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The Hindi Editorial Analysis - 24th June 2022 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

कृत्रिम बुद्धिमत्ता का महत्त्व एवं विनियमन

संदर्भ

  • वैश्विक AI बाज़ार का आकार वर्ष 2021 में5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था और वर्ष 2022 से 2030 तक इसके 38.1% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से विस्तार करने का अनुमान है। भारतीय बाज़ार में AI की हिस्सेदारी वर्ष 2021 में 7.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर की आकलित की गई थी।
  • AI के लिये बाज़ार में वृद्धि के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता की नैतिकता (Ethics of Artificial Intelligence) पर वैश्विक विनियमनों और समझौतों की आवश्यकता उत्पन्न हुई है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि AI को इसके मूल में साझा, मानवीय मूल्यों के साथ विकसित किया जा रहा है।
  • नवंबर, 2021 में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की नैतिकता पर यूनेस्को में 193 देशों के बीच एक महत्त्वपूर्ण समझौता संपन्न हुआ। इसने AI के संबंध में पहला वैश्विक मानक ढाँचा तय किया है जबकि राज्यों को स्वयं के स्तर पर इसे लागू करने का उत्तरदायित्व सौंपा है।

समझौते के उद्देश्य क्या हैं?

  • शक्ति संतुलन बनाए रखना:
    • इसका उद्देश्य लोगों और AI विकसित करने वाले व्यवसायों एवं सरकारों के बीच शक्ति संतुलन को मौलिक रूप से बदलना है।
    • यदि इन प्रौद्योगिकियों के विकास के तरीके में मानव हित को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी तो असमानताएँ इतनी बढ़ सकती हैं जैसा इतिहास में पहले कभी अनुभव नहीं किया गया।
  • जीवन चक्र को विनियमित करना:
    • यूनेस्को के सदस्य देश AI प्रणाली के संपूर्ण जीवन चक्र- ‘अनुसंधान-डिज़ाइन-विकास-तैनाती और उपयोग’ को विनियमित करने पर सहमत हुए हैं।
    • इसका अभिप्राय यह है कि उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिये सकारात्मक कार्रवाई का उपयोग करना चाहिये कि AI डिज़ाइन टीमों में महिलाओं और अल्पसंख्यक समूहों का उचित प्रतिनिधित्व हो।
  • डेटा का प्रबंधन, गोपनीयता और सूचना तक पहुँच:
    • यह उपयोगकर्ताओं के पास डेटा का नियंत्रण होने की आवश्यकता को स्थापित करता है, जिससे उन्हें आवश्यकतानुसार सूचना तक पहुँच या इसके विलोपन की अनुमति मिलती है।
    • यह सदस्य राज्यों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान करता है कि संवेदनशील डेटा के प्रसंस्करण और प्रभावी जवाबदेही के लिये उपयुक्त सुरक्षा उपाय योजनाएँ तैयार करे और क्षति की स्थिति में निवारण तंत्र प्रदान करे।
  • ‘सोशल स्कोरिंग’ और सामूहिक निगरानी पर प्रतिबंध:
    • यह सोशल स्कोरिंग (Social Scoring) और सामूहिक निगरानी (Mass Surveillance) के लिये AI प्रणाली के उपयोग पर प्रकट रूप से प्रतिबंध लगाता है।
    • यह बल देता है कि नियामक ढाँचे को विकसित करते समय सदस्य राज्यों को यह विचार करना चाहिये कि अंतिम ज़िम्मेदारी एवं जवाबदेही हमेशा मनुष्यों के पास रहे और AI प्रौद्योगिकियों को स्वयं का कानूनी व्यक्तित्व नहीं प्रदान किया जाए।
  • पर्यावरण की संरक्षा
    • यह इस बात पर बल देता है कि AI अभिकर्त्ताओं को डेटा तथा ऊर्जा एवं संसाधन-कुशल AI विधियों का समर्थन करना चाहिये जो जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध संघर्ष और पर्यावरणीय मुद्दों से निपटने में अधिक महत्त्वपूर्ण हैं।
    • यह सरकारों से कार्बन फुटप्रिंट, ऊर्जा खपत और AI प्रौद्योगिकियों के निर्माण का समर्थन करने के लिये कच्चे माल के निष्कर्षण के पर्यावरणीय प्रभाव जैसे विभिन्न प्रभावों का आकलन करने का आह्वान करता है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लाभ


