UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly  >  Moral Integrity (नैतिकता अखंडता): October 2022 UPSC Current Affairs

Moral Integrity (नैतिकता अखंडता): October 2022 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly PDF Download

गीता: निस्वार्थ जीवन जीने एवं मरने की कला

चर्चा में क्यों?
जीवन और मृत्यु दोनों ही सिद्धांतों में गांधीजी की अटूट आस्था भगवद्गीता के प्रति उनके प्रेम से आकार ग्रहण करती है और हम सभी के अनुसरण हेतु एक आदर्श उदाहरण है।

महात्मा गांधी:

  • मोहनदास करमचंद गांधी (2 अक्तूबर, 1869 - 30 जनवरी, 1948), जिन्हें 'राष्ट्रपिता' के रूप में याद किया जाता है, ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रणी नेता थे।
  • उन्हें महात्मा (महान-आत्मा) गांधी की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
  • उनका जीवन गरीबी उन्मूलन, महिलाओं के अधिकारों और अस्पृश्यता की प्रथा के उन्मूलन जैसे कई अन्य महान कार्यों के लिये समर्पित रहा।
  • वह अहिंसा दर्शन के अग्रदूत थे जिसने दुनिया भर में नागरिक अधिकार का नेतृत्त्व करने वालों को प्रेरित किया।
  • उनके जन्मदिन, 2 अक्तूबर को भारत में गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है और अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में सम्मानित किया जाता है।

गांधी के जीवन में भगवद्गीता का महत्त्व:

  • नि:स्वार्थ कर्म का उपदेश:
    • गांधी के अनुसार, गीता हमें बताती है कि अनुशीलन करने योग्य केवल एक ही इच्छा है और वह यह है कि हम महसूस करें कि हम आत्मा (या स्वयं) हैं तथा शाश्वत आनंद प्राप्त करने हेतु उनके (ईश्वर) (अर्थात, उनके सर्वोच्च गुणों के अधिकारी) जैसा बनने की इच्छा रखें। न कि भौतिक वस्तुओं जैसे नाम, धन, दुनियादारी आदि के पीछे भागते रहें।
    • यह आत्म-अनुभूति की प्रक्रिया है, जिसमें यह समझना आवश्यक है कि हम आत्मा हैं (शरीर और मन नहीं) एवं अपने कर्म के कारण जीवन-मृत्यु के अंतहीन चक्र में फँस गए हैं।
    • कर्म का सीधा सा मतलब है कि किसी भी विचार, भाषण या दूसरों पर किये गए कार्यों का हमारे जीवन में एक समान परिणाम होगा।
  • कर्म की भूमिका:
    • गीता स्वीकार करती है कि दुनिया के निरंतर गतिशील रहने के लिये कर्म (चाहे मानसिक या शारीरिक) करने की आवश्यकता होती है।
    • गीता के अनुसार, "फल की इच्छा किये बिना कर्म करते रहो।"
    • कर्मों के फल का त्याग गीता का केंद्रीय संदेश है।
    • त्याग का अर्थ परिणामों के प्रति उदासीनता नहीं है बल्कि त्यागी वह है जो अपने कर्तव्य को हर्ष और संपूर्णता के साथ करता है तथा कर्म के फल की इच्छा रहित रहता है।
  • सत्य और अहिंसा:
    • गांधी का मानना था कि जब कोई जीवन में गीता की शिक्षा का पालन करता है, तो वह अहिंसा और सत्य का पालन करने के लिये बाध्य होता है।
    • गांधी जी के अनुसार, अहिंसा को सभी प्राणियों के विचारों, शब्दों और कार्यों को कोई नुकसान नहीं पहुँचाने वाली अवस्था के रूप में वर्णित किया गया है।
    • यह न केवल हिंसक कार्रवाई करने से बचाता है, बल्कि जीवन जीने का एक तरीका भी है।
    • चूँकि यह सभी जीवित जीवों तक व्याप्त है, इसमें शाकाहारी भोजन, स्थायी जीवन शैली और पर्यावरण की सुरक्षा शामिल है।
    • क्योंकि जब फल की इच्छा नहीं होगी, तो जीवं में असत्य या हिंसा का कोई स्थान नहीं होगा।
    • किसी भी असत्य या हिंसा का कारण अहंकार से भरी हुई इच्छा की पूर्ति में निहित होता है। उदाहरण के लिये हत्या, चोरी आदि पाप बिना आसक्ति के नहीं किये जा सकते।
  • मानवजाति की सेवा के माध्यम से परमेश्वर की सेवा:
    • गीता में संदेश है कि मानव जाति को एक-दूसरे की सेवा भगवान की सेवा के रूप में करनी चाहिये और गांधी ने इस संदेश का दृढ़ता से पालन किया।
    • उन्होंने बताया है कि कैसे आत्मा की स्वाभाविक प्रगति निःस्वार्थता और पवित्रता की ओर ले जाती है।
    • यही कारण है कि भारत के लोगों के जीवन की स्वतंत्रता और बेहतरी के लिये वह अपना पूरा जीवन सहजता से समर्पित करने में सक्षम रहे।
    • उनका मानना था कि अंतिम क्षणों में हम जैसा सोचते हैं वैसा ही बनते हैं और ऐसा करके व्यक्ति अगले जन्म में भगवान (या पूज्य गुरुओं) के गुणों एवं प्रकृति को प्राप्त कर सकता है।
    • लेकिन मरने के क्षण में ऐसा होने के लिये, व्यक्ति को आसक्ति और द्वेष से मुक्त जीवन जीना होगा और इसके लिये उसके दिल में सभी के लिये प्यार एवं क्षमा का भाव होना चाहिये। एक बार जब हम इन कौशलों में महारत हासिल कर लेते हैं, तो हमें जो शांति मिलती है उसे साधना में लगाना चाहिये।

