इंटरनेट: एक परिचय | विज्ञान और प्रौद्योगिकी (Science & Technology) for UPSC CSE PDF Download

इंटरनेट को समझने से पूर्व इंटरनेट से संबंधित मूल अवधारणाओं अथवा तकनीकों को समझना आवश्यक है-

नेटवर्किंग (Networking)

यदि किसी कम्प्यूटर को अन्य कम्प्यूटरों के साथ जोड़ दिया जाए, तो इस प्रक्रिया को नेटवर्किंग कहते हैं। नेटवर्क बननने की | स्थिति में विभिन्न कम्प्यूटर आपस में अपने डाटा का आदान-प्रदान कर सकते हैं। नेटवर्किंग दो प्रकार की होती है-

  • LAN (Local Area Network): इसमें प्राय: एक ही स्थान पर मौजूद कुछ कम्प्यूटरों को जोड़ा जाता है। इन्हें जोड़ने के लिए आमतौर पर केबल का प्रयोग किया जाता है। इसमें एक कम्प्यूटर केन्द्रीय भूमिका निभाता है जिसे सर्वर (Server) कहते हैं। तथा शेष कम्प्यूटर उसके माध्यम से आपस में जुड़ते हैं और यब सब क्लायंट (Client) कहलाते हैं। LAN की तकनीक पर ही इंट्रानेट की व्यवस्था की जाती है ।
  • WAN (Wide Area Network): इसमें काफी दूरी पर स्थित कम्प्यूटरों के बीच नेटवर्क की स्थापना की जाती है। दूरी पर स्थित कम्प्यूटरों को जोड़ने के लिए तथा सैटेलाइट आदि का प्रयोग करना पड़ता है। कभी-कभी WAN के माध्यम से दो या अधिक LAN को भी जोड़ दिया जाता है। इंटरनेट एक प्रकार का WAN है, जो दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क माना जाता है। इसके अतिरिक्त रेलवे आरक्षण आदि में भी जिस नेटवर्क का प्रयोग किया जाता है वह WAN के अंतर्गत ही आता है।

डोमेन नेम सिस्टम (DNS)

  • इंटरनेट के माध्यम से आपस में एक-दूसरे कम्प्यूटर की पहचान करने के लिए कम्प्यूटर डोमेन नेम सिस्टम का प्रयोग करते हैं। प्रत्येक कम्प्यूटर से जुड़ने के लिए एक अतिविशिष्ट सांख्यिकीय लेबल अथवा एक आईपी एड्रेस (Internet Protocol Adderss) की आवश्यकता होती है। इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस (आईपी एड्रेस) वैश्विक डाटाबेस में संचित स्मरणीय लेबल्स यानी डोमेन नेम से | मेल खाता है।

इंटरनेट प्रोटोकॉल (Internet Protocol)

य्कम्प्यूटर प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर के रूप में निर्मित मार्गदर्शक प्रणाली, जिसके अंतर्गत इंटरनेट की मदद से सूचनाओं का संप्रेषण किया जाता है, प्रोटोकॉल कहलाता है । ये कई प्रकार के होते हैं-

  • हाईपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल (Hypertext Transfer Protocol or http): यह एचटीएमएल में तैयार किया गया सॉफ्टवेयर है, जिसके द्वारा संपर्क स्थापित करने में व्यापक सहायता मिलती है। टेक्स्ट तथा ग्राफिक्स दोनों में ही संप्रेषण इसके माध्यम से आसानी से किया जा सकता है।
  • ट्रांसमिशन कंट्रोल अथवा इंटरनेट प्रोटोकॉल (Transmission Control Protocol or Internet Protocol - TCS/IP): सूचना सम्प्रेषण का कार्य ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल की सहायता से किया जाता है, जबकि सूचनाओं को दिशा देने के लिए इंटरनेट प्रोटोकॉल की सहायता से किया जाता है। दूसरे शब्दों में ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल के माध्यम से सूचनाओं को विखण्डित कर उन्हें गंतव्य तक संप्रेषित किया जाता है, जबकि इसके लिए दिशा-निर्धारण का कार्य इंटरनेट प्रोटोकॉल द्वारा किया जाता है।
  • टेलनेट (Telnet): सूचनाओं को संप्रेषित करने के लिए टेलनेट की सहायता से दो कम्प्यूटरों को संपर्क में लाया जा सकता है। जिस कम्प्यूटर के द्वारा सूचनाओं का संप्रेषण होता है, उसे स्थानीय कम्प्यूटर तथा संप्रेषित सूचनाओं को अधिग्रहित करने वाले कम्प्यूटर को दूरस्थ कम्प्यूटर कहते हैं।
  • गॉफर (Gopher): दूरस्थ भागों में इंटरनेट की मदद से सूचनाओं को प्राप्त करने में इस प्रोटोकॉल का उपयोग किया जाता है।

इंटीग्रेटेड सर्विसेज डिजीटल नेटवर्क (ISDN)

  • इसके माध्यम से सामान्य टेलीफोन नेटवर्क पर 128 केबीपीएस की गति पर डिजीटल सूचना को प्रेषित किया जा सकता है। इसके अंतर्गत एक ही साथ वीडियो, आवाज एवं डाटा इत्यादि का प्रसारण संभव होता है। हमारे देश में विदेश संचार निगम लिमिटेड (VSNL) तथा महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड आईएसडीएन सुविधा उपलब्ध करवाते हैं।

इंटरनेट (Internet )

