1. एकवचन: शब्द के जिस रूप से एक ही वस्तु या प्राणी का बोध हो, उसे एकवचन कहते हैं।
जैसे: माला, पुस्तक, कुत्ता, कपड़ा, बिल्ली आदि।
2. बहुवचन: शब्द के जिस रूप से अनेक वस्तुओं या प्राणियों का बोध हो, उसे बहुवचन कहते हैं।
जैसे: मालाएँ, पुस्तकें, कुत्ते, कपड़े, बिल्लियाँ आदि।
2. लोकव्यवहार: “तू” एकवचन है। इसका बहुवचन है “तुम”, किंतु लोकव्यवहार में “तुम” का प्रयोग एकवचन में होता हैं।
3. समुदायवाचक: लोग, गण, वृंद, समुदाय, जाति, दल आदि शब्द लगाकर मूल शब्द का बहुवचन के रूप प्रयोग किया जाता है।
जैसे: हिंदू लोग, छात्रगण, पक्षी वृंद, सिख समुदाय, क्षत्रिय जाति, टिड्डी दल आदि।
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Chapter Notes: वचन
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गणनीय तथा अगणनीय संज्ञाएँ: कुछ संज्ञाओं जैसे- व्यक्तियों, वस्तुओं, स्थान आदि की गणना की जा सकती है, अर्थात् इन्हें गिना जा सकता है। जैसे- लड़के मालाएँ, आदमी, कुर्सियाँ आदि। इन्हें गणनीय संज्ञाएँ कहते हैं। कुछ संज्ञाएँ ऐसी होती हैं, जिन्हें गिना नहीं जा सकता, अपितु उन्हें नापा या तोला जा सकता है। जैसे: दूध, कपड़ा, मक्खन आदि। इन्हें अगणनीय संज्ञाएँ कहते हैं।
2. “आ”, “उ” और “औ” अंत वाले स्त्रीलिंग शब्दों के अंत में “एँ” प्रत्यय लगाने से
3. “आ” अंत वाले पुल्लिग शब्दों के अंत में “आ” के स्थान पर “ए” करने से
4. “इ” या “ई” स्त्रीलिंग शब्दों के अंत मे “इ” या “ई” के स्थान पर इयाँ करने से
5. कुछ अकारांत शब्दों के अंत में अनुनासिक (चंद्रबिंदु) लगाने से
6. अनेक शब्दों के अंत में विशेष शब्द जोड़कर उनका बहुवचन बनाया जाता है
7. संबोधन के लिए प्रयुक्त शब्दों के अंत में “यो” अथवा “ओ” लगाया जाता है
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