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Economic Development (आर्थिक विकास): November 2022 UPSC Current Affairs | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

ऑनलाइन बॉण्ड प्लेटफॉर्म प्रदाताओं हेतु नियामक ढाँचा

चर्चा में क्यों?
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने ऑनलाइन बॉण्ड प्लेटफॉर्म प्रदाताओं के लिये एक नियामक ढाँचा पेश किया है ताकि उनके संचालन को सुव्यवस्थित किया जा सके।

  • ऑनलाइन बॉण्ड प्लेटफॉर्म प्रदाता (OBPPs) भारत में निगमित कंपनियाँ होंगी और उन्हें स्टॉक एक्सचेंज के डेब्ट सेगमेंट में स्टॉक ब्रोकर के रूप में खुद को पंजीकृत करना होगा।

विनियामक ढाँचे की आवश्यकता

नए नियम

  • स्टॉक एक्सचेंज के डेब्ट सेगमेंट में स्टॉक ब्रोकर के रूप में पंजीकरण करने के बाद एक इकाई को OBPP के रूप में कार्य करने के लिये एक्सचेंज में आवेदन करना होगा।
  • नए नियमों में ऑनलाइन बॉण्ड प्लेटफॉर्म प्रदाता के रूप में कार्य करने के लिये सेबी से स्टॉक ब्रोकर के रूप में पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त करना अनिवार्य है।
  • जो 9 नवंबर 2022 से पहले पंजीकरण प्रमाणपत्र के बिना ऑनलाइन बॉण्ड प्लेटफॉर्म प्रदाता के रूप में कार्य कर रहे हैं, वे तीन महीने की अवधि के लिये ऐसा करना जारी रखेंगे।
  • लोगों को समय-समय पर सेबी द्वारा निर्दिष्ट पंजीकरण की शर्तों का पालन करना होगा।
  • सभी संस्थाओं को न्यूनतम प्रकटीकरण आवश्यकताओं का अनुपालन सुनिश्चित करना होगा। उन्हें अपने हितों संबंधी टकराव के सभी मामलों का भी खुलासा करना होगा, जो संबंधित पक्षों के साथ उनके लेनदेन या लेनदेन से उत्पन्न होते हैं।

बॉण्ड बाज़ार

  • बॉण्ड
    • बॉण्ड कंपनियों द्वारा जारी कॉर्पोरेट ऋण की इकाइयाँ हैं और व्यापार योग्य संपत्ति के रूप में प्रतिभूतिकृत हैं।
    • एक बॉण्ड को एक निश्चित आय साधन के रूप में संदर्भित किया जाता है क्योंकि बॉण्ड पारंपरिक रूप से देनदारों को एक निश्चित ब्याज दर (कूपन) का भुगतान करते हैं।
    • परिवर्तनीय या अस्थायी ब्याज दरें भी अब काफी आम हैं।
    • बॉण्ड की कीमतें ब्याज दरों के साथ विपरीत रूप से सहसंबद्ध होती हैं: जब दरें बढ़ती हैं, तो बॉण्ड की कीमतें गिरती हैं और जब दरें गिरती हैं, तो बॉण्ड की कीमतें बढ़ती है।

