसे:
(ii) द्वन्द्व समास के बीच योजक चिह्न का प्रयोग होता है;
जैसे:
(iii) दो समानार्थी शब्दों की पुनरुक्ति के बीच में भी इसका प्रयोग होता है;
जैसे:
(iv) जब विशेषण पदों का प्रयोग संज्ञा के अर्थ में होता है;
जैसे:
(v) गुणवाचक विशेषण के साथ यदि सा, सी का संयोग हो, तो उनके बीच योजक-चिह्न का प्रयोग होता है;
जैसे:
(vi) दो प्रथम-द्वितीय प्रेरणार्थक के योग के बीच भी योजक चिह्न का प्रयोग होता है;
जैसे:
कोष्ठक का प्रयोग (), { }, []
कोष्ठकों का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है-
(i) जब किसी भाव या शब्द की व्याख्या करना चाहते हैं, किन्तु उस अंश को मूल वाक्य से अलग ही रखना चाहते हैं, तो कोष्ठक का प्रयोग किया जाता है;
जैसे:
(ii) नाटक या एकांकी में निर्देश के लिए कोष्ठक का प्रयोग होता है;
जैसे:
(iii) किसी वर्ग के उपवर्गों को लिखते समय वर्णों या संख्याओं को कोष्ठक में लिखा जाता है;
जैसे:
(iv) प्राय: बड़े [] और मझोले {} कोष्ठकों का उपयोग गणित के कोष्ठक वाले सवालों को हल करने के लिए किया जाता है।
संक्षेपसूचक चिह्न का प्रयोग (o,.)
संक्षेपसूचक चिह्न का प्रयोग किसी नाम या शब्द के संक्षिप्त रूप के साथ होता है; जैसे-डॉक्टर के लिए (डॉ.), प्रोफेसर या प्रोपराइटर के लिए (प्रो.), पंडित के लिए (पं.), मास्टर ऑफ आर्ट्स के लिए (एम.ए.) और डॉ. ऑफ फिलॉसफी के लिए (पी-एच.डी.) आदि।
(शून्य अधिक स्थान घेरता है, अत: इसके स्थान पर बिन्दु (.) का भी प्रयोग किया जाता है।)
लोप सूचक चिह्न का प्रयोग (x x x x/…./—-)
जब किसी अवतरण का पूरा उद्धरण न देकर कुछ अंश छोड़ दिया जाता है, तब लोप सूचक चिह्न का प्रयोग किया जाता है;
जैसे:
प्रतिशत चिह्न का प्रयोग (%)
सौ (100) संख्या के अन्तर्गत, जिस संख्या को प्रदर्शित करना होता है, उसके आगे प्रतिशत चिह्न का प्रयोग किया जाता है;
जैसे:
समानतासूचक/तुल्यतासूचक चिह्न का प्रयोग ( = )
किसी शब्द का अर्थ अथवा भाषा के व्याकरणिक विश्लेषण में समानता सूचक चिह्न का प्रयोग किया जाता है;
जैसे:
तारक/पाद चिह्न का प्रयोग (*)
इस चिह्न का प्रयोग किसी विषय के बारे में विशेष सूचना या निर्देश देना हो, तो ऊपर तारक चिह्न लगा दिया जाता है और फिर पृष्ठ के अधोभाग में रेखा के नीचे तारक चिह्न लगाकर उसका विवरण दिया जाता है, जिसे पाद-टिप्पणी (Foo Note) कहा जाता है;
जैसे:
त्रुटि चिह्न (^)
अक्षर, पद, पद्यांश या वाक्य के छूट जाने पर छूटे अंश को उस वाक्य के ऊपर लिखने हेतु वाक्य के अंश के नीचे त्रुटि चिह्न का प्रयोग किया जाता है;
38 videos|64 docs|39 tests
|
1. परिभाषाविराम चिन्ह क्या है? |
2. परिभाषाविराम चिन्ह कितने प्रकार के होते हैं? |
3. परिभाषाविराम चिन्ह क्यों महत्वपूर्ण है? |
4. परिभाषाविराम चिन्ह कैसे लगाएं? |
5. परिभाषाविराम चिन्ह का उपयोग किस प्रकार से होता है? |
38 videos|64 docs|39 tests
|
|
Explore Courses for Class 9 exam
|