जब किसी विषय पर निश्चित क्रम से विचारों को प्रकट किया जाता है, तो ऐसे लेख को अनुच्छेद कहते हैं।
किसी भी अनुच्छेद को मुख्य रूप से तीन भागों में बाँटा जा सकता है:
अनुच्छेद लिखते समय इन बातों पर विशेष ध्यान दीजिए:
संकेत बिंदु: जीवन का अच्छा दिन, जीवन का बुरा दिन, भाई से मिलने का खुशी
मनुष्य के जीवन का हर दिन एक समान नहीं होता। जीवन में उतार-चढ़ाव आते ही रहते हैं। कई दिन तो इतने बुरे बीतते हैं कि हम उन्हें भूल जाना चाहते हैं, परंतु कुछ दिन ऐसे होते हैं जिन्हें हम अपनी यादों में सदा के लिए संजोकर रख लेना चाहते हैं। उन्हें याद करने मात्र से ही हमें सुख और खुशी का एहसास होता है। मेरे अब तक के जीवन में भी कई दिन आए और गए, परंतु 6 जून, 20xx मेरे जीवन का सबसे अच्छा दिन था। उसे मैं सदा अपनी यादों में सँजोकर रखना चाहती हूँ। नानी जी ने मेरा माथा चूमते हुए बताया कि मेरा भाई आया है। मैं तो खुशी से झूम उठी। मुझे लगा, आज मेरे जीवन का सबसे अच्छा दिन है, क्योंकि मैं भगवान से भाई के लिए रोज़ प्रार्थना करती थी। अब रक्षाबंधन के दिन मैं भी अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधा करूँगी। यह सोचकर मन खुशी से नाचने लगा। मैं अपनी नानी से जल्दी अस्पताल चलने के लिए कहने लगी, क्योंकि मुझे अपने भाई को देखना था। अस्पताल पहुँचकर सब लोगों ने मुझे प्यार किया और बधाई दी। लोगों में मिठाई बाँटी गई। चारों ओर खुशी का माहौल था। मैं तो फूली न समाई और यही मेरे जीवन का सबसे अच्छा दिन था। वह दिन मेरे मन के आकाश में चाँद-तारे और सूरज की भाँति सदा चमकता रहेगा।
3. मेरा प्रिय खिलाड़ी
संकेत बिंदु: जीवन में खेलों का महत्व, प्रिय खिलाड़ी, उनकी विशेषता का उल्लेख।
खेल और खिलाड़ी में सभी रुची लेते हैं। भारत में क्रिकेट सबसे लोकप्रिय खेल है। क्रिकेट मैच के दिन लोग भारी संख्या में क्रिकेट के मैदान में टूट पड़ते हैं और भारतीय टीम को प्रोत्साहित करते हैं। मेरा प्रिय खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर है। यह नाम आजकल बच्चे-बच्चे की जुबान पर है। छोटे-से-छोटा बच्चा भी उनकी तस्वीर देखकर उन्हें पहचान लेता है और उन्हीं की तरह बनना चाहता है। सचिन क्रिकेट के इतिहास में सबसे प्रतिभावान बल्लेबाज़ हैं। भारत की ओर से सन् 1989-90 में सोलह वर्ष की आयु में सचिन ने क्रिकेट के मैदान में पहली बार कदम रखा था। तब से आज तक वे नई-नई ऊँचाइयों को छूते हुए सदा आगे बढ़ते जा रहे हैं। वे आज जिस स्तर पर पहुँचे हैं, यह उनकी लगन और परिश्रम का फल है। उन्होंने अपने आपको पूर्ण रूप से क्रिकेट को समर्पित कर दिया है। सचिन की गिनती देश के ही नहीं, बल्कि विश्व के महान बल्लेबाज़ों में की जाती है। अपने नब्बे-वें जन्मदिन पर सर डोनाल्ड ब्रैडमैन ने सचिन को विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित कर उनकी प्रशंसा की थी। ब्रैडमैन के बाद सचिन को ही श्रेष्ठ क्रिकेटर मानते हैं। सचिन कमाल के बल्लेबाज़ हैं। वे लगातार क्रिकेट के रिकॉर्ड तोड़ने में लगे हैं। सन् 1992 में आस्ट्रेलिया के विरुद्ध खेलते हुए उन्होंने अपना पहला शतक बनाया। शेनर्वार्न जैसे महान गेंदबाज़ की गेंदों को उन्होंने इस तरह पीटा कि उनके छक्के छूट गए। सितंबर 1998 में जिंबाब्वे में 127 रन बनाकर वे एकदिवसीय क्रिकेट के सबसे अधिक शतक बनाने वाले खिलाड़ी बन गए। यह एकदिवसीय मैच में उनका 22वां शतक था। भारत सरकार ने भी उन्हें ‘खेल-रत्न’ और ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया है। मैं भविष्य में सचिन तेंदुलकर के समान श्रेष्ठ खिलाड़ी बनना चाहता हूँ।
