UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly  >  The Hindi Editorial Analysis - 23rd July 2022

The Hindi Editorial Analysis - 23rd July 2022 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

भारत में ग्रीष्म लहर


संदर्भ

ग्रीष्म लहर या हीटवेव (heatwaves) के उभार ने पूरे विश्व पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है और भारत भी इस संदर्भ में अपवाद नहीं है। ‘लैंसेट’ (Lancet) की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1990 से 2019 के बीच अत्यधिक गर्मी के प्रति भारत की भेद्यता/अतिसंवेदनशीलता में 15% की वृद्धि हुई। भारत में अब तक दर्ज किये गए पाँच सबसे गर्म वर्षों में से सभी पिछले दशक में ही दर्ज किये गए।

  • मई 2022 में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने उत्तर-पश्चिम भारत के कई भागों में भूमि की सतह का तापमान 55 डिग्री सेल्सियस के आसपास दर्ज किया, जबकि कुछ इलाकों में तो यह 60 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया था।
  • इसके साथ ही आर्द्रता, कम बारिश और उच्च तापमान ने विकलता या बेचैनी के स्तर को बढ़ा दिया है, जिससे बिना शीतलन सुविधाओं के लोगों का जीवन और भी कठिन हो गया है। ग्रीष्म लहर का उभार अब कोई अप्रत्याशित स्थिति नहीं रह गई है और यह एक व्यापक प्रतिक्रिया की मांग रखती है।

ग्रीष्म लहर क्या है ?

  • ग्रीष्म लहर या हीटवेव असामान्य रूप से उच्च तापमान की अवधि है जो भारत में मई-जून माह के दौरान एक सामान्य परिघटना है और कुछ दुर्लभ मामलों में इसका विस्तार जुलाई माह तक भी देखा गया है।
  • भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) विभिन्न क्षेत्रों और उनके तापमान परास के अनुसार ग्रीष्म लहरों को वर्गीकृत करता है। IMD के अनुसार भारत में ग्रीष्म लहर दिवसों की संख्या वर्ष 1981-1990 में 413 से बढ़कर वर्ष 2011-2020 में 600 से भी अधिक हो गई है।
    • ग्रीष्म लहर दिवसों की संख्या में यह तेज़ वृद्धि जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव के कारण हुई है।

ग्रीष्म लहर घोषित करने के मानदंड


  • ग्रीष्म लहर की स्थिति तब मानी जाती है जब किसी स्थान (स्टेशन) का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों में कम से कम 40°C और पहाड़ी क्षेत्रों में कम से कम 30°C तक पहुँच जाता है।
  • यदि किसी स्थान का सामान्य अधिकतम तापमान 40°C से कम या उसके बराबर है तो सामान्य तापमान से 5°C से 6°C की वृद्धि को ग्रीष्म लहर की स्थिति माना जाता है।
  • इसके अलावा, सामान्य तापमान से 7°C या उससे अधिक की वृद्धि को चरम ग्रीष्म लहर की स्थिति माना जाता है।
  • यदि किसी स्टेशन का सामान्य अधिकतम तापमान 40°C से अधिक है तो सामान्य तापमान से 4°C से 5°C की वृद्धि को ग्रीष्म लहर की स्थिति माना जाता है। इसके अलावा, 6 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक की वृद्धि को चरम ग्रीष्म लहर की स्थिति माना जाता है।