बॉण्ड के प्रकार

  • परिवर्तनीय बॉण्ड
    • नियमित बॉण्ड के विपरीत जो बॉण्ड परिपक्वता पर विमोचित होते हैं उनमें एक परिवर्तनीय खरीदार को जारीकर्त्ता कंपनी के बॉण्ड को शेयरों में बदलने का अधिकार या दायित्व देता है।
    • इसकी एक निश्चित अवधि होती है और पूर्व निर्धारित अंतराल पर समय-समय पर ब्याज का भुगतान किया जाता है।
  • निश्चित कूपन दर बॉण्ड:
    • इस प्रकार के बॉण्ड में ब्याज जारी करने की तारीख से तय किया जाता है। अधिकांश कॉर्पोरेट और सरकारी बॉण्ड निश्चित कूपन दर के होते हैं जो ब्याज या कूपन विमोचन की तिथि तक वार्षिक, अर्द्ध-वार्षिक, त्रैमासिक या मासिक रूप से प्रदान किये जाते हैं।
  • फ्लोटिंग कूपन रेट बॉण्ड (FRB):
    • इन बॉण्डों में परिपक्वता की तारीख तक कूपन दर में पूर्वनिर्धारित समय पर उतार-चढ़ाव होता रहता है। यहाँ ब्याज दर बेंचमार्क पर निर्भर करती है जिसका पालन वह प्रत्येक कूपन भुगतान में कूपन दर निर्धारित करने के लिये करता है। FRB बॉण्ड के मामले में कूपन दर टी-बिल यील्ड पर निर्भर करती है।
  • शून्य कूपन बॉण्ड:
    • ये वे बॉण्ड होते हैं जहाँ जारीकर्त्ता परिपक्वता तिथि तक धारक को कोई कूपन भुगतान प्रदान नहीं करता है। यहाँ बॉण्ड अंकित मूल्य राशि से कम और परिपक्वता की तारीख पर जारी किये जाते हैं। बॉण्ड को अंकित मूल्य की राशि पर भुनाया जाता है। यहाँ रिडेम्पशन प्राइस (रिडेम्पशन प्राइस वह मूल्य है जिस पर जारी करने वाली कंपनी अपनी परिपक्वता तिथि से पहले निवेशकों से बॉण्ड की पुनर्खरीद करेगी) और इश्यू प्राइस के बीच का अंतर एक निवेशक के लिये रिटर्न है। भारत में ट्रेज़री-बिल शून्य-कूपन बॉण्ड हैं।
  • संचयी कूपन दर बॉण्ड:
    • ये बॉण्ड कूपन दर के साथ जारी किये जाते हैं लेकिन कूपन का भुगतान रिडेम्पशन/मोचन के समय किया जाता है। आमतौर पर कॉरपोरेट्स इस तरह के बॉण्ड जारी करते हैं।
  • मुद्रास्फीति अनुक्रमित बॉण्ड:
    • ये बॉण्ड मुद्रास्फीति से सुरक्षा प्रदान करते हैं। यह मुख्य रूप से सरकार द्वारा जारी किया जाता है। यहाँ कूपन रेट मुद्रास्फीति दर पर निर्भर है। आमतौर पर कूपन दर मुद्रास्फीति दर पर प्रदान की गई अतिरिक्त दर के बराबर होती है।
  • सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड (SGB):
    • भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार, SGBs सरकारी प्रतिभूतियाँ हैं जिन्हें ग्राम सोने में दर्शाया गया है।
    • ये भौतिक सोना धारण करने के विकल्प हैं। निवेशकों को निर्गम मूल्य का भुगतान नकद में करना होता है और परिपक्वता पर बॉण्ड को नकद में भुनाया जाएगा।
  • बॉण्ड बाज़ार:
    • बॉण्ड बाज़ार मोटे तौर पर ऐसे बाज़ार का वर्णन करता है जहाँ निवेशक ऋण प्रतिभूतियाँ खरीदते हैं जो सरकारी संस्थाओं या निगमों द्वारा बाज़ार में लाई जाती हैं।
    • राष्ट्रीय सरकारें आमतौर पर बॉण्ड से प्राप्त आय का उपयोग बुनियादी ढाँचे में सुधार और ऋण चुकाने के लिये करती हैं।
    • कंपनियाँ संचालन को बनाए रखने, अपने उत्पाद को बढ़ाने या अपनी शाखाओं का विस्तार करने हेतु आवश्यक पूंजी जुटाने के लिये बॉण्ड जारी करती हैं।
    • बॉण्ड या तो प्राथमिक बाज़ार में जारी किये जाते हैं, जो नए ऋण को रोल आउट करते हैं या द्वितीयक बाज़ार में कारोबार करते हैं, जिसमें निवेशक दलालों या अन्य तृतीय पक्ष के माध्यम से मौजूदा ऋण खरीद सकते हैं।
  • ऑनलाइन बॉण्ड प्लेटफॉर्म:
    • SEBI के अनुसार, यह एक मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज या एक इलेक्ट्रॉनिक बुक प्रदान करने वाले प्लेटफॉर्म के अलावा इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है, जिस पर ऋण प्रतिभूतियों को सूचीबद्ध किया जाता है या सूचीबद्ध करने का प्रस्ताव दिया जाता है और लेन-देन किया जाता है।
    • ऑनलाइन बॉण्ड प्लेटफॉर्म प्रदाता का अर्थ है ऐसा कोई भी व्यक्ति जो इस तरह के प्लेटफॉर्म का संचालन करता है या प्रदान करता है।

