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लिंग, वचन और कारक

शब्द के जिस रूप से किसी संज्ञा के स्त्री या पुरूष जाति के होने का पता चलता है, उसे लिंग कहते हैं। शब्द के दो भेद होते हैं: विकारी और अविकारी। वह शब्द जिसमें किन्हीं कारणों से परिवर्तन आ जाता है यानी कि उसका रूप बदल जाता है विकारी शब्द कहलाता है। वे शब्द जिनका रूप सदा एक-सा रहता है, अविकारी शब्द कहलाते हैं। संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया विकारी शब्द हैं। इनमें लिंग, वचन, कारक के कारण विकार (बदलाव) आ जाता है।

लिंग

लिंग के दो भेद होते हैं:

  1. पुल्लिंग: संज्ञा शब्द के जिस रूप से पुरूष जाति का बोध होता है, उसे पुल्लिंग कहते हैं।
    जैसे: पिता, राजा, बच्चा, छात्र आदि।
    पुल्लिंग शब्द: फूल, बादल, रस्सा, मकान, मैदान, रास्ता, शहर, सागर, जूता, डिब्बा, गाँव, घड़ा, पत्थर, पहाड़, आदि।
  2. स्त्रीलिंग: संज्ञा शब्द के जिस रूप से स्त्री जाति लड़का लड़की का बोध होता है, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं।
    जैसे: माता, रानी, बच्ची, छात्रा आदि।
    निर्जीव वस्तुओं को भी उनके आकार, वजन और गुण के अनुसार पुल्लिंग और स्त्रीलिंग में बाँटा गया है।
    स्त्रीलिंग शब्द: धरती, नदी, पहाड़ी, जूती, साड़ी, घड़ी, डाली, दवात, डिबिया, मटकी, सड़क, सुई, पतीली, रस्सी आदि।
    जिन शब्दों के अंत में ‘आ’, आव, पा, क, त्व आते हैं वे पुल्लिंग होते हैं।

नित्य पुल्लिंग तथा नित्य स्त्रीलिंग
जिन प्राणिवाचक संज्ञाओं में एक ही लिंग का प्रयोग किया जाता वे नित्य पुल्लिंग तथा नित्य स्त्रीलिंग कहलाते हैं। इन शब्दों में पुल्लिंग और स्त्रीलिंग की पहचान के लिए इनके पहले नर तथा मादा शब्द का प्रयोग होता है।
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वचन

संज्ञा शब्द के जिस रूप से उसके एक या अनेक होने का बोध होता है, उसे वचन कहते हैं।
उदाहरण:
(क) गाय धास खा रही है। – एक गाय
गायें घास खा रही हैं। – अनेक गायें
(ख) लड़का खेल रहा है। – एक बच्चा
लड़के खेल रहे हैं। – अनेक बच्चे

वचन के भेद
वचन के दो भेद होते हैं:

