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अपठित-बोध क्या है? | |
अपठित गद्यांश पर पूछे जाने वाले प्रश्न | |
शीर्षक-संबंधी प्रश्न का उत्तर कैसे दें? | |
अपठित गद्यांश के कुछ उदाहरण |
अपठित' शब्द 'पठित' में 'अ' उपसर्ग लगाने से बना है, जिसका अर्थ होता है जिसे पहले न पढ़ा गया हो।
'अपटित-बोध' गद्य अथवा पद्य (काव्य) दोनों ही रूपों में हो सकता है। इन्हीं गदयांशों या काव्यांशों पर प्रश्न पूछे जाते हैं, जिससे विद्यार्थियों की अर्थग्रहण-क्षमता का आकलन किया जा सके।
अपठित गद्यांश को पढ़ने, समझने और हल करने से अर्थग्रहण की शक्ति का विकास होता है। इससे किसी गद्यांश के विचारों और भावों को अपने शब्दों में बाँधने की दक्षता बढ़ती है। इसके अलावा भाषा पर गहन पकड़ बनती है।
अपठित गद्यांश से संबंधित विविध प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं, जिनके उत्तर विद्यार्थी को देने होते हैं। इसमें अर्थग्रहण तथा कथ्य से संबंधित प्रश्नों के उत्तर के अलावा गद्यांश में आए कुछ कठिन शब्दों, मुहावरों, लोकोक्तियों आदि का अर्थ भी पूछा जाता है। इसके अंतर्गत वाक्य रचनांतरण, शीर्षक-संबंधी प्रश्नों अलावा किसी वाक्य या वाक्यांश का आशय स्पष्ट करने के लिए भी कहा जा सकता है ।
अपठित-गद्यांश के अंतर्गत पूछे जाने वाले प्रश्न दिए गए अंशों पर आधारित होते हैं । अत: इनका उत्तर भी हमें गद्यांश के आधार पर देना चाहिए, अपने व्यक्तिगत सोच-विचार पर नहीं।
शीर्षक-संबंधी प्रश्न का उत्तर देते समय गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए तथा मूल भाव या कथ्य समझने का प्रयास करना चाहिए।
इसके अलावा निम्नलिखित बातों का भी ध्यान रखना चाहिए:
1) नगरीकरण की प्रवृत्ति सारे विश्व में काम कर रही है| नगरीकरण की यह दिशा स्पष्ट: छोटे समुदायों की समाप्ति की दिशा है| भारत में भी शहरों की जनसंख्या अभी प्रतिवर्ष पैंतीस लाख के हिसाब से बढ़ रही है| भले ही मनुष्य के पास तर्क एवं बुद्धि है और वह अपने जीवन को अपनी इच्छा के अनुसार व्यवस्थित कर सकता है| विज्ञान में ऐसा कुछ निहित नहीं है जो मनुष्य को विशाल, विकटाकार बस्तियों में अव्यवस्थित रूप से रहने के लिए बाध्य करता हूं| वर्तमान नगरोन्मुख प्रवर्ति के कुछ आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक कारण है| वे शाश्वत नहीं है और उन्हें प्रबुद्ध मानवीय प्रयत्न से परिवर्तित किया जा सकता है| इसमें संदेह नहीं कि गांव आज जैसा है, वैसा ही यदि रहता है तो नगरीकरण की प्रवृत्ति रोकी नहीं जा सकती| लेकिन यदि मानव समाज का निर्माण छोटे प्राथमिक समुदायों के आधार पर ही करना है, तो आज के गांव के ऐसी बस्तियों के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है जो हर दृष्टि से आकर्षक होंगी और तब सामान्यत: कोई भी उन्हें छोड़ना नहीं चाहेगा|
2) जातीय जीवन, उसकी संस्कृति तथा भूमिगत सीमाबद्ध परिवेश ये सब सम्मिलित रूप से राष्ट्रीयता के उपकरण होते हैं| यह समष्टि रूप से ही आवश्यक उपकरण है, व्यष्टि रूप से नहीं| राष्ट्रीयता ही राष्ट्रीय भावना की पोषक होती है| हिंदी-साहित्य-कोश में राष्ट्रीयता के संबंध में लिखा है- “राष्ट्रीय साहित्य के अंतर्गत वह समस्त साहित्य लिया जा सकता है जो किसी देश की जातीय विशेषताओं का परिचायक है| ”वैसे भूमि (देश), उस भूमि पर बसने वाले जन और उनकी संस्कृति, ये तीनों ही सम्मिलित भावना रूप में राष्ट्रीयता के परिचायक है| राष्ट्रीयता ’राष्ट्र’ शब्द से निर्मित है| इस राष्ट्रीयता शब्द का सामान्य अर्थ है राष्ट्र के प्रति निष्ठा रखने की भावना| राष्ट्रीयता नेशनलिटी का हिंदी रूप है एनसाइक्लोपीडिया में 'नेशनेलिटी' के बारे में लिखा है कि ”राष्ट्रीयता मन की वह अवस्था है जिसमें व्यक्ति की सर्वोपरि कर्तव्यनिष्ठा राष्ट्र के प्रति अनुभव की जाती है|
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1. क्या अपठित गद्यांश से कैसे फायदा उठाया जा सकता है? |
2. क्या अपठित गद्यांश से परीक्षा की तैयारी करने में मदद मिल सकती है? |
3. क्या अपठित गद्यांश को समझने के लिए कोई विशेष तकनीक है? |
4. क्या छात्रों को अपठित गद्यांश के लिए समय सीमा तय करना चाहिए? |
5. क्या अपठित गद्यांश परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण है? |
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