  • पुलिस व्यवस्था में:
    • AI की मदद से केंद्रीय डेटाबेस के साथ चेहरे की पहचान के मिलान, अपराध के पैटर्न के अनुमान और सीसीटीवी फुटेज के विश्लेषण द्वारा संदिग्धों की पहचान की जा सकती है।
    • सरकार सभी रिकॉर्ड (विशेष रूप से अपराध रिकॉर्ड) का डिजिटलीकरण कर रही है; वह इसे CCTNS नामक एक ही स्थान पर एकत्र कर रही है जहाँ किसी अपराधी या संदिग्ध की तस्वीरों, बायोमीट्रिक्स या आपराधिक इतिहास सहित सभी डेटा उपलब्ध हैं।
  • कृषि:
    • AI कृषि डेटा का विश्लेषण करने में मदद करता है:
    • किसान अपने निर्णयों को बेहतर ढंग से सूचित करने के लिये अपने खेत से एकत्रित मौसम की स्थिति, तापमान, पानी के उपयोग या मिट्टी की स्थिति जैसे कारकों का विश्लेषण कर सकते हैं।
  • जल प्रबंधन, फसल बीमा और कीट नियंत्रण:
    • इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स आईसीआरआईएसएटी ने एक AI-पावर बुवाई ऐप विकसित किया है, जो स्थानीय फसल उपज और वर्षा पर मौसम मॉडल और डेटा का उपयोग करता है ताकि स्थानीय किसानों को अपने बीज बोने के बारे में अधिक सटीक भविष्यवाणी और सलाह दी जा सके।
  • महामारी से निपटने के लिए:
    • राष्ट्रीय स्तर पर:
      (i) कोविड -19 प्रतिक्रिया के लिए, संचार सुनिश्चित करने के लिये MyGov द्वारा AI- सक्षम चैटबॉट का उपयोग किया गया था।
      (ii) इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कोविड -19 पर देश भर में विभिन्न परीक्षण और नैदानिक सुविधाओं से फ्रंटलाइन स्टाफ और डेटा एंट्री ऑपरेटरों के विशिष्ट प्रश्नों का उत्तर देने के लिये अपने पोर्टल पर वाटसन सहायक को तैनात किया है।
  • शिक्षा:
    • इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इस साल अप्रैल में  "युवाओं के लिये जिम्मेदार AI" कार्यक्रम लॉन्च किया था।, जिसमें सरकारी स्कूलों के 11,000 से अधिक छात्रों ने AI में बुनियादी पाठ्यक्रम पूरा किया।
    • केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने स्कूली पाठ्यक्रम में AI को एकीकृत किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पास होने वाले छात्रों को डेटा साइंस, मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बुनियादी ज्ञान और कौशल हो।
  • स्वास्थ्य देखभाल:
    • मशीन लर्निंग:
      (i) सटीक दवा में AI का अनुप्रयोग फायदेमंद हो सकता है - यह भविष्यवाणी करना कि विभिन्न रोगी विशेषताओं और उपचार संदर्भ के आधार पर रोगी पर कौन से उपचार प्रोटोकॉल सफल होने की संभावना है।
    • प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (Natural Language Processing- NLP):
      (i) NLP में नैदानिक दस्तावेज़ीकरण और प्रकाशित शोध का निर्माण, समझ और वर्गीकरण शामिल है।
      (ii) NLP सिस्टम रोगियों पर असंरचित नैदानिक नोटों का विश्लेषण कर सकता है, रिपोर्ट तैयार कर सकता है, रोगी की बातचीत को ट्रांसक्रिप्ट कर सकता है और संवादी AI का संचालन कर सकता है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े मुद्दे क्या हैं?


  • डेटा की अपूर्ण प्रस्तुति:
    • AI में फीड करने के लिये इस्तेमाल किया जाने वाला डेटा अक्सर हमारी विविधता का प्रतिनिधित्व नहीं करता है
    • इससे ऐसे परिणाम उत्पन्न होते हैं जिन्हें पक्षपाती या भेदभावपूर्ण कहा जा सकता है।
    • उदाहरण के लिये, जबकि भारत और चीन मिलकर दुनिया की आबादी का लगभग एक तिहाई हिस्सा बनाते हैं, Google ब्रेन ने अनुमान लगाया कि वे इमेजनेट में उपयोग की जाने वाली छवियों का केवल 3% बनाते हैं , जो व्यापक रूप से उपयोग किये जाने वाले डेटासेट हैं।
  • तकनीकी चुनौतियाँ:
    • चेहरे की पहचान करने वाली प्रौद्योगिकियाँ, जिनका उपयोग हमारे फोन, बैंक खातों और अपार्टमेंट तक पहुँचने के लिये किया जाता है और कानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा महिलाओं और गहरे रंग के लोगों की पहचान करने में तेज़ी से नियोजित किया जाता है।
    • प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनियों द्वारा जारी किये गए ऐसे तीन कार्यक्रमों के लिये, गोरे रंग वाले पुरुषों के लिये त्रुटि दर 1% थी, लेकिन गहरे रंग के पुरुषों के लिये 19% और गहरे रंग की महिलाओं के लिये 35% तक थी। चेहरे की पहचान तकनीकों में पक्षपात के कारण गलत तरीके से गिरफ्तारियाँ हुई हैं।
  • पूर्वाग्रहों और असमानताओं को बढ़ावा देना:
    • यह नहीं भूलना चाहिये कि AI सिस्टम मनुष्यों द्वारा बनाए गए हैं, जो पक्षपाती निर्णय लेने वाले हो सकते हैं। इस प्रकार, AI पूर्वाग्रहों और असमानताओं को बढ़ावा दे सकता है, अगर AI एल्गोरिदम का प्रारंभिक प्रशिक्षण पक्षपाती है।
    • उदाहरण के लिये, AI चेहरे की पहचान और निगरानी तकनीक को रंग और अल्पसंख्यकों के लोगों के साथ भेदभाव करने के लिये प्रेरित कर सकता है।
  • गोपनीयता से समझौता:
    • AI सिस्टम बड़ी मात्रा में डेटा का विश्लेषण करके सीखते हैं और वे इंटरेक्शन डेटा और उपयोगकर्ता-प्रतिक्रिया के निरंतर मॉडलिंग के माध्यम से अनुकूलन करते रहते हैं।
    • इस प्रकार, AI के बढ़ते उपयोग के साथ, किसी के गतिविधि डेटा तक अनधिकृत पहुँच के कारण निजता का अधिकार खतरे में पड़ सकता है।
  • अनुपातहीन शक्ति और नियंत्रण:
    • प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ वैज्ञानिक/इंजीनियरिंग और वाणिज्यिक और उत्पाद विकास दोनों स्तरों पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता के संबंध में भारी निवेश कर रहे हैं।
    • किसी भी महत्त्वाकांक्षी प्रतियोगी की तुलना में इन बड़े खिलाड़ियों को बहुत बड़ा लाभ होता है जो डेटा-कुलीन समाज का एक लक्षण है।