  1. एकवचन: संज्ञा शब्द के जिस रूप से उसका एक होने का बोध होता हैं उसे एकवचन कहते हैं।
    जैसे: चूहा, आँख, माता, पंखा आदि।
  2. बहुवचन: संज्ञा शब्द के जिस रूप से उसके एक से अधिक होने का बोध होता है, उसे बहुवचन कहते हैं।
    जैसे: चूहे, आँखें, माताएँ, पंखे आदि।
    वस्तुओं, पदार्थों, प्राणियों की संख्या में परिवर्तन हो जाने से वचन बदल जाता है, जिसे वचन-परिवर्तन कहते हैं। वचन-परिवर्तन के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं।
वचन परिवर्तन
  1. बहुवचन शब्द का प्रयोग होने पर क्रिया शब्द भी बहुवचन हो जाता है।
    जैसे:
    बच्चे खेल रहे हैं।
    सारी चिड़ियाँ उड़ गई।
  2. आदर देने के लिए एकवचन होने पर भी बहुवचन का प्रयोग किया जाता है।
    जैसे:
    माताजी खाना पका रही हैं।
    कक्षा में अध्यापक पढ़ा रहे हैं।
    यहाँ पर अध्यापक और माताजी एक-एक हैं फिर भी हैं इनका बहुवचन के रूप में प्रयोग किया गया है क्योंकि अध्यापक और माताजी आदरणीय हैं।
  3. कुछ शब्द सदा बहुवचन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं।
    जैसे: आँसू, दर्शन, हस्ताक्षर आदि।
  4. कुछ शब्द सदा एकवचन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं।
    जैसे: बारिश, पानी, दूध आदि।
वचन परिवर्तन के कुछ नियम
  • ‘अ’ से ‘ए’ बनाकर
    लिंग, वचन और कारक | Hindi Grammar class 4
  • ‘आ’ से ‘ए’ बनाकर
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  • ‘आ’ में एँ लगाकर
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  • ‘उ’ ‘ऊ’ या ‘औ’ में एँ जोड़कर
    लिंग, वचन और कारक | Hindi Grammar class 4
  • जिन पुल्लिग शब्दों के अंत में अ, इ, ई, उ और ऊ स्वर आते हैं, वे शब्द एकवचन और बहुवचन में समान रहते हैं।
    लिंग, वचन और कारक | Hindi Grammar class 4ऐसे शब्दों में उनके एकवचन या बहुवचन होने की पहचान उनके साथ आए क्रिया शब्दों से होती है।
    संबंध बताने वाले शब्द दोनों वचनों में प्रायः एक से रहते हैं।
    जैसे: मामा, नाना, चाचा, दादा आदि।
    कुछ शब्द सदैव बहुवचन में ही प्रयोग होते हैं।
    जैसे: हस्ताक्षर, प्राण, आँसू, बाल आदि।
    (क) दादा जी ने चेक पर हस्ताक्षर किए।
    (ख) नमन के बाल काले हैं।
    आदर देने के लिए भी बहुवचन का प्रयोग होता है।
    (क) चाचा जी खाना खा रहे हैं।
    (ख) गांधी जी अहिंसा के पुजारी थे।

कारक

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों से उसका संबधं जाना जाता है, वह कारक कहलाता है। जो चिह्न इस संबंध को बताते हैं, उन्हें परसर्ग या विभक्ति कहते हैं।
उदाहरण:

  1. सोहन साप डंडे मारा।
  2. नानी पुजा गुलाब फूल तोड़े।
  3. अजय छत है।

इन वाक्यों को पढ़ने को पर बहुत अटपटा लगता हैं यहाँ सभी शब्द सार्थक हैं, फिर भी किसी वाक्य का अर्थ पूरी तरह स्पष्ट नहीं है।
अब इन्हीं वाक्यों को इस रूप में पढ़िए:

  1. सोहन ने साँप को डंडे से मारा।
  2. नानी ने पूजा के लिए गुलाब के फूल तोड़े।
  3. अजय छत पर है।

अब इन वाक्यों का अर्थ आसानी से समझ में आ गया। इन वाक्यों में ने, को, से, के लिए, के, पर शब्दों का प्रयोग होने पर इनका अर्थ स्पष्ट हुआ है। ने, को, से, के लिए, के, पर ये सभी शब्द वाक्य में आई संज्ञाओं का दूसरी संज्ञाओं या क्रियापदों से संबंध बता रहे हैं। ये सभी शब्द कारकों के चिहन् हैं।
हिंदी में कारक आठ प्रकार के होते हैं:
1. कर्ता – ने

  • कर्ता कारक: काम करने वाले को कर्ता कारक कहते हैं। 
    जैसे: गौरव ने चाय पी। अमन फुटबॉल खेलता है। इन वाक्यों में गौरव और अमन कर्ता कारक हैं।

2. कर्म – को

  • कर्म कारक: जिस पर क्रिया का फल पड़े, उसे कर्म कहते हैं और क्रिया से उसके संबंध को कर्म कारक कहते हैं।
    जैसे: पायल कपड़े धोती है। मयंक प्रभात को पढ़ाता है। इन वाक्यों में क्रिया के काम का फल कपड़े और प्रभात पर पड़ रहा है। ये दोनों कर्म कारक के उदाहरण हैं।

3. करण – से, के, द्वारा

  • करण कारक: कर्ता जो भी काम करता है, वह किसी वस्तु की सहायता से, उसका प्रयोग करके करता है। अथवा कर्ता जिस साधन से काम करता है, उसे करण कारक कहा जाता है।
    जैसे: दयाराम ने साँप को डंडे से मारा। इस वाक्य में मारने का काम डंडे से किया गया है, अतः “डंडे से” करण कारक है।

