UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly  >  The Hindi Editorial Analysis - 21st June 2022

The Hindi Editorial Analysis - 21st June 2022 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

जैव-विविधता के संरक्षण हेतु बायोस्फीयर


संदर्भ

जैव-विविधता (Biodiversity) पृथ्वी की एक अत्यंत प्रमुख विशेषता है। इसकी उपस्थिति के बिना पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व की कल्पना करना संभव नहीं है। ‘जैव-विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिये अंतर-सरकारी विज्ञान-नीति मंच’ (Intergovernmental Science-Policy Platform on Biodiversity and Ecosystem Services- IPBES) द्वारा वर्ष 2019 में ‘जैव-विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर वैश्विक मूल्यांकन रिपोर्ट’ (Global Assessment Report on Biodiversity and Ecosystem Services) जारी की गई।

  • इस रिपोर्ट का मुख्य लक्ष्य जैव-विविधता के क्षरण, जलवायु परिवर्तन, आक्रामक प्रजातियों, प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन, प्रदूषण और शहरीकरण जैसी समस्याओं की ओर ध्यान दिलाना है।

IPBES

  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय और अंतर-सरकारी एजेंसी है जिसका उद्देश्य जैव-विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिये विज्ञान-नीति अंतःक्रिया की वृद्धि करना है।
  • इसका मूल उद्देश्य जैव-विविधता संरक्षण (Biodiversity Conservation) और सतत् विकास (Sustainable Development) को बढ़ावा देना है।
  • IPBES में आधिकारिक तौर पर 137 सदस्य राष्ट्र हैं। IPBES की सदस्यता किसी भी ऐसे देश के लिये उपलब्ध है जो संयुक्त राष्ट्र का सदस्य हो।
  • हालाँकि IPBES संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध नहीं है। यह संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) से सचिवालय की सेवाएँ प्राप्त करता है।

‘जैव-विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर वैश्विक मूल्यांकन रिपोर्ट’

  • इस मूल्यांकन का व्यापक लक्ष्य जैव-विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं में वर्तमान स्थिति और प्रवृत्तियों का आकलन करना है।
  • यह रिपोर्ट मानव कल्याण पर जैव-विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के प्रभावों के साथ-साथ ‘जैव-विविधता के लिये रणनीतिक योजना’ (Strategic Plan for Biodiversity) और ‘आईची जैव-विविधता लक्ष्य’ (Aichi Biodiversity Targets) जैसे उपचारात्मक उपायों की प्रभावकारिता का मूल्यांकन भी करती है।
  • रिपोर्ट पिछले पाँच दशकों के रुझानों की जाँच करती है और सतत् विकास एवं पर्यावरणीय प्रभावों के बीच के अंतर्संबंध पर एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है।

आईची जैव-विविधता लक्ष्य

  • आधिकारिक तौर पर ‘जैव-विविधता के लिये रणनीतिक योजना 2011-2020’ के रूप में 20 महत्त्वाकांक्षी किंतु प्राप्त करने योग्य लक्ष्यों (जिन्हें A से E तक के 5 खंडों में विभाजित किया गया है) की एक शृंखला प्रदान करती है, जिन्हें सामूहिक रूप से ‘आईची जैव-विविधता लक्ष्य’ के रूप में जाना जाता है।
    • रणनीतिक लक्ष्य A: सरकार और समाज के बीच जैव-विविधता को मुख्यधारा में लाकर जैव-विविधता के क्षरण के अंतर्निहित कारणों को संबोधित करना
    • रणनीतिक लक्ष्य B: जैव-विविधता पर प्रत्यक्ष दबाव को कम करना और सतत उपयोग को बढ़ावा देना
    • रणनीतिक लक्ष्य C: पारिस्थितिक तंत्र, प्रजातियों और आनुवंशिक विविधता की रक्षा करके जैव-विविधता की स्थिति में सुधार करना
    • रणनीतिक लक्ष्य D: जैव-विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं से सभी के लिये लाभ की वृद्धि करना
    • रणनीतिक लक्ष्य E: भागीदारी योजना, ज्ञान प्रबंधन और क्षमता निर्माण के माध्यम से कार्यान्वयन में वृद्धि करना।

पृथ्वी की वहन क्षमता पर दबाव के कारण

  • पारिस्थितिकीय वहन क्षमता (Ecological Carrying Capacity) को प्रजातियों की उस अधिकतम संख्या के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसका वहन किसी भी पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा किया जा सकता है।
    • पारिस्थितिक तंत्र की वहन क्षमता में कई गुना वृद्धि हुई है। पारिस्थितिकी तंत्र की वहन क्षमता में वृद्धि के साथ पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की उपलब्धता में वृद्धि होगी।
    • पारिस्थितिक तंत्र सेवाएँ तभी लाभ प्रदान कर सकती हैं जब एक पारिस्थितिकी तंत्र का स्वास्थ्य और जैव-विविधता के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया जाए।
    • जैव-विविधता के संरक्षण का वायु, जल और मृदा के प्रदूषण नियंत्रण उपायों से प्रत्यक्ष संबंध है।
    • उच्च गुणवत्तापूर्ण पेयजल, पर्याप्त आहार एवं स्वस्थ आवास की उपलब्धता तभी सुनिश्चित की जा सकती है जब प्रकृति के संतुलन को प्रभावित किये बिना पारिस्थितिकी तंत्र की जैव-विविधता का संरक्षण कर पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बहाल रखा जाए।
  • यह हमारी ज़िम्मेदारी है और निश्चित रूप से हमारे हित में है कि हम पर्यावरण का सम्मान करें; यह सम्मान पर्यावरणीय, सांस्कृतिक या धार्मिक किसी भी दृष्टिकोण से प्रेरित हो सकता है।