जन अधिकार बनाम पशु कल्याण

चर्चा में क्यों?
आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि लोगों की सुरक्षा और जानवरों के अधिकारों के बीच संतुलन बनाए रखना होगा।

  • न्यायालय ने यह भी सुझाव दिया कि जो लोग आवारा कुत्तों को खाना खिलाते हैं, उन्हें टीकाकरण के लिये ज़िम्मेदार बनाया जा सकता है साथ ही अगर किसी पर जानवर हमला करता है तो उसे मुआवज़ा वहन करना चाहिये।

जन अधिकार और पशु कल्याण के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता:

  • मौलिक मुद्दे को संबोधित करने हेतु:
    • यह मुद्दा सामान्य रूप से मनुष्यों के प्रभुत्व वाले क्षेत्र के भीतर और विशेष रूप से भारत के संविधान के ढाँचे के तहत जंगली ज़ानवरों के अधिकारों के संबंध में मौलिक मुद्दा उठाता है।
  • हिंदू ग्रंथों में मान्यता:
    • प्राचीन हिंदू ग्रंथों में ज़ानवरों, पक्षियों और प्रत्येक जीवित प्राणी के अधिकारों को मान्यता दी गई है तथा प्रत्येक जीवित प्राणी को मनुष्य के समान एक ही दैवीय शक्ति से उत्पन्न माना गया है, इस प्रकार उन्हें उचित सम्मान, प्रेम और स्नेह के योग्य माना जाता है।
    • भारत की संस्कृति सभी जीवों के प्रति सहिष्णुता और सम्मान को बढ़ावा देती है। हिंदू धर्म में गाय को पवित्र पशु माना गया है।
  • पशुओं को दंडित करना गलत:
    • प्राचीन काल में कुछ सभ्यताओं में पशुओं को उनके द्वारा की गई गलतियों के लिये दंडित किया जाता था लेकिन समय के साथ नैतिकता से संबंधित तर्क विकसित हुए और यह महसूस किया गया कि पशुओं को दंडित करना गलत था, क्योंकि उनके पास सही या गलत में अंतर करने की तर्कसंगतता नहीं होती, इस प्रकार सज़ा देने का कोई फायदा नहीं होगा।
    • इस संबंध में कानून विकसित हुए और यह माना गया कि पशुओं (अवयस्कों एवं विकृत दिमाग के व्यक्तियों की तरह) के भी अपने हित होते हैं जिन्हें कानून द्वारा संरक्षित करने की आवश्यकता थी यद्यपि इसके लिये किसी भी प्रकार के कर्तव्यों तथा उत्तरदायित्वों की बाध्यता नहीं थी।
    • वर्तमान कानूनी व्यवस्था पालतू जानवरों के कारण हुए किसी भी नुकसान को उनके मालिकों की लापरवाही मानकर दंडित करती है।

संबंधित निर्णय

  • भारतीय पशु कल्याण बोर्ड बनाम नागराज (2014):
    • इस मामले में भारतीय राज्यों तमिलनाडु और महाराष्ट्र में क्रमशः जल्लीकट्टू (बैल-कुश्ती) और बैलगाड़ी दौड़ की प्रथा को समाप्त करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित गरिमा तथा निष्पक्ष व्यवहार के अधिकार के तहत केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि पशु भी शामिल हैं।
  • अन्य निर्णय:
    • जुलाई 2018 में उत्तराखंड उच्च न्यायालय और जून 2019 में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राजीव शर्मा ने कहा कि जानवरों के पास एक जीवित व्यक्ति के संबंधित अधिकारों, कर्तव्यों और देनदारियों के साथ एक अलग कानूनी इकाई है और जिसने बाद में सभी नागरिकों को लोको पेरेंटिस व्यक्तियों के रूप में जानवरों के कल्याण/संरक्षण के लिये प्रेरित किया।
    • उत्तराखंड और हरियाणा के सभी नागरिकों को उनके संबंधित राज्यों के भीतर जानवरों के कल्याण और संरक्षण के लिये माता-पिता के समान कानूनी ज़िम्मेदारियाँ और कार्य करने के लिये प्रेरित किया गया था।

पशु अधिकारों के लिये संवैधानिक संरक्षण क्या है?