4. संप्रदान – को, के लिए

  • संप्रदान कारक: कर्ता जिसके लिए काम करता है, उसे संप्रदान कारक कहते हैं।
    जैसे: मैं यह पुस्तक गुरु जी के लिए लाया हूँ। इस वाक्य में कर्ता (मैं) गुरु जी के लिए काम कर रहा है, अतः “के लिए” संप्रदान कारक है।

5. अपादान – से (अलग होने के अर्थ में)

  • अपादान कारक: संज्ञा के जिस रूप से एक वस्तु का दूसरे से अलग होना पाया जाता है, वह अपादान कारक कहलाता है।
    जैसे: पेड़ से पत्ते गिर रहे हैं। इस वाक्य में कर्ता का किसी स्थान से अलग होने का भाव प्रकट हो रहा है। “पेड़ से” अपादान कारक है।

6. संबंध – का, के, की, स, रे, री

  • संबंध कारक: संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से किसी एक वस्तु या व्यक्ति का संबंध दूसरी वस्तु के साथ ज्ञात होता है, उसे संबंध कारक कहते हैं।
    जैसे: प्रिया की बहन बीमार है। रमन के भाई ने दौड़ जीत ली। इन वाक्यों में प्रिया का बहन से और रमन का भाई से संबंध प्रकट हो रहा है। अतः प्रिया की और रमन के- संबंध कारक के उदाहरण हैं। सर्वनाम के साथ ना, ने, नी तथा रा, रे, री लगता है। जैसे: अपना, अपनी, अपने, मेरा, मेरी, मेरे।

7. अधिकरण – में, पर

  • अधिकरण कारक: क्रिया के आधार को बताने वाला संज्ञा का रूप अधिकरण कारक कहलाता है।
    जैसे: चिड़िया पेड़ पर बैठी है।
    शेर जंगल में रहता है।
    इन वाक्यों में पेड़ पर और जंगल में क्रिया हो रही है। ये क्रिया के आधार हैं। ये अधिकरण कारक हैं।

8. संबोधन – हे! अरे!

  • संबोधन कारक: संज्ञा के जिस रूप से किसी को पुकारा या सावधान करने का बोध हो, उसे संबोधन कारक कहते हैं।
    जैसे: भाइयों और बहनों! मेरी बात ध्यान से सुनों। इस वाक्य में ‘भाइयों और बहनों’ को पुकारा गया है या सावधान किया गया है। ये दोनों संबोधन कारक हैं।
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FAQs on लिंग, वचन और कारक - Hindi Grammar class 4

1. लिंग क्या है?
उत्तर: लिंग एक व्याकरणिक गुण है जो शब्दों के वचन को दर्शाता है। हिंदी भाषा में, लिंग तीन प्रकार का होता है - पुल्लिंग (मस्कुलिन), स्त्रीलिंग (फेमिनिन) और नपुंसकलिंग (न्यूटर)।
2. वचन क्या है?
उत्तर: वचन भी एक व्याकरणिक गुण है जो शब्दों की संख्या को दर्शाता है। हिंदी भाषा में, वचन दो प्रकार का होता है - एकवचन (सिंग्युलर) और बहुवचन (प्लुरल)।
3. कारक क्या होते हैं?
उत्तर: कारक भी व्याकरणिक गुण हैं जो वाक्य के अंदर क्रिया की प्रक्रिया को दर्शाते हैं। हिंदी भाषा में, कारक अठारह प्रकार के होते हैं - कर्ता, कर्म, करण, संबंध, संबंध का, अपादान, स्थान, समय, दशा, भाव, आदान, क्रिया का काल, क्रिया का कारक, प्रयोजन, पर्याय, अधिकरण और संख्या।
4. पुल्लिंग के उदाहरण क्या हैं?
उत्तर: पुल्लिंग के उदाहरण हैं: बेटा, लड़का, आदमी, राजा, गुरु, बाप, भाई, बाघ, हाथी, कुत्ता, बंदर आदि।
5. बहुवचन के उदाहरण क्या हैं?
उत्तर: बहुवचन के उदाहरण हैं: बेटे, लड़के, आदमियों, राजाओं, गुरुओं, बापों, भाइयों, बाघों, हाथियों, कुत्तों, बंदरों आदि।
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