भारत का पहला जल में तैरता वित्तीय साक्षरता शिविर

चर्चा में क्यों?
हाल ही में इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) ने श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर) में 'निवेशक दीदी' पहल के तहत 'महिलाओं के लिये, महिलाओं के द्वारा' की अवधारणा के साथ वित्तीय साक्षरता को बढ़ाने के लिये भारत का पहला पानी पर तैरता वित्तीय साक्षरता शिविर आयोजित किया।

निवेशक दीदी पहल

  • विषय:
    • यह महिलाओं के लिये महिलाओं की विचारधारा पर आधारित है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएँ अपने प्रश्नों को एक महिला के साथ साझा करने में अधिक सहज महसूस करती हैं।
  • कार्यान्वयन एजेंसी:
    • इसे कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) के तत्त्वाधान में निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष प्राधिकरण (IEPFA) के सहयोग से IPPB द्वारा लॉन्च किया गया है।
    • पानी में तैरता वित्तीय साक्षरता शिविर:
    • इस सत्र में बैंकिंग और वित्तीय उत्पादों, विनियमित संस्थाओं द्वारा दी जाने वाली मुख्यधारा की वित्तीय सेवाओं में शामिल होने के महत्त्व एवं निवेश से जुड़े विभिन्न प्रकार के जोखिमों तथा धोखाधड़ी की रोकथाम के उपायों से सुरक्षा जैसे विषय शामिल थे।

वित्तीय साक्षरता के लिये भारत की अन्य पहलें

  • प्रधानमंत्री जन-धन योजना:
    • प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) वित्तीय समावेशन हेतु राष्ट्रीय मिशन है।
    • यह किफायती तरीके से वित्तीय सेवाओं, अर्थात् बैंकिंग/बचत और जमा खाते, प्रेषण, क्रेडिट, बीमा, पेंशन तक पहुँच सुनिश्चित करता है।
    • प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY) जन-केंद्रित आर्थिक पहलों की आधारशिला रही है। चाहे प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT), कोविड-19 वित्तीय सहायता, पीएम-किसान, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत बढ़ी हुई मज़दूरी, जीवन और स्वास्थ्य बीमा कवर हो, इन सभी पहलों का पहला कदम प्रत्येक वयस्क को बैंक खाता प्रदान करना है, जिसे PMJDY लगभग पूरा कर चुका है।
  • प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना:
    • प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना प्रवासियों एवं श्रमिकों को क्रमशः जीवन बीमा और दुर्घटना बीमा प्रदान करती है।
  • प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना:
    • PMKMDY की शुरुआत सभी छोटे और सीमांत किसानों (जिन किसानों की भूमि दो हेक्टेयर से कम है) को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिये की गई थी।
    • यह एक स्वैच्छिक और योगदान आधारित पेंशन योजना है।
    • किसानों को पेंशन का भुगतान भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा प्रबंधित पेंशन फंड से किया जाएगा।
    • किसानों को पेंशन फंड में 55 रुपए से 200 रुपए प्रतिमाह के बीच की राशि का योगदान करना होगा, जब तक कि वे सेवानिवृत्ति की तारीख यानी 60 वर्ष की आयु तक नहीं पहुँच जाते।
  • प्रधानमंत्री मुद्रा योजना:
    • PMMY गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि लघु/सूक्ष्म उद्यमों को 10 लाख तक का ऋण प्रदान करने के लिये वर्ष 2015 में शुरू की गई एक योजना है।
    • इन ऋणों को PMMY के तहत MUDRA ऋणों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
    • ये ऋण वाणिज्यिक बैंक, RRB, लघु वित्त बैंक, सहकारी बैंक, MFI और NBFC द्वारा दिये जाते हैं।

इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB):

