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समास और समास के भेद | Hindi Language for Teaching Exams - DSSSB TGT/PGT/PRT PDF Download

समास

नए शब्द बनाने के लिए जिन प्रक्रियाओं का प्रयोग किया जाता है उनमें समास प्रमुख है।
‘समास’ शब्द का अर्थ है: संक्षिप्त करने की प्रक्रिया या संक्षेपीकरण अर्थात् जब दो या दो से अधिक शब्दों को पास-पास लाकर एक नया सार्थक शब्द बनाया जाता है तो शब्दों को इस तरह संक्षेप करने की प्रक्रिया को समास कहते हैं;
जैसे:

  • हवन के लिए सामग्री = हवन सामग्री
  • कमल के समान नयन है जिसके अर्थात् श्रीराम = कमलनयन
  • नियम के अनुसार = नियमानुसार
  • गायों के लिए शाला = गौशाला
  • डाक के लिए खाना (घर) = डाकखाना

समस्त पद: सामासिक प्रक्रिया में बने नए शब्द को समस्त पद कहते हैं;
जैसे:

  • पुस्तक के लिए आलय = पुस्तकालय
  • समुद्र तक = आसमुद्र
  • राजा और रानी = राजा-रानी

पूर्व पद: समस्त पद के पहले पद को पूर्व पद कहते हैं;
जैसे:

  • राजा का कुमार = राजकुमार
  • मन से चाहा हुआ = मनोवांछित
  • देश के लिए भक्ति = देशभक्ति
    इन समस्त पदों में राज, मनो और देश पूर्व पद हैं।

उत्तर पद:समस्त पद के अंतिम पद को उत्तर पद कहते हैं;
जैसे:

  • स्थिति के अनुसार = यथास्थिति
  • प्रत्येक दिन = प्रतिदिन
  • नीला है गगन = नीलगगन
    इन समस्त पदों में स्थिति, दिन और गगन उत्तर पद हैं।

समास-विग्रह: समस्त पद में प्रयुक्त शब्दों को पहले जैसी स्थिति में लाना अर्थात् अलग-अलग करना समास-विग्रह कहलाता है;
जैसे:
समास और समास के भेद | Hindi Language for Teaching Exams - DSSSB TGT/PGT/PRT
समास की विशेषताएँ:

  • समास में दो या दो से अधिक पदों का मेल होता है।
  • समास में शब्द पास-पास आकर नया शब्द बनाते हैं।
  • पदों के बीच विभक्ति चिह्नों का लोप हो जाता है।
  • समास से बने शब्द में कभी उत्तर पद प्रधान होता है तो कभी पूर्व पद और कभी-कभी अन्य पद। इसके अलावा कभी कभी दोनों पद प्रधान होते हैं।

समास के भेद

समास के निम्नलिखित छह भेद होते हैं:

  1. अव्ययीभाव समास: जिस समास में पूर्व पद प्रधान एवं अव्यय होता है तथा समस्त पद भी प्रधान होता है, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। इसका उत्तर पद संज्ञा या विशेषण होता है। समास किये जाने के पहले दोनों पदों का भाव अलग-अलग होता है।
    उदाहरण:
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  2. तत्पुरुष समास: जिस सामासिक शब्द का दूसरा पद प्रधान होता है तथा दोनों पदों के बीच लगी विभक्ति या विभक्ति चिह्नों का लोप हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।
    उदाहरण:
    समास और समास के भेद | Hindi Language for Teaching Exams - DSSSB TGT/PGT/PRT
    विभक्तियों के आधार पर तत्पुरुष समास के छह उपभेद हैं:
    (i) कर्म तत्पुरुष: इसमें ‘कर्म कारक’ की विभक्ति (विभक्ति चिह्न) ‘को’ का लोप हो जाता है।
    उदाहरण:
    समास और समास के भेद | Hindi Language for Teaching Exams - DSSSB TGT/PGT/PRT
    (ii) करण तत्पुरुष: इसमें ‘करण कारण’ की विभक्ति (विभक्ति चिह्नों) ‘से’, ‘के द्वारा’ का लोप हो जाता है।
    उदाहरण:
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    (iii) संप्रदान तत्पुरुष: इसमें ‘संप्रदान कारक’ की विभक्ति ‘को’, ‘के लिए’ का लोप हो जाता है।
    उदाहरण:
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    (iv) अपादान तत्पुरुष: इसमें ‘अपादान कारक’ के विभक्ति चिह्न ‘से अलग’ का लोप होता है।
    उदाहरण:
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    (v) संबंध तत्पुरुष: इसमें ‘संबंध कारक’ के विभक्ति चिह्न ‘का’, ‘के’, ‘की’ का लोप होता है।
    उदाहरण:
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    (vi) अधिकरण तत्पुरुष: इसमें ‘अधिकरण कारक’ के विभक्ति चिह्न ‘में’, ‘पर’ का लोप होता है।
    उदाहरण:
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  3. कर्मधारय समास: जिस समास का पहला पद विशेषण या उपमेय और दूसरा पद विशेष्य या उपमेय होता है, उसे कर्मधारय समास कहते हैं।
    उदाहरण:
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  4. द्विगु समास: जिस समास में प्रथम पद संख्यावाचक हो, वह द्विगु समास कहलाता है।
    उदाहरण:
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  5. वंद्व समास: जिस समास में प्रथम और दूसरा, दोनों पद प्रधान हों और समास करने पर ‘या’, ‘और’, ‘तथा’, ‘अथवा’ जैसे योजकों का लोप होता है।
    उदाहरण:
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  6. बहुव्रीहि समास: जिस समास में प्रथम एवं दूसरा पद गौण होते हैं तथा किसी तीसरे पद की तरफ़ संकेत करते हैं, बहुव्रीहि समास कहलाता है।
    उदाहरण:
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नोट: समास का विग्रह बदलने पर उसका नाम भी बदल जाता है।
उदाहरण:
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FAQs on समास और समास के भेद - Hindi Language for Teaching Exams - DSSSB TGT/PGT/PRT