4. हमारे जीवन में कंप्यूटर का महत्व
संकेत बिंदु: विज्ञान की महत्त्पूर्ण खोज, इसका विकास, प्रारंभिक अवस्था, प्रयोग में सावधानियाँ।
आज कंप्यूटर का शोर चारों ओर है। यह विज्ञान की नवीनतम खोज है। इसका प्रचार और प्रसार दुनिया में बहुत तेज़ी से हुआ है। हमारा देश भी इस क्षेत्र में पीछे नहीं है। कंप्यूटर विज्ञान द्वारा बनाया गया एक यंत्र-दिमाग है। यह कठिन-से-कठिन अंकों की गुत्थियों को आसानी से सुलझा सकता है। यदि मनुष्य से इसके संचालन में कोई गलती हो जाए तभी यह गलती कर सकता है, अन्यथा नहीं। सत्य तो यह है कि यह हमारे जीवन का एक ज़रूरी अंग बन चुका है। कंप्यूटर के खेल तो एक चार-पाँच साल का बच्चा भी आसानी से खेल सकता है। घर, स्कूल, कार्यालयों व बाजारों में, सभी जगह कंप्यूटरों का उपयोग हो रहा है। इंटरनेट के द्वारा हम अपनी सभी समस्याओं को आसानी से हल करने में सफल हुए हैं। ‘ई-मेल’ के द्वारा हम दूर बैठे व्यक्तियों से आसानी से तुरंत बातचीत कर सकते हैं। आज कंप्यूटर रहित जीवन की कल्पना करने से ही मन डरने लगता है। जीवन व्यर्थ व सूना-सूना लगने लगता है। जहाँ एक ओर कंप्यूटर ने मानव को अपना गुलाम बनाकर आलसी, मस्तिष्क से पंगु व कई लोगों को बेरोज़गार किया है, वहीं दूसरी ओर देश को प्रगति की ओर बढ़ाया है। कंप्यूटरीकरण आज समय की माँग है। इसका महत्त्व इसके सदुपयोग और दुरुपयोग पर निर्भर करता है।
5. जब मैंने साइकिल चलाना सीखा
संकेत बिंदु: जन्मदिन पर उपहार, चलाने के लिए उत्साहित, मन में छिपा डर, गिरना और चोट लगना, आत्मविश्वास जागाना, खुशी का ठिकाना न रहना
मेरे सातवें जन्मदिन पर मुझे मेरे नाना जी ने साइकिल दी। मैं इस साइकिल को पाकर उसे चलाने के लिए बहुत उत्साहित था। जिस दिन मुझे यह साइकिल मिली उसी दिन शाम को मेरी मम्मी जी ने सिखाने का प्रयास किया। मैं डर-डर कर उस पर बैठा। उन्होंने पीछे से उसे पकड़ा। मैं हैंडल पकड़कर चलाने की कोशिश करने लगा। बार-बार पीछे देखता कि मम्मी ने पकड़ा हुआ है या नहीं। थोड़ी देर तो मैं चलाता रहा कि मम्मी भी साथ हैं। अचानक मैंने पीछे देखा तो मुझे कोई दिखाई नहीं दिया। मैं डर गया और धड़ाम से नीचे गिर गया। मेरे दोनों घुटनों में बहुत चोट आई। कई दिन तक मुझे बिस्तर पर ही पड़े रहना पड़ा। कुछ दिन बाद जब मैं ठीक होने लगा तो साइकिल को फिर से चलाने का साहस जुटाया। तब पापा ने मेरा साथ दिया। पापा पीछे से साइकिल को पकड़ते और मैं चलाता। कई दिन तक यह सिलसिला चलता रहा। लेकिन इस बार मैं दृढ़-निश्चय से साइकिल पर बैठा कि सीख कर ही दम लूँगा। यह बात मैंने सुनी थी कि जिनके इरादे पक्के होते हैं, उन्हें सफलता अवश्य मिलती है। चलाते-चलाते मैं बहुत आगे पहुँच चुका था। मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। आज जब मैं साइकिल चलाता हूँ तो लगता है कि महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक की तरह हवा से बातें कर रहा हूँ। इस उपलब्धि के लिए मैं अपने नाना जी और पापा को धन्यवाद देता हूँ।
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1. यह लेख किस विषय पर है? |
2. भूगोलीय संरचना क्या है? |
3. जैव विविधता क्या है? |
4. भूगोलीय संरचना और जैव विविधता के क्या महत्व हैं? |
5. जैव विविधता की संरक्षण के लिए हम कैसे सहयोग कर सकते हैं? |
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