  • वर्ष 1969 में अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन अवस्थित एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी (ARPA) की संकल्पना के साथ ही इंटरनेट का उदभव एवं विकास हुआ। अमेरिका के रक्षा वैज्ञानिक उस समय इस तरह की कमाण्ड कंट्रोल संरचना का विकास करना चाह रहे थे, जिस पर सोवियत संघ के परमाणु हमलों का कोई प्रभाव न पड़े और इसी दृष्टिकोण से उन्होंने हमले की | स्थिति में अमेरिका के समस्त सूचना संसाधनों के संरक्षण के उद्देश्य से विकेन्द्रित सत्ता वाला एक नेटवर्क बनाया, जिसके अंतर्गत सभी कम्प्यूटरों को एक समान दर्जा दिया गया था। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अपनी इंटर-नैटिंग परियोजना के तहत नेटवर्क से जुड़े सभी |
  • कम्प्यूटरों द्वारा बहुसंयोजित पैकेट संजालों से साफ-सुथरे ढंग से सूचना प्राप्त करने के उद्देश्य से ही अमेरिकी की रक्षा उन्नत अनुसंधान परियोजना एजेंसी (DARPA) द्वारा विभिन्न प्रकार के अंतर संपर्क पैकेट संजालों के लिए कार्य प्रक्रियाओं एवं प्रौद्योगिकियों के लिए शोध कार्यक्रम की शुरुात की। आगे चलकर यही नेटवर्क वर्ल्ड वाइड वेब के माध्यम से अपने वर्तमान रूप में सामने आया। समय के साथ जैसे-जैसे इंटरनेट के क्षेत्र में तकनीकी विकास हुआ, नए-नए सॉफ्टवेयर, सर्च इंजन तथा वेब ब्राउजर का आगमन होता गया। मोजाइक, नेटस्केप तथा माइक्रोसॉफ्ट का इंटरनेट एक्सप्लोरर वेब ब्राउजर के कुछ उदाहरण हैं। ओपेरा, एप्पल का सफारी, मोजिला फायरफॉक्स तथा गूगल क्रोम कुछ अन्य वेब ब्राउजर हैं।
  • इंटरनेट का सक्रिय सदस्य बनने के लिए (Internet Protocol Account) की आवश्यकता होती है और इसके लिए कम | से कम 8 मेगाबाइट की रैम चाहिए। (वर्तमान में पीसी व लेपटॉप में सामान्यतः 1GB (1024 MB) रैम होती है। इंडटरनेट के माध्यम से उपलब्ध होने वाली सुविधाएँ निम्नलिखित हैं-
    • www (वर्ल्ड वाइड वेब): यह साइबर स्पेस में उपलब्ध सूचना अपने कम्प्यूटर पर प्राप्त कर सकता है। इसके लिए उसे Cress Indexing की जरूरत होती है, जो मोजाइक जैसे सॉफ्टवेयर से हो पाती है।
    • वेबसाइट (Website): यह साइबर स्पेस में उपलब्ध वह स्थान है, जिस कोई व्यक्ति या संस्था प्रयोग में लाता है तथा जिसके माध्यम से अपने संबंध में वांछित सूचनाएं इंटरनेट पर उपलब्ध कराता है। जो सूचना वेबसाइट पर दी जाती है, वह सूचना इंटरनेट पर जुड़े प्रत्येक कम्प्यूटर की पहुंच में होती है।
    • ई-मेल (E-mail) : ई-मेल इलेक्ट्रॉनिक्स मेल का संक्षिप्त रूप है। यह एक ऐसी डाक है, जो इंटरनेट के माध्यम से जुड़े कम्प्यूटरों के बीच हस्तांतरित की जाती है। कम्प्यूटर के डिजीटल संदेश को मोडेम एनॉलाग संकेत में बदलकर टेलीफोन लाइन के माध्यम से संग्रहाक कम्प्यूटर तक पहुँचाता है और उस कम्प्यूटर से जुड़ा मोडेम पुनः उसे डिजीटल रूप देकर स्क्रीन पर उपलब्ध कराता है। यदि वह कम्प्यूटर प्रयोग में न आ रहा हो, तो यह डाक उसके निजी खाते में एकत्रित हो जाती है, जिसे सुविधानुसार कभी भी प्राप्त किया जा सकता है।
    • टेलीटेक्स्ट: इसकी तुलना एक ऐसी इलेक्ट्रॉनिक्स पत्रिका से की जाती है, जिसमें पर्दे पर पहले सूचनाओं की क्रम सूची आती है, जिसे देखकर यह पता लग जाता है कि किस विषय से संबंधित सूचना किस पृष्ठ पर है। इस सुविधा के द्वारा रेलवे की समय सारणी, बाजार भाव, शेयर भाव व सर्राफा बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव, शहर में होने वाले विभिन्न समारोह, कार्यक्रमों, बैठकों, खेलकूद से संबंधित जानकारियाँ, टेलीफोन डायरेक्टरी, इंडियन एयर लाइंस और अन्य विदेशी विमानों के समय सारणी आदि प्राप्त की जा सकती है।
    • टेलनेट टेलीफोनी : यह इंटरनेट पर उपलब्ध एक ऐसी सुविधा है, जिसके द्वारा हम दुनिया के किसी भी व्यक्ति से संपर्क कर सकते हैं। संपर्क करने के क्रम में श्रव्य एवं दृश्य दोनों अनुभवों को प्राप्त किया जा सकता है। इस प्रणाली में 
    • मल्टीमीडिया का इस्तेमाल होता है। अभी इसका प्रयोग चिकित्सा अनुसंधान, उच्चस्तरीय वार्ताओं, दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम आदि के लिए हो रहा है।

वेबसाइट (Website)

  • वेबसाइट इंटरनेट पर उपलब्ध ऐसा स्थान है, जहाँ से विभिन्न वेज पेजों को देखा जा सकता है। कई वेबसाइट डाटा अपलोड, | डाउनलोड, मेलिंग सर्विस, सर्च इंजन, सोशल मीडिया जैसी सुविधाएँ प्रदान करती हैं। इन वेबसाइटों को विभिन्न वर्गों में बाँटा जाता | है। इनके क्षेत्र तथा भौगोलिक स्थानों से सम्बद्धता के आधार पर इन्हें वर्गीकृत किया जाता है। जैसे- .edu डोमेन वाली वेबसाइट शिक्षा क्षेत्र से संबंधित होती है। इसी प्रकार .com व्यावसायिक क्षेत्र के लिए .org संस्थाओं के लिए तथा .info सूचना प्रधान वेबसाइटों के लिए। भौगोलिक स्थान के आधार पर .us, .in, .uk आदि का प्रयोग किया जाता है ।
  • वेबसाइटों का एक अधिक व्यावहारिक वर्गीकरण उनके द्वारा किए जाने वाले कार्य के आधार पर किया जा सकता है। इस आधार पर बनाए गए प्रमुख वर्ग हैं- सर्च इंजन, मेलिंग सर्विस (e-mail से जुड़ी वेबसाइट), सोशल नेटवर्किंग तथा इलेक्ट्रॉनिक व्यवसाय (e-बिजनेस) से संबंधित वेबसाइट आदि।
    • सर्च इंजन : सर्च इंजन आधारित वेबसाईट इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री ढूँडने में प्रयोक्ता की सहायता करती है । प्रमुख सर्च इंजन आधारित वेबसाइट हैं - गूगल, याहू, बिंग (माइक्रोसॉफ्ट), तीनों विश्व की सर्वाधिक लोकप्रिय 15 वेबसाइटों में सम्मिलित हैं। गूगल विश्व की सर्वाधिक लोकप्रिय वेबसाइट है।
    • ई-मेल सेवा प्रदान करने वाली वेबसाइट : ई-मेल सेवा प्रदान करने वाली वेबसाइट प्रयोक्ता को अपना ई-मेल अकाउंट बनाने की तथा उस अकाउंट के द्वारा दूसरों को मेल भेजने की व उनसे मेल प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करते हैं। प्राय: सभी ई-मेल आधारित वेबसाइट अपने प्रयोक्ताओं गीगाबाइट से अधिक डाटा संग्रहित करने की सुविदा प्रदान करती हैं। ऐसी प्रमुख वेबसाइट हैं- जीमेल, याहू मेल, आउट लुक आदि। ये सभी (जीमेल, याहू मेल, आउटलुक) निःशुल्क ई-मेल सेवा प्रदान करते हैं। कुछ वेबसाइट शुल्क आधारित सेवा भी प्रदान करती हैं।
    • सोशल नेटवर्किंग साइट्स : सोशल नेटवर्किंग साइट लोगों को अपने विचार व्यक्त करने और ऑडियो, वीडियो तथा फोटो शेयर करने के लिए स्थान उपलब्ध कराती हैं। प्रायः सभी सोशबल नेटवर्किंग वेबसाइट मित्रों से जुड़ी नवीनतम जानकारियाँ (updates) उपलब्ध कराती । फेसबुक तथा गूगल प्लस सामान्य नेटवर्किंग साइट्स हैं, ट्विटर माइक्रो ब्लोगिंग से जुड़ी हुई साइट है तथा लिक्डइन जैसी वेबसाइट व्यावसायिक एवं पेशेवर व्यक्तियों के नेटवर्क से जुड़े क्षेत्रों में सक्रिय हैं।
    • व्यवसाय (e-Business) से सम्बद्ध वेबसाइट : ये वेबसाइट ऑनलाइन खरीद-बिक्री के व्यापार में संलग्न है। इससे व्यक्ति को स्वयं बाजार नहीं जाना पड़ता । ग्राहक अपनी पसंद की वस्तु का इंटरनेट पर चयन कर उसके लिए ऑनलाइन भुगतान के माध्यम से भुगतान करता है। चयनित उत्पाद उसके घर पहुँचा दिया जाता है। अमेजन, फ्लिपकार्ट, ई-बे, नापतौल ऐसी प्रमुख वेबसाइट्स हैं।

