UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly  >  The Hindi Editorial Analysis - 18th July 2022

The Hindi Editorial Analysis - 18th July 2022 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

द्रविड़ नाडु की मांग

‘द्रविड़ नाडु’ को एक राजनीतिक विचार के रूप में मूल रूप से पेरियार ई.वी. रामासामी नायकर द्वारा प्रस्तुत किया गया था, जिन्होंने पूरे भारत में हिंदी की अनिवार्य शिक्षा शुरू करने की योजना की प्रतिक्रिया में वर्ष 1938 में ‘तमिलों के लिये तमिलनाडु’ का नारा दिया था।

आरंभ में द्रविड़ नाडु की मांग तमिलभाषी क्षेत्र तक सीमित थी, लेकिन बाद में इसे उन राज्यों (वर्तमान समय के आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और कर्नाटक) तक विस्तृत किया गया जहाँ बहुसंख्यक आबादी द्रविड़ भाषाएँ (तेलुगु, मलयालम, कन्नड़) बोलती थी। प्रस्तावित संप्रभु राज्य के लिये ‘साउथ इंडिया’, ‘डेक्कन फेडरेशन’ और ‘दक्षिणापथ’ जैसे अन्य नाम भी प्रयोग किये जाते हैं।

द्रविड़ नाडु की पृष्ठभूमि

स्वतंत्रता से पहले:

  • द्रविड़ नाडु की अवधारणा का मूल तमिलनाडु में चले ब्राह्मणवाद विरोधी आंदोलन में था जहाँ सामाजिक समता और वृहत शक्ति एवं नियंत्रण की आरंभिक मांगें की गई थीं।
    • समय के साथ इसमें एक अलगाववादी आंदोलन भी शामिल हो गया, जिसमें तमिल लोगों के लिये एक अलग संप्रभु राज्य की मांग की गई।
  • वर्ष 1921 में जस्टिस पार्टी इस आंदोलन का समर्थन करने वाली प्रमुख राजनीतिक पार्टी थी।
    • उस समय मद्रास सरकार में ब्राह्मणों की उपस्थिति राज्य में उनकी आबादी की तुलना में अनुपातहीन रूप से अधिक थी।
    • उन्होंने तमिल राष्ट्र की विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान पर बल दिया।
  • वर्ष 1938 में जस्टिस पार्टी और आत्मसम्मान आंदोलन एक साथ आ गए जो पार्टी और आंदोलन के विलय का प्रतिनिधित्व करते थे।

स्वतंत्रता के बाद:

  • वर्ष 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम (States Reorganisation Act), जिसने भाषाई राज्यों का निर्माण किया, ने इस मांग को दुर्बल कर दिया।
  • 1980 के दशक में ‘तमिलनाडु लिबरेशन आर्मी’ नामक एक छोटे आतंकवादी संगठन ने द्रविड़ नाडु की मांग को पुनर्जीवित किया जब भारतीय शांति सेना (IPKF) को श्रीलंका भेजा गया था।

पृथक राज्य की मांग के कारण

  • भाषाई कारक: हिंदी को देश की साझा भाषा बनाने का विचार पेरियार को स्वीकार्य नहीं था, जिन्होंने इसे तमिलों को उत्तर भारतीयों के अधीनस्थ बनाने के प्रयास के रूप में देखा और इस भावना ने अलग द्रविड़ नाडु पर ज़ोर दिया।
    • वे शिक्षा में हिंदी के प्रवेश का विरोध करते रहे।
  • राजनीतिक कारक: राज्य की स्वायत्तता तमिलनाडु में राजनीतिक दलों के शीर्ष राजनीतिक एजेंडे में से एक रही है, जहाँ उनके चुनाव घोषणापत्र ‘संघवाद’ के संदर्भ से शुरू होते हैं।
    • पार्टियों ने तमिल फिल्म निर्माण के माध्यम से अपने विचारों के प्रचार का एक अनूठा माध्यम इस्तेमाल किया।
  • आर्थिक कारक: आर्थिक दृष्टिकोण से, उनका तर्क यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में उनके योगदान की तुलना में उन्हें अपर्याप्त लाभ प्राप्त होता है।
    • यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में 8.8% का योगदान करती है।
  • जनसांख्यिकीय कारक: उत्तरी राज्यों में दक्षिणी राज्यों की तुलना में अधिक जनसंख्या वृद्धि दर पाई जाती है।
    • इस संदर्भ में, जनसांख्यिकीय विचलन ने उप-राष्ट्रवाद की उत्पत्ति को प्रेरित किया है। तमिलनाडु जैसे दक्षिणी राज्यों को भारत की संसद में पर्याप्त सीट हिस्सेदारी को लेकर एक आशंका थी जिसने अलगाववादी प्रवृत्ति को आगे बढ़ाया।