  • परिचय:
    • यह भारत सरकार के स्वामित्व वाली 100% इक्विटी के साथ संचार मंत्रालय के डाक विभाग के तहत स्थापित किया गया है।
  • उद्देश्य:
    • बैंक की स्थापना भारत में आम आदमी के लिये सबसे सुलभ, किफायती और भरोसेमंद बैंक बनाने की दृष्टि से की गई है।
    • IPPB का मूल उद्देश्य बैंक सुविधाओं रहित लोगों के लिये बाधाओं को दूर करना है और 160,000 डाकघरों (ग्रामीण क्षेत्रों में 145,000) एवं 400,000 डाक कर्मचारियों वाले नेटवर्क का लाभ अंतिम मील तक पहुँचाना है।
    • IPPB की पहुँच और इसका ऑपरेटिंग मॉडल इंडिया स्टैक के प्रमुख स्तंभों पर बनाया गया है - CBS-एकीकृत स्मार्टफोन और बायोमेट्रिक डिवाइस के माध्यम से ग्राहकों के दरवाज़े पर पेपरलेस, कैशलेस एवं उपस्थिति-रहित बैंकिंग को सरल व सुरक्षित तरीके से सक्षम करना।
    • आईपीपीबी कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन प्रदान करने और डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण में योगदान देने के लिये प्रतिबद्ध है।

एकल वस्तु एवं सेवा कर दर

चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष ने कहा है कि भारत में "एकल वस्तु और सेवा कर (GST) दर" और "छूट-रहित कर व्यवस्था" होनी चाहिये।

सिफारिशें:

  • एकल वस्तु एवं सेवा कर:
    • GST की दरें सभी वस्तुओं पर समान होनी चाहिये क्योंकि 'प्रगतिशील' दरें अप्रत्यक्ष करों की तुलना में प्रत्यक्ष करों के मामले में अधिक व्यावहारिक होती हैं ।
    • जब पहली बार GST की घोषणा की गई थी, तो नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) द्वारा अनुमान लगया था कि इसससकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 1.5% से 2% की वृद्धि होगी।
    • हालाँकि यह अनुमान इस बात पर निर्भर था कि सभी वस्तुएँ और सेवाएँ GST का हिस्सा होंगी तथा GST में एकरूपता होगी।
    • विभिन्न GST दरें 'प्राइम कंट्रोल' की मानसिकता से प्रेरित होती हैं जिससे GST दरें 'विशिष्ट' मानी जाने वाली वस्तुओं के लिये अधिक और बड़े पैमाने पर उपभोग की वस्तुओं के लिये कम रखी जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप इस पर व्यक्तिगत विचार-विमर्श के साथ मुकदमेबाज़ी के मामले भी सामने आते हैं।
    • पूर्व में GST के लिये आधिकारिक तौर पर अनुमानित 17% राजस्व-तटस्थ दर के विपरीत वर्तमान औसत दर 5% में वृद्धि होनी चाहिये।
  • 'छूट रहित' प्रत्यक्ष कर व्यवस्था:
    • सलाहकार परिषद के अध्यक्ष ने इस तर्क के साथ एक छूट रहित प्रत्यक्ष कर व्यवस्था का आह्वान किया कि कर वंचन गैर-कानूनी है लेकिन कर परिहार के तहत छूट संबंधी खंडों का उपयोग करते हुए कर का भार कम करना वैध माना जाता है।
    • कर में अधिक छूट से कर संबंधी जटिलताओं के मामलों में भी वृद्धि होती है।
    • कॉर्पोरेट करों और व्यक्तिगत आयकर (PIT) के बीच कृत्रिम अंतर को दूर किये जाने की आवश्यकता है।
    • बहुत से अनिगमित व्यवसाय व्यक्तिगत आयकर के तहत करों का भुगतान करते हैं।
    • छूट-रहित प्रत्यक्ष कर प्रणाली का उपयोग कर मतभेदों को दूर करने से प्रशासनिक दबाव में भी कमी आएगी।

GST प्रणाली का वर्तमान ढाँचा:

  • GST:
    • वस्तु एवं सेवा कर (GST) घरेलू उपभोग के लिये बेची जाने वाली अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाने वाला मूल्यवर्द्धित कर है।
    • GST का भुगतान उपभोक्ताओं द्वारा किया जाता है, लेकिन यह वस्तुओं और सेवाओं को बेचने वाले व्यवसायों द्वारा सरकार को प्रेषित किया जाता है।
    • यह अनिवार्य रूप से एक उपभोग कर है जिसे अंतिम उपभोग बिंदु पर लगाया जाता है।
    • इसे 101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के माध्यम से लाया गया था।
  • इसमें उत्पाद शुल्क, मूल्यवर्द्धित कर (VAT), सेवा कर, विलासिता कर आदि जैसे अप्रत्यक्ष करों को समाहित किया गया है।