अन्य प्रमुख वेबसाइट

  • विकीपीडिया : यह ऑनलाइन विश्वकोश है। इसकी स्थापना 2001 में जिम्मी वेल्स तथा लेरी सेंगर द्वारा की गई। इस पर उपलब्ध सामग्री स्वयं सेवकों द्वारा तैयार की जाती है। इसका प्रयोग करने वाला कोई भी व्यक्त इसका संपादन कर सकता है, परन्तु इसी कारण इसकी विश्वसनीयता संदेहास्पद बनी रहती है। वर्तमान में यह विश्व का सबसे लोकप्रिय विश्वकोष है
  • पिकासा : यह एक फोटो शेयरिंग वेबसाइट है, जो पिकासा इमेज आर्गनाइजर (तस्वीर व्यवस्थापक) के साथ अंत: सम्बद्ध है। यह डिजीटल तस्वीरों के संपादन की सुविधा भी प्रदान करती है।
  • यूट्यूब : यूट्यूब विश्व की सबसे लोकप्रिय वीडियो शेयररिंग वेबसाइट है।

इंटरनेट आधारित अन्य सेवाएँ

  • इन्सटेंट मेसेंजर : इसके द्वारा इंटरनेट के प्रयोक्ता आपस में बात (text के माध्यम से) कर सकते हैं। जीटॉक, याहू मेसेंजर, स्कॉइप ऐसी सेवा प्रदान करने वाले प्रमुख सेवा प्रदाता हैं। VOIP (Vice Over IP) द्वारा ध्वनि संचार की सुविधा भी प्रदान करते हैं। ध्वनि संचार में स्काइप विशेष रूप से लोकप्रिय हैं । अब प्रायः सभी इन्सटेंट मेसेज सेवा प्रदा वीडियो चैट की सुविधा भी प्रदान करते हैं। व्हाट्सअप इन्सटेंट मेसेजिंग सुविधा मोबाइल पर प्रदान करता है।
  • फाइल शेयरिंग : फाइल शेयरिंग के माध्यम से इंटरनेट के प्रयोक्ता डाटा, ऑडियो, वीडियो आदि फाइलों का आदान- प्रदान करते हैं। प्रारंभिक फाइल शेयरिंग FTP द्वारा की जाती थी । वर्तमान में सर्वाधिक लोकप्रिय पीर-टू-पीर फाइल शेयरिंग प्रोटोकोल तथा एप्लिकेशन बिट टोरेंट है।
  • गूगल ड्राइव : गूगल ड्राइव ऑनलाइन डाटा स्टोरेज सुविधा है। यह क्लाउड कम्प्यूटिंग तकनीक का एक उदाहरण है। गूगल ड्राइव प्रयोक्ताओं को 15 GB नि: शुल्क ऑनलाइन डाटा स्टोरेज प्रदान करता है।

भारत में इंटरनेट (Internet in India)

  • भारत में इंटरनेट का प्रयोग 1995 से प्रारंभ हुआ, जिसे मुख्य रूप से VSNL की GIAS (Gateway International Access Service) के माध्यम से उपलब्ध कराया गया। वर्तमान में कई निजी संस्थाएँ भी इंटरनेट सुविधा उपलब्ध करवा रही हैं। विद्यार्थियों तथा अध्यापकों के लिए VSNL के माध्यम से एक विशेष नेटवर्क की स्थापना की गई, जिसे ERNET (Education And Research Network) कहते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ और नेटवर्क इस प्रकार हैं-
  • NICNET (National Information Centre Network) : यह नेटवर्क भारत सरकार द्वारा चलाया जाता है । इसी के माध्यम से भारत के सभी जिले एक-दूसरे से तथा केन्द्र सरकार से जोड़े गए हैं।
  • INFLIB NET (Information & Libarary Network): यह नेटवर्क U.G.C. के माध्यम से संचालित | किया जाता है। इसका उद्देश्य देश के सभी पुस्तकालयों को जोड़कर सभी महत्वपूर्ण पुस्तकों को इंटरनेट पर उपलब्ध कराना है।
  • INET (Indian Network): व्यावसायिक कार्यों के लिए।
  • SIR NET (साइंटिफिक एण्ड इण्डस्ट्रीज रिसर्च नेटवर्क) : वैज्ञानिक एवं औद्योगिक शोधों से संबंधित सूचनाओं एवं कार्यों के लिए।

इंटरनेट का उपयोग (Applications of Internet)

  • संचार माध्यमों के तौर पर इंटरनेट ई-मेल की सुविधा उपलब्ध कराता है, जो पारम्परिक डाक सेवा से न केवल सस्ती होती है, | बल्कि इसमें उपभोक्ता दुनिया के किसी भी स्थान पर कभी भी अपनी डाक अपने ई-मेल अकाउंट में लॉग इन करके पढ़ सकता है। 

सूचनाओं का अत्यधिक विस्तार

  • इंटरनेट का दूसरा लाभ है कि वर्ल्ड वाइड वेब के माध्यम से दुनिया में उपलब्ध कोई भी जानकारी किसी भी समय ली जा सकती | है। ई-मेल के साथ-साथ इंटरनेट में अंतरक्रियात्मक संचार की सुविधा उपलब्ध है। एक ही समय में दुनिया के दो अलग-अलग स्थानों पर लिखित या मौखिक रूप से चैटिंग की जा सकती है, जिसका अर्थ है आमने-सामने बात करना । शिक्षा के क्षेत्र में यह इतना अधिक | महत्वपूर्ण हो सकता है कि कम्प्यूटर के माध्यम से ही सारी शिक्षा दी जा सकती है। व्यावसायिक क्षेत्र में इंटरनेट का उपयोग कई तरीकों | से किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त फेसबुक तथा ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों के चलते पूरी दुनिया एक वैश्विक ग्राम (Global Village) में बदलती दिख रही है।

ई - कॉमर्स (e-commerce)