  • भारतीय संविधान के अनुसार, देश के प्राकृतिक संसाधनों, जैसे कि जंगलों, झीलों, नदियों और जानवरों की देखभाल और संरक्षण करना सभी की ज़िम्मेदारी है।
  • हालाँकि इनमें से कई प्रावधान राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों (DPSP) और मौलिक कर्तव्यों के तहत आते हैं, जिन्हें तब तक लागू नहीं किया जा सकता जब तक कि वैधानिक समर्थन न हो।
  • अनुच्छेद 48 ए में कहा गया है कि राज्य पर्यावरण की रक्षा और इसमें सुधार करने तथा देश के वनों एवं वन्यजीवों की रक्षा करने का प्रयास करेगा।
    • अनुच्छेद 51ए (जी) में कहा गया है कि भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि "जंगलों, झीलों, नदियों और वन्यजीवों सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा व उसमे सुधार करे तथा जीवित प्राणियों के प्रति दया करे।"
    • राज्य और समवर्ती सूची को भी निम्नलिखित पशु अधिकार संबंधी विषय प्रदान किया गया है:
    • राज्य सूची विषय 14 के अनुसार, राज्यों को "संरक्षण, रखरखाव और पशुधन में सुधार एवं पशु रोगों को रोकने तथा पशु चिकित्सा प्रशिक्षण व अभ्यास को लागू करने" का अधिकार दिया गया है।
  • समवर्ती सूची में शामिल वे कानून जिसे केंद्र और राज्य दोनों पारित कर सकते हैं:
  • "पशु क्रूरता की रोकथाम", जिसका उल्लेख विषय 17 में किया गया है।
  • "जंगली पशुओं और पक्षियों का संरक्षण" जिसका उल्लेख विषय 17बी के रूप में किया गया है।

भारत में जानवरों के संरक्षण के लिये महत्त्वपूर्ण कानून

  • भारतीय दंड संहिता (IPC):
    • भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 भारत की आधिकारिक आपराधिक संहिता है जो आपराधिक कानून के सभी मूल पहलुओं को शामिल करती है।
    • IPC की धारा 428 और 429 क्रूरता के सभी कृत्यों जैसे कि जानवरों की हत्या, जहर देना, अपंग करने या जानवरों को अनुपयोगी बनाने के लिये सजा का प्रावधान करती है।
  • पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960
    • इस अधिनियम का उद्देश्य ‘जानवरों को अनावश्यक दर्द पहुँचाने या पीड़ा देने से रोकना’ है, जिसके लिये अधिनियम में जानवरों के प्रति अनावश्यक क्रूरता और पीड़ा पहुँचाने के लिये दंड का प्रावधान किया गया है।
    • इस अधिनियम में पशु को मनुष्य के अलावा किसी भी जीवित प्राणी के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972
    • इस अधिनियम का उद्देश्य पर्यावरण और पारिस्थितिकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये देश में सभी पौधों एवं जानवरों की प्रजातियों की रक्षा करना है।
    • यह अधिनियम वन्यजीव अभयारण्यों, राष्ट्रीय उद्यानों और चिड़ियाघरों की स्थापना का प्रावधान करते हुए लुप्तप्राय जानवरों के शिकार पर रोक लगाता है।

आगे की राह

  • हमारे विधायी प्रावधान और न्यायिक घोषणाएँ पशु अधिकारों के प्रभावी होने के लिये आवश्यक हैं, लेकिन कोई भी अधिकार पूर्ण नहीं हो सकता है। मानव अधिकारों की तरह, पशु अधिकारों का विनियमन किया जाना आवश्यक है।
  • इंसानों की सुरक्षा से समझौता किये बिना जानवरों के हितों की रक्षा हेतु संतुलन बनाना समय की मांग है। पशुओं का शोषण बंद होना चाहिये।
  • मनुष्यों को अन्य प्रजातियों को संरक्षण देने के लिये अपने कृपालु दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता है।
  • मानव जाति की केवल बौद्धिक श्रेष्ठता को किसी अन्य प्रजाति के जीवित अधिकारों को खत्म करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के असंतुलन को रोकने के लिये सभी जीवों का सह-अस्तित्व नितांत आवश्यक है।
The document Moral Integrity (नैतिकता अखंडता): October 2022 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly is a part of the UPSC Course Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly.
All you need of UPSC at this link: UPSC
2305 docs|814 tests

Top Courses for UPSC

Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Free

,

Moral Integrity (नैतिकता अखंडता): October 2022 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily

,

pdf

,

Extra Questions

,

Important questions

,

Exam

,

Weekly & Monthly

,

Moral Integrity (नैतिकता अखंडता): October 2022 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily

,

Sample Paper

,

Viva Questions

,

ppt

,

Moral Integrity (नैतिकता अखंडता): October 2022 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily

,

shortcuts and tricks

,

Objective type Questions

,

mock tests for examination

,

Weekly & Monthly

,

Semester Notes

,

Weekly & Monthly

,

Previous Year Questions with Solutions

,

study material

,

MCQs

,

practice quizzes

,

video lectures

,

Summary

,

past year papers

;