मौजूदा कर संरचना:

  • केंद्रीय GST (CGST) में उत्पाद शुल्क, सेवा कर आदि शामिल हैं।
  • राज्य GST (SGST) में मूल्यवर्द्धित कर (वैट), विलासिता कर आदि शामिल हैं।
  • एकीकृत GST (IGST) में अंतर-राज्यीय व्यापार शामिल हैं।
  • IGST कर नहीं है बल्कि राज्य और संघ के करों के समन्वय के लिये एक प्रणाली है।
  • चार प्रमुख GST स्लैब हैं:
    • 5%, 12%, 18% और 28%।
    • कुछ अहितकर और विलासिता की वस्तुएँ जो 28% स्लैब में हैं, उपकर के अतिरिक्त लेवी को आकर्षित करते हैं, जिसकी आय राज्यों को राजस्व की कमी एवं मुआवज़े से संबंधित ऋणों के पुनर्भुगतान के लिये क्षतिपूर्ति करने हेतु एक अलग फंड में जमा होती है।
  • GST परिषद:
    • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 279A में कहा गया है कि GST के प्रशासन और संचालन के लिये राष्ट्रपति द्वारा GST परिषद का गठन किया जाएगा।
    • इसका अध्यक्ष भारत का वित्त मंत्री होता है और राज्य सरकारों द्वारा मनोनीत मंत्री इसके सदस्य होते हैं।
  • परिषद को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि केंद्र के पास एक-तिहाई वोटिंग शक्ति होगी और राज्यों के पास 2/3 वोटिंग शक्ति होगी।
    • जबकि निर्णय सदस्यों के 3/4 बहुमत के आधार पर लिये जाते हैं।

भारत में खाद्य तेल क्षेत्र

चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र ने GM सरसों की पर्यावरणीय मंज़ूरी को चुनौती देने वाली याचिका में कहा कि भारत पहले से ही आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) फसलों से प्राप्त तेल का आयात और उपभोग कर रहा है।

  • इसके अलावा लगभग 9.5 मिलियन टन (MT) GM कपास बीज का वार्षिक उत्पादन होता है और 1.2 मिलियन टन GM कपास के तेल का उपभोग मनुष्यों द्वारा किया जाता है तथा लगभग 6.5 मिलियन टन कपास के बीज का उपयोग पशु आहार के रूप में किया जाता है।

भारत में खाद्य तेल क्षेत्र की स्थिति:

  • देश की अर्थव्यवस्था में स्थान:
    • भारत दुनिया में तिलहन के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है।
    • कृषि अर्थव्यवस्था में तेल क्षेत्र का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
    • कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आँंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020-21 के दौरान नौ कृषित तिलहनों से 36.56 मिलियन टन अनुमानित उत्पादन हुआ है।
    • भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और वनस्पति तेल का नंबर एक आयातक है।
    • भारत में खाद्य तेल की खपत की वर्तमान दर घरेलू उत्पादन दर से अधिक है। इसलिये देश को मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को पूरा करने के लिये आयात पर निर्भर रहना पड़ता है।
    • वर्तमान में भारत अपनी खाद्य तेल की मांग का लगभग 55% से 60% आयात के माध्यम से पूरा करता है। इसलिये घरेलू खपत की मांग को पूरा करने के लिये भारत को तेल उत्पादन में स्वतंत्र होने की ज़रूरत है।
    • पाम तेल (कच्चा + परिष्कृत) आयातित कुल खाद्य तेलों का लगभग 62% है और मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से आयात किया जाता है, जबकि सोयाबीन तेल (22%) अर्जेंटीना और ब्राज़ील से आयात किया जाता है तथा सूरजमुखी तेल (15%) मुख्य रूप से यूक्रेन व रूस से आयात किया जाता है।
  • भारत में आमतौर पर उपयोग किये जाने वाले तेलों के प्रकार:
    • भारत में मूँगफली, सरसों, कैनोला/रेपसीड, तिल, कुसुम, अलसी, रामतिल/नाइज़र सीड और अरंडी पारंपरिक रूप से उगाई जाने वाली सबसे अच्छी तिलहन फसलें हैं।
    • सोयाबीन और सूरजमुखी का भी हाल के वर्षों में महत्त्व बढ़ गया है।
    • बगानी फसलों में नारियल सबसे महत्त्वपूर्ण है।
    • गैर-पारंपरिक तेलों में चावल की भूसी का तेल और बिनौला तेल सबसे महत्त्वपूर्ण हैं।
    • खाद्य तेलों पर निर्यात-आयात नीति:
    • खाद्य तेलों का आयात ओपन जनरल लाइसेंस (OGL) के तहत आता है।
    • किसानों, प्रसंस्करणकर्त्ताओं और उपभोक्ताओं के हितों में सामंजस्य स्थापित करने के लिये सरकार समय-समय पर खाद्य तेलों के शुल्क ढाँचे की समीक्षा करती है।
  • संबंधित सरकारी पहल:
    • भारत सरकार ने केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन- पाम ऑयल शुरू किया, जिसे केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र एवं अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में विशेष ध्यान देने के साथ कार्यान्वित किया जा रहा है।
    • वर्ष 2025-26 तक पाम तेल के लिये अतिरिक्त 6.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र का प्रस्ताव है।
    • वनस्पति तेल क्षेत्र में डेटा प्रबंधन प्रणाली में सुधार और इसे व्यवस्थित करने के लिये खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के तहत चीनी तथा वनस्पति तेल निदेशालय ने मासिक आधार पर वनस्पति तेल उत्पादकों द्वारा इनपुट ऑनलाइन जमा करने के लिये एक वेब-आधारित मंच (evegoils.nic.in) विकसित किया है।
    • पोर्टल ऑनलाइन पंजीकरण और मासिक उत्पादन रिटर्न जमा करने के लिये विंडो भी प्रदान करता है

भारत में रूसी बैंको के वोस्ट्रो खात

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भारत और रूस के बीच व्यापार हेतु रुपए में भुगतान करने के लिये दो भारतीय बैंकों (यूको बैंक और इंडसइंड बैंक) में नौ विशेष वोस्ट्रो खाते खोलने की अनुमति दी है।

  • रूस के दो सबसे बड़े बैंक- ‘Sberbank’ और ‘VTB’ बैंक ऐसे पहले विदेशी ऋणदाता हैं जिन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा रुपए में अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक लेन-देन करने की मंज़ूरी मिली है।
  • वोस्ट्रो खाता नोस्ट्रो खाता का एक अन्य नाम है। यह एक बैंक द्वारा नियोजित खाता है जो ग्राहकों को दूसरे बैंक की ओर से पैसा ज़मा करने की सुविधा प्रदान करता है।

पृष्ठभूमि:

  • जुलाई 2022 में RBI ने वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने के लिये रुपए में अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन के लिये एक क्रियाविधि का अनावरण किया था, जिसमें भारत द्वारा निर्यात पर ज़ोर दिया गया था, साथ ही रुपए को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा के रूप में पहचान दिलाने के लिये किया गया था।
  • इसके माध्यम से रूस जैसे प्रतिबंध-प्रभावित देशों के साथ व्यापार को सक्षम करने की भी आशा है।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा तय क्रियाविधि के अनुसार, भागीदार देशों के बैंक विशेष रुपया वास्ट्रो खाता खोलने के लिये भारत में अधिकृत बैंकों से संपर्क कर सकते हैं। तब अधिकृत बैंक को ऐसी व्यवस्था के विवरण के साथ केंद्रीय बैंक से अनुमोदन लेना होगा।

नोस्ट्रो खाता (Nostro Accounts)