  • वस्तुओं एवं सेवाओं की वेब संग्रहों के माध्यम से खरीद और बिक्री करना ही ई-कॉमर्स अथवा इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स कहलाता है। इलेक्ट्रॉनिक दुकानदारों की एक छोटी-सी अवधारणा से शुरू होकर ई-कॉमर्स ने विकसित होती हुई व्यापार एवं बाजार व्यवस्था के सभी पहलुओं को अपने अंतर्गत समेट लिया है। बिक्री किए जाने वाले उत्पादों में कार जैसी भौतिक वस्तुओं से कर यात्राओं की व्यवस्था, | लाइन पर ही चिकित्सा परामर्श तथा दूरस्थ शिक्षा के साथ-साथ अंकीय उत्पाद जैसे- समाचार, श्रव्य और दृश्य डाटाबेस, सॉफ्टवेयर | तथा सभी प्रकार की ज्ञान आधारित वस्तुएँ अब ई-कॉमर्स के अंतर्गत आती हैं। वस्तुतः ई-कॉमर्स वर्तमान तौर-तरीकों का विस्तार करने | के बाजार कारोबारी उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए कम्प्यूटर चालित कारोबारी उपकरणों तथा सूचना प्रौद्योगिकी का सुचारू उपयोग है।
  • वर्तमान में विभिन्न प्रकार की इलेक्ट्रॉनिक सेवाएं जैसे कि ई-बैंकिंग, ई-शॉपिंग या फिर नौकरी के लिए ई-सेवा आदि सभी कुछ ई-कॉमर्स के अंतर्गत ही आते हैं, जिन्हें घर बैठे या फिर ऑफिस से ही इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से संपन्न किया जा सकता है।

ई-कॉमर्स के विकास में चुनौतियाँ (Challenges in th development of e-commerce)
आम नागरिकों तक ई-कॉमर्स की सुविधा पहुँचाने में कुछ चुनौतियाँ विद्यमान हैं, जो इस प्रकार हैं

  • देशभर में इंटरनेट के लिए आधारभूत अवसंरचना का अभाव।
  • देशभर में बड़े स्तर पर व्याप्त निरक्षरता ।
  • पूरे देश को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ना।
  • भुगतान की समस्या, देशभर में प्लास्टिक कार्ड ( क्रेडिट कार्ड) का बहुत कम प्रयोग होना।
  • इंटरनेट के द्वारा कारोबार को विनियमित करने के लिए साइबर कानून का अभाव ।

ई-कॉमर्स के प्रकार (Type of e-commerce)

  • सी टू बी (कंज्यूमर टू बिजनेस): सी टू बी प्रकार का ई-कॉमर्स वस्तुतः टेली शॉपिंग या मेल आर्डर तथा टेलीफोन आर्डर का ही विस्तार है। इस तरह के ई-कॉमर्स में व्यापारिक गतिविधियाँ इंटरनेट के माध्यम से विक्रेता एवं उपभोक्ता के बीच सीधे तौर पर चलती हैं। उत्पादक कंपनियाँ ई-कॉमर्स वेबसाइटों के माध्यम से इंटरनेट पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराती हैं। उपभोक्ता इन वेबेसाइटों पर जाकर उत्पादों एवं सेवाओं की खरीददारी करते हैं। वर्तमान में अनेक इलेक्ट्रॉनिक मॉल एवं वर्चुअल स्टोर इंटरनेट पर इस तरह की ई-कॉमर्स सेवाएँ मुहैया करा रहे हैं। इस तरह के ई-कॉमर्स के ई-कैश एवं क्रेडिट कार्ड भुगतान के प्रमुख माध्यम हैं।
  • बी टू बी (बिजनेस टू बिजनेस): यह ई-कॉमर्स का अत्यधिक प्रचलित तरीका है। यह व्यापार की विभिन्न गतिविधियों को सुचारू ढंग से तथा तीव्र गति से निष्पादित करने के लिए उचित वातावरण तैयार करने में मदद करने के साथ-साथ व्य में कटौती करने में भी मददगार है। सिक्योर्ड इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन, वर्चुअल प्रायवेट नेटवर्क, फायरवॉल आदि तकनीकों के माध्यम से इंटरनेट पर सुरक्षित रूप से व्यापारिक कारोबार किया जा रहा है।
  • आंतरिक खरीद या इंटरनल प्रोक्योरमेंट: बहुराष्ट्रीय एवं बड़ी तथा अत्यधिक भौगोलिक विस्तार वाली कंपनियों को आंतरिक खरीद-बिक्री विभिन्न अनुषंगी संस्थानों के बीच होती है, जो आंतरिक खरीद की श्रेणी के ई-कॉमर्स के अंतर्गत आती है। इंटरनेट पर होने वाली बिक्री आर्डर की प्रोसेसिंग, बिलिंग, धन का लेन-देन तथा अन्य संबंधित कारोबार कंपनियाँ अपने खर्चों में कटौती हेतु करती हैं।
  • विदेशी निर्यात को प्रोत्साहन
    भारत के उत्पादों का भारत सरकार ने विदेशी बाजार में विक्रय हेतु विदेश व्यापार संवर्धन विभाग के माध्यम से इंटरनेट पर न | केवल विज्ञापित, बल्कि विदेशी कंपनियों से सम्बन्ध स्थापित करने के प्रयास भी किए। इस प्रकार इंटरनेट विदेशी मुद्रा कमाने का भी अच्छा माध्यम हो सकता है।
    • इंटरनेट के माध्यम से पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा दिया जा सकता है।

इंटरनेट की संभावित हानियाँ ( Possible Disadvantages of Internet)

  • इंटरनेट के माध्यम से सूचनाओं का आदान-प्रदान बिना किसी रोक-टोक के होता है और इसका दुरुपयोग आपराधिक प्रकृति के लोग करते हैं। विशेष रूप से तस्करी जैसे अपराधों में सूचना का विशेष महत्व होता है। अटलांटा ओलिम्पिक में जो बम विस्फोट हुआ था, उसके अभियुक्त ने स्वीकार किया था कि बम बनाने की विधि उसने इंटरनेट से सीखी। अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की घटनाएँ भी इंटरनेट के कारण काफी आसान होने लगी हैं।
  • अश्लील उद्देश्यों के लिए भी इंटरनेट का उपयोग किया जाता है और विशेष रूप से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए यह एक बड़ा खतरा है। इस संबंध में अलग-अलग देशों ने कुछ नियम बनाए हैं, किन्तु वे नियम न तो विश्व में माने जाते हैं और न ही विशेष प्रभावशाली हैं।

साइबर अपराध (Cyber Crimes)

  • कम्प्यूटर और इंटरनेट प्रौद्योगिकी के माध्यम से सूचना एवं संचार जगत में अप्रतिम विकास हुआ है। इनके माध्यम से जहाँ मानव | समाज के विकास को बहुआयामी पृष्ठभूमि प्राप्त हुई है, वहीं इसने विकास के नए शिखरों को भी छुआ है । यद्यपि मानव सुविधा एवं | विकास के लिए निर्मित कम्प्यूटर एवं इंटरनेट का उपयोग अनैतिक प्रकृति के कार्यों तथा विद्वेषपूर्ण उद्देश्यों के हित साधन में भी किया जाने लगा है, जैसे अश्लील सामग्री का प्रसारण, ऑनलाइन बैंकिंग सेवा प्रणाली से छेड़छाड़ करके धन निकासी का प्रयास, अराजक | तथा आतंकवादी गतिविधियों का संचालन तथा ऐसे ही अन्य कृत्य, जिन्हें संयुक्त रूप से साइबर अपराध की संज्ञा दी गई है। इस प्रकार साइबर अपराध के अंतर्गत ऐसे गैर कानूनी कार्यों को सम्मिलित किया जाता है, जिनमें कम्प्यूटर प्रणाली को हथियार के रूप में इस्तेमाल करके अन्य कम्प्यूटरों को निशाना बनाया जाता है।
  • आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के अनुसार साइबर अपराधों की श्रेणी में गैर कानूनी अनैतिक और अनाधिकृत प्रकृति के | ऐसे कार्यों को शामिल किया जाता है जिनके माध्यम से पूर्व अनुमति के बगैर आँकड़ों का संसाधन तथा प्रसारण किया जाता है।
  • साइबर अपराध व्यावहारिक तौर पर एक व्यापक अवधारणा जिसके अंतर्गत कई तरह के अवांछित एवं अनधिकृत कृत्यों को शामिल किया जाता है