पृथक मांग के साथ संबद्ध चुनौतियाँ

  • समस्याओं का ‘पैंडोराबॉक्स’: एक राज्य की स्वायत्तता अन्य राज्यों के लिये समस्याओं का पैंडोराबॉक्स खोल देगी जो प्रभावी शासन और राष्ट्रवाद की भावना को प्रभावित करेगी।
  • संवैधानिक प्रावधान के विरुद्ध: भारत परिसंघ या फ़ेडरेशन के बजाय ‘अविनाशी राज्यों का संघ’ (Indestructible Union of Destructible States) है।
    • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत राज्यों को संघ से अलग होने का कोई अधिकार नहीं है। इस प्रकार राज्य की स्वायत्तता की मांग संविधान के विरुद्ध है।

आगे की राह

  • प्रभावकारी अखिल भारतीय सेवा: एक केंद्रीकृत स्थायी इकाई होने के रूप में अखिल भारतीय सेवाएँ कल्याणकारी नीतियों, विकास योजनाओं की अभिकल्पना एवं प्रवर्तन के लिये और ज़मीनी स्तर पर सरकारी मशीनरी के कुशल कार्यकरण को सुनिश्चित करने के लिये भारत की बुनियादी प्रशासनिक प्रणाली का निर्माण करती हैं।
    • प्रभावकारी अखिल भारतीय सेवा न केवल पूरे देश में प्रशासन में एकरूपता सुनिश्चित करेगी, बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों में अखंडता का संदेश भी फैलाएगी।
  • सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना: इस आधार पर कि मज़बूत राज्य एक मज़बूत राष्ट्र का निर्माण करते हैं, सहकारी संघवाद (cooperative federalism) को बढ़ावा देने से सभी शासी निकायों को आगे आने और साझा सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं नागरिक समस्याओं को हल करने में सहयोग हेतु मार्गदर्शन प्राप्त होगा।
    • केंद्र-राज्य संबंध पर सरकारिया आयोग की रिपोर्ट के अनुसार यदि राज्यों का आर्थिक उदारीकरण और विकास योजनाबद्ध तरीके से किया जाता है तो अलगाववादी प्रवृत्तियाँ स्वतः नियंत्रित हो जाएँगी।
  • समग्र संस्कृति को बढ़ावा देना: त्रिभाषा सूत्र को समावेशी तरीके से लागू किया जा सकता है, जबकि भारत की सभी भाषाओं को एकसमान मान्यता दी जा सकती है।
    • एकता की भावना को विकसित करने के लिये भारत के सभी भागों में अतुल्य भारत कार्यक्रम (Incredible India Programme) को सच्ची भावना से प्रोत्साहित किया जा सकता है।
  • अंतर-राज्य परिषद को सशक्त बनाना: क्षेत्रीय समस्याओं के संज्ञान और अंतर-राज्य परिषद में उनके समाधान को सच्ची भावना से आगे बढ़ाया जाना चाहिये।
    • नदी के जल के बँटवारे को लेकर सबसे गंभीर झड़पें हुई हैं, जहाँ हर राज्य का लक्ष्य अपने हिस्से को अधिकतम करना है। इस तरह के मुद्दों को सहकारी तरीके से संबोधित किया जा सकता है।
The document The Hindi Editorial Analysis - 18th July 2022 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC is a part of the UPSC Course Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly.
All you need of UPSC at this link: UPSC
2218 docs|810 tests

Top Courses for UPSC

2218 docs|810 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Exam

,

Free

,

practice quizzes

,

study material

,

The Hindi Editorial Analysis - 18th July 2022 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

Objective type Questions

,

MCQs

,

The Hindi Editorial Analysis - 18th July 2022 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

Summary

,

past year papers

,

Viva Questions

,

ppt

,

pdf

,

mock tests for examination

,

Sample Paper

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

The Hindi Editorial Analysis - 18th July 2022 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Important questions

,

shortcuts and tricks

,

Extra Questions

,

Semester Notes

,

video lectures

;