भारत में ग्रीष्म लहर के प्रभाव

  • आर्थिक प्रभाव: ग्रीष्म लहर की लगातार घटनाएँ अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।
    • उदाहरण के लिये, कार्य दिवसों के नुकसान के कारण गरीब और सीमांत किसानों की आजीविका नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है।
    • ग्रीष्म लहर का दिहाड़ी मज़दूरों की उत्पादकता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिससे अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है।
  • कृषि क्षेत्र पर प्रभाव: जब तापमान आदर्श सीमा से अधिक हो जाता है तो फसल की पैदावार प्रभावित होती है।
    • हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसानों ने पिछले रबी मौसम में अपनी गेहूँ की उपज में नुकसान होने की सूचना दी है। भारत भर में ग्रीष्म लहरों के कारण गेहूँ के उत्पादन में 6-7% कमी होने का अनुमान किया गया है।
    • पशुधन भी ग्रीष्म लहरों की चपेट में आते हैं जिनसे उनकी सेहत प्रभावित होती है और उत्पादकता घटती है।
      (i) कॉर्नेल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का अनुमान है कि बढ़ते ग्रीष्म तनाव (heat stress) के कारण वर्ष 2100 तक भारत के शुष्क और अर्द्ध-शुष्क डेयरी फार्मिंग में दुग्ध उत्पादन में 25% (वर्ष 2005 के स्तर की तुलना में) की कमी आ सकती है।
  • बिजली के उपयोग पर प्रभाव: ग्रीष्म लहर स्वाभाविक रूप से पावर लोड को प्रभावित करती है।
    • वर्ष 2022 में उत्तर भारत में अप्रैल माह में औसत दैनिक शीर्ष मांग वर्ष 2021 की तुलना में 13% अधिक थी, जबकि मई में यह 30% अधिक थी।
  • मानव मृत्यु: ग्रीष्म लहरों के कारण मानव मृत्यु की स्थिति भी बनती है क्योंकि असह्य चरम तापमान, जनजागरूकता कार्यक्रमों की कमी और अपर्याप्त दीर्घकालिक शमन उपायों के कारण स्थिति गंभीर बनती जा रही है।
  • खाद्य असुरक्षा: ग्रीष्म लहर और सूखे की घटनाओं के मेल से फसल उत्पादन का नुकसान हो रहा है और वृक्ष सूख रहे हैं।
    • गर्मी के कारण श्रम उत्पादकता की हानि से खाद्य उत्पादन में आने वाली अप्रत्याशित कमी स्वास्थ्य और खाद्य उत्पादन के जोखिमों को और गंभीर कर देगी।
      (i) ये परस्पर प्रभाव विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों खाद्य कीमतों में वृद्धि करेंगे, घरेलू आय को कम कर देंगे और कुपोषण एवं जलवायु संबंधी मौतों को बढ़ावा देंगे।
  • श्रमिकों पर प्रभाव: वर्ष 2030 में कृषि और निर्माण जैसे क्षेत्रों से संलग्न श्रमिक गंभीर रूप से प्रभावित होंगे क्योंकि भारत की एक बड़ी आबादी अपनी आजीविका के लिये इन क्षेत्रों पर निर्भर है।
  • कमज़ोर वर्गों पर विशेष प्रभाव: जलवायु विज्ञान समुदाय ने वृहत साक्ष्यों के साथ दावा किया है कि ग्रीनहाउस गैसों और एरोसोल के उत्सर्जन में वैश्विक स्तर पर उल्लेखनीय कटौती नहीं की जाएगी तो ग्रीष्म लहर जैसी चरम घटनाओं के भविष्य में और अधिक तीव्र, आवर्ती और दीर्घावधिक होने की ही संभावना है।
  • यह याद रखना महत्त्वपूर्ण है कि भारत में ग्रीष्म लहर की घटनाओं (जैसी स्थिति अभी है) में हज़ारों कमज़ोर और गरीब लोगों को प्रभावित करने की क्षमता है, जबकि जलवायु संकट में उन्होंने सबसे कम योगदान किया है।

ग्रीष्म लहरों के प्रभावों को कम करने के लिये भारत को कौन-सी दीर्घकालिक रणनीतियाँ अपनाने की आवश्यकता है?