AI को बढ़ावा देने के लिये क्या पहल की गई है?


राष्ट्रीय पहल:

  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर वैश्विक भागीदारी (GPAI):
    • वर्ष 2020 में भारत AI के ज़िम्मेदार एवं मानव-केंद्रित विकास और उपयोग का समर्थन करने के लिये एक संस्थापक सदस्य के रूप में GPAI में शामिल हुआ।
  • राइज़ 2020:
    • RAISE (Responsible AI for Social Empowerment), 2020 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर अपनी तरह की पहली वैश्विक बैठक है, जो ज़िम्मेदार AI के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन, समावेश और सशक्तिकरण के लिये भारत के दृष्टिकोण और रोडमैप को आगे बढ़ाने के लिये है।
  • नीति आयोग का AI फॉर ऑल कैंपेन:
    • वर्ष 2018 में NITI आयोग ने 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिये राष्ट्रीय रणनीति # AI4ALL' शीर्षक से एक चर्चा पत्र प्रकाशित किया, जो दर्शाता है कि कैसे AI को भारत में पाँच प्रमुख क्षेत्रों में सफलतापूर्वक लागू किया जा सकता है:
      (i) स्वास्थ्य , कृषि, शिक्षा, स्मार्ट शहरों और बुनियादी ढांचे, स्मार्ट गतिशीलता और परिवहन, देश की सामान्य आबादी को लाभान्वित करने के लिए।

आगे की राह

  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
    • यह देखते हुए कि विभिन्न सरकारों ने हाल ही में AI नीतियाँ स्थापित की हैं और कुछ मामलों में अभी भी उन्हें तैयार कर रही हैं, बहुपक्षीय स्तर पर मानकों की स्थापना में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में अभी भी बहुत काम प्रगति पर है। ।

उठाए गए सही कदम

  • AI तकनीकी क्रांति समृद्धि और विकास के लिये महान अवसर लाती है - लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रौद्योगिकी को सही दिशा में लागू और उपयोग किया जाएगा।
  • इस संबंध में, दुनिया के विभिन्न हिस्सों में पहले से ही कुछ कदम उठाए जा रहे हैं, जैसे कि व्याख्या करने योग्य AI (XAI) और यूरोपीय संघ का GDPR - सामान्य डेटा संरक्षण विनियमन)।
  • सामान्य नियम पुस्तिका:
    • यह एक मान्यता है कि AI से संबंधित प्रौद्योगिकियाँ एक सामान्य नियम पुस्तिका के बिना काम करना जारी नहीं रख सकती हैं।
    • आने वाले वर्षों में स्वेच्छा से AI प्रौद्योगिकियों को विकसित और तैनात करने के लिए, जो आम तौर पर सहमत सिद्धांतों के अनुरूप हैं, यूनेस्को समझौते की सिफारिश, सरकारों और कंपनियों का मार्गदर्शन करने के लिये एक कंपास के रूप में काम करेगी।
  • सभी का समावेशन:
    • यह सुनिश्चित करने के लिये सकारात्मक कार्रवाई की जानी चाहिये एवं लिंग/वर्ग/जाति के आधार पर पक्षपात के जोखिम को खत्म करने के लिये AI डिज़ाइन टीमों में महिलाओं और अल्पसंख्यक समूहों का उचित प्रतिनिधित्व किया जाए।
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