1. समास क्या होता है?
उत्तर: समास एक व्याकरणिक भाषिक अवयव है जिसमें दो या दो से अधिक पदों के आपसी संयोजन से नए पद बनाये जाते हैं। समास के उदाहरण हैं: सम्मिलित समास (राजधानी), विग्रह समास (देशभक्त), द्विग्रह समास (महाकाव्य), बहुव्रीहि समास (उच्चतम न्यायालय) आदि।
2. समास के कितने प्रकार होते हैं?
उत्तर: समास तीन प्रकार के होते हैं: द्वंद्व समास, तत्पुरुष समास और कर्मधारय समास। द्वंद्व समास में दो पदों का संयोजन होता है जैसे 'राम' और 'लक्ष्मण' से मिलकर 'रामलक्ष्मण'। तत्पुरुष समास में प्रधान पद के बाद एक विशेषण आता है जैसे 'गंगा' और 'देवी' से मिलकर 'गंगादेवी'। कर्मधारय समास में प्रधान पद के बाद कारक आता है जैसे 'नदी' और 'वाहक' से मिलकर 'नदीवाहक'।
3. समास से क्या अंतर होता है समाससमास से?
उत्तर: समास और समाससमास दोनों व्याकरणिक भाषिक अवयव हैं, लेकिन उनमें अंतर होता है। समास में दो या दो से अधिक पदों का संयोजन होता है और समाससमास में पहले समास के दो पदों का संयोजन होता है। यदि हमें 'राजधानी' समास के बारे में बात करनी हो तो हम कहेंगे कि इसमें 'राज' और 'धानी' का संयोजन होता है। जबकि समाससमास में हम इसे 'देशभक्त' समास के रूप में देख सकते हैं, जहां 'देश' और 'भक्त' पदों का संयोजन होता है।
4. समाससमास के कितने प्रकार होते हैं?
उत्तर: समाससमास दो प्रकार के होते हैं: द्वंद्व समाससमास और बहुव्रीहि समाससमास। द्वंद्व समाससमास में दो पदों का संयोजन होता है जैसे 'भारत' और 'पाकिस्तान' से मिलकर 'भारतपाकिस्तान'। बहुव्रीहि समाससमास में एक पद के आधार पर अनेक पद बनाये जाते हैं जैसे 'आदमी' से 'जोशीला' और 'शक्तिशाली' बनाया जा सकता है।
5. समास और समाससमास क्यों महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर: समास और समाससमास भाषा के व्याकरणिक अवयव होने के कारण बहुत महत्वपूर्ण हैं। इसके माध्यम से हम शब्दों को संयोजित करके नए पद बना सकते हैं जो हमारे भाषा को व्यापकता और समृद्धि प्रदान करते हैं। समास और समाससमास के संयोजन विधियों का अध्ययन करके हम अच्छे संयोजन संपादित कर सकते हैं, जो हमें स्पष्ट और प्रभावशाली भाषा में व्यक्त करने में मदद करता है।
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