  • ‘हीटवेव एक्शन प्लान’: ग्रीष्म लहरों के प्रतिकूल प्रभाव से संकेत मिलता है कि ‘हीटवेव ज़ोन’ में ग्रीष्म लहरों के प्रभाव को कम करने हेतु प्रभावी आपदा अनुकूलन रणनीतियों और अधिक सुदृढ़ आपदा प्रबंधन नीतियों की आवश्यकता है।
    • चूँकि ग्रीष्म लहरों के कारण होने वाली मौतों को रोका जा सकता है, इसलिये सरकार को मानव जीवन, पशुधन और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिये दीर्घकालिक कार्ययोजना तैयार करने को प्राथमिकता देनी चाहिये।
    • समय की आवश्यकता है कि ‘आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिये सेंडाई फ्रेमवर्क 2015-30’ (Sendai Framework for Disaster Risk Reduction 2015-30) का प्रभावी कार्यान्वयन किया जाए जिसमें राज्य प्रमुख भूमिका निभाए और अन्य हितधारकों के साथ ज़िम्मेदारी साझा करे।
  • सार्वजनिक जागरूकता और पूर्व-चेतावनी प्रणाली: प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक एवं सोशल मीडिया के माध्यम से जन जागरूकता के प्रसार, ग्रीष्मकाल के दौरान ‘हीट-प्रूफ’ आश्रय सुविधाएँ उपलब्ध कराने, सार्वजनिक पेयजल तक आसान पहुँच सुनिश्चित करने और शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक वनीकरण से ग्रीष्म लहर से होने वाली मौतों को कम करने में मदद मिलेगी।
    • बेहतर पूर्व-चेतावनी प्रणाली की स्थापना के साथ ग्रीष्म लहरों से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है. यह प्रणाली ग्रीष्म लहर संबंधी खतरों की सूचना देने, विभिन्न निवारक उपायों की सिफारिश करने और आपदा प्रभावों को कम करने की दिशा में उल्लेखनीय योगदान कर सकती है।
  • जलवायु कार्य योजनाओं को लागू करना: समावेशी विकास और पारिस्थितिक संवहनीयता के लिये राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC) को सच्ची भावना से लागू किया जाना चाहिये ।
    • प्रकृति-आधारित समाधानों को न केवल जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये अपनाया जाना चाहिये, बल्कि इसे इस तरह से अपनाया जाए जो नैतिक हो और अंतर-पीढ़ी न्याय को बढ़ावा देता हो।
  • डार्क रूफ्स’ को प्रतिस्थापित करना: ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरों के अत्यधिक गर्म होने का एक बड़ा कारण यह भी है कि वे गहरे रंग की छतों, सड़कों और पार्किंग स्थलों से ढके हुए हैं जो गर्मी को अवशोषित करते हैं और उन्हें देर तक बनाए रखते हैं।
    • दीर्घकालिक समाधानों में से एक यह होगा कि गहरे रंग की इन सतहों को हल्के रंग के और अधिक हल्का और परावर्तक सामग्री से प्रतिस्थापित किया जाए; यह अपेक्षाकृत शीतल वातावरण का निर्माण करेगा।
  • जलवायु-प्रत्यास्थी फसलें: जोखिमों के संबंध में एक गतिशील समझ की आवश्यकता है ताकि यह मूल्यांकन किया जा सके कि हमने अब तक जिन फसलों पर भरोसा किया है, क्या वे भविष्य में भी खाद्य और पोषण सुरक्षा प्रदान कर सकने में सक्षम होंगी।
    • फसल की क्षति के विरुद्ध बीमा के प्रावधान की आवश्यकता है और मिश्रित फसल को बढ़ावा देना होगा।
The document The Hindi Editorial Analysis - 23rd July 2022 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC is a part of the UPSC Course Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly.
All you need of UPSC at this link: UPSC
2305 docs|814 tests

Top Courses for UPSC

Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

pdf

,

The Hindi Editorial Analysis - 23rd July 2022 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

The Hindi Editorial Analysis - 23rd July 2022 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

MCQs

,

study material

,

Important questions

,

Summary

,

shortcuts and tricks

,

Sample Paper

,

video lectures

,

mock tests for examination

,

past year papers

,

practice quizzes

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

Viva Questions

,

ppt

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

Extra Questions

,

The Hindi Editorial Analysis - 23rd July 2022 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

Free

,

Exam

,

Semester Notes

,

Objective type Questions

;