उनमें से कुछ संक्षेप में इस प्रकार हैं-

  • स्पैमिंग (Spamming): इसका अर्थ है किसी व्यक्ति के E-mail Account में बिना उसकी सहमति के अवांछित ई-मेल भेजना। इससे बचने के लिए Spamnet तथा Spam Filter जैसे कुछ प्रोग्राम बनाए गए हैं। हालांकि स्पैमिंग को पूरी तरह रोकना एक जटिल कार्य है।
  • क्रैकिंग (Cracking): इसका दूसरा नाम है पासवर्ड क्रैकिंग / क्रॉसिंग। इसका अर्थ है बार-बार प्रयास करके या चुराकर | किसी व्यक्ति के ई-मेल या इंटरनेट एकाउण्ट के पासवर्ड को अपने नियंत्रण में ले लेना। इसे भी पूरी तरह समाप्त करना कठिन है। इसके लिए हाल ही में एक नई तकनीक MT Digit Fingerprint Reader का प्रयास किया गया है। यह फिंगरप्रिंट का अध्ययन करने वाला एक स्कैनर है, जो वास्तविक मालिक के अतिरिक्त किसी दूसरे व्यक्ति को एकाउण्ट में प्रवेश नहीं करने देता।
  • फिशिंग (Phishing): एक ऐसी अवांछित गतिविधि जिसके माध्यम से अपराधी प्रकृति के व्यक्ति द्वारा कम्प्यूटर इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को अत्यधिक संख्या में ई-मेल भेजकर उन्हें अपने जाल में फँसाने का प्रयास किया जाता है और इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को बहकावा देकर उनसे उनके बैंक अकाउंट, पिन नंबर तथा पासवर्ड आदि प्राप्त करने के प्रयास किए जाते हैं। यदि अपराधी अपने मकसद में कामयाब रहता है, तो वह उक्त व्यक्ति के बैंक अकाउंट से धन निकासी कर सकता है तथा उसे ब्लैकमेल भी कर सकता है।
  • साइबर स्टॉकिंग (Cyber Stalking): यह एक ऐसी गतिविधि है, जिसके द्वारा साइबर अपराधों इंटरनेट उपयोगकर्ताओं से चैटिंग के दौरान तथा किसी अन्य इंटरनेट माध्यम के द्वारा उनके नाम, पते, फोन नंबर तथा अन्य जानकारियाँ हासिल कर लेते हैं, ताकि उन्हें ब्लैकमेल किया जा सके। इसके लिए साइबर अपराधी उक्त व्यक्ति अपने जाल में फँसाकर उससे अश्लील बातें करते हैं और इन सभी बातों को रिकार्ड कर लेते हैं और उन्हें ब्लैकमेल करना शुरू कर देते हैं ।
  • साइबर पोर्नोग्राफी (Cyber Pornography): इसके अंतर्गत इंटरनेट पोनोग्राफी तथा अश्लील वेबसाइटों को शामिल किया जाता है। इसके तहत अश्लील सामग्रियों का प्रसारण जैसे- अश्लील चित्र भेजना, अश्लील साहित्य लिखना तथा डाउनलोड करना आदि शामिल है।
  • हैकिंग (Hacking): किसी कम्प्यूटर प्रणाली में जान-बूझकर अनाधिकृत प्रवेश करना हैकिंग कहलाता है। इसके अंतर्गत | हैकर द्वारा कम्प्यूटर सुरक्षा से संबंधित कमियों का पता लगाने, सूचनाओं में हेराफेरी करने अथवा उन्हें नष्ट करने के उद्देश्य से कम्प्यूटर | नेटवर्क को कम्प्यूटर सिस्टम में अनाधिकृत प्रवेश करना शामिल है।
  • सलामी हमला (Salami Techniqwes): इसके माध्यम से साइबर अपराधी द्वारा बैंकों के खाता धारकों के खाते से धन निकासी (प्राय: बहुत ही मामूली रकम के उद्देश्य से बैंक की कम्प्यूटर प्रणाली में एक ऐसे अवांछित प्रोग्राम को डाल दिया जाता है, जिससे खाताधारकों के खाते से कुछ रकम उक्त अपराधी के खाते में हस्तांतरित हो जाती है तथा खाताधारक को इसके संबंध में पता ही नहीं चल पाता है)। सलामी हमला एक प्रकार का आर्थिक अपराध है।
  • डाटा डिडलिंग (Data Diddling): यह एक ऐसी गतिविधि है, जिसके माध्यम से पहले तो डाटा को कम्प्यूटर प प्रोसेस होने से पूर्व ही परिवर्तित कर दिया जाता है और तत्पश्चात् कम्प्यूटर प्रोसेस होने के बाद डाटा 'वास्तविक रूप में परिवर्तित कर दिया जाता है।
  • ई-मेल स्पूफिंग (Email Spoofuing): इसे चकमा देना भी कहा जा सकता है, क्योंकि इसके अंतर्गत होता यह है कि किसी कम्प्यूटर उपयोगकर्ता से बदला लेने या उसे परेशान करने के उद्देश्य से किसी अन्य व्यक्ति के पते से उक्त व्यक्ति (जिसे परेशान करना है) को ई-मेल भेजा जाता है। -

    इसके अतिरिक्त ऑनलाइन गेम्बलिंग (जुआँ) जालसाजी, क्रेडिट कार्ड सूचनाओं की चोरी और सेवाएं बाधिक करना आदि को साइबर अपराधों की श्रेणी में ही शामिल किया जाता है।

साइबर अपराधों का नियंत्रण (Control of Cyber Crimes)
साइबर अपराधों के बढ़ते हुए वैविध्य तथा गहनता को देखते हुए विभिन्न उपायों का उल्लेख किया जा सकता है-

  • आई.टी. तकनीकों का उपयोग करके साइबर अपराधों की रोकथान करके राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करना सार्वजनिक सेवाओं को प्रभावी बनाना, अनधिकृत कार्यों पर रोक तथा अप्रवासन नियंत्रण आदि को संभव बनाया जा सकता है।
  • जैवमितीय तकनीक प्रणालियों का उपयोग करके पहचान को सुनिश्चित किया जा सकता है और इसके लिए फिंगरप्रिंट डिजीटल हस्ताक्षर, वर्ण, हस्तज्यामिति, रक्त संवहनी प्रतिरूप, रेटिना, डीएनए, कर्ण पहचान आदि को उपयोग में लाया जा सकता है।
  • विभिन्न देशों में लगातार बढ़ते विश्वव्यापी आतंकवाद के खतरों से निपटने के लिए बायोमेट्रिक पासपोर्ट में उपलब्ध महत्वपूर्ण सूचनाओं को एक कम्प्यूटर चिपर में उसी तरह संचित किया जाता है जैसे स्मार्ट कार्ड आदि में। इसी कारण बायोमेट्रिक पासपोर्ट को तुलनात्मक रूप से अधिक छेड़छाड़ -रोधी तथा सुरक्षित माना जाता है।

