इन वाक्यों में “नाच रहा है”, “पत्र लिखना”, “निकलना”, “गया”, आदि शब्दों में कार्य होने का बोध होता है। ऐसे शब्द क्रिया कहलाते हैं। हिंदी भाषा में क्रिया वाक्य के अंत में आती है। कई वाक्यों में एक से अधिक क्रियाएँ होती हैं। कुछ वाक्यों में क्रिया लुप्त होती है।
क्रिया के मूल रूपों से अनेक क्रियाएँ बनती हैं। जैसे–“पढ” से-पढ़ा, पढ़ता, पढ़ते, पढ़ती, पढूँ, पदूंगा, पढेंगे, पढ़ी आदि।
1. सकर्मक क्रिया
परिभाषा: जिन क्रियाओं के कार्य का फल कर्ता को छोड़कर कर्म पर पड़ता है, वे सकर्मक क्रिया कहलाती है। विशेष सकर्मक क्रिया की पहचान के लिए क्रिया के साथ ‘क्या’ या “किसको” शब्द लगाकर प्रश्न करना चाहिए। सकर्मक का अर्थ है, “कर्म के साथ” जिन क्रियाओं में कर्म की अपेक्षा रहती है, उन्हें सकर्मक क्रिया कहते हैं।
जैसे:
(i) आयुष पुस्तक पढ़ रहा है।
(ii) मोहित टी.वी. देख रहा है।
सकर्मक क्रियाओं में कभी एक कर्म रहता है और कभी दो कर्म। अतः सकर्मक क्रियाएँ दो प्रकार की होती हैं:
एककर्मक क्रिया
जिन क्रियाओं का एक कर्म होता है, वे क्रियाएँ एककर्मक क्रियाएँ कहलाती हैं;
जैसे:
(i) माता खाना खिलाती है।
(ii) माली पानी देता है।
द्विकर्मक क्रिया
जिन क्रियाओं के दो कर्म होते हैं, वे क्रियाएँ द्विकर्मक क्रियाएँ कहलाती हैं।
जैसे:
(i) माता बच्चे को खाना खिलाती है।
(ii) माली पौधों को पानी देता है।
इन वाक्यों में खिलाती, पानी देता, क्रियाओं के दो-दो कर्म हैं। बच्चे, और खाना, माली और पानी, कर्म हैं। प्रत्येक क्रिया के दो-दो कर्म होने के कारण ये द्विकर्मक क्रियाएँ हैं।
2. अकर्मक क्रिया
जिन क्रियाओं का कर्म नहीं होता तथा क्रिया का फल कर्ता पर पड़ता है, वे क्रियाएँ अकर्मक क्रिया कहलाती हैं।
जैसे:
(i) रमेश सो रहा है।
(ii) पिताजी जा रहे हैं।
विशेष - क्रिया एक विकारी शब्द है। क्योंकि उसके रूप में कर्ता या कर्म के अनुसार परिवर्तन होता है।
जैसे:
(i) लड़का खेल रहा है। लड़की खेल रहा है।
(ii) लड़के खेल रहे हैं। लड़कियाँ खेल रही हैं।
1. सामान्य क्रिया
किसी वाक्य में एक ही क्रिया हो तो उसे सामान्य क्रिया कहते हैं।
जैसे:
(i) नेहा सेब लाई।
(ii) मोहन कार्यालय गया।
2. संयुक्त क्रिया
जब दो या अधिक क्रियाएँ एक ही कार्य का बोध कराती हैं तो उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं। संयुक्त क्रियाओं में एक मुख्य क्रिया होती है तथा दूसरी उसकी सहायक।
जैसे:
(i) मैं यह पुस्तक पढ़ सकता हूँ।
(ii) वह यह भार उठा सकता है।
3. रंजक क्रिया
रंजक क्रिया मुख्य क्रिया का अंग बन जाती है। वह उसके प्रभाव को बढ़ा देती है।
जैसे:
(i) गीता ने गाजर खा ली।
(ii) अंशु कुर्सी पर बैठ गई।
4. नामधातु क्रिया
कुछ क्रियाएँ संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि से बनाई जाती हैं। जैसे- हाथ से हथियाना, अपना से अपनाना इत्यादि। संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण या अनुकरणवाची शब्दों से बनने वाली क्रियाओं को नामिक या नामधातु क्रियाएँ कहते हैं।
जैसे:
(i) आयुष पाठ दोहराने लगा है।
(ii) हमें अच्छाई को अपनाना चाहिए।
इन वाक्यों में दोहराने, अपनाना नामधातु क्रियाएँ हैं। ये क्रियाएँ दोहरा (विशेषण) अपना (सर्वनाम) और बड़े कुछ नामधातु क्रियाएँ निम्नलिखित हैं।
संज्ञा शब्दों से
सर्वनाम शब्दों से
विशेषण शब्दों से
अनुकरणीय शब्दों से
5. प्रेरणार्थक क्रिया
जिस क्रिया को कर्ता स्वयं न करके, दूसरे को करने के लिए प्रेरित करता है, उस क्रिया को प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं।
जैसे:
(i) राजेश अंशु को पंजाबी पढ़ाता है।
(ii) अमन दादाजी को सड़क पार कराता है।
6. पूर्वकालिक क्रिया
किसी वाक्य में मुख्य क्रिया से पहले होने वाली क्रिया पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है।
जैसे:
(i) शिव कुमार नहाकर पूजा करने लगा।
(ii) टीनू लड़कर मायके चली गई।
7. कृदंत क्रिया
कुछ क्रियाएँ ऐसी हैं जिसका निर्माण शब्दों के अंत में प्रत्यय या शब्दांश जोड़कर किया जाता है। जब शब्दों के अंत में प्रत्यय या शब्दांश जोड़कर क्रियाओं का निर्माण किया जाता है तो इस प्रकार बनी क्रियाओं को कृदंत क्रियाएँ कहते हैं। जैसे:
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