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चार्टर एक्ट 1813


अंग्रेजों के यूरोप में चल रहे फ्रांसीसियों के साथ संघर्ष के कारण ब्रिटिश व्यापार काफी नकारात्मक रूप से प्रभावित हुआ था। असल में नेपोलियन द्वारा लागू किया गयी “महाद्वीपीय व्यवस्था” के कारण अंग्रेजों के लिए यूरोपीय व्यापार मार्ग बंद हो गया गया था, इसलिये सभी चाहते थे कि भारत में कंपनी का व्यापारिक एकाधिकार समाप्त कर दिया जाए। जिस कारण इंग्लैंड में कंपनी के व्यापारिक एकाधिकार को समाप्त करने की मांग होने लगी थी। व्यापार को बढ़ाने के लिए 1813 का चार्टर एक्ट पारित किया गया।
चार्टर एक्ट 1813 के महत्वपूर्ण बिन्दुओं को नीचे उल्लेखित किया गया है-

  • सभी ब्रिटिश व्यापारियों को भारत से व्यापार करने की छूट दे दी गयी।
  • कंपनी का भारतीय व्यापार पर एकाधिकार समाप्त कर दिया गया। जबकि चीन से चाय के व्यापार पर एकाधिकार कायम रखा गया।
  • कंपनी के भागीदारों को भारतीय मुनाफे से मात्र 10.5% भाग ही मिलेगा।
  • कंपनी को 20 वर्षों के लिए भारतीय प्रदेशों में राजस्व पर नियंत्रण का अधिकार दे दिया गया।
  • इस एक्ट के अनुसार भारत में अंग्रेजों द्वारा बनाए गए स्थानीय निकाय अपने अन्तर्गत आने वाले भारतीयों पर कर (सफाई कर, चौकीदारी कर आदि) लगा सकते थे। साथ ही कर न देने वालों को दण्डित करने का भी प्रावधान इस एक्ट में किया गया।
  • इस एक्ट के अनुसार कंपनी को अपना क्षेत्रीय राजस्व और वाणिज्यिक मुनाफे को अलग-अलग व्यवस्थित करना था।
  • नियंत्रण बोर्ड की शक्ति को परिभाषित व उसकी शक्ति का विस्तार करते हुए बोर्ड की निगरानी और आदेश जारी करने की शक्तियों को बढ़ाया गया।
  • कंपनी के सम्बन्ध में अंतिम निर्णय लेना का अधिकार ब्रिटिश सम्राट के पास ही रहा परन्तु वित्तीय मामलों को कंपनी के दे दिया गया।
  • इस एक्ट के द्वारा भारतीय कोर्टों को ब्रिटिश विषयों पर अधिक अधिकार दिए गए।
  • ईसाई धर्म प्रचारक को आज्ञा प्राप्त करके भारत में धर्म प्रचार करने की सुविधा दी गयी।
  • कलकत्ता में ईसाई धर्म के प्रचार एवं भारत में रह रहे ईसाइयों के लिए एक गिरजाघर, एक बिशप तथा तीन पादरियों को नियुक्त किया गया।
  • ब्रिटिश व्यापारियों तथा इंजीनियरों को भारत आने की तथा यहां बसने की अनुमति प्रदान कर दी गयी, परन्तु इसके लिए संचालक मण्डल या नियंत्रण बोर्ड से लाइसेंस लेना अनिवार्य था।
  • कंपनी की आय से भारतीयों की शिक्षा पर प्रति वर्ष 1 लाख रूपये व्यय करने की व्यवस्था की गयी।
  • भारतीय साहित्य एवं विज्ञान आधारित शिक्षा को बढ़ाने के लिए प्रावधान बनाए गए।
  • इस एक्ट के द्वारा कंपनी के कर्मचारियों (नागरिक एवं सैनिक दोनों) हेतु प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई। इसके लिए कलकत्ता एवं मद्रास के कॉलेजों को नियंत्रण बोर्ड के नियमों के अनुरूप चलाने की व्यवस्था की गई।
  • इस एक्ट के द्वारा भारत में ब्रिटिश सेना की संख्या 29,000 निर्धारित कर दी गयी एवं कंपनी को भारतीय सैनिकों के लिए नियम एवं कानून बनाने का भी अधिकार दे दिया गया।
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