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रचना के आधार पर वाक्य रूपांतर | हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10 PDF Download

वाक्य 

मनुष्य सामाजिक प्राणी है। वह समाज में रहकर अपने मन के भाव दूसरों को बताना चाहता है तथा उनके विचारों को सुनना-जानना चाहता है। इसके लिए वह भाषा का सहारा लेता है। यह भाषा उसके मुंह से शब्दों या वाक्यों के माध्यम से व्यक्त होती हैं।
शब्दों की रचना वर्णों के सार्थक मेल से होती है। इन्हीं सार्थक शब्दों के सार्थक एवं व्यवस्थित मेल से वाक्य बनते हैं। वाक्य भाषा की सबसे छोटी इकाई हैं, जिनके द्वारा लिखने या बोलने वाले के मन का आशय समझ में आ जाता है। इस तरह हम कह सकते हैं कि “मनुष्य के विचारों को व्यक्त करने वाला शब्द समूह, जो व्यवस्थित हो तथा पूर्ण आशय प्रकट कर सके, वाक्य कहलाता है।”

वाक्य के गुण

वाक्य में निम्नलिखित बातों का होना ज़रूरी है:

  1. सार्थकता: वाक्य रचना के लिए ज़रूरी है कि उसमें प्रयुक्त सभी पद सार्थक हों।
    उदाहरण:
    • राम पार्क में खेलता है।
    • मैं घर जाकर खाना खाऊँगा।
  2. योग्यता: इसका मतलब है-क्षमता। इसका अर्थ यह है कि शब्दों में सार्थक होने के साथ-साथ प्रसंग के अनुसार अर्थ देने की क्षमता भी होनी चाहिए।
    उदाहरण:
    • पवन पानी खाता है।
      ⇒ पवन खाना खाता है।
    • श्याम खाना पीता है।
      ⇒ श्याम पानी पीता है।
  3. आकांक्षा: इसका अर्थ है-इच्छा। इसका आशय यह है कि वाक्य अपने आप में पूरा होना चाहिए। उसमें कोई भी शब्द कमनहीं होना चाहिए, जिसके कारण वाक्य में अधूरापन लगे।
    उदाहरण:
    • लड़के खाना हैं। (खा रहे)
      ⇒ लड़के खाना खा रहे हैं।
    • सैनिक लड़ हैं। (रहे)
      ⇒ सैनिक लड़ रहे हैं।
  4. पदक्रम: वाक्य का सही अर्थ जानने के लिए शब्दों का उचित पदक्रम में होना ज़रूरी है। पदक्रम के अभाव में वाक्य का सही अर्थ नहीं निकलता।
    उदाहरण:
    • सारे देश के नागरिक कर्तव्यनिष्ठ हैं।
      ⇒ देश के सारे नागरिक कर्तव्यनिष्ठ हैं।
    • गाय का ताकतवर दूध होता है।
      ⇒ गाय का दूध ताकतवर होता है।
  5. अन्वय: इसका अर्थ है-मेल। वाक्य में कर्ता, वचन, लिंग, कारक आदि में होना ज़रूरी है। इसके बिना वाक्य का पूर्ण अर्थ नहीं निकलता।
    उदाहरण:
    • मेरा देश में अनेक नदियाँ बहता हैं।
      ⇒ मेरे देश में अनेक नदियाँ बहती हैं।
    • चूहें किताबें कुतर गई।
      ⇒ चूहे किताबें कुतर गए।

वाक्य के अंग

वाक्य की संरचना के आधार पर उसको दो भागों में विभाजित किया जाता है:

  1. उद्देश्य: वाक्य का वह अंग, जिसके विषय में कुछ कहा जाए, उसे उद्देश्य कहते हैं।
    उदाहरण:
    • राम सो रहा है।
    • राजू खाना खा रहा है।
    • किसान फलों के पेड़ भी लगाते हैं।
    • जवान देश की रक्षा करते हैं।
      इन वाक्यों में ‘राम’, ‘राजू’, ‘किसान’ और ‘जवान’ के विषय में बताया जा रहा है। इसलिए ‘राम’, ‘राजू’, ‘जवान’ और ‘किसान’ उद्देश्य हैं।
  2. विधेय: वाक्य में उद्देश्य के बारे में जो कुछ कहा जाए, उसे विधेय कहते हैं।
    उदाहरण:
    • करन खेल रहा है।
    • चित्रकार चित्र बनाता है
    • चित्रा गीत गा रही है
    • मंजरी बस से शहर गई
      इन वाक्यों में ‘खेल रहा है’, ‘चित्र बनाता है’, ‘गीत गा रही है’ और ‘बस से शहर गई’ वाक्यों के विधेय हैं। 

वाक्य के भेद

मुख्य रूप से वाक्यों को दो भागों में बाँटा गया है:

  1. रचना के आधार पर,
  2. अर्थ के आधार पर।

नोट-पाठ्यक्रम के अनुसार हम सिर्फ रचना के आधार पर वाक्य भेद’ का अध्ययन करेंगे।

रचना के आधार पर वाक्य भेद
रचना अथवा बनावट के आधार पर वाक्य के तीन भेद होते हैं:
(क) सरल वाक्य: जिन वाक्यों में एक उद्देश्य तथा एक विधेय होता है, उन्हें सरल वाक्य कहते हैं।
उदाहरण:

