हाल के समय में प्रमुख विश्व शक्तियों ने अपना ध्यान संघर्ष के अन्य क्षेत्रों से हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र की ओर स्थानांतरित किया है। इसका सबसे प्रमुख कारण दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामकता है जहाँ वह स्थापित संयुक्त राष्ट्र अभिसमयों और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री कानूनों को धता बताते हुए संपूर्ण समुद्री क्षेत्र पर हावी होने की अपनी मंशा प्रकट कर रहा है।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र का वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य क्षेत्र को अस्थिर करने वाले प्रमुख अड़चनों से भरा हुआ है। भविष्य के गहन एकीकरण हेतु आधार तैयार करने और अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत एक अधिकार के रूप में सभी देशों के लिये वैश्विक कल्याण तक एकसमान पहुँच सुनिश्चित करने हेतु साझा मानक स्थापित करने की आवश्यकता है।
सुरक्षा समूह AUKUS हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक हितों को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
इस समूह के अंतर्गत ऑस्ट्रेलिया के साथ अमेरिकी परमाणु पनडुब्बी प्रौद्योगिकी की साझेदारी एक उल्लेखनीय घटनाक्रम है।
हिंद-प्रशांत आर्थिक ढाँचा: इस भू-भाग का लगभग प्रत्येक देश ही चीन की मुखरता और आक्रामकता को चिह्नित करता है।
क्यों महत्त्वपूर्ण है हिंद-प्रशांत?
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मौजूद प्रमुख चुनौतियाँ
हिंद-प्रशांत की स्थिरता के लिये क्या आवश्यक है?
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