  • नोस्ट्रो खाता का तात्पर्य एक बैंक द्वारा दूसरे बैंक में खोले गए खाता से है। इससे ग्राहकों को किसी दूसरे बैंक के खाते में पैसा जमा करने की सुविधा मिलती है। इसका उपयोग अक्सर तब किया जाता है जब किसी बैंक की विदेश में कोई शाखा नहीं होती है। नोस्ट्रो एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ " हमारा (ours) " होता है।
    • मान लीजिये कि बैंक "A" की रूस में कोई शाखा नहीं है लेकिन बैंक "B" की शाखा रूस में है। रूस में अपनी जमा राशि प्राप्त करने के लिये बैंक "A" बैंक  "B"  में नोस्ट्रो खाता खोलेगा।
    • अब यदि रूस में कोई ग्राहक "A" को पैसा भेजना चाहता है तो वह  इसे "B" बैंक  में खुले “A” के खाते में जमा कर सकता है। "B" बैंक इस पैसे को "A" के खाते में स्थानांतरित कर देगा।
    • जमा खाते और नोस्ट्रो खाते के बीच मुख्य अंतर यह है कि जमा खाते व्यक्तिगत जमाकर्त्ताओं के पास होता है, जबकि विदेशी संस्थानों के पास नोस्ट्रो खाता होता है।

वोस्ट्रो खाता (Vostro Accounts):

  • इस शब्द का लैटिन भाषा में अर्थ- तुम्हारा (yours) होता है।
  • खाता खोलने वाले बैंक के लिये नोस्ट्रो खाता, एक वोस्ट्रो खाता  होता है।
  • उपर्युक्त उदाहरण में बैंक "B" में खुले खाते को इस बैंक के लिये वोस्ट्रो खाता कहा जाएगा। वोस्ट्रो खाता में खाताधारक के बैंक की ओर से भुगतान स्वीकार किया जाता है।
  • यदि कोई व्यक्ति वोस्ट्रो खाते में पैसा जमा करता है तो यह खाताधारक के बैंक में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
  • नोस्ट्रो और वोस्ट्रो खाते, विदेशी मूल्यवर्ग में खोले जाते हैं।
  • वोस्ट्रो खाते के माध्यम से घरेलू बैंक, वैश्विक बैंकिंग आवश्यकताओं वाले  ग्राहकों को अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करते हैं।
  • वोस्ट्रो खाता सेवाओं में वायर ट्रांसफर निष्पादित करना, विदेशी विनिमय करना, जमा और निकासी करना व अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में तेज़ी लाना शामिल है।

रुपया भुगतान तंत्र:

  • परिचय:
    • भारत में अधिकृत डीलर बैंकों को रुपया वोस्ट्रो खाते खोलने की अनुमति दी गई है (एक खाता जो एक अधिकृत बैंक दूसरे बैंक की ओर से रखता है)।
    • इस तंत्र के माध्यम से आयात करने वाले भारतीय आयातक भारतीय रुपए में भुगतान करेंगे, इसमें विदेशी विक्रेता से माल या सेवाओं की आपूर्ति के लिये चालान भागीदार देश के अधिकृत बैंक के विशेष वोस्ट्रो खाते में जमा किया जाएगा।
    • तंत्र का उपयोग करने वाले भारतीय निर्यातकों को भागीदार देश के अधिकृत बैंक के नामित विशेष वोस्ट्रो खाते में जमा शेष राशि से निर्यात का भुगतान भारतीय रुपए में किया जाएगा।
    • भारतीय निर्यातक उपर्युक्त रुपए भुगतान तंत्र के माध्यम से विदेशी आयातकों से भारतीय रुपए में निर्यात के लिये अग्रिम भुगतान प्राप्त कर सकते हैं।
    • निर्यात के लिये अग्रिम भुगतान की ऐसी किसी भी प्राप्ति की अनुमति देने से पहले भारतीय बैंकों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि इन खातों में उपलब्ध धनराशि का उपयोग पहले से ही निष्पादित निर्यात आदेशों/पाइपलाइन में निर्यात भुगतान से उत्पन्न भुगतान दायित्वों के लिये किया जाता है।
    • विशेष वोस्ट्रो अकाउंट में शेष राशि का उपयोग निम्नलिखित के लिये किया जा सकता है: परियोजनाओं और निवेशों के लिये भुगतान, निर्यात/आयात अग्रिम प्रवाह प्रबंधन, सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश आदि।
  • मौजूदा तंत्र:
    • यदि कोई कंपनी निर्यात या आयात करती है, तो लेन-देन (नेपाल और भूटान जैसे देशों को छोड़कर) हमेशा एक विदेशी मुद्रा में होता है।
    • इसलिये आयात के मामले में भारतीय कंपनी को विदेशी मुद्रा में भुगतान करना पड़ता है (मुख्य रूप से डॉलर में और इसमें पाउंड, यूरो, येन आदि मुद्राएँ भी शामिल हो सकती हैं)।
    • निर्यात के मामले में भारतीय कंपनी को विदेशी मुद्रा में भुगतान किया जाता है और कंपनी उस विदेशी मुद्रा को रुपए में परिवर्तित कर देती है क्योंकि उसे ज़्यादातर मामलों में अपनी ज़रूरतों के लिये रुपए की आवश्यकता होती है