बायोस्फीयर रिज़र्व पारितंत्र को यूनेस्को का समर्थन

  • संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization- UNESCO) ने सर्वोत्कृष्ट तंत्रों में से एक की स्थापना की है जिसे ‘वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिज़र्व’ के रूप में जाना जाता है।
  • ‘वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिज़र्व’ जब भी और जहाँ भी संभव हो, नए बायोस्फीयर रिज़र्व की स्थापना कर विश्व में बायोस्फीयर रिज़र्व की संख्या में वृद्धि का उद्देश्य रखता है।
    • इसकी स्थापना वर्ष 1971 में की गई थी।
  • बायोस्फीयर रिज़र्व मूल रूप से उन जगहों की सहकारिता और सह-अस्तित्व को बढ़ावा दे रहे हैं जहाँ मनुष्य प्रकृति के साथ सद्भाव में रहते हैं।
  • पहला बायोस्फीयर रिज़र्व वर्ष 1977 में श्रीलंका में स्थापित किया गया था जिसे हुरुलु बायोस्फीयर रिज़र्व (Hurulu Biosphere Reserve) के रूप में जाना जाता है।
  • यूनेस्को ने वर्ष 2000 में नीलगिरी पहाड़ियों को भारत के पहले बायोस्फीयर रिज़र्व के रूप में नामित किया।
    • नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व तीन राज्यों—तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में विस्तृत है।
  • वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिज़र्व द्वारा भारत के 18 स्थलों को बायोस्फीयर रिज़र्व की सूची में रखा गया है।
    • वर्ष 2020 में पन्ना बायोस्फीयर रिज़र्व, मध्य प्रदेश को इस सूची में शामिल किया गया।
  • भूटान, भारत और नेपाल में ग्लेशियर पारिस्थितिकी तंत्र, झील पारिस्थितिकी तंत्र और अल्पाइन पारिस्थितिकी तंत्र जैसे विभिन्न पारितंत्र मौजूद हैं। दक्षिण एशियाई भूभाग बायोस्फीयर रिज़र्व की बड़ी संख्या से समृद्ध है।
    • कंचनजंघा बायोस्फीयर रिज़र्व (Khangchendzonga Biosphere reserve) की स्थापना वर्ष 2018 में हुई। यह विश्व के कुछ सबसे उच्चतम पारिस्थितिक तंत्रों से समृद्ध है।
    • कंचनजंघा बायोस्फीयर रिज़र्व ऑर्किड की विभिन्न प्रजातियों और पादपों एवं जीवों की अन्य विभिन्न प्रजातियों को संपोषण देता है।
    • इन बायोस्फीयर रिज़र्व से जुड़ी प्रमुख गतिविधियों में फसल उत्पादन, पशुपालन, मत्स्यग्रहण, डेयरी उत्पादन, कुक्कुट पालन आदि शामिल हैं।
  • यूनेस्को बायोस्फीयर रिज़र्व के रूप में किसी स्थल को निर्दिष्ट किये जाने हेतु नामांकन राष्ट्रीय सरकार द्वारा किया जाता है, जिसे फिर यूनेस्को द्वारा अनुमोदित किया जाता है।

दबाव कम करने के लिये क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

  • जैव-विविधता के संरक्षण के संबंध में विज्ञान-आधारित प्रबंधन योजनाओं पर यूनेस्को बायोस्फीयर रिज़र्व को प्राथमिकता से ध्यान देना चाहिये।
  • जैव-विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिये जैव-विविधता संरक्षण, स्वच्छ ऊर्जा, जलवायु, पर्यावरण शिक्षा, जल संरक्षण एवं अपशिष्ट प्रबंधन के संबंध में वैज्ञानिक अनुसंधान और निगरानी आवश्यक है। इसका उद्देश्य परिवर्तनों का पता लगाना और जलवायु प्रत्यास्थता की वृद्धि के लिये समाधान खोजना है।
  • बांग्लादेश, भूटान और नेपाल यूनेस्को की प्राथमिकता सूची में हैं क्योंकि इन देशों में कोई भी बायोस्फीयर रिज़र्व मौजूद नहीं है। दृष्टिकोण यह यह है कि इनमें से प्रत्येक देश में कम से कम एक बायोस्फीयर रिज़र्व की स्थापना से आशा का संचार होगा।
  • अंतर्राष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस (International Day for Biological Diversity) जैव-विविधता संरक्षण की भावना को बढ़ावा देता है। इसमें पर्यावरण के प्रति सम्मान और इसके संरक्षण हेतु उत्तरदायित्व की भावना निहित है।
  • संवहनीय मानव जीवन एवं पर्यावरण संरक्षण के मूल्यांकन के साथ-साथ वनस्पतियों एवं जीवों की प्रजातियों के संरक्षण और पुनर्बहाली के लिये स्थानीय समाधान एवं सर्वोत्तम अभ्यासों को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
The document The Hindi Editorial Analysis - 21st June 2022 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC is a part of the UPSC Course Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly.
All you need of UPSC at this link: UPSC
2222 docs|810 tests

Top Courses for UPSC

2222 docs|810 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Summary

,

Extra Questions

,

The Hindi Editorial Analysis - 21st June 2022 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

Viva Questions

,

video lectures

,

Free

,

Objective type Questions

,

Important questions

,

Exam

,

Semester Notes

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Sample Paper

,

pdf

,

shortcuts and tricks

,

mock tests for examination

,

The Hindi Editorial Analysis - 21st June 2022 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

The Hindi Editorial Analysis - 21st June 2022 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

MCQs

,

practice quizzes

,

past year papers

,

study material

,

ppt

;