इन पंक्तियों में कहे गए कथन स्वयं में पूर्ण हैं, क्योंकि इनमें कही गई बातें अपना अर्थ स्पष्ट कर रही हैं।
1. उद्देश्य: वाक्य में जिस व्यक्ति या वस्तु के विषय में कुछ कहा जाता है, वह उद्देश्य कहलाता है।
जैसे: मनु बाजार जाता है।
इस वाक्य में मनु के बारे में कहा गया है, अतः मनु उद्देश्य है।
2. विधेय: वाक्य में उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाता है, उसे विधेय कहते हैं।
जैसे: मनु बाजार जाता है।
इस वाक्य में मनु उद्देश्य है तथा बाजार जाता है विधेय है।
जैसे: मेधावी छात्र परीक्षा में नकल नहीं करते।
जैसे: मुझे नहीं लगता कि वह पास हो जाएगा।
जैसे: भगवान आपको सदा स्वस्थ रखे। तुम्हारी यात्रा मंगलमय हो।
जैसे: क्या तुम विद्यालय जा रहे हो?
जैसे: तुम परिश्रम करते तो अवश्य सफल होते।
जैसे: क्या मैं अंदर आ सकता हूँ?
जैसे: अहा! कितना सुंदर उपवन है।
1. सरल वाक्य: जिस वाक्य में एक ही उपवाक्य हो अर्थात् एक कर्ता और एक ही क्रिया हो, उसे सरल वाक्य कहते हैं। जैसे: लड़की सुंदर है।
इस वाक्य में एक उद्देश्य और एक विधेय रहता है।
2. मिश्र वाक्य: जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य तथा दूसरा आश्रित उपवाक्य हो, वह मिश्र वाक्य कहलाता है।
जैसे: सभी जानते हैं कि तुम अच्छे विद्यार्थी हो।
इस वाक्य में सभी जानते हैं’- प्रधान उपवाक्य तथा ‘तुम अच्छे विद्यार्थी हो’- आश्रित उपवाक्य है।
3. संयुक्त वाक्य: समानता के आधार पर जब दो वाक्य समुच्चयबोधक (योजक) से जुड़ते हैं तो ऐसा वाक्य संयुक्त वाक्य कहलाता है।
जैसे: बादल घिरे और मयूर नाचने लगे।
यहाँ रचना की दृष्टि से वाक्य-परिवर्तन की विवेचना की जा रही है। रचना की दृष्टि से वाक्य-परिवर्तन तीन तरीके का होता है
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