मौजूदा तंत्र के लाभ

  • विकास को बढ़ावा:
    • यह वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देगा और भारतीय रुपए के प्रति वैश्विक व्यापारिक समुदाय की बढ़ती रुचि का समर्थन करेगा।
  • स्वीकृत देशों के साथ व्यापार:
    • जब से रूस पर प्रतिबंध लगाए गए हैं, भुगतान की समस्या के कारण रूस के साथ व्यापार लगभग ठप है।
    • RBI द्वारा शुरू किये गए व्यापार सुविधा तंत्र के परिणामस्वरूप रूस के साथ भुगतान संबंधी मुद्दे को हल करना आसान हो गया है।
  • विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव:
    • इस कदम से विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव का जोखिम भी कम होगा, विशेष रूप से यूरो-रुपया सममूल्यता को देखते हुए।
  • रुपए की गिरावट पर नियंत्रण:
    • इस तंत्र का उद्देश्य रुपए में लगातार गिरावट के दौरान व्यापार प्रवाह हेतु रुपए में निपटान को बढ़ावा देकर विदेशी मुद्रा की मांग को कम करना है।
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FAQs on Economic Development (आर्थिक विकास): November 2022 UPSC Current Affairs - भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi

1. ऑनलाइन बॉण्ड प्लेटफॉर्म प्रदाताओं हेतु नियामक ढाँचा क्या है?
उत्तर. ऑनलाइन बॉण्ड प्लेटफॉर्म प्रदाताओं हेतु नियामक ढाँचा एक नियम या गाइडलाइन है जो ऑनलाइन बॉण्ड प्लेटफॉर्म प्रदाताओं को उनकी सेवाओं और गतिविधियों के लिए निर्देशित करता है। यह उन्हें नियामकीय पाठ्यक्रम, सुरक्षा और उपयोगकर्ता सुरक्षा के मानकों का पालन करने के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
2. भारत का पहला जल में तैरता वित्तीय साक्षरता शिविर क्या है?
उत्तर. भारत का पहला जल में तैरता वित्तीय साक्षरता शिविर एक आयोजन है जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों को वित्तीय ज्ञान और बैंकिंग सेवाओं के बारे में शिक्षित करना है। इस शिविर के माध्यम से लोग बैंकिंग का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं और वित्तीय सहायता के लिए आवेदन कर सकते हैं।
3. एकल वस्तु एवं सेवा कर दर क्या है?
उत्तर. एकल वस्तु एवं सेवा कर दर व्यापार और वित्तीय सेवाओं पर लगाए जाने वाले कर है। यह कर विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर वस्तुत: लागू होता है और उनकी कीमतों पर लगाया जाता है। एकल वस्तु एवं सेवा कर दर के प्रत्येक वस्तु और सेवा के लिए विभिन्न होती है और इसे वस्तु के मूल्य के आधार पर लगाया जाता है।
4. भारत में खाद्य तेल क्षेत्र क्या है?
उत्तर. भारत में खाद्य तेल क्षेत्र खाद्य तेल उत्पादन और व्यापार के लिए उन राज्यों और क्षेत्रों को संदर्भित करता है जहां खाद्य तेल की खेती और उत्पादन होता है। यह क्षेत्र व्यापारिक और आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित करता है और खाद्य तेल उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है।
5. भारत में रूसी बैंको के वोस्ट्रो खाता आर्थिक विकास क्या है?
उत्तर. भारत में रूसी बैंको के वोस्ट्रो खाता आर्थिक विकास भारत में रूसी बैंकों के खाताधारकों के लिए आर्थिक सुविधाओं का प्रदान करने के लिए एक योजना है। इस योजना के तहत, रूसी बैंकों के खाताधारकों को भारत में अपने खातों के माध्यम से विभिन्न आर्थिक सुविधाएं प्राप्त करने की अनुमति होती है।
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