दो या दो से अधिक पदों का अपने विभक्ति-चिह्नों को छोड़कर एक हो जाना समास कहलाता है।
निम्नलिखित वाक्यों पर ध्यान दें:
उपर्युक्त वाक्यों से स्पष्ट होता है कि यहाँ दो या दो से अधिक पद बिना कारक-चिह्नों के ही आपस में जुड़ गए हैं। समस्त-पद समास रचना में दो या दो से अधिक पद होते हैं। पहले पद को “पूर्व पद” कहते हैं और दूसरे पद को “उत्तर पद” कहते हैं। इन दोनों पदों के मेल से एक नया शब्द बनता है जिसे “समस्त पद” कहते हैं।
कुछ लोग संधि और समास को एक ही मान लेते हैं, लेकिन यह गलत है। संधि और समास में निम्नलिखित अंतर हैं:
1. संधि का अर्थ है- मेल, जबकि समास का अर्थ है- संक्षेप।
2. संधि में वर्गों का मेल होता है जबकि समास में शब्दों (पदों) का।
3. संधि में वर्ण-परिवर्तन होता है जबकि समास में ऐसा नहीं होता है।
4. संधि का विच्छेद किया जाता है, जबकि समास का विग्रह होता है।
5. समास में शब्दों के बीच के विभक्ति चिह्नों का लोप हो जाता है।
1. अव्ययीभाव समास
2. तत्पुरुष समास
3. कर्मधारय समास
4. द्विगु समास
5. बहुव्रीहि समास
6. वंद्व समास
1. अव्ययीभाव समास
जिस समस्त पद का पहला पद अव्यय हो और जो क्रियाविशेषण के रूप में प्रयुक्त हो, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।
जैसे: यथाशक्ति, प्रतिदिन, आजन्म आदि। अव्ययीभाव समास से बने शब्द अव्यय होते हैं।
2. तत्पुरुष समास
जिस समस्तपद में अंतिम पद की प्रधानता हो, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे: देवपुत्र। देवता का पुत्र। यहाँ अंतिम पद प्रधान है। तत्पुरुष समास में समस्त पदों के लिंग और वचन अंतिम पद के अनुसार ही होते हैं।
तत्पुरुष समास के भेद
कारकों की विभक्तियों के आधार पर तत्पुरुष समास के छह भेद किए गए हैं।
(क) कर्म तत्पुरुष (को-विभक्ति का लोप)
ख. करण तत्पुरुष (से, के द्वारा विभक्ति का लोप)
ग. संप्रदान तत्पुरुष (को, के लिए विभक्ति का लोप)
घ. अपादान तत्पुरुष (से, विभक्ति का लोप)
ङ. संबंध तत्पुरुष (का, के, की विभक्ति का लोप)
च. अधिकरण तत्पुरुष (में, पर-विभक्ति का लोप)
कर्मधारय समास वहाँ होता है जहाँ दूसरा पद प्रधान हो तथा दोनों पदों में विशेषण-विशेष्य या उपमेय-उपमान का संबंध हो। जैसे:
बहुव्रीहि समास में कोई पद प्रधान नहीं होता है। इनके पद मिलकर कोई अन्य पद की प्रधानता को दर्शाते हैं। जैसे:
जिस समस्त पद के दोनों पद प्रधान हों वहाँ द्वंद्व समास होता है। जैसे:
समस्तपद का एक पद दूसरे पद का विशेषण हो या दोनों में उपमेय- उपमान संबंध हो, तो कर्मधारय समास होता है। लेकिन, यदि दोनों पदों के मेल से कोई अन्य अर्थ प्रकट हो, तो बहुव्रीहि समास होता है। जैसे:
द्विगु और बहुव्रीहि समास में अंतर
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