  • वर्षा हो रही है।
  • मोहन पतंग उड़ा रहा है।
  •  बच्चे मैदान में खेल रहे हैं।
  • रविवार को भी हम पढ़ेंगे।
  • वह फलों के लिए बाज़ार गया।
  • राम खाना खाकर सो गया।

(ख) संयुक्त वाक्य: जिन वाक्यों में दो या दो से अधिक स्वतंत्र उपवाक्य किसी समुच्चयबोधक अव्यय से जुड़े होते हैं, उन्हें संयुक्त वाक्य कहते हैं।
उदाहरण:

  • माँ बाज़ार गई और सब्जियाँ लेकर आयी।
  • आप खाना खाएँ और आराम करें।
  • आप चाय पिएँगे या कॉफ़ी?
  • राम बीमार है इसलिए स्कूल नहीं आया।
  • विद्यार्थी परिश्रमी होता है तो अवश्य सफल होता है।
  • सोमवार को हड़ताल है, अतः बाज़ार बंद रहेगा।

संयुक्त वाक्य की पहचान:

  • दो उपवाक्यों के बीच समानाधिकरण संबंध होता है।
  • संयुक्त वाक्य में दो या अधिक मुख्य या स्वतंत्र उपवाक्य होते हैं।
  • उपवाक्य होते हुए भी उनमें पूर्ण अर्थ का बोध होता है।
  • मुख्य उपवाक्य अपने पूर्ण अर्थ की अभिव्यक्ति के लिए किसी दूसरे उपवाक्य पर आश्रित नहीं रहते।

(ग) मिश्र वाक्य: जिस वाक्य में एक मुख्य उपवाक्य हो और अन्य उपवाक्य उस पर आश्रित हों, उसे मिश्र वाक्य कहते हैं। मिश्र वाक्य के उपवाक्य ‘कि, जैसा-तैसा, जो, वह, जब-तब, क्योंकि’ आदि व्यधिकरण योजकों से जुड़े रहते हैं।
उदाहरण:

  • जैसे ही शाम हुई, बिजली चली गई।
  • जब नई कक्षा में दाखिला होगा तब हम पढ़ेंगे।
  • जब राम आया तो श्याम चला गया।
  • उस लड़के को बुलाओ जिसने काले जूते पहने है।
  • जब आँधी आई तो धूल उड़ने लगी।

उपर्युक्त वाक्यों आश्रित और मुख्य उपवाक्य इस प्रकार हैं:रचना के आधार पर वाक्य रूपांतर | हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10
मिश्रित वाक्य में आश्रित उपवाक्यों के तीन प्रकार संभव है:
(क) संज्ञा उपवाक्य: जो उपवाक्य वाक्य में संज्ञा का काम करते हैं, वे संज्ञा उपवाक्य कहलाते हैं। संज्ञा उपवाक्य से पहले प्रायः कि का प्रयोग होता है।
उदाहरण:

  • मैं चाहता हूँ कि तुम डॉक्टर बनो।
  • राम को विश्वास है कि श्याम होली पर ज़रूर जाएगा।
  • ऐसा लगता है कि महँगाई कम नहीं होगी।
  • गांधी जी कहते थे कि हिंसा नहीं करनी चाहिए।
  • पवन ने कहा कि वह दिल्ली जाएगा।

(ख) विशेषण उपवाक्य: जो उपवाक्य मुख्य उपवाक्य में संज्ञा, सर्वनाम पदबंध की विशेषता बताते हैं, उन्हें विशेषण उपवाक्य कहते हैं।
उदाहरण:

  • जिसने कार्य नहीं किया, वह खड़ा हो जाए।
  • जो आदमी पढ़ाता है, वह अध्यापक होता है।
  • उन अंकल को बुलाओ, जिनके हाथ में बैग है।
  • वह साइकिल कहाँ है, जिससे आप कल आए थे
  • जिसे आप ढूँढ़ रहे हैं, वह तो चला गया।
  • वह आम कौन-सा है, जो दशहरी है।

(ग) क्रिया: विशेषण उपवाक्य-जिन उपवाक्यों द्वारा मुख्य उपवाक्यों में क्रिया की विशेषता बताई जाती है, उन्हें क्रिया विशेषण उपवाक्य कहते हैं। क्रिया-विशेषण उपवाक्य किसी काल, स्थान, रीति, परिमाण, कार्य-करण आदि का द्योतन करते हैं।
इन उपवाक्यों में जहाँ, जैसा, जब, ज्यों-त्यों आदि समुच्चयबोधक अव्यय प्रयुक्त होते हैं:
उदाहरण:

  • जब राम आया तो बारिश हो रही थी। (कालवाची)
  • यदि वह पढ़ लेता तो अवश्य अच्छा इंसान बनता। (कार्य-करण)
  • जहाँ-जहाँ प्रधानमंत्री गए, वहाँ उनका भव्य स्वागत हुआ। (स्थानवाची)
  • जहाँ तुम रहते हो, वहीं मैं रहता था। (रीतिवाची)
  • जैसा अध्यापक ने बताया, बच्चों ने वैसा काम किया। (रीतिवाची)
  • जैसा करोगे वैसा भरोगे। (रीतिवाची)
  • जितना तुम जानते हो, उतना काम करो। (कालवाची)
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