भारत में साइबर सुरक्षा के लिए किए गए उपाय

  • चूँकि भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय में सॉफ्टवेयर उद्योग क्षेत्र की एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है । अत: इस दृष्टि से साइबर सुरक्षा भारत के लिए एक व्यापक महत्व का मुद्दा है। इसी क्रम में भारत के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने साइबर सुरक्षा को शिक्षा | के प्रसार द्वारा जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से साइबर सुरक्षा शिक्षा तथा जागरूकता पर एक कार्यसमूह का गठन किया था, जिसने इस संदर्भ में निम्नलिखित महत्वपूर्ण सुझाव दिए:
    • साइबर सुरक्षा से संबंधित विषयों को सूचना प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रमों में समावेशित करना ।
    • मानव विकास से संबंधित आवश्यकताओं का आकलन करना ।
    • साइबर सुरक्षा संस्थान की स्थापना करना।
    • अनुसंधान तथा प्रौद्योगिकी विकास के कार्यक्रमों में सहयोग की दृष्टि से आवश्यक क्षेत्रों की पहचान करना।
    • साइबर सुरक्षा कानूनों को मजबूत बनाना।
    • परियोजना के पूर्ण होने के बाद के कार्यों को प्रोत्साहित करना आदि।
  • इसके अतिरिक्त सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा भी साइबर सुरक्षा के लिए एक सर्ट-इन (CERT-in : Indian Computer Emergency Response Team) नामक कार्यात्मक संगठन का गठन किया गया है, जो साइबर अपराधों की आकस्मिक रोकथाम के साथ-साथ गुणवत्ता सेवाएँ भी उपलब्ध कराता है। इसके द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली सेवाएं इस प्रकार हैं-
    • आकस्मिक घटनाओं से संबंधित नुकसान को कम करने के लिए प्रतिक्रियात्मक सेवाओं की उपलब्धता।
    • संगठनों को उनकी कार्यप्रणालियों तथा नेटवर्कों की सुरक्षा की दृष्टि से दिशा-निर्देश प्रदान करना।
    • सुरक्षा चेतावनी परामर्श और सुरक्षा के संबंध में पूर्वगामी सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चत करना। 
  • वर्ष 2000 में भारत सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 लागू किया था, जिसकी विभिन्न धाराओं के माध्यम से साइबर अपराधों को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए, जैसे-
    • कम्प्यूटर प्रणाली हैकिंग पर रोक (धारा 66)
    • इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अश्लील सामग्री के प्रकाशन पर रोक ( धारा 67 )
    • साइबर अपीलेट ट्रिब्यूनल का गठन और उसकी प्रक्रिया एवं शक्तियाँ (क्रमश: धारा 48 एवं 58)

ई-शासन (E-governance)

  • इंटरनेट तथा उससे संबंधित विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों विशेषकर कम्प्यूटर ने मानव जीवन के लगभग हर पहलू को | महत्वपूर्ण तरीके से प्रभावित किया है। अतः प्रशासन भी इससे अछूता नहीं रह सकता है। इलेक्ट्रट्रॉनिक उपकरणों की व्यावहारिक विशेषताओं के कारण मानव जीवन के अन्य पक्षों के साथ-साथ प्रशासनिक कार्य शैली और उसके विकास में बहुआयामी गुणात्मक परिवर्तन परिलक्षित हुए हैं। 
  • इलेक्ट्रॉनिक सासन से आशय प्रशासन की कार्यप्रणाली में इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में विकसित युक्तियों के प्रयोग से है । प्रशासन की कार्यप्रणाली में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की व्यवस्था के समावेश ने सुशासन की अवधारणा को व्यावहारिक स्तर पर संभव बना दिया, क्योंकि ई-शासन के द्वारा नागरिकों तथा प्रशासन के मध्य कम्प्यूटर नेटवर्क प्रणाली के माध्यम से विश्वसनीय, | सुरक्षित तथा नियंत्रित संपर्क स्थापित किया जा सकता है। इलेक्ट्रॉनिक प्रशासन की अवधारणा में वस्तुतः तीन क्षेत्रों को शामिल किया जा सकता है-
    • पहला आईसीटी के प्रयोग द्वारा सरकारी कार्यों तथा सार्वजनिक सेवाओं की प्रभावकारिता और कार्यक्षमता में सुधार करना। 
    • दूसरा आईसीटी का प्रयोग करके सरकारी सूचनाओं की पहुँच सूचनाओं के एक व्यापक वर्ग तक सुनिश्चित करने के साथ-साथ आम नागरिकों और कारोबारियों के लिए सार्वजनिक सेवाओं में पारदर्शिता सुनिश्चत करना।
    • तीसरा सार्वजनिक संस्थआओं तथा प्रजातांत्रिक व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण करने और राज्य तथा नागरिकों के मध्य गतिशील | संबंधी की स्थापना हेतु आईसीटी को अपनाना । इलेक्ट्रॉनिक शासन के माध्यम से प्रशासनिक कार्यप्रणाली में निम्नलिखित परिवर्तन संभव हुए हैं-
      (i) समस्त प्रशासनिक कार्यों का संचालन कम्प्यूटर, लैपटॉप और अब आईफोन पर भी निष्पादित किए जाने के कारण जहाँ कार्यालय संबंधी अधिकांश कार्य कागजरहित हो गए हैं, वहीं कर्मचारियों की अनावश्यक संख्या में भी कमी आई है।
      (ii) कार्यालय प्रभारी का अपने समस्त अधीनस्थों पर सुगम तथा प्रभावी नियंत्रण स्थापित होने तथा क्षेत्रीय कार्यालयों तथा उनके मुख्यालय के मध्य टेलीकांफ्रेंसिंग की सुविधा के परिणामस्वरूप नियंत्रण क्षेत्र का प्रभावी दायरा बढ़ा है और इसमें अभी असीम संभावनाएँ निहित हैं।
      (iii) क्षेत्रीय स्तर पर जगह-जगह सूचना केन्द्रों के खुल जाने के कारण एक ओर, राशनकार्ड, वाहन परमिट और ड्राइविंग लाइसेंस जैसे आवश्यक कार्यों के लिए आवेदन करना सुविधाजनक हो गया है, वहीं दूसरी ओर आम जनता सूचना केन्द्र पर उपलब्ध कम्प्यूटर व्यवस्था द्वारा कोई भी संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकती है।
      (iv) ई-मेल के माध्यम से शिकायत की जा सकती है तथा कम्प्यूटर द्वारा शिकायत निराकरण की तात्कालिक स्थिति का पता भी लगाया जा सकता है।
  • सूचना प्रौद्योगिकी के उपकरणों के बढ़ते दुरुपयोग से उत्पन्न साइबर अपराधों को रोककर प्रशासन को सुदढ़ता प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 बनाया गया, जिसके द्वारा ई-शासन, ई-कॉमर्स तथा ई-कारोबार की वैधानिकता प्रदान की गई। इसी तरह सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम, 2008 पारित करके कुछ महत्वपूर्ण उपबंधों की व्यवस्था की गई, जैसे-
    • आम जनता की सूचना तक पहुँच एवं रोक के लिए प्रक्रिया और सुरक्षा उपाय (सेक्शन 69 )
    • सूचना अवरोध की निगरानी एवं अवमूल्यन प्रक्रिया और उपाय (सेक्शन 69)
    • सूचना या आँकड़ा एकत्रीकरण तथा निगरानी हेतु प्रक्रिया एवं सुरक्षा उपाय (सेक्शन 69बी)
  • सरकार द्वारा ई-शासन के संस्थाकरण हेतु, सामान्य सेवा आपूर्ति केन्द्रों द्वारा आम जनता की मूलभूत आवश्यकताओं को | दृष्टिगत रखते हुए स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप सेवाओं की आपूर्ति करने के साथ-साथ वहन योग्य लागत पर ऐसी सेवाओं की आपूर्ति तथा विश्वसनीयता, प्रभावकारिता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय ई-शासन योजना के लिए विजन, | रणनीति, उपागम और उसके कार्यान्वयन की मंजूरी दी गई है, जिसमें 27 मिशनमोड परियोजनाएँ और 10 घटक शामिल हैं। 

