शब्द के जिस रूप से किसी संज्ञा के स्त्री या पुरूष जाति के होने का पता चलता है, उसे लिंग कहते हैं। शब्द के दो भेद होते हैं: विकारी और अविकारी। वह शब्द जिसमें किन्हीं कारणों से परिवर्तन आ जाता है यानी कि उसका रूप बदल जाता है विकारी शब्द कहलाता है। वे शब्द जिनका रूप सदा एक-सा रहता है, अविकारी शब्द कहलाते हैं। संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया विकारी शब्द हैं। इनमें लिंग, वचन, कारक के कारण विकार (बदलाव) आ जाता है।
लिंग के दो भेद होते हैं:
नित्य पुल्लिंग तथा नित्य स्त्रीलिंग
जिन प्राणिवाचक संज्ञाओं में एक ही लिंग का प्रयोग किया जाता वे नित्य पुल्लिंग तथा नित्य स्त्रीलिंग कहलाते हैं। इन शब्दों में पुल्लिंग और स्त्रीलिंग की पहचान के लिए इनके पहले नर तथा मादा शब्द का प्रयोग होता है।
संज्ञा शब्द के जिस रूप से उसके एक या अनेक होने का बोध होता है, उसे वचन कहते हैं।
उदाहरण:
(क) गाय धास खा रही है। – एक गाय
गायें घास खा रही हैं। – अनेक गायें
(ख) लड़का खेल रहा है। – एक बच्चा
लड़के खेल रहे हैं। – अनेक बच्चे
वचन के भेद
वचन के दो भेद होते हैं:
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों से उसका संबधं जाना जाता है, वह कारक कहलाता है। जो चिह्न इस संबंध को बताते हैं, उन्हें परसर्ग या विभक्ति कहते हैं।
उदाहरण:
इन वाक्यों को पढ़ने को पर बहुत अटपटा लगता हैं यहाँ सभी शब्द सार्थक हैं, फिर भी किसी वाक्य का अर्थ पूरी तरह स्पष्ट नहीं है।
अब इन्हीं वाक्यों को इस रूप में पढ़िए:
अब इन वाक्यों का अर्थ आसानी से समझ में आ गया। इन वाक्यों में ने, को, से, के लिए, के, पर शब्दों का प्रयोग होने पर इनका अर्थ स्पष्ट हुआ है। ने, को, से, के लिए, के, पर ये सभी शब्द वाक्य में आई संज्ञाओं का दूसरी संज्ञाओं या क्रियापदों से संबंध बता रहे हैं। ये सभी शब्द कारकों के चिहन् हैं।
हिंदी में कारक आठ प्रकार के होते हैं:
1. कर्ता – ने
2. कर्म – को
3. करण – से, के, द्वारा
4. संप्रदान – को, के लिए
5. अपादान – से (अलग होने के अर्थ में)
6. संबंध – का, के, की, स, रे, री
7. अधिकरण – में, पर
8. संबोधन – हे! अरे!
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1. लिंग क्या है? |
2. वचन क्या है? |
3. कारक क्या होते हैं? |
4. पुल्लिंग के उदाहरण क्या हैं? |
5. बहुवचन के उदाहरण क्या हैं? |
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