ई-शासन से संबंधित विभिन्न योजनाएँ (Various Plans of E-governance)

  • मूलभूत प्रशासन की गुणवत्ता में सुधार की दृष्टि से भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय ई-शासन योजना की शुरुात की गई, जो 27 मिशन मोड परियोजनाओं तथा 10 संबंधित घटकों के माध्यम से केन्द्र-राज्य तथा स्थानीय स्तर पर कार्यान्वित की जा रही हैं। 
  • राष्ट्रीय ई- शासन योजना की 27 मिशन मोड परियोजना में राज्य स्तर पर भू-अभिलेख वाणिज्य कर, कृषि, रोजगार विनिमय, सड़क परिवहन, भू-पंजीकरण, नागरिक सेवा आपूर्ति और शिक्षा जैसी सेवाओं के साथ-साथ पेंशन, वीजा, पासपोर्ट, ई-पोस्ट, आयकर, केन्द्रीय उत्पाद शुल्क तथा बीमा जैसे क्षेत्र शामिल हैं।

सामान्य सेवा केन्द्र (CSC- Common Service Centre

  • राष्ट्रीय ई-शासन योजना के एक भाग के रूप में सार्वजनिक सहभागिता के आधार पर ग्रामीण इलाके के लोगों को वर्ल्ड वाइड वेब से जोड़ने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा सामान्य सेवा केन्द्रों की स्थापना की गई है। सार्वजनिक तथा निजी सेवाओं को लोगों के घर तक | पहुँचाने के उद्देश्य से स्थापित सामान्य सेवा केन्द्र राष्ट्री ई-शासन योजना के आधारभूत स्तम्भ के रूप में कार्यरत है।

राज्य आँकड़ा केन्द्र (SDC- State Data Centre)

  • राष्ट्रीय ई-शासन योजना के दूसरे महत्वपूर्ण अवयव के रूप में राज्य स्तर पर राज्य आँकड़ा केन्द्रों की स्थापना का प्रावधान किया | गया है, ताकि सेवाओं की प्रभावपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक आपूर्ति सुनिश्चित करने की दृषिथ्ट से अवसंरचनाओं, सेवाओं तथा अनुप्रयोगों को सुदृढ़ता प्रदान की जा सके। सामान्य सेवा केन्द्रों तथा स्टेट वाइट एरिया नेटवर्क द्वारा समर्थित इन सेवाओं की आपूर्ति राज्य द्वारा की जाती है। इन सभी का मूल उद्देश्य ग्रामीण इलाकों तक संयोजनता को विस्तारित करना है।

स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क (SWAN - State Wide Area Network)

  • वर्तमान बेतार तकनीक माध्यम से संयोजनता को ग्रामीण इलाकों तक पहुँचाने के उद्देश्य से राज्यों तथा संघ राज्य क्षेत्रों में प्रखण्ड स्तर पर 2 एमबीपीएस की डाटा संयोजनता विस्तारित करने के लिए इसका विकास किया गया है।

ई- जिला (Electronic District)

  • ऑनलाइन सेवाएं उपलब्ध कराने की अपनी नीति के तहत सरकार ने जिला स्तर पर नागरिकों एवं प्रशासन के मध्य प्राथमिक अंतराफलक (Interface) के रूप में ऐसी योजनाओं को कार्यान्वित किया है। जिले के स्तर पर बिजनेस प्रोसेस रि-इंजीनियरिंग (GPR) के साथ-साथ कार्य प्रक्रिया को आखिरी छोर तक कम्प्यूटरीकृत बनाने के उद्देश्य से इन ऑनलाइन सेवाओं की आपूर्ति की जाती है, जिसकी शुरुआत 1991 से की गई।
  • इसका उपयोग से भूमि संबंधी मामलों में होने वाली देरी में काफी कमी आने से राजस्व अधिकारियों द्वारा जारी किए जाने वाले आदेशों के संबंध में जानकारी प्राप्त करना आसान हो जाएगा। इनके अलावा विभिन्न राज्यों के स्तर पर निम्नलिखित महत्वपूर्ण ई-शासन योजनाएँ कार्यान्विवत की जा रही है।

ई-चौपाल

  • सरकार द्वारा औद्योगिक प्रतिष्ठानों, निजी कंपनियों और स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा ग्रामीण इलाकों में ई-चौपाल केन्द्रों की स्थापना की जा रही है। ई-चौपाल वस्तुतः इंटरनेट की सहायता से ग्रामीण किसानों को कृषि, बाजार की माँग और विपणन संबंधी जानकारी गाँव | स्तर पर ही उपलब्ध कराने वाला राज्य सरकारों तथा निजी कंपनियों का एक नेटवर्क है। 
  • इसके माध्यम से किसानों को कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ जैसे कि नई कृषि तकनीकों को अपनाने की जानकारी, उन्नतशील किस्मों के नए बीजों उर्वरकों, फसलों के रोग बीमारियों हेतु दवाओं तथा फसलों के उत्पादन में वृद्धि करने से संबंधित जानकारी और बाजार मूल्य व माँग की भी जानकारी एक ही स्थान पर उपलब्ध कराई जाती है। उत्तरप्रदेश, तमिलनाडू, कर्नाटक व आंध्रप्रदेश में ई- चौपाल से संबंधित कई कार्यक्रम क्रियान्वित किए जा रहे हैं, जो ग्रामीण विकास में भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं ।

ई-कृषि

  • निर्माण-स्वामित्व-परिचालन और हस्तांतरण पद्धति के आधार पर परिचालिता ई-कृषि मार्केटिंग की इस योजना के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय जाँच पोस्ट तथा मंडियों को कम्प्यूटर द्वारा विभिन्न कार्यालयों और मण्डी मुख्यालयों से सम्बद्ध करके ग्राहकों की एकल | खिड़की अर्थात् एक ही स्थान या विकल्प तथा अन्य सामान्य सेवाओं की उपलब्ध कराई जाती है। इसकी शुरुआत मध्यप्रदेश में की गई है।

भूमि

  • नेशनल इनफॉर्मेटिक सेंटर द्वारा भूमि नामक इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग भूमि संबंधी रिकार्डों को अद्यतन बनाने के कार्य में किया जाता है, ताकि भूमि सुधार एवं अन्य कार्यों से संबंधित कार्यक्रमों का समुचित कार्यान्वयन बेहतर निगरानी और शिकायतों का त्वरित निवारण किया जा सके।
  • उपरोक्त राष्ट्रीय ई-प्रशासन योजना में राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र, बीपीएल परिवारों के लिए पहचान पत्र, भारतीय भाषा | तकनीकें, इंटरनेट प्रोत्साहन और राज्यों तथा सरकारी विभागों के ई - तैयारी सूचकांक जैसे अनेक घटक शामिल हैं।
  • देशभर में ई-शासन के लाभों को आम जनता तक उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भारत सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा सफल ई-शासन पहलों का क्षेतिज स्थांतरण नामक राष्ट्रव्यापी पहल की शुरुआत की गई है। देश में कुछ राज्यों द्वारा हासिल कुछ | महत्वपूर्ण सफलताओं की पहचान करके उन्हें अन्य राज्यों में भी दोहराना इस पहल का मूल उद्देश्य है। पहल कै प्रथम चरण में सरकार | द्वारा लोगों को दी जाने वाली सेवाओं में सुधार करने हेतु भू-अभिलेख, पंजीकरण तथा परिवहन से जुड़ी परियोजनाओं को लागू किया गया है। भारत में ई-शासन से संबंधित कई योजनाएँ राज्य सतर पर कार्यान्वित की जा रही हैं।

जो संक्षेप में इस प्रकार हैं-

  • स्टार (STAR - Simplified Transparent Administration of Registration ) : यह तमिलनाडू राज्य सरकार की एक बहुस्तरीय कम्प्यूटरीकृत सेवा है, जिसके माध्यम से भूमि रिकार्ड से संबंधित कार्यों के संपादन के साथ-साथ संपत्ति मूल्यांकन, संपत्ति अधिकार प्रमाण-पत्र, कम्प्यूटरीकृत पंजीकरण प्रक्रिया, प्रतियों को प्रमाणित करने, शिशुओं, विवाहों तथा धर्म के पंजीकरण का भी कार्य किया जाता है । इस रजिस्ट्रेशन प्रणाली में रिकॉर्डो की स्कैनिंग, संग्रहण तथा पुनर्प्राप्ति के लिए अभिलेख सुविधा भी उपलब्ध है।
  • ज्ञानदूत : यह वस्तुत: अनुसूचित जनजाति के लोगों के घर-घर सूचना प्रौद्योगिकी के लाभों को पहुँचाने के उद्देश्य से प्रारंभ किया गया, एक समुदाय आधारित बहुत ही सस्ता और वित्तीय दृष्टि से आत्मनिर्भर इंटरनेट सेवा उपागम है।
  • फ्रेण्ड्स (FRIENDS - Fast Reliable Instant Efficient Network for Disbursement of Services): तिरुअनंतपुरम कॉर्पोरेशन के सहयोग से सूचना प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा स्थापित फ्रेण्ड्स जनसेवा केन्द्र वस्तुतः केरल की एकीकृत सेवा परियोजना है। इस परियोजना के अंतर्गत संबंधित विभागों के सर्वर से फ्रेण्ड्स केन्द्र को जोड़कर विभागों को उपयुक्त समय पर अद्यतन आँकड़े उपलब्ध कराए जाएंगे। इस परियोजना के माध्यम से संपत्ति कर, व्यावसायिक कर, बिल भुगतान के एस. ई. बी. व्यापारी लाइसेंस शुल्क, राजस्व प्राप्ति, बिल्डिंग टैक्स, बेसिक टैक्स तथा गाड़ियों संबंधी सेवाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं।
  • एम.सी.ए. 21: 1956 के कंपनी अधिनियम से संबंधित प्रपत्रों की इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग सुविधा उपलब्ध कराने के प्रमुख उद्देश्य से प्रारंभ की गई एमसीए -21 संभवत: देश की सबसे बड़ी ई-गवर्नस परियोजना है, जिसे मार्च, 2006 में नई दिल्ली से आरंभ किया गया। एमसीए-21 के तहत एर्नाकुलम, पुदुचेरी, कोयम्बटूर तथा नई दिल्ली के रजिस्ट्रार ऑफिसों को भी रखा गया है।
  • बंगलौर वन: अप्रैल, 2005 से प्रारंभ की गई बंगलौर वन वस्तुतः एक नागरिक सेवा है। इसमें एकल खिड़की के माध्यम से बीएसएनएल, बंगलौर पुलिस, पासपोर्ट तथा स्टॉम्प कार्यालय और बी. ई. एस-कॉम कार्यालयों की सेवाओं बंगलौर वन के 14 उच्च तकनीकी सेवा केन्द्रों के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती है। इसके अलावा गवर्नमेंट टू बिजनेस (जी-2 बी) तथा गवर्नमेंट टू सिटीजन (जी-2) जैसी कुछ सेवाएँ नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्मार्ट गवर्नमेंट, (NISG), हैदराबाद की सहायता से कर्नाटक राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है।
  • पंचमहल: ग्रामीण व्यक्तियों के लिए कार्यान्वित इस नागरिक सेवा के माध्यम से गुजरात में ग्रामीण लोगों की वृद्धावस्था पेंशन के अनुमोदन तथा राशन कार्डों की प्राप्ति हेतु अपने निकटतम आईएडी, एसटीडी बूथ से इसकी सुविधा प्राप्त हो जाती है। इस योजना के लिए गुजरात राज्य में नेटवर्किंग का कार्य गुजरात ऑनलाइन लिमिटेड द्वारा किया गया है।
  • ई-सेवा: नागरिक एवं प्रशासन के मध्य विद्यमान दूरी को समाप्त करने तथा केंद्र और राज्य सरकारों के विभागों को एकीकृत करने के मूल उद्देश्य से संचालित ई-सेवा योजना वस्तुतः 1999 में हैदराबाद तथा सिकंदराबाद (आंध्रप्रदेश) में संयुक्त रूप से प्रारंभ की गई। अगस्त 2001 से शुरू की गई ई-सेवा वस्तुःत ट्विंस प्रोजेक्ट का ही संशोधित रूप है।
  • सेतु : प्रशासनिक कार्यप्रणाली को कार्यकुशल, पारदर्शी तथा सुगम बनाने के लिए प्रारंभ किया गया सेतु वस्तुतः एकीकृत नागरिक सरलीकरण केन्द्र है, जिसकी शुरुआत अक्टूबर 2001 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा की गई। सेतु जहाँ एक और जन शिकायत निवारण प्रणाली और प्रार्थना पत्रों के नियत समय पर समाधान और प्रशासनिक कार्यप्रणाली से संबंधित समस्त सूचनाएँ तथा अन्य विवरणों को उपलब्ध कराता है, वहीं दूसरी ओर सभी अनुमति - पत्रों तथा प्रमाण-पत्रों हेतु वन स्टाप काउंटर सेवाएँ